वो लूटेरे, वो लूटेरे......इस गीत को चरितार्थ करने में भारतीय जनता पार्टी ने कोई कसर नहीं छाड़ी है. एक तरफ प्रधानमंत्र नरेन्द्र मोदी चौकीदार होने का ढिंढोरा पीटती रही और दूसरी तरफ देश को लूटने वाले लूटेरे देश को न केवल लूटते रहे, बल्कि चौकीदार के सामने देश छोड़कर भागते रहे. यानी चौकीदार ही चोर है जिसके कारण भारत में करोड़ों-अरबों की धोखाधड़ी कर गायब हो जाने वाले गुरुघंटालों की संख्या साल दर साल बढ़ती रही. साल 2010 के बाद से ऐसे अपराधियों की संख्या में जबरदस्त बढ़ोत्तरी हुई है. बता दें कि विजय माल्या को भारत में ‘आर्थिक अपराधों का पोस्टर ब्वॉय’ कहा जा सकता है. उसपर धोखाधड़ी, अरबों रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग जैसे आरोप हैं. माल्या के पीछे आयकर विभाग और सीबीआई की टीमें लगी हैं, मगर माल्या का अभी तक बाल बांका भी नहीं हो सका है. भारत के 17 बैंक सुप्रीम कोर्ट जाकर गुहार लगा चुके हैं कि माल्या ने कर्ज के रूप में जो 9,000 करोड़ रुपये लिए थे, वो उन्हें वापस दिलाए जाएं. कभी ‘किंग ऑफ गुड टाइम्स’ कहे जाने वाले माल्या का बुरा वक्त 2012 से शुरू हुआ. मार्च, 2016 में माल्या ने भारत छोड़ ब्रिटेन में शरण ले ली थी. तब से वो वहीं पर रह रहा है. माल्या की पावर सर्किल्स में पहुंच का अंदाजा इस बात से लगाइए कि जब वह विदेश भागा, उस समय वह राज्यसभा सांसद था. अप्रैल 2016 में विदेश मंत्रालय ने उसका पासपोर्ट रद्द कर दिया. 2 मई, 2016 को माल्या ने सांसद पद से इस्तीफा दिया.
इसी तरह से हीरों का सौदागर नीरव मोदी पर 13,500 करोड़ रुपये का कर्ज लेकर भाग जाने का आरोप है. मजेदार बात तो यह है कि बताया जा रहा है कि वह ब्रिटिश जेल में कैद है और भारत प्रत्यर्पित किए जाने की कोशिशें चल रही हैं. यह किसी हास्यापद से कम नहीं है. मोदी पर आरोप है कि उसने अपने मामा मेहुल चोकसी संग मिलकर पंजाब नेशनल बैंक से फ्रॉड किया. इसमें बैंक के कुछ कर्मचारियों ने भी उसका साथ दिया. मोदी के खिलाफ सीबीआई और ईडी जांच कर रहे हैं. उसपर मनी लॉन्ड्रिंग और इकॉनमिक ऑफेंसेज एक्ट के तहत केस दर्ज हैं. केवल केस ही दर्ज है बाकी कुछ होने वाला नहीं है. मोदी और चोकसी दोनों जनवरी 2018 में पीएनबी फ्रांड का खुलासा होने से पहले भारत से भाग गए थे.
नीरव मोदी के मामा मेहुल चोकसी को भारत ‘भगोड़ा’ घोषित कर चुका है. इस समय एंटीगा एंड बरबूडा में रह रहे चोकसी को भारतीय एजेंसियाँ यहाँ लाने की तैयारी कर रही हैं. हालांकि, यह तैयारी पहले से चल रही है. चोकसी उसी गीतांजलि ग्रुप का मालिक है जिसपर पीएनबी से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर करोड़ों का कर्ज लेने का आरोप है. 2013 में चोकसी पर स्टॉक मार्केट से छेड़छाड़ का भी आरोप लगा था. ललित मोदी उन शुरुआती बड़े नामों में से हैं जो आर्थिक अपराधों के लिए जांच एजेंसियों के निशाने पर आए. वह इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के पहले चेयरमैन और कमिश्नर थे और 2010 तक इस पद पर रहे. आईपीएल की एक फ्रेंचाइजी ने मोदी पर परेशान करने का आरोप लगाया तो बीसीसीआई ने उन्हें हटा दिया. इसके बाद मोदी लंदन चले गए. जांच शुरू हुई और 2013 में उन्हें वित्तीय अनियमितताओं, अनुशासनहीनता का दोषी पाया गया. मोदी पर बीसीसीआई ने लाइफटाइम बैन लगा दिया था. 2014 में केंद्र सरकार ने मोदी का पासपोर्ट रद्द कर दिया. अदालत से मोदी को राहत मिली. प्रवर्तन निदेशालय ने ललित मोदी के खिलाफ ग्लोबल वारंट इश्यू करने की रिक्वेस्ट की थी, हालांकि 2017 में यह दरख्वास्त खारिज कर दी गई.
सिंह ब्रदर्स को रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड (आरएफएल) को धरातल पर लाने का क्रेडिट जाता है. दोनों भाइयों पर आरोप है कि इन्होंने जान-बूझकर परिवार की कंपनी का बकाया नहीं चुकाया. दोनों ने अपने शेयर्स बेचकर पैसा जुटाना चाहा मगर कर्ज नहीं चुका सके. इसी साल फरवरी में मलविंदर ने शिविंदर पर आरोप लगाया था कि उन्होंने बिना बताए 740 करोड़ रुपये आरएफएल से डायवर्ट किए. दोनों भाई फिलहाल प्रवर्तन निदेशालय की गिरफ्त में हैं. कर्ज लेकर ना चुकाने वालों में रोटोमैक के डायरेक्टर विक्रम कोठारी का भी नाम शामिल है. अपनी कंपनी के जरिए उन्होंने 7 नेशनल बैंक्स से 2,919 करोड़ रुपये के लोन लिए. कोठारी ने कई फर्जी कंपनियाँ बनाकर कर्ज लिया. ब्याज वगैरह मिलाकर यह रकम साल 2018 तक करीब 3,695 करोड़ रुपये हो चुकी थी. सीबीआई की एफआईआर के मुताबिक, कोठारी ने कई किश्तें नहीं चुकाईं. कोठारी की कई प्रॉपर्टीज सीज की जा चुकी हैं.
नीरव मोदी, मेहुल चोकसी जैसा एक और हीरा व्यापारी. विनसम डायमंड्स एंड जूलरी के डायरेक्टर के रूप में मेहता पर 7000 करोड़ रुपये लेकर फरार हो जाने का आरोप है. साल 2012 से उनकी कोई पता नहीं है. एफआईआर में मेहता पर आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और सरकारी कर्मचारियों के दुरुपयोग का मामला दर्ज है. इसी साल जून में, सीबीआई ने दो और एफआईआर दर्ज की जिनमें जतिन मेहता पर बैंक ऑफ महाराष्ट्र और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से 587.55 करोड़ रुपये का लोन फ्रॉड करने का आरोप है. स्टर्लिंग बायोटेक (एसबीएल) के प्रमोटर्स नितिन संदेसरा और चेतन संदेसरा नाम के दो भाइयों पर भारतीय बैंकों से करीब 14,500 करोड़ रुपए का फ्रॉड करने का आरोप है.
सीबीआई ने 2017 में संदेसरा बंधुओं और दीप्ति संदेसरा के खिलाफ 5,383 करोड़ रुपए के बैंक फ्रॉड का केस दर्ज किया था. फिर ईडी ने जांच की तो पता चला कि संदेसरा ग्रुप की कंपनीज ने भारतीय बैंकों की विदेश में स्थित शाखाओं से करीब 9 हजार रुपये का कर्ज लिया. जिस बात के लिए कर्ज लिया गया, पैसा उससे अलग काम में लगाया गया. अब ईडी इस ग्रुप की प्रॉपर्टीज अटैच करने की कवायद में जुटा हुआ है. यही नहीं गुजरात के आशीष जोबनपुत्र की फर्म पर दो सरकारी बैंकों को 804 करोड़ रुपये का चूना लगाने का आरोप है. सीबीआई के मुताबिक, इस साजिश में बैंक के अधिकारी भी मिले हुए थे. कंपनी पर फर्जी इंपोर्ट दिखाकर करोड़ों रुपये का गोलमाल करने का आरोप है. यह सारे अवैध ट्रांजेक्शन करने के बाद आशीष अपने परिवार को लेकर भारत से भाग गया था.
और तो और कोलकाता की श्री गणेश जूलरी हाउस इंडिया लिमिटेड पर 25 बैंकों से 2,762 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है. कंपनी के चीफ प्रमोटर्स-कमलेश पारेख, नीलेश पारेख और उमेश पारेख के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ने केस दर्ज कर रखा है. इन लोगों ने भारत में कई कंपनियाँ खड़ी कीं और उनके जरिए विदेशों में खूब पैसा भेजा. मामला खुलने से पहले ही सबके सब विदेश भाग गए. बैंकों से जो कर्ज लिया गया, उसे लौटाने की दिशा में कोई काम नहीं हुआ. ईडी फिलहाल इस फर्म की संपत्तियों को अटैच कर नुकसान की भरपाई कर रही है. यानी एक तरफ देश के लूटेरे देश को लूटते रहे और देश का चौकीदार उन लूटेरों को विदेश भगाने में मदद करता रहा.
राजकुमार (संपादक, दैनिक मूलनिवासी नायक)
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