रविवार, 26 जनवरी 2020

भारतीय संविधान के बारे में एक नजर...


भारतीय संविधान सभा की पहली बैठक 09 दिसंबर 1946 को पूर्वान्ह 11 बजे से नई दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन हॉल में हुई, जिसे अब संसद भवन के केन्द्रीय कक्ष के नाम से जाना जाता है. उसी दिन डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा को अस्थायी अध्यक्ष मनोनीत किया गया तथा 11 दिसंबर 1946 को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को संविधान सभा का अध्यक्ष, बंगाली क्रिश्चियन डॉ. हरेन्द्र कुमार मुखर्जी को संविधान सभा का उपाध्यक्ष तथा सर बेनेगल नरसिहं राव को संवैधानिक सलाहकार चुना गया. बाद में 16 जुलाई 1948 को राव बहादुर वंगल तिरुवेंकटाचारी कृष्णमाचारी को भी द्वितीय उपाध्यक्ष चुना गया. संविधान सभा के कुल 389 सदस्य थे, किन्तु भारत-पाक विभाजन के समय 324 और बाद में 299 ही रह गये. संविधान सभा की कुल 15 महिला सदस्यों में से एकमात्र मुस्लिम महिला सदस्य बेगम कुदेसिया ऐजाज रसूल (1908-2001) थीं जो विधान सभा क्षेत्र संडीला, जनपद हरदोई से चार बार विधायक व उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहीं तथा उन्हें वर्ष 2000 में पद्म भूषण से पुरुस्कृत किया गया. 

आज से 73 साल पहले 29 अगस्त 1947 को भारत का संविधान बनाने वाली प्रारूप समिति/मसौदा समिति का गठन किया गया था, जिसमें स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री व भारतरत्न बाबासाहेब डॉ.बीआर अम्बेडकर अध्यक्ष तथा 06 अन्य सदस्यों सहित कुल 07 लोग थे. जिनमें पहला डॉ.बीआर अम्बेडकर, दूसरा अल्लादी कृष्णा स्वामी अय्यर, तीसरा एन. गोपाल स्वामी आयंगर, चौथा कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी, पांचवाँ सैयद मुहम्मद सादुल्ला, छठां एन. माधवराज (बीएल मित्तर के स्थान पर) और सातवां टीटी कृष्णमाचारी (डीपी खेतान के स्थान पर) शामिल थे. यह भी जान लें कि बीएल. मित्तर ने 13 अक्टूबर 1947 को मसौदा समिति से त्यागपत्र दे दिया तो उनके स्थान पर एन. माधवराव को 05 दिसंबर 1947 को लिया गया तथा डीपी. खेतान की मृत्युपरांत उनका स्थान 05 फरवरी 1949 को टीटी. कृष्णमाचारी द्वारा भरा गया था. लेकिन, इनमें से भी अचानक एक की मृत्यु हो गई, एक सदस्य अमेरिका में जाकर रहने लगे और एक सदस्य ऐसे जिनको सरकारी काम काज से ही अवकाश नहीं मिल पाया था. इनके अतिरिक्त दो सदस्य ऐसे थे जो अपना स्वास्थय ठीक न रहने के कारण वे सदा दिल्ली से बाहर रहते थे. इस प्रकार संविधान निर्मात्री समिति के पाँच ऐसे थे जो समिति के कार्यों में सहयोग नहीं दे पाये थे.
डॉ.बाबासाहब अम्बेडकर ही एक ऐसे सदस्य थे जिन्होंने अपने कंधों पर ही संविधान निर्माण का कार्यभार संभाला था. यह भी जान लें कि संविधान प्रारूप समिति की बैठकें 114 दिन तक चली.  और संविधान सभा के कुल 11 सत्र हुए, जिसमें पहला सत्र 09 से 23 दिसंबर 1946, दूसरा सत्र 20 से 25 जनवरी 1947, तीसरा सत्र 28 अप्रैल से 02 मई 1947, चौथा सत्र 14 से 31 जुलाई 1947, पांचवां सत्र 14 से 30 अगस्त 1947, छठा सत्र 27 जनवरी 1948, सातवां सत्र 04 दिसंबर 1948 से 8 जनवरी 1949, आठवां सत्र 16 मई से 16 जून 1949, नौवां सत्र 30 जुलाई से 18 सितंबर 1949, दशवां सत्र 06 से 17 अक्टूबर 1949 और 14 से 26 नवंबर 1949 ग्यारहवां सत्र  संपन्न हुआ. अंतिम सत्र के अंतिम दिन संविधान को अंगीकार/पारित किया गया. उसके बाद एक बार फिर 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा की बैठक बुलायी गई, जिसमें 284 सदस्य उपस्थित हुए और उन्होंने भारतीय संविधान पर हस्ताक्षर किए तथा उसी दिन डॉ. राजेन्द्र प्रसाद और प्रो.केटी शाह में राष्ट्रपति पद के लिए हुए मुकाबले में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद प्रथम राष्ट्रपति बने और 26 जनवरी 1950 को संविधान अमल में लाया गया.

संविधान निर्माण में 2 वर्ष 11 माह 18 दिन का समय लगा. इसके साथ ही संविधान निर्माण कार्य पर कुल 63 लाख 96 हजार 729 रूपये का खर्च आया था. साथ ही संविधान के निर्माण कार्य में कुल 7635 सूचनाओं पर चर्चा की गई. जब संविधान बन गया तब एक एक प्रति डॉ.राजेन्द्र प्रसाद एवं पंडित जवाहर लाल नेहरू को दी. उन्हें संविधान सरल अच्छा लगा, सभी लोग डॉ. भीमराव अम्बेडकर की तारीफ करने लगे व बधाईयाँ देने लगे. एक सभा का आयोजन किया गया, जिसमें डॉ.राजेन्द्र प्रसाद ने कहा डॉ. भीमराव अम्बेडकर अस्वस्थ थे, फिर भी बड़ी लगनए मन व मेहनत से काम किया, वे सचमुच बधाई के पात्र हैं. डॉ.भीमराव अम्बेडकर संविधान के शिल्पकार हैं, नया संविधान इनकी देन है. इतिहास में इनका नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जायेगा, वे महापुरूष हैं. जब तक भारत का नाम रहेगा, तब तक अम्बेडकर का नाम भी भारतीय संविधान में हमेशा जुड़ा रहेगा. ऐसा संविधान शायद दूसरा कोई नहीं बना पाता, हम इनके आभारी रहेंगे. 26 जनवरी सन् 1950 के दिन यह नया संविधान भारतीय जनता पर लागू किया गया. उस दिन गणतंत्र दिवस का समारोह मनाया गया, वही संविधान आज भी लागू है.
राजकुमार (संपादक, दैनिक मूलनिवासी नायक)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें