मंगलवार, 26 सितंबर 2017

द ग्रेट डॉ बाबासाहेबअंबेडकर





वर्ष 2016 डॉ बाबासाहेब  अंबेडकर की 125 जन्म वर्ष का जश्न 
गणतंत्र दिवस की अवसर पर एक तथ्य जानकारी

इंसानों को गुलाम बनाकर हज़ारों बादशाह बने हैं, लेकिन जो गुलामों को इंसान बनाए वो हैं मेरे #बाबा_साहब

डॉ बाबासाहेबअम्बेडकर विदेशों में डाक्टरेट की डिग्री पूरा करने वाले पहले भारतीय थे

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, इंग्लैंड के अनुसार डॉ बाबासाहेबअंबेडकर 64 से अधिक विषयों में महारत रखते थे जो आज तक विशव रिकॉर्ड है ,और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, इंग्लैंड ने सन् 2011 में उन्हें विशव का सबसे प्रतिभाशाली व्यकति घोषित किया

डॉ बाबासाहब अंबेडकर 9 भाषाएँ जानते थे, मराठी (मातृभाषा),हिन्दी, संस्कृत, गुजराती, अंग्रेज़ी,पारसी,जर्मन, फ्रेंच, पाली उन्होंने पाली व्याकरण और शब्दकोष (डिक्शनरी) भी लिखी थी, जो महाराष्ट्र सरकार ने " डॉ   बाबासाहेब    अंबेडकर    राइटिंग एंड स्पीचेस वॉल्यूम .16 "में प्रकाशित की हैं। 

डॉ बाबासाहेबअंबेडकर दक्षिण एशिया में अर्थशास्त्र में पीएचडी करने वाले पहले व्यकति थे और साथ ही दक्षिण एशिया अर्थशास्त्र में डबल डॉक्टरेट करने वाले भी वह पहले व्यकति थे

एक मात्र भारतीय जिनका फोटो ब्रिटेन स्थित लंदन संग्रहालय में कार्ल मार्क्स के साथ लगा है

डॉ बाबासाहेबअंबेडकर अर्थशास्त्र में डॉक्ट्रेट ऑफ़ साइंस करने वाले पहले भारतीय थे

यूनाइटेड नेशन ने डॉ बाबासाहेबअंबेडकर के जन्म दिन को विशव ज्ञान दिवस के रूप में मानाने का निर्णय लिया है

डॉ बाबासाहेबअंबेडकर के पास 21 विषयों में डिग्री थी जो आज तक रिकॉर्ड है,जिस में उन्होंने 9 डिग्री विदेश में और 12 डिग्री भारत में प्राप्त की है 

डॉ बाबासाहेब अंबेडकर ने वायसराय की कार्यकारी परिषद में श्रम सदस्य रहते हुए डॉ. अंबेडकर ने पहली बार महिलाओं के लिए प्रसूति अवकाश (मैटरनल लिव) की व्यवस्था की थी उन्होंने महिलाओ को तलाक का अधिकार भी दिलवाया

:भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना सन् 1925 में डा अम्बेडकर द्वारा "हिल्टन –यंग कमीशन" को प्रस्तुत दिशा निर्देशों के आधार पर की गयी थी ,इस कमीशन का आधार डॉ बाबासाहेब अंबेडकर की किताब "रूपये की समस्या- उस का उदगम और निदान " को आधार बना के ब्रिटिश सरकार द्वारा की गयी थी ,जो उस समय पहले विशव युद्ध के बाद आर्थिक परेशानियों का सामना कर रही थी

प्रोफेसर अमर्त्य सेन, 6 भारतीय अर्थशास्त्री जिन्हे नोबल पुरुस्कार मिला उन्होंने कहा "डॉ बी आर अम्बेडकर अर्थशास्त्र में मेरे पिता है।"

13 वे वित्त आयोग की सभी रिपोर्ट के संदर्भ के मूल स्रोत,1923 में लिखित डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर पीएचडी थीसिस,"ब्रिटिश भारत में प्रांतीय वित्त विकास" पर आधारित थे

यह डॉ  बाबासाहेबअंबेडकर ही थे जिन्होंने 7 वें भारतीय श्रम सम्मेलन में यह कानून लागु करवाया की भारत में मजदूर 14 घंटे की बजाये केवल 8 घंटे काम करेंगे

दामोदर घाटी परियोजना और हीराकुंड परियोजना और सोन नदी परियोजना के निर्माता :- डॉ बाबासाहेब अंबेडकर ने ही अमेरिका के टेनेसी वैली परियोजना की तर्ज पर दामोदर घाटी परियोजना की शुरवाती रुपरेखा तैयार की ,केवल दामोदर घाटी परियोजना ही नहीं लेकिन हीराकुंड परियोजना इतना ही नहीं, सोन नदी घाटी परियोजना भी उनके द्वारा तैयार की गयी। 1945 में, डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर की अध्यक्षता में,श्रम के सदस्याें, द्वारा महानदी के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए एक बहुउद्देशीय परियोजना में निवेश का निर्णय लिया गया था

डॉ बाबा साहब अंबेडकर की मूर्ति जापान के कोयासन यूनिवर्सिटी में , कोलंबिया यूनिवर्सिटी अमेरिका में भी लगाई गयी है

डॉ बाबासाहबअंबेडकर यह चाहते थे की भारत की नदियों को एक साथ जोड़ दिया जाये ,जिस की वजह थी की बाढ़-और सूखे की समस्या ने निबटा जा सके उन्होंने जल नीति के बारे में अनुछेद 239और 242को समझते हुए कहा था की अन्तर्राज्यीय नदी को जोड़ना और नदी घाटी को विकसित करना जनहित में अनिवार्य है जिस का दायित्व शासन का है

डॉ बाबासाहब अंबेडकर ने महिलाओं के लिए एक विवाह अधिनियम , गोद लेने,का अधिकार तलाक, शिक्षा का अधिकार आदि बनाया जिस का रूढ़िवादी समाज द्वारा विरोध किया गया लिकेन बाद में अलग अलग हिस्सों में अंबेडकर ने बनाये कानूनो को पास किया गया और लागु किया गया ,यह अम्बेडकर का भारत की महिलो के लिए योगदान था 

डॉ बाबासाहेबअम्बेडकर ने राज्यों के बेहतर विकास के लिए मध्यप्रदेश को उत्तरी और दक्षिणी भाग में बाटने का और बिहार को भी दो हिस्सों में बटाने का सुझाव सन 1955 में दिया था ,जिस पर लगभग 45सालो बाद आमाल किया गया और मध्यप्रदेश को छत्तीसगढ़ में ,और बिहार को झारखंड में बाटा गया यह थी बाबा साहब अंबेडकर की दूरदर्शिता

संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रतिष्ठित कोलंबिया विश्वविद्यालय से 2004 में अपनी स्थापना के 250 वर्ष पूरे कर लिए,और इस बात के जशन ने कोलंबिया विश्वविद्यालय ने अपने 100अग्रणी छात्रों की सूची जारी की जिस में डॉ बीअबीअसहेबआंबेडकर का नाम भी है इस के साथ ही साथ इस सूची में 6 अलग अलग देशों के पूर्व राष्ट्पति ,3 पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपतियों और कुछ नोबेल पुरस्कार विजेताओं का नाम भी है

बेल्जियम के सबसे प्रतिष्ठित और सबसे पुराने विश्वविद्यालय में से एक के यू लिउवेन ने भी भारत के संविधान दिवस के दिन 2015 में डॉ बी आर  अंबेडकर का सम्मान किया डॉ बाबासाहेब की मूर्ति यॉर्क यूनिवर्सिटी , कनाडा में भी लगाई गई है

डॉ बाबासाहेबअम्बेडकर को भारत का प्रथम कानून मंत्री होने का श्रेय भी प्रपात है

डॉ बाबासाहेब आंबेडकर के द्वारा ही सरकारी क्षेत्र में कौशल विकास पहल शुरू की गयी

कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआई):ईएसआई श्रमिकों को चिकित्सा देखभाल,मेडिकल लीव ( बीमार हो जाने पर मिलने वाली छुट्टी ),काम के दौरान शारीरिक रूप से अक्षम हो जाने पर विभिन्न सुविधाएं प्रदान करने के लिए क्षतिपूर्ति बीमा प्रदान करता है। डॉ बाबासाहेबअम्बेडकर ने ही इस अधिनियम को बनाया था और लागु करवाया ,औरपूर्व एशियाई देशों में मजदूरो के लिए 'बीमा अधिनियम' लागु करने वाला भारत पहला देेश बना।यह डॉ बाबासाहेब आंबेडकरजी को ही संभव हो सका

