रविवार, 26 जनवरी 2020

भारतीय संविधान से जुड़े कुछ खास पहलू


देहरादून में छपी थी संविधान की पहली कॉपी, इटैलिक स्टाइल में हाथों से हुई थी लिखावट
26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है. बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने भारतीय संविधान का मसौदा तैयार किया था और 26 नवंबर 1949 को इसे भारतीय संविधान सभा के समक्ष लाया गया. इसी दिन संविधान सभा ने इसे अपना लिया था.
आज देश 73वां संविधान दिवस मना रहा है. संविधान बनाने में किन लोगों का योगदान था ये तो सब जानते हैं, लेकिन संविधान की छपाई कहां हुई ये किसी को नहीं पता. आज हम आपको संविधान की छपाई से जुड़ी कई रोचक जानकारी देने जा रहे हैं. भारत के संविधान को प्रकाशित करने में देहरादून स्थित सर्वे ऑफ इंडिया का अहम योगदान रहा है. भारत का संविधान लिखित ही नहीं बल्कि हस्तलिखित भी था. यह मसौदा सर्वे ऑफ इंडिया की लिखने वाली समिति ने हिंदी, अंग्रेजी में हाथ से लिखकर टेलीग्राफ किया था. जिसमें कोई भी टाइपिंग और प्रिंटिंग शामिल नहीं थी. जिसकी एक प्रति देहरादून स्थित सर्वे ऑफ इंडिया में सुरक्षित रखी गई है, जबकि हाथ से लिखी गई मूल संविधान की प्रति को नई दिल्ली के नेशनल म्यूजियम में रखा गया है.
भारत के संविधान की मूल प्रति को देहरादून स्थित सर्वे ऑफ इंडिया में हाथों से लिखा गया है. संविधान को दिल्ली निवासी प्रेम बिहारी नारायण ने इसे इटैलिक स्टाइल में लिखा था. इसके साथ ही शांति निकेतन के कलाकारों ने हर पन्ने को सजाया और संवारा था. जिसके बाद सर्वे ऑफ इंडिया में ही संविधान के हर पन्ने को टेलीग्राफ कर फोटो लिथोग्राफिक तकनीक के माध्यम से प्रकाशित किया गया था.
संविधान बनाने को लेकर साल 1946 में संविधान सभा की स्थापना हुई थी, जिसमें 389 सदस्य थे. उस सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई, जिसमें वरिष्ठतम सांसद डॉ सच्चिदानंद सिन्हा प्रोविजनल प्रेसिडेंट थे. इसके बाद 11 दिसंबर 1946 को ही डॉ. राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थाई चेयरमैन चुना गया. साल 1947 में देश के विभाजन के बाद संविधान सभा के सदस्यों की संख्या घटकर 299 हो गयी थी. संविधान सभा की स्थापना के बाद 2 साल 11 महीने और 18 दिन बाद संविधान का ढांचा 26 नवंबर 1949 को अंगीकृत किया गया. जिसके बाद हस्तलिखित संविधान पर 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा के 284 संसद सदस्यों ने हस्ताक्षर किए थे. वहीं 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू किया गया. संविधान में 465 अनुच्छेद और 12 अनुसूचियां हैं जो 22 भागों में विभाजित हैं. जिसमे अभी तक 100 से ज्यादा बार संसोधन किया जा चुका है
भारतीय संविधान के 70 साल पूरे, जानिए इससे जुड़े कुछ खास पहलू

संविधान भारत का सर्वोच्च विधान है। यह दुनिया का सिर्फ सबसे लंबा हस्तलिखित दस्तावेज है, बल्कि इसके निर्माताओं ने कई देशों की उन अच्छाइयों को भी इसके भीतर समेटा, जिससे भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में मजबूत बन सके। 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने संविधान को मंजूरी दी थी। आज उस मंजूरी के 70 साल पूरे हो गए हैं। इस मौके पर आपको रूबरू करवाते हैं भारतीय संविधान के कुछ खास और अनजाने पहलुओं से...

