प्रस्तावना : राजकुमार (सहायक संपादक, दैनिक मूलनिवासी नायक)
स्थान बामसेफ भवन, पूना दिनांक 17 अगस्त 2020
धन्यवाद, संचालक महोदय, आपने हमें प्रस्तावना रखने के लिए अवसर दिया, इसके लिए हम आपके आभारी हैं। कुछ कहने से पहले मूलनिवासी बहुजन समाज के सभी संत महापुरूषों को नमन करते है और उनसे प्रेरणा लेते हैं कि उनके अधूरे आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए जान की बाजी लगा देंगे।
साथियों, आज हमारे लिए बहुत ही खुशी की बात है कि आज पेरियार रामासामी नायकर जी का 141वाँ जन्म दिन है और आज ही बहुजन आंदोलन के साथी दैनिक मूलनिवासी नायक मराठी का 12वां तथा दैनिक मूलनिवसी नायक हिन्दी का 10वां स्थापना दिवस है। इस मौके पर मैं दैनिक मूलनिवासी परिवार की ओर से आप सभी को हार्दिक शुभेच्छाएं देता हूं।
साथियों, दैनिक मूलनिवासी नायक स्थापना दिवस पर आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे बामसेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष, आदरणीय मा. वामन मेश्राम साहब का हार्दिक स्वागत करते हैं तथा भारत मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. विलास खरात साहब तथा सोशल मीडिया के सहायक राष्ट्रीय प्रभारी मा. संकेत काबंले सर का हार्दिक अभिनन्दन करते हैं।
साथियों, बामसेफ के द्वारा इस देश मे ‘‘तीसरी आजादी’’ का आंदोलन मा. वामन मेश्राम साहब के नेतृत्व में चल रहा है। व्यवस्था परिवर्तन करना ही बामसेफ का मुख्य मकसद है। हम जिस व्यवस्था को बदलने के लिए आंदोलन कर रहे हैं, उसे बदलने में मीडिया की भी सबसे अहम भूमिका है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए मा.वामन मेश्राम साहब के नेतृत्व में 16 सितंबर 2009 को मूलनिवासी नायक मराठी नाम का दैनिक समाचार पत्र शुरू किया गया और 17 सितंबर 2011 को मूलनिवासी नायक हिन्दी दैनिक समाचार पत्र की स्थापना हुई। आज मूलनिवासी बहुजन आंदोलन के साथी दैनिक मूलनिवासी नायक (मराठी) का 12वाँ और दैनिक मूलनिवासी नायक (हिन्दी) का 10वाँ स्थापना दिवस है। इस स्थापना दिवस पर वर्चुअल कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।
साथियों, हमारे समाज के कई संत महापुरूषों ने बहुजन आंदोलन को सफल करने के लिए समय-समय पर पत्र, पत्रिकाएं प्रकाशित किया था। कुछ संत महापुरूषों ने ‘‘वाणी’’ के माध्यम से आंदोलन को सफल बनाया। अगर मूलनिवासी बहुजन क्रांति के अग्रदूत राष्ट्रपिता जोतिराव फुले के समय में मीडिया की बात करे तो ज्योतिबा फुले के शिष्य कृष्णराव भालेकर ने 1877 को दीनबंधू नामक अखबार चलाया।
साथियों, मीडिया के संदर्भ में डॉ. बाबासाहब अम्बेडकर क्या कहते थे? कहते थे कि ‘‘मीडिया की ताकत बहुत बड़ी ताकत होती है। अगर बायें हाथ में मीडिया हो तो दायें हाथ से रातों रात किसी को जीरो से हीरो और हीरो से जीरो बनाया जा सकता है’’ डॉ.बाबासाहब अंबेडकर आगे भी कहते है कि ‘‘ जिस आंदोलन का अखबार नहीं होता है वह आंदोलन पंख कटे हुए पंक्षी की तरह होता है। इसलिए उन्होंने आंदोलन चलाने के लिए अपने जीवन में पैसों की भारी कमी होने के बावज़ूद भी अख़बार निकालकर लोगों में चेतना और लोगों को जागृत करने का काम बड़े पैमाने पर किया था।
डॉ. बाबासाहब अम्बेडकर ने मूकनायक पत्रिका के माध्यम से गूंगे समाज को आवाज दी, बोलना सिखाया। इतना ही नहीं, उन्होंने जनता, बहिष्कृत भारत और प्रबुद्ध भारत जैसे समय-समय पर पत्र-पत्रिकाएं निकालकर अपने आंदोलन का साथी बनाया था और इन पत्र पत्रिकाओं के माध्यम से शोषित, पीड़ित समाज की आवाज उठाई और उनको हक अधिकार देने में कामयाब हुए। इसलिए बहुजन नायक मान्यवर कांशीराम साहब, डॉ.बाबासाहब अम्बेडकर से प्रेरणा लेकर इन्होंने भी अपने समय में दी अनटचेबल इंडिया, दी ऑपरेस्ड इंडियन, श्रमिक साहित्य, बहुजन साहित्य, शोषित साहित्य, बहुजन नायक, बहुजन संदेश, बहुजन संघठक और बहुजन टाइम्स पत्र पत्रिकाएं निकाली थी।
साथियों, मा. वामन मेश्राम साहब भी ब्राह्मणवादी मीडिया से अच्छी तरह से परिचित हैं कि ब्राह्मणवादी मीडिया क्या कर रही है, ब्राह्मणवादी मीडिया केवल ब्राह्मणवादी व्यवस्था को मजबूत करने का काम रही है। नॉन इश्यू को इश्यू बना रही है और इश्यू को नॉन इश्यू बना रही है। इसलिए मा. वामन मेश्राम साहब हमारे महापुरूषों के नक्शे कदम पर चलते हुए कई पत्र पत्रिकाएं निकाल कर तथागत बुद्ध से लेकर मान्यवर कांशीराम साहब के आंदोलन को आगे बढ़ा रहे हैं। मा. वामन मेश्राम साहब ने मूलनिवासी बहुजन समाज को जागृत कर दोश्त और दुश्मन की पहचान करा दिया है।
मा. वामन मेश्राम साहब ने आंदोलन को और तेज करने के लिए मूलनिवासी बहुजन समाज के लिए मीडिया का बहुत बड़ा प्लेटफॉर्म खड़ा कर दिया है। आज मा. वामन मेश्राम साहब के नेतृत्व में मूलनिवासी नायक मराठी और हिन्दी दैनिक समाचार पत्र, बहुजनों का बहुजन भारत हिन्दी साप्ताहिक व मासिक पत्रिका, मूलनिवासी बहुजन भारत अंग्रेजी मासिक पत्रिका के साथ ही कई भाषाओं में पत्र पत्रिकाएं प्रकाशित हो रहे हैं। इसके अलावा सोशल मीडिया के माध्यम से एमएन टीवी, एमएन न्यूज पोर्टल और एमएन रेडियो वर्ल्डवाइड का सीधा प्रसारण भी किया जा रहा है। आज एमएन टीवी के 5 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर हो चुके हैं, यह भी एक खुशी की बात है।
साथियों, डॉ. बाबासाहब अम्बेडकर को यह बात बहुत अच्छी तरह से पता थी कि ब्राह्मणवादी मीडिया बहुजनों के आवाज को दबाने का काम करती हैं और जब तक ब्राह्मणवादी व्यवस्था रहेगी, इसी तरह से आगे भी आवाज दबाती रहेंगी। बाबासाहब अम्बेडकर ने जो बात उस समय में कही थी वो बात आज भी सच साबित हो रही है। उस समय बाबासाहब अम्बेडकर ने कहा था कि ‘‘ ब्राह्मणवादी व्यवस्था में पत्रकारिता, पत्रकारिता नहीं रह गया है, बल्कि एक धंधा बन गया है।’’ यानी वर्तमान समय के मीडिया का आकलन डॉ.बाबासाहब अम्बेडकर उस समय में कर रहे हैं।
आज के हालात क्या हैं? आज के हालात ये हैं कि ब्राह्मणवादी मीडिया में मूलनिवासी बहुजन समाज के मुद्दों की बात नहीं होती है, मूलनिवासी बहुजन पर हो रहे अन्याय, अत्याचार पर चर्चा नहीं होती है। हत्या बलात्कार के मुद्दे गायब हैं, शिक्षा के मुद्दे गायब हैं, बेरोजगारी के मुद्दे गायब हैं, भुखमरी के मुद्दे गायब हैं, किसान और किसानों की आत्महत्या के मुद्दे गायब हैं, देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई इसके मुद्दे गायब हैं, स्वास्थ्य सुरक्षा ही बीमार हो गई है इसके मुद्दे गायब हैं। ब्राह्मणवादी मीडिया को केवल कंगना रानौत की चिंता है, सुशांत सिंह राजपूत की चिंता है। गोदी मीडिया को पाकिस्तान के इकानमी की चिंता है। मगर भारतीय जनता की चिंता नहीं है और न ही देश की चिंता है।
साथियों, वर्तमान समय में दैनिक मूलनिवासी नायक बहुजनों की बुलंद आवाज है और बामसेफ द्वारा चलाए जा रहे आजादी के आंदोलन का सच्चा साथी है। क्योंकि, तमाम कठिनाईयों से जुझते हुए भी 12 सालों से बगैर विज्ञापन के निरंतर चल रहा है। अंत में मै देश के 85 प्रतिशत मूलनिवासी बहुजन समाज से एक अपील करना चाहता हूं कि ब्राह्मणवादी मीडिया के बजाए अपने आंदोलन के साथी, बहुजनों की बुलंद आवाज दैनिक मूलनिवासी नायक को तन-मन-धन से साथ सहयोग करे ताकि, हम अपने समाज की आवाज को और ज्यादा बुलंद कर सके। आप लोग ऐसा करेंगे, इसी के साथ मैं अपनी बातों को समाप्त करता हूँ।
!! जय मूलनिवसी!!
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