गुरुवार, 18 जुलाई 2019

अरबों की संपत्ति किस काम की.....?



"सरकार कहती है कि विदेश में छुपे कालेधन को बाहर लाया जायेगा. क्या सरकार को इस बात की जानकारी नहीं है कि जितना ज्यादा विदेशों में कालाधन है उससे ज्यादा भारत में उपरोक्त मंदिरों में छिपाकर रखा गया है? सरकार इन मंदिरों की संपत्ति को क्यों नहीं ‘‘राष्ट्र की संपत्ति’’ घोषित कर देती है. अगर सरकार मंदिरों की संपत्ति को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित कर दे चंद मिनटों में भारत से गरीबी खत्म हो जायेगी, लेकिन सरकार ही नहीं चाहती है. क्योंकि सरकार ने देश में जानबूझकर बेरोजगारी, गरीबी और भुखमरी पैदा करके देश के 85 प्रतिशत मूलनिवासी बहुजनों का नरसंहार कर रही है और इन मंदिरों की अकूत संपत्ति से ब्राह्मणवादी व्यवस्था को मजबूत कर रही है"

एक तरफ देश में जहाँ बेरोजगारी, गरीबी और भुखमरी से हाहाकार मचा है तो वहीं दूसरी तरफ मंदिरों में अकूत संपत्ति का पहाड़ खड़ा हो रहा है. हाल ही में यूएन की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारत में अनु.जनजाति और अनु.जाति गरीबी का दंश झेल रहें हैं. इसके साथ ही मुस्लिमों की भी हालत बद से बद्तर बन चुकी है. युनो की रिपोर्ट मे कहा हैं की भारत में 33 फिसदी एससी, 50 फिसदी एसटी और 33 फिसदी मुस्लिम वैश्विक स्तर पर बहुआयामी गरीबी का सबसे ज्यादा दंश झेल रहे हैं. इसके बाद भी देश के मंदिरों की संपत्ति में बेतहासा बढ़ोत्तरी हो रही है. आखिर मंदिरों में रखे अकूत संपत्ति किस काम की है...?

बता दें कि पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार ने राजस्थान के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए टैग लाइन दी थी. लेकिन, पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार राजस्थान के बाहर स्थित देवस्थान विभाग की अरबों रुपयों की अचल संपदा का लेखा-जोखा नहीं जुटा सकीं. यह हाल केवल राजस्थान की ही नहीं, बल्कि पूरे देश के मंदिरों की है. इस बात खुलासा तब हुआ जब प्रदेश के पर्यटन, देवस्थान मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने प्रदेश के बाहर स्थित देवस्थान विभाग के मंदिरों की जानकारी मांगी, तो पता चला कि अरबों रुपयों की देवस्थान विभाग की संपत्ति का कोई लेखा-जोखा विभाग के पास नहीं है. देवस्थान मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने बताया कि विभाग के पास प्रदेश के बाहर स्थित मंदिरों की जानकारी तो है, लेकिन अचल संपत्ति का ब्यौरा नहीं है. उन्होंने कहा कि इसी तरह प्रदेश के अंदर भी देवस्थान विभाग की संपत्ति का यही हाल है. वहीं देवस्थान विभाग के अधीन मंदिरों में सबसे पहले बात करें दिल्ली की, तो यहाँ जंतर-मंतर स्थित भैरूजी का मंदिर देवस्थान विभाग के अधीन आता है और 2066 वर्गमीटर भूमि पर स्थित है. लेकिन, आय-व्यय, दुकानों आदि की जानकारी विभाग के पास नहीं है.