शब्दों की संख्या
संविधान के अंग्रेजी संस्करण कुल 21,17,369 शब्द हैं।

देहरादून में हुई थी संविधान की छपाई
महान दस्तावेज संविधान की छपाई का काम देहरादून स्थित सर्वे ऑफ इंण्डिया को सौंपा गया, जिसने इसे करीब पांच साल में पूरा किया। तब संविधान की एक हजार प्रतियों प्रकाशित हुई थीं। उस प्रकाशन की एक प्रति संसद के पुस्तकालय में तो एक प्रति आज भी देहरादून में सुरक्षित है।

एक हजार साल की मियाद वाले कागज की शीट पर हुआ लेखन
संविधान की पांडुलिपि एक हजार साल तक बचे रहने वाले सूक्ष्मीजीवी रोधक चर्मपत्र की शीट पर लिखी गई। इसका आकार 45.7 सेमी × 58.4 सेमी है।  पांडुलिपि में 234 पृष्ठ शामिल थे, जिसका वजन 13 किलो था।

पहले मसौदे में हुए थे 2000 संशोधन
संविधान सभा में बहस और चर्चा के लिए जो मसौदा रखा गया, उसमें करीब 2000 संशोधन किए गए थे।

26 नवंबर को तैयार हुआ था आखिरी मसौदा
संविधान सभा के कुल 11 सत्र हुए। 11वां सत्र 14-26 नवंबर तक चला। 26 नवंबर 1949 को हमारे संविधान का आखिरी मसौदा बनकर तैयार हुआ था।

24 नवंबर 1949 को 284 लोगों ने किए थे संविधान पर दस्तखत
जो संविधान बनकर तैयार हुआ, उस पर संविधान सभा के 284 सदस्यों ने 24 नवंबर 1949 को कॉन्स्टीट्यूशन हॉल में दस्तखत किए थे। इनमें 15 महिला सदस्य थीं। संविधान सभा में 8 मुख्य समितियां एवं 15 अन्य समितियां थी। डा.बीआर अम्बेडकर ड्राफ्टिंग कमेटी के चेयरमैन थे। संविधान सभा ने 2 वर्ष, 11 माह, 18 दिन में कुल 114 दिन बैठक की। संविधान में 465 अनुच्छेद, तथा 12 अनुसूचियां हैं। ये 22 भागों में विभाजित है। हस्तलिखित संविधान पर 24 जनवरी 1950 को 284 संसद सदस्यों ने साइन किए। 
26 जनवरी को लागू करने के पीछे था खास मकसद
वैसे तो संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को ही संविधान को पारित कर दिया था लेकिन इसे लागू  करने के लिए जानबूझकर 26 जनवरी 1950 की तारीख चुनी गई क्योंकि इसी दिन 1930 में पूर्ण स्वराज की घोषणा हुई थी। इसकी याद में ही संविधान भी 26 जनवरी को ही प्रभावी किया गया।

हीलियम गैस से भरे कांच के शोकेस में रखीं हैं मूल प्रतियां
संविधान को हिंदी और अंग्रेजी, दोनों भाषाओं में लिखवाया गया। इनकी मूल प्रतियां संसद भवन के पुस्तकालय में हीलियम गैस से भरे कांच के शोकेस में रखी हुई हैं। इस शोकेश को राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला और अमेरिका के गेटी संरक्षण संस्थान द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया था। संविधान की मूल प्रति को अपने हाथों से उकेरा था, उस समय के प्रख्यात कैलिग्राफर (सुलेखक) प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने। कैलिग्राफी रायजादा को पारिवारिक विरासत में मिली थी। उनके दादा भी यही काम करते थे। 

रायजादा ने इटेलिक शैली में बेहद खूबसूरती से संविधान लिखा, जिसमें उन्होंने एक भी त्रुटि नहीं की। खास बात यह है कि रायजादा ने तत्कालीन पीएम जवाहर लाल नेहरु से साफ कह दिया कि वो संविधान लिखने के लिए एक भी पैसा नहीं लेंगे। बस हर एक पन्ने पर उनका नाम और अंतिम पृष्ठ पर स्वयं के साथ उनके दादा का नाम लिखने की इजाजत दी जाए, जिसे नेहरू ने मान लिया। रायजादा को सुलेख के लिए सरकार ने संविधान भवन में अलग से कक्ष उपलब्ध कराया। रायजादा के सुलेख और संविधान के हरेक पन्ने को संवारने का काम शांतिनिकेतन के कलाकारों ने किया। इनमें नन्द लाल बोस और उनके शिष्य प्रमुख थे।