महामाया तथागत बुद्ध की माँ
साउथ इंडिया के अमरावती में और पूरे देश भर में महामाया और हाथी के शिल्प दिखाई देते है,वे माँ और पुत्र के है। महामाया को सफ़ेद हाथी का ख्वाब आता है। बुद्ध को हाथी के रूप में पालि साहित्य में देखा गया है। सम्राट अशोक भी बुद्ध के स्तूप पर हाथी दिखाते है शेर सम्राट अशोक के लिए। अब महामाया और हाथी जनमानस में आदर का विषय थे ,कल्चर का विषय थे। तो पुष्यमित्र शुंग ने प्रतिक्रांति करने के बाद क्या किया? तो इस बात को नकारने का प्रयास किया मगर वह मिट नहीं पाया। फिर ब्राम्हणो ने 12 शताब्दी के बाद क्रांतिकारी बौद्ध धर्म को ध्यान में रखते हुए उसका ब्राम्हणीकरण किया। कैसे किया? देखे पहले का :-महा #माया ब्राम्हणीकरण के बाद: महा# लक्ष्मी। लक्ष्मी यानि माया ही होता है। माया के अर्थ पालि भाषा में धरती, करुणा,प्रेम है। ब्राम्हणो के परिभाषा में धन है। जो भी हो ब्राम्हणो ने चोरी भी किया और लोगो को पता तक नहीं चलने दिया की धनतेरस के दिन जो महा लक्ष्मी है वह तो तथागत बुद्ध के माँ की ही तस्वीर है और नाम भी वही है।
चलो जब हमारा राज आयेगा तब बहुत सारे चीजो का डीब्राम्हणाइजेशन करेंगे। यह पोस्ट वैचारिक चर्चा हेतु है। जय भीम ,जय मूलनिवासी!!!
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