रविवार, 3 नवंबर 2019

मौत के आंकड़ों में इजाफा...


राजकुमार (संपादक, दैनिक मूलनिवासी नायक)
दिल्ली-एनसीआर में स्मॉग के दमघोंटू माहौल में राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल-2019 की रिपोर्ट में सांस से जुड़ी बीमारियों को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. इसके मुताबिक पिछले कुछ वर्षों में सांस की बीमारी से मरने वालों की तादाद लगातार बढ़ रही है. वर्ष 2018 में एक्यूट रेस्पिरेटरी इंफेक्शन (तीव्र श्वसन संक्रमण) से 3,740 मरीजों की मौत हुई. इनमें पश्चिम बंगाल के 732, यूपी के 699, दिल्ली के 492, उत्तराखंड के 86, हिमाचल के 145, हरियाणा के 8 और पंजाब के 24 लोगों की जान सांस संबंधी बीमारी से गई है. देश में 4.19 करोड़ लोग सांस की बीमारियों की चपेट में हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य बुद्धिमत्ता ब्यूरो (सीबीएचआई) की इस रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 में सबसे ज्यादा 69.47 फीसदी मरीज सांस से जुड़ी बीमारियों के मिले. डायरिया के 21.83, टाइफाइड के 3.82, टीबी के 1.76, मलेरिया के 0.66 और निमोनिया के 1.54 फीसदी मरीज मिले. इस दौरान 57.86 फीसदी मरीजों की मौत निमोनिया और सांस की बीमारियों से हुई.

वहीं दिल्ली एम्स के डॉक्टरों के मुताबिक सांस से जुड़े रोगों में सीओपीडी (काला दमा) सबसे ज्यादा जानलेवा साबित हो रहा है. दिल्ली एम्स में सालाना इसके दो से तीन लाख मरीज ओपीडी में पहुंचते हैं. डॉक्टरों का कहना है कि वायु प्रदूषण सांस के रोगियों के लिए जहर जैसा है. रिपोर्ट के अनुसार प्रति एक हजार लड़कों पर बेटियों की संख्या के मामले में सबसे बेहतर प्रदर्शन केरल का है जहाँ बेटियों की संख्या 1084 है. जबकि, चंडीगढ़ में यह आंकड़ा 818, दिल्ली में 868, हरियाणा में 879, जम्मू-कश्मीर में 889, पंजाब में 895 और सिक्किम में 890 है. वहीं, वर्ष 2017 में देश में प्रति हजार पर जन्मदर 20.2 और मृत्युदर 6.3 रही. इसके अलावा शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण इलाकों में जन्म और मृत्युदर ज्यादा है. वर्ष 1970-75 की तुलना में जीवन प्रत्याशा 49.7 से बढ़कर 2012-16 में 68.7 रही है. साथ ही पुरुषों की 67.4 और महिलाओं की जीवन प्रत्याशा 70.2 वर्ष आंकी गई.

बता दें कि देश में साक्षरता दर 73 फीसदी है. जबकि, केरल में 94 और मिजोरम में 91.3 फीसदी साक्षरता है. वहीं, बिहार में 61.8 फीसदी साक्षरता दर पर स्थिर है. रिपोर्ट के अनुसार, देश में लोगों की जीवन प्रत्याशा वर्ष 1970-1975 में 49.7 से बढ़कर 2012-16 के लिए 68.7 हो गई है. इस अवधि में महिलाओं के लिए जीवन प्रत्याशा 70.2 वर्ष और पुरुषों के लिए 67.4 वर्ष है. इसका मतलब है कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में ज्यादा उम्र तक जी रही हैं. वहीं, वर्ष 2016 में राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं की वैवाहिक उम्र 22.2 साल रही. लेकिन, ग्रामीण इलाकों में जहाँ यह आंकड़ा 21.7 तो शहरों में 23.1 दर्ज की गई वहीं पश्चिम बंगाल में यह 21.2 तो जम्मू-कश्मीर में 24.7 साल रही.

रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल देश में 6.51 करोड़ लोग गैर संचारी रोगों से पीड़ित पाए गए. इनमें से 4.45 फीसदी को मधुमेह, 6.19 फीसदी को हाई बीपी, 0.30 फीसदी लोग दिल की बीमारी, 0.26 प्रतिशत कैंसर और 0.10 फीसदी स्ट्रोक के मरीज मिले. एक सर्वे के अनुसार, देश की राजधानी दिल्ली में जनसंख्या घनत्व सर्वाधिक है. यहाँ प्रति वर्ग किलोमीटर 11,320 लोगों का जनसंख्या घनत्व है. जबकि, अरुणाचल प्रदेश में सबसे कम जनसंख्या घनत्व 17 है. बताते चलें कि इस सर्वे में युवा और आर्थिक रूप से सक्रिय आबादी से जुड़ी कई बातों का पता चला है. 

वर्ष 2016 की कुल अनुमानित जनसंख्या में 27 प्रतिशत लोग 14 वर्ष से कम के थे. जबकि, 64.7 प्रतिशत लोग 15-59 वर्ष आयु वर्ग में पाये गये. आर्थिक रूप से सक्रिय जनसंख्या 8.5 प्रतिशत है, जो 60 से लेकर 85 वर्ष की आयु वर्ग में है. चौंकानो वाली बात तो यह है कि कम संसाधनों की पहुंच वाले गरीबों की स्थिति ज्यादा खराब है. हालांकि, एडीज मच्छरों से होने वाली बीमारी डेंगू और चिकनगुनिया सबसे बड़ी चिंता की वजह है. यानी सरकार देश में हर साल कई घातक बीमारियों की रोकथाम के लिए कई योजनाएं चलाती है. इसके बाद भी घातक बीमारियों से मरने वालों की संख्या दिन व दिन बढ़ती जा रही है.

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