अब बात करें महाराष्ट्र की तो यहाँ अमरावती में हनुमानजी और छत्री राजा मान सिंह प्रथम अचलपुरा में स्थित है. औरंगाबाद में हनुमान जी का मंदिर पडे़गाँव में स्थित है. इस मंदिर के पास 1.27 एकड़ कृषि भूमि है. औरंगाबाद में ही बेगमपुरा में विठ्ठलदास जी, कर्णपुरा में तुलजा माता का मंदिर है. यही पर बाला जी का मंदिर स्थित है और इस मंदिर के पास 2.24 एकड़ कृषि भूमि है. वहीं वैष्णव बालाजी, हनुमानजी का मंदिर भी स्थित है. लेकिन, कितनी कृषि भूमि है, कितनी खुली भूमि है, क्या लेखा-जोखा है, यह देवस्थान विभाग के पास नहीं है. गुजरात में द्वरका में श्री मुरली मनोहर जी का मंदिर देवस्थान विभाग की संपत्ति है. यहाँ पर एक आवासीय मकान है, लेकिन अन्य ब्यौरा विभाग के पास नहीं है. उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहाँ मथुरा के वृंदावन में श्री राधामाधव जी जयपुर मंदिर स्थित है. यहां पर 12 मकान है. श्री राधाकांत जी मंदिर, श्री कुल बिहारी मंदिर बरसाना में भी स्थित है. यहां पर 1 आवासीय मकान है और 4 एकड़ कृषि भूमि है. लेकिन, आय-व्यय और अन्य अचल संपदा का ब्यौरा विभाग के पास नहीं है. एटा में मंदिर श्री बलदेवजी सोराघाट सोरो में स्थित है, लेकिन अचल संपदा का लेखा-जोखा विभाग के पास नहीं है. वहीं वाराणसी में श्री रामेवर जी जयपुर मंदिर, श्री महादेव जी (अलवर) मंदिर की संपत्ति का ब्यौरा नहीं है. वहीं वाराणसी के मंदिर श्री आदि विवे वरनाथ जी के यहां 1 आवासीय और 3 तीन दुकाने है. लेकिन, श्री डूंगरे वरजी बीकानेर मंदिर श्री दिवाने वरीज उदयपुर मंदिर, श्री अन्नपूर्णा जी जयपुर मंदिर की अचल संपत्ति का ब्यौरा देवस्थान विभाग के पास नहीं है.

यूपी के मथुरा में श्री मदनमोहन जी उदयपुर मंदिर, स्वामी घाट, मंदिर श्री चतुरशिरोणी जी जयपुर, श्री हरि शिरोमणी जी करौली, श्री गोकलानंद जी वृंदावन, श्री कुंज पार्वती जी भरतपुर मंदिर, श्री कुंज बदन सिंह भरतपुर मंदिर, श्री अजब मनोहर जी बीकानेर मंदिर, श्री रूपकिशोर जी बीकानेर मंदिर, श्री लक्ष्मण जी भरतपुर मंदिर, श्री बिहारी जी भरतपुर मंदिर, श्री किशोर याम जी भरतपुर मंदिर, श्री कुंजलाल दास भरतपुर मंदिर, श्री जुगल किशोर जी भरतपुर मंदिर स्थित है. वाराणसी में श्री डूंगेश्वर जी बीकानेर मंदिर, धर्मशाला डूंगेश्वर जी मय मंदिर, मंदिर श्री गोरखनाथ जी गोरखटीला जोधपुर मंदिर स्थित है. यवतमाल में श्री ऋशभदेव जी धुलेव उदयपुर मंदिर स्थित है. यहाँ पर इस मंदिर के पास 29.18 एकड़ कृषि भूमि है. लेकिन, आय-व्यय और अचल संपत्ति का लेखा-जोखा नहीं है. जबकि, उत्तराखंड में श्री गंगा मंदिर हरिद्वार में 10 आवासीय संपति है. उत्तरकाशी में श्री एकाद रूद्रजी व अंबिका जी मंदिर. यहाँ पर 11 आवासीय मकान, 18 व्यावसायिक दुकानें, श्री जयपुर धर्मशाला, जयपुर धर्मशाला धरौली, जयपुर धर्मशाला गंगोत्री स्थित है. वहीं नैनीताल में श्री लल्ली स्मारक बाग भुवाली में मंदिर स्थित है. मगर, एक भी मंदिरों की अकूत संपत्ति का सरकार के पास कोई भी लेखा-जोखा नहीं है. 

सरकार कहती है कि विदेश में छुपे कालेधन को बाहर लाया जायेगा. क्या सरकार को इस बात की जानकारी नहीं है कि जितना ज्यादा विदेशों में कालाधन है उससे ज्यादा भारत में उपरोक्त मंदिरों में छिपाकर रखा गया है? सरकार इन मंदिरों की संपत्ति को क्यों नहीं ‘‘राष्ट्र की संपत्ति’’ घोषित कर देती है. अगर सरकार मंदिरों की संपत्ति को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित कर दे चंद मिनटों में भारत से गरीबी खत्म हो जायेगी, लेकिन सरकार ही नहीं चाहती है. क्योंकि सरकार ने देश में जानबूझकर बेरोजगारी, गरीबी और भुखमरी पैदा करके देश के 85 प्रतिशत मूलनिवासी बहुजनों का नरसंहार कर रही है और इन मंदिरों की अकूत संपत्ति से ब्राह्मणवादी व्यवस्था को मजबूत कर रही है.

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