केंद्र सरकार के विरोध में बेरोजगारों का फूटा गुस्सा
ऐसी डिग्रियां जो रोजगार नहीं दिला सकती उनको आग लगा देनी चाहिए : भारतीय बेरोजगार मोर्चा
पूरी दुनिया में मात्र भारत ही एक ऐसा इकलौता देश है जहां शिक्षा के बजाए न केवल डिग्रियां बांटी जा रही हैं, बल्कि भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जहां अपने ही देश की शिक्षा और छात्रों का मजाक बना दिया गया है. ये वो डिग्रियां हैं जो किसी काम की नहीं हैं. केवल एक कागज का टुकड़ा बनकर आलमारियों की शोभा बढ़ा रही हैं. जो डिग्रियां पढ़े-लिखे युवाओं को नौकरी, रोजगार न दिला सके ऐसी डिग्रियों को आलमारी में रखने से अच्छा है आग लगा देना. याद होगा प्रधानमंत्री ने पकौड़े तलने को रोजगार बताया था, लेकिन ये डिग्रियां उसके भी काम नहीं आ रही हैं. भले ही कोई डॉक्टर हो, इंजीनियर हो, वकील हो, ग्रेजुएट हो या पोस्ट ग्रेजुएट हो. उन्हे केवल एक ही डिग्री मिली है और वो है ‘‘बैचलर ऑफ बेरोजगार’’. वर्तमान में इसका सबसे बड़ा कारण है ईवीएम मशीन.ईवीएम घोटाले से सत्ता पर कब्जा करने वाली कांग्रेस और बीजेपी ने मिलकर देश के पढे-लिखे युवाओं को बेरोजगारी की इतनी भयावह खाई में झोंक दिया है कि युवाओं को रोजगार मिलना तो दूर रोजगार सोच भी नहीं सकता है.
गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत दुनिया का सबसे ज्यादा युवाओं का देश है, जहां 35.6 करोड़ आबादी युवाओं की है. किसी भी देश तरक्की काफी हद तक वहां के युवाओं को मिलने वाले रोजगार पर निर्भर करती है. अगर युवाओं को पर्याप्त रोजगार न मिले तो उनके ना सिर्फ सपने टूटते हैं, बल्कि औकात के कारण कदम उठाने की और आत्महत्या करने की संभावना भी रहती है. इसके भयंकर परिणाम भी सामने आ रहे हैं. इसका मूल वजह 1991 में एनडीए और यूपीए सरकार द्वारा देश में चलाया गया एलपीजी (उदारीकरण, निजीकरण, वैश्वीकरण) कानून है. वर्तमान के सभी राज्य व केन्द्र सरकार ईवीएम के द्वारा चुनकर आई हुई सरकार है, जो सभी सरकारी क्षेत्र को निजीकरण के माध्यम से खत्म कर रही है, जिससे देश में प्रतिदिन बेरोजगारी चरम पर जा रही है. रोजगार न होने की वजह से देश में सुशिक्षित बेरोजगारों की भीड़ निर्माण हो रही है. इस बात का अंदाजा एनसीआरबी के जारी रिपोर्ट से लगाया जा सकता है. एनसीआरबी (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो) की रिपोर्ट के अनुसार, देश में प्रति दिन 38 सुशिक्षित बेरोजगार युवा आत्महत्या कर रहे हैं.
सरकार की इस नालायकी के कारण देश भर में सरकार के खिलाफ युवाओं में गुस्से की अगा भड़क गई है. जगह-जगह विरोध प्रदर्शन, व रैलियां आए दिन हो रही हैं. लाखों बेरोजगार युवा सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर चुके हैं. सरकार के खिलाफ नारेबाजी से पूरा देश गूंज उठा है. ऐसा की कुछ नजारा 17 मई 2021 को उस वक्त देखने को मिला जब देश भर के पढ़े-लिखे युवा बेरोजगार अपनी-अपनी डिग्रियां जलाने लगे.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, ‘रोजगार नहीं तो सरकार नहीं’ के अंतर्गत भारतीय बेरोजगार मोर्चा के तीसरे चरण का ‘‘प्रतिकात्मक डिग्री जलाओ’’ राष्ट्रीय आंदोलन 17 मई 2021 को पूरे देशभर में जोश खरोश के साथ सफल हुआ. इस आंदोलन में देशभर के युवा शामिल हुए. इस आंदोलन का असर, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, असम, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और केरल में ज्यादा दिखाई दिया.
सरकार पर भड़के देशभर के बेरोजगार युवाओं ने कहा, ये डिग्रियां हमारे किसी काम की नहीं है, हमें मिली सभी डिग्रियां केवल कागज का टुकड़ा बन चुकी है, इसका हमारे व्यक्तिगत जीवन में कोई कीमत नहीं है. उन्होंने आगे कहा, बेरोजगारी का दर्द सिर्फ पढ़ा-लिखा युवा ही जानता है. जब वह खर्च के लिए अपने बाप से पैसे मांगता है तो वह बाप के बुढ़ापे का सहारा बनने की बजाए उलटा उनपर बोझ बन जाता हैं. जबकि, युवा नौजवान बेटा बाप की पीड़ा समझते हुए भी कुछ नहीं कर पाता है. इसलिए इन डिग्रियों को हम जलाने के लिए मजबूर हैं. क्योंकि, ईवीएम मशीन से बनी सरकार इस हद तक आगे बढ़ गई है कि सरकारी क्षेत्र में नौकरियों की भर्ती ना कराकर बेरोजगारों को अपनी डिग्रियां जलाने पर मजबूर कर रही हैं. इसलिए हमारे पास इसे जलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.
वैसे भी डिग्री रखकर कोई फायदा भी तो नहीं है. डिग्रियां रहना न रहना दोनों बराबर ही है. डिग्री रहकर भी किस काम की जब आईएएस परीक्षा देने की बारी आयेगी तो मोदी सरकार 314 बच्चों की तरह क्रीमीलेयर लगा कर परीक्षा से ही बाहर निकाल देगी. इसके साथ ही युवाओं ने देशभर के बेरोजगार युवाओं का आवाहन करते हुए कहा, अपने हक अधिकार के लिए आज नहीं बोलोगे तो कभी नहीं बोल पाओगे, आज बोलने का वक्त आया है. पता नहीं कल बोलने के लिए होंगे भी या नहीं, बोलने का मौका मिलेगा या नहीं. इसलिए आज मौका है जोर से बोलने का दम लगाकर बोलने का इसलिए अपने अधिकार के लिए बोलते रहो, संघर्ष करते रहो.
बता दें कि भारतीय बेरोजगार मोर्चा के राष्ट्रीय प्रभारी प्रेम कुमार गेडाम के आवाहन पर बेरोजगारों के समर्थन में ‘‘रोजगार नहीं तो सरकार नहीं’’ के तहत चरणबद्ध आंदोलन का एलान किया गया था. 8 मई 2021 को पहले चरण में देशव्यापी काली पट्टी निषेध आंदोलन किया गया था. वहीं दूसरे चरण में 12 मई को ईवीएम मशीन का पुतला दहन किया गया था. इसी तरह से सोमवार 17 मई 2021 को तीसरे चरण में प्रतिकात्मक डिग्री जलाओ आंदोलन किया गया, जिसमें बामसेफ के सभी ऑफसूट संगठनों में भारत मुक्ति मोर्चा, भारतीय विद्यार्थी मोर्चा, बहुजन क्रांति मोर्चा, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा, राष्ट्रीय मूलनिवासी महिला संघ, राष्ट्रीय किसान मोर्चा, राष्ट्रीय मुस्लिम मोर्चा, राष्ट्रीय मूलनिवासी बहुजन क्रर्मचारी संघ, इंडियन लॉयर ऐसोसिएशन, इंडियन मेडिकल प्रोफेशनल एसोसिएशन और बहुजन मुक्ति पार्टी सहित बामसेफ के सभी ऑफसूट संगठनों ने समर्थन दिया और आंदोलन को सफल बनाया.