रविवार, 5 जनवरी 2020

कब फुटेगा बीजेपी के पाप का घड़ा...?


सरवन कुमार

(भारत मुक्त मोर्चा, चन्दौली)

बीजेपी द्वारा महाराष्ट्र में जबरदस्ती सरकार बनाने बाद के अब महाराष्ट्र सहित अन्य प्रदेश के क्षेत्रिय पार्टियाँ भी सुर अलाप रही हैं कि ‘कब फुटेगा बीजेपी के पाप का घड़ा...?’ चूंकि, बीजेपी केवल महाराष्ट्र में ही जबदस्ती सरकार नहीं बनाई है, बल्कि इसके पहले भी भाजपा ने गोवा, मेघालय और मणिपुर में भी कर चुकी है. गोवा, मेघालय और मणीपुर में बीजेपी का बहुमत नहीं था, फिर तीनों राज्यों में बीजेपी की सरकार डंके की चोट पर चल रही है. ठीक यही हस्र महाराष्ट्र में भी होगा. भले ही महाराष्ट्र में बीजेपी को बहुमत नहीं है. लेकिन, बीजेपी धोखेबाजी, छलबाजी के बहुमत हाशिल कर लेगी. अगर, कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना को लगता है कि बीजेपी बहुमत हाशिल नहीं कर सकती है तो यह उनकी भूल नहीं है. क्योंकि, कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना भी जानती है कि बीजेपी क्या करने वाली है. महाराष्ट्र में बीजेपी की ताजपोशी के बाद जिस तरह से कयास लगाए जा रहे हैं उस तरह से एक बात तो साफ बिल्कुल साफ हो गई है कि बीजेपी को महाराष्ट्र में ताजपोशी का स्रेय केवल कांग्रेस का जाता है. कुछ भी बीजेपी द्वारा जबरदस्ती सरकार बनाने के बाद सभी पार्टियाँ एक तरह से बिलबिला उठी हैं. इसके बाद भी कोई बीजेपी का बाल बांका नहीं कर सकता है. अगर, बीजेपी के पाप का घड़ा फोड़ना है तो सबसे पहले ईवीएम को खत्म करना होगा और सभी क्षेत्रिय दलों को कांग्रेस का साथ छोड़ना होगा. यदि सभी क्षेत्रिय पार्टियाँ ईवीएम को खत्म करने और कांग्रेस के खेमे से अलग होने में कामयाब होती हैं तो सौ प्रतिशत गारंटी है कि न केवल बीजेपी का, बल्कि साथ ही कांग्रेस के भी पाप का घड़ा फूट जोयगा.

अब एक नजर डालते हैं महाराष्ट्र की राजनीति पर...महाराष्ट्र की राजनीति शिवसेना, एनसीपी के बस की बात नहीं है. अगर, ये पार्टियाँ बीजेपी को मात देना चाहती हैं तो इनके आकाओं को बहुजन क्रांति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष वामन मेश्राम का साथ समर्थन देकर उनसे राजनीति का गुर सिख लेना चाहिए. वर्ना इन क्षेत्रिय पार्टियों का अस्तित्व समाप्त होने वाला है. क्या महाराष्ट्र की राजनीति में शिवसेना और एनसीपी को यह बात समझ में नहीं आई कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा हुआ था? क्या यह बात समझ में नहीं आई कि जब महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा था तो राष्ट्रपति शासन हटाने की घोषणा कब हुई? अगर राष्ट्रपति शासन हटाने की घोषणा हुई तो केन्द्र सरकार ने इसे स्वीकार कब किया? इसी तरह से बीजेपी ने सरकार बनाने का दावा कब किया? और तो और राज्यपाल ने बीजेपी को आमंत्रित कब किया? जबकि, हकीकत यह है कि जब बीजेपी को लगा कि अब उसकी सरकार नहीं बनने वाली है तो उसने राष्ट्रपति शासन लागू करवा दिया. लेकिन, बीजेपी द्वारा जबरदस्ती सरकार बनाने से पहले यह घोषणा नहीं हुआ कि राष्ट्रपति शासन हटाया जा रहा है. एक तरफ देवेन्द्र फडणवीस और अजीत पवार शपथ ले रहे थे और दूसरी तरफ राष्ट्रपति शासन हटाने की बात चल रही थी. क्योंकि, रात तक पूरी तरह से साफ हो चुका था कि सुबह उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री पद का शपथ लेंगे. लेकिन, सुबह नजारा कुछ और ही देखने को मिला. एक और चौंकाने वाली बात यह है कि एनसीपी प्रमुख शरद पवार के भजीते अजीत पवार उनके खेमे से कब बीजेपी के खेमे में चले गये, यह भी भनक उनको नहीं लग सकी? यह कैसी राजनीति है?

अब आते हैं असल मुद्दे पर...आज जिस तरह से पूरे देश में माहौल है उससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश में स्थिति बद से बदतर बन चुके हैं. देश में एससी, एसटी, ओबीसी और इनसे धर्म परिवर्तन करने वाले मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन, लिंगायत और महिलाओं के साथ अन्याय, अत्याचार की घटनाएं हद से ज्यादा बढ़ चुकी हैं. कभी गोत्या के आरोप में एससी का कत्लेआम किया जा रहा है तो कभी फर्जी एंकाउंटर में ओबीसी को मारा जा रहा है. कभी मॉबलिंचिंग और आतंकवाद के आरोप में मुसलमानों को जेल और उनको मौत के घाट उतारा जा रहा है तो कभी नक्सलवाद के नाम पर आदिवासियों का नरसंहार किया जा रहा है. यही नहीं महिलाओं और बच्चियों के साथ अमानवीय और जघन्य अपराध के मामले में तो भारत अन्य देशों को पीछे छोड़ दिया है. इन सभी का जिम्मेदार केवल ईवीएम है. नाजायज ईवीएम नाजायज सरकार बना रही है और नाजायज सरकारें देश के मूलनिवासियों का नरसंहार कर रही हैं. इसलिए इसका केवल एक ही समाधान है ईवीएम का खात्मा. अगर ईवीएम खत्म हो गई तो आधे समस्याओं का समाधान हो सकता है. ईवीएम को खत्म करने के लिए ही वामन मेश्राम साहब दिन रात मेहनत कर रहे हैं. वामन मेश्राम साहब महाराष्ट्र के चुनाव के बाद ही बीजेपी, कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना की राजनीति का आकलन करते हुए कहा था कि शिवसेना बीजेपी का साथ दे या ना दे सरकार बीजेपी की बनेगी. वह बात आज सच साबित हो गया. यह बस केवल ईवीएम की वजह से संभव हुआ है. ऐसा न हो इसलिए वामन मेश्राम साहब ईवीएम में खिलाफ 2019 से लेकर अब तक ईवीएम भंडाफोड़ परिर्वतन यात्रा के माध्यम से जनजागृति चला रहे हैं.

अब सवाल खड़ा होता है कि बीजेपी के पाप का घड़ा कैसे फुटेगा और कौन फोड़ेगा? दरअसल, बीजेपी के पाप का घड़ा वामन मेश्राम साहब के अलावा कोई और नहीं फोड़ सकता है. वामन मेश्राम साहब के अलावा किसी में हिम्मत ही नहीं है. इसके लिए वामन मेश्राम अकेल लड़ रहे हैं. अगर सभी लोगों का साथ समर्थन मिल जाय तो बीजेपी और कांग्रेस के पाप का घड़ा फोड़ने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा. इसलिए एससी, एसटी, ओबीसी, मायनॉरिटी और मूलनिवासी बहुजन समाज के सभी क्षेत्रिय दलों को वामन मेश्राम साहब का साथ समर्थन देकर अपनी समस्याओं का समाधान करने की जरूरत है.



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें