रविवार, 30 अक्तूबर 2016

महामाया तथागत बुद्ध की माँ

महामाया तथागत बुद्ध की माँ

 साउथ इंडिया के अमरावती में और पूरे देश भर में महामाया और हाथी के शिल्प दिखाई देते है,वे माँ और पुत्र के है। महामाया को सफ़ेद हाथी का ख्वाब आता है। बुद्ध को हाथी के रूप में पालि साहित्य में देखा गया है। सम्राट अशोक भी बुद्ध के स्तूप पर हाथी दिखाते है शेर सम्राट अशोक के लिए। अब महामाया और हाथी जनमानस में आदर का विषय थे ,कल्चर का विषय थे। तो पुष्यमित्र शुंग ने प्रतिक्रांति करने के बाद क्या किया? तो इस बात को नकारने का प्रयास किया मगर वह मिट नहीं पाया। फिर ब्राम्हणो ने 12 शताब्दी के बाद क्रांतिकारी बौद्ध धर्म को ध्यान में रखते हुए उसका ब्राम्हणीकरण किया। कैसे किया? देखे पहले का :-महा #माया  ब्राम्हणीकरण के बाद: महा# लक्ष्मी। लक्ष्मी यानि माया ही होता है। माया के अर्थ पालि भाषा में धरती, करुणा,प्रेम है। ब्राम्हणो के परिभाषा में धन है। जो भी हो ब्राम्हणो ने चोरी भी किया और लोगो को पता तक नहीं चलने दिया की धनतेरस के दिन जो महा लक्ष्मी है वह तो तथागत बुद्ध के माँ की ही तस्वीर है और नाम भी वही है। चलो जब हमारा राज आयेगा तब बहुत सारे चीजो का डीब्राम्हणाइजेशन करेंगे। यह पोस्ट वैचारिक चर्चा हेतु है।   जय भीम ,जय मूलनिवासी!!!

मप्र: आदिवासी बच्चों को शौचालय में पढ़ाया जाता है

मप्र: आदिवासी बच्चों को शौचालय में पढ़ाया जाता है
TUESDAY, SEPTEMBER 27, 2016
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https://3.bp.blogspot.com/-WMi1wnKdWM8/V-qn9lJ9fWI/AAAAAAABlCM/i8KjNoYXDawSr5ctN0WZknU6hrE2SoZUgCLcB/s1600/55.png नीमच जिला मुख्यालय से करीब 90 किलोमीटर दूर सिंगोली तहसील मे एक आदिवासी बस्ती में संचालित शासकीय स्कूल में आदिवासी बच्चों को शौचालय में पढ़ाया जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि हमारे पास कोई भवन नहीं है, इसलिए ऐसा करना पड़ रहा है। यहां शौचालय में कक्षा 1 से 5 तक की क्लास लगाई जाती है। 
बताया जाता है कि 30 वर्ष पूर्व रोजगार की तलाश मे झाबुआ से यहां आये आदिवासी परिवारों ने सिंगोली तहसील के बड़ी पंचायत मे तालाब किनारे एक छोटा सा गांव बसाया था जिसे मामा बस्ती के नाम से जाना जाता है। लगभग 35 परिवारों की इस आदिवासी बस्ती पर कांग्रेसी वोट बैंक की छाप होने के कारण यहां विकास कार्य नहीं कराए जा रहे हैं। 
कब मिली शाला भवन और शौचालय को मंजूरी
वर्ष 2009-10 मे शासन ने बस्ती मे स्कूल के लिए सर्वशिक्षा अभियान के तहद सेटेलाईट शाला भवन निर्माण को मंजूरी दी। निर्माण एजेन्सी के अधिकारों के बहाने राजनैतिक लाभ लेने तत्कालीन सरपंच ने इस भवन को पड़ोसी गांव खेंरो का झोपड़़ा मे बनवा दिया। ग्रामीणों ने इसका विरोध भी किया था लेकिन विधायक ने भी भूमिपूजन कर दिया। सरपंच ने विधायक के नाम पर स्कूल भवन बनवा दिया। 
भवन लावारिस, शौचालय में कक्षाएं
अब स्कूल भवन खेंरो गांव में है, जबकि दस्तावेजों के अनुसार स्कूल 'मामा की बस्ती' में। बच्चे भी मामा की बस्ती में ही पढ़ने आते हैं। 2 किलोमीटर दूर जाने को कोई तैयार नहीं है। दस्तावेजों में स्कूल 'मामा की बस्ती' में है, इसलिए शिक्षक भी यहीं पढ़ाने आते हैं। वर्ष 2015 मे शासन ने मामा बस्ती स्कूल भवन मे शौचालय निर्माण के लिए 2.77 लाख रूपए की मंजूरी दे दी। सरपंच ने शौचालय 'मामा की बस्ती' में ही बनवा दिया। अब यही शौचालय स्कूल का कार्यालय है और यहीं पर बच्चों को पढ़ाया जाता है। 
शिक्षक क्यों पढाते है शौचालय में
मामा बस्ती स्कूल मे संविदा शाला शिक्षक हेमराज भील पांचवी कक्षा के बच्चों को शौचालय मे ही पढाते हैं। स्कूल की एक क्लास बाहर मैदान में लगती है जबकि दूसरी शौचालय में।