डॉ बाबासाहेब आंबेडकर ने श्रम विभाग में रहते हुए भारत में " ग्रिड सिस्टम" के महत्व और आवश्यकता पर बल दिया,जो आज भी सफलतापूर्वक काम कर रहा है,

कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआई):ईएसआई श्रमिकों को चिकित्सा देखभाल,मेडिकल लीव ( बीमार हो जाने पर मिलने वाली छुट्टी ),काम के दौरान शारीरिक रूप से अक्षम हो जाने पर विभिन्न सुविधाएं प्रदान करने के लिए क्षतिपूर्ति बीमा प्रदान करता है। डॉ बाबासाहेबअम्बेडकर ने ही इस अधिनियम को बनाया था और लागु करवाया ,औरपूर्व एशियाई देशों में मजदूरो के लिए 'बीमा अधिनियम' लागु करने वाला भारत पहला देेश बना यह डॉ बाबासाहेब आंबेडकर ही संभव हो सका

डॉ बाबासाहेब आंबेडकर के मार्गदर्शन में श्रम विभाग ही था जिसने "केंद्रीय तकनीकी विद्युत बोर्ड" (CTPB) की स्थापना करने का निर्णय लिया बिजली प्रणाली के विकास, जल विद्युत स्टेशन साइटों, हाइड्रो-इलेक्ट्रिक सर्वेक्षण ,बिजली उत्पादन और थर्मल पावर स्टेशन की जांच पड़ताल की समस्याओं का विश्लेषण इस का प्रमुख काम थे ,

बिजली इंजीनियरों जो प्रशिक्षण के लिए विदेश जा रहे हैं,इसका श्रेय भी डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर को जाता है जिन्होंने श्रम विभाग के एक नेता के रूप में अच्छे सबसे अच्छा इंजीनियराें को विदेश में प्रशिक्षण देने की नीति तैयार की

1942 में, डॉ बाबासाहेब आंबेडकर भारतीय सांख्यिकी अधिनियम पारित करवाया । जिस के बाद डीके पैसेंड्री ((पूर्व उप प्रधान, सूचना अधिकारी, भारत सरकार) ने अपनी किताब में लिखा की डा अम्बेडकर के भारतीय सांख्यिकी अधिनियम के बिना मैं देश में मजदूरो की स्तिथि, उनके श्रम की स्थिति,उनकी मजदूरी दर, अन्य आय, मुद्रास्फीति, ऋण, आवास, रोजगार, जमा और अन्य धन, श्रम विवाद का आकलन नहीं कर पाता।

भारतीय श्रम अधिनियम 1926 में अधिनियमित किया गया था। यह केवल ट्रेड यूनियनों रजिस्टर करने के लिए मदद करता था , लेकिन यह सरकार द्वारा अनुमोदित नहीं किया गया था, 8 नवंबर 1943 को डॉ भीमराव अम्बेडकर ट्रेड यूनियनों की अनिवार्य मान्यता के लिए इंडियन ट्रेड यूनियन (संशोधन) विधेयक लाया।

डॉ बाबासाहेबआंबेडकर ने देश में महिलाओ की स्थिति सुधरने के लिए सन् 1951 में उन्होंने 'हिंदू कोड बिल' संसद में पेश किया डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर प्राय: कहा करते थे कि मैं हिंदू कोड बिल पास कराकर भारत की समस्त नारी जाति का कल्याण करना चाहता हूं। मैंने हिंदू कोड पर विचार होने वाले दिनों में पतियों द्वारा छोड़ दी गई अनेक युवतियों और प्रौढ़ महिलाओं को देखा। उनके पतियों ने उनके जीवन-निर्वाह के लिए नाममात्र का चार-पांच रुपये मासिक गुजारा बांधा हुआ था। वे औरतें ऐसी दयनीय दशा के दिन अपने माता-पिता, या भाई-बंधुओं के साथ रो-रोकर व्यतीत कर रही थीं।उनके अभिभावकों के हृदय भी अपनी ऐसी बहनों तथा पुत्रियों को देख-देख कर शोकसंतप्त रहते थे।

 विश्व में सबसे अधिक पुतले बाबासाहब अंबेडकर जी के हैं।

लंदन विश्वविद्यालय मे डी.एस्.सी.यह उपाधी पानेवाले पहले और आखिरी भारतीय

लंदन विश्वविद्यालय का 8 साल का पाठ्यक्रम 3 सालों मे पूरा
करनेवाले महामानव

डॉ बाबा साहेब द्वारा स्थापित शैक्षणिक संघटन, डिप्रेस क्लास एज्युकेशन सोसायटी- 14 जून 1928,
, पीपल्स एज्युकेशन सोसायटी- 8 जुलै 1945,सिद्धार्थ काॅलेज, मुंबई- 20 जून 1946,मिलींद काॅलेज, औरंगाबाद- 1 जून 1950

 डॉ बाबासाहब अंबेडकर जी ने संसद में पेश किए हुए विधेयक,महार वेतन बिल,हिन्दू कोड बिल,जनप्रतिनिधि बिल, खोती बिल, मंत्रीओं का वेतन बिल, मजदूरों के लिए वेतन (सैलरी) बिल, रोजगार विनिमय सेवा, पेंशन बिल,भविष्य निर्वाह निधी (पी.एफ्.)

तीनो गोल मेज़ परिषद में भाग लेने वाले एक मात्र नेता 

डॉ बी आर अंबेडकर ने वायसराय की कार्यकारी परिषद में श्रम सदस्य रहते हुए डॉ. अंबेडकर ने पहली बार महिलाओं के लिए प्रसूति अवकाश (मैटरनल लिव) की व्यवस्था की थी उन्होंने महिलाओ को तलाक का अधिकार भी दिलवाया

लंदन विश्वविद्यालय के पुरे लाईब्ररी के किताबों की छानबीन कर उसकी
जानकारी रखनेवाले एकमात्र आदमी 

डॉ बाबासाहब अंबेडकर को प्राप्त सम्मान,भारत रत्न, कोलंबिया यूनिवर्सिटी की और से उन्हें द ग्रेटेस्ट मैन  इन द  वर्ल्ड कहा गया ,ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा उन्हें द  यूनिवर्स मेकर कहा गया ,
सीएनएन आईबीएन, आउटलुक मैगज़ीन और हिस्ट्री (टीवी चैनल)द्वारा कराये गए एक सर्व में  आज़ादी के बाद   डॉ बी आर अंबेडकर को  बाद देश का सबसे महान व्यकति चुना गया,

डॉ बाबासाहेबआंबेडकर ने  14 अक्टूबर  1956 को नागपुर की दीक्षाभूमि अपने 600,000 अनुयायियों के साथ हिन्दू धर्म की जाति प्रथा से  तंग आकर बौद्ध धर्म अपनाया जो विशव इतिहास में आज तक का स्वय इच्छा से किया गया सबसे बड़ा धर्म परिवर्तन है 

डॉ बाबासाहब अंबेडकर जी इनकी निजी किताबो के कलेक्शन में अंग्रेजी साहित्य की  1300 किताबें,राजनितीकी  3,000 किताबें, युद्धशास्त्र की 300 किताबें, अर्थशास्त्र की 1100 किताबें,इतिहास की  2,600 किताबें, धर्म की  2000 किताबें,कानून की 5,000 किताबें ,संस्कृत की  200 किताबें,मराठी की 800 किताबें , हिन्दी की  500 किताबें,तत्वज्ञान (फिलाॅसाफी) की  600 किताबें,रिपोर्ट की  1,000, संदर्भ साहित्य (रेफरेंस बुक्स) की 400 किताबें, पत्र और भाषण की  600,जिवनीयाँ (बायोग्राफी) की  1200, एनसाक्लोपिडिया ऑफ ब्रिटेनिका- 1 से 29 खंड,एनसाक्लोपिडिया ऑफ सोशल सायंस- 1 से 15 खंड,कैथाॅलिक एनसाक्लोपिडिया- 1 से 12 खंड,एनसाक्लोपिडिया ऑफ एज्युकेशन,हिस्टोरियन्स् हिस्ट्री ऑफ दि वर्ल्ड- 1 से 25 खंड,दिल्ली में रखी गई किताबें-बुद्ध धम्म, पालि साहित्य, मराठी साहित्य की  2000 किताबें और  बाकी विषयों की 2305 किताबें थी डॉ बाबासाहब अम्बेडकरजी जब अमेरिका से भारत लौट आए तब एक बोट दुर्घटना में उनकी 32  बक्से किताबें समंदर मे डूबी।

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