जब देश मे संविधान नहीं था तब चमार के घर चमार, लोहार के घर लोहार, अहीर के घर अहीर, मांझी के घर मांझी, नाई के घर नाई, धोबी के घर धोबी, सुनार के घर सुनार, तेली के घर तेली, कुम्भार के घर कुम्भार और मोची के घर मोची जन्म लेता था. लेकिन, संविधान बनने के बाद चमार के घर चमार नहीं डॉक्टर, वकील, अध्यापक, कमांडेंट, मैनेजर और आईएएस, आईपीएस जैसे अधिकारी जन्म लेने लगा. लोहार के घर लोहार नहीं, डॉक्टर, वकील, अध्यापक, कमांडेंट, मैनेजर और आईएएस, आईपीएस जैसे अधिकारी जन्म लेने लगा. अहीर के घर अहीर नहीं, डॉक्टर, वकील, अध्यापक, कमांडेंट, मैनेजर और आईएएस, आईपीएस जैसे अधिकारी जन्म लेने लगा. मांझी के घर मांझी नहीं, डॉक्टर, वकील, अध्यापक, कमांडेंट, मैनेजर और आईएएस, आईपीएस जैसे अधिकारी जन्म लेने लगा. धोबी के घर धोबी नहीं, डॉक्टर, वकील, अध्यापक, कमांडेंट, मैनेजर और आईएएस, आईपीएस जैसे अधिकारी जन्म लेने लगा. सुनार के घर सुनार नहीं, डॉक्टर, वकील, अध्यापक, कमांडेंट, मैनेजर और आईएएस, आईपीएस जैसे अधिकारी जन्म लेने लगा. तेली के घर तेली नहीं, डॉक्टर, वकील, अध्यापक, कमांडेंट, मैनेजर और आईएएस, आईपीएस जैसे अधिकारी जन्म लेने लगा. कुम्भार के घर कुम्भार नहीं, डॉक्टर, वकील, अध्यापक, कमांडेंट, मैनेजर और आईएएस, आईपीएस जैसे अधिकारी जन्म लेने लगा और मोची के घर मोची नहीं, डॉक्टर, वकील, अध्यापक, कमांडेंट, मैनेजर और आईएएस, आईपीएस जैसे अधिकारी जन्म लेने लगा.
यह तमाम उदाहरण आपके बीच मे मौजूद है, यदि यकीन नहीं है तो अपने बड़ो से पूछ सकते हैं. इसका जवाब हाँ में ही मिलेगा. इसलिए संविधान हमारे लिए सबसे ज्यादा प्यारा है. अब आपको तय करना है कि आप किस व्यवस्था को पसंद करेंगे? मानवता की संवैधानिक व्यवस्था या जानवरों की जाति व्यवस्था? एक कटु सत्य यह भी है कि ब्राह्मण एवं तत्सम उच्च जाति के लोग संविधान को समाप्त करके मनुस्मृति लागू करने के लिए रात दिन प्रयास कर रहे हैं और इसी संविधान के बदौलत उच्च संवैधानिक पदों पर आसीन होने वाले मूलनिवासी बहुजन समाज के कुछ लोग उनका साथ दे रहे हैं. ऐसे लोगों के लिए एक संदेश है कि जो गलती आप कर रहे हैं इस गलती का खामियाजा हो सकता है कि आपको न भुगतना पड़े, लेकिन आने वाली आपकी हमारी पीढ़ी को भुगतना तय है. उस वक्त अपने पीढ़ी पर तरस खाने के लिए शायद आप जिंदा ना रहें. इसलिए समय रहते हुए सकर्त हो जाएं और संविधान को खत्म कर मनुस्मृति लागू करने वाली मनुवादी ताकतों से संविधान बचाने के लिए जान की बाजी लगा दें, इसी में हमारी और आपकी आने वाली पीढ़ियों की भलाई है. एक बात और कहना चाहती हूं कि मूलनिवासी बहुजन समाज को शिक्षा का अधिकार दिलाने के लिए डॉ.बाबसाहब अम्बेडकर ने कितना संघर्ष किया. शिक्षा को लेकर बाबासाहब कहते थे कि ‘‘शिक्षा वो शेरनी का दूध है तो पीयेगा र्गुरायेगा’’ शिक्षा लेकर ही बाबासाहब हम मूलनिवासी बहुजनों को सभी मानवीय अधिकार दिला सके. इसलिए शिक्षा का महत्व बताते हुए बाबासाहब ने शिक्षा पर ज्यादा जोर दिया. लेकिन आज हम शिक्षा को दरकिनार कर ब्राह्मणों द्वारा रचित पाखंडवाद में लिप्त है. अगर, मंदिर में जाने से समस्या हल होतीं तो योगी मंदिर छोड़कर विधानसभा में नहीं आता. अब आपको सोचना है और विचार करना है कि आप क्या करते हैं?
मोहिनी राज
चन्दौली, उ.प्र.
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