रविवार, 28 जुलाई 2019

वाह रे मीडिया...........! भारतीय मीडिया का रवैया





अगर भारतीय मीडिया को, पाकिस्तान की छोटी से भी छोटी खबर मिल जाय तो उसमें मसाला लगाकर उसे ऐसा पेश करेंगे जैसे वहाँ जाकर उस खबर की खुद रिर्पोटिंग की हो और जब पाकिस्तान या अन्य देशों की मीडिया मोदी या भाजपा सरकार के अन्य नेताओं पर आरोप लगाते हैं, तो भले ही वह सच क्यों न हो मगर, यही भारतीय मीडिया उसे मानने के लिए राजी नहीं होता है. बल्कि उस सच्ची खबर को सीधे खारिज करते हुए विदेशी मीडिया पर हमला शुरू कर देते हैं. कुछ ऐसा ही भारतीय मीडिया में देखने को मिला है.

हाल ही में भारतीय मीडिया ने पाकिस्तान के बारे में एक रिपोर्ट जारी किया है, जिसमें बताया जा रहा है कि पाकिस्तान में पचास फीसदी परिवार ऐसे हैं जिन्हें दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं हो रही है वहीं चालीस फीसदी बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. बलूचिस्तान और सिंध के बच्चों में कुपोषण की समस्या इस कदर है कि उनका पूरा विकास रूक गया है. और उनका कद भी कम है.

मजेदार बात तो यह है कि भारतीय मीडिया को खुद के देश की बेरोजगारी, गरीबी, भुखमरी, कुपोषण, हत्या, बलात्कार आदि दिखाई नहीं दे रही है. जबकि, भारतीय मीडिया को पाकिस्तान या अन्य देशों की गरीबी आदि बड़ी आसानी से दिख जाती है. पाकिस्तान के एक अखबार का हवाला देते हुए बताया गया है कि यह जानकारियाँ राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण-2018 के तहत जारी की गई हैं. यह सर्वेक्षण पूरे पाकिस्तान में कराया गया था. इससे पता चला कि पाकिस्तान के हालात चिंताजनक हैं. सवाल तो यह है कि क्या भारत इस मामले में अच्छा है? यह तस्वीर भारतीय मीडिया को क्यों नहीं दिखाई दे रही है?


बता दें एक कहावत है कि ‘‘दूसरों के गिरेवान पर हाथ डालने से पहले अपने गिरेवान में झांक लेना चाहिए’’ यही हाल भारतीय मीडिया का है. भारत में बेरोजगारी, गरीबी, भुखमरी, हत्या, बलात्कार, दंगा-फसाद, मॉब लिंचिंग, नक्सलवाद, आतंकवाद और भ्रष्टाचार की बाढ़ आ गयी है. यही नहीं भारत में ईवीएम के माध्यम से जनता के वोटों की चोरी हो रही है. इतनी बड़ी खबर भारतीय मीडिया से गायब है. और भारतीय मीडिया इस सच्चाई को बताने के बजाय दूसरे देशों की बातों को उजागर कर रहा है. खासकर पाकिस्तान के मामलों में तो और ज्यादा आक्रामक हो जाते है. भारतीय मीडिया का यह रवैया बता रहा है कि भारतीय मीडिया मौजूदा सरकार की दलाली करने से कोई परहेज नहीं कर रहा है.

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