शुक्रवार, 2 फ़रवरी 2018

यूपी में सांप्रदायिक तनाव कायम रहा तो अगली सरकार भी हमारी-अमित शाह

देश मे जितना हिंसा का कीचड़ होगा, उतना अच्छा कमल खिलेगा


दै.मू.ब्यूरो/नई दिल्ली
बिना दंगे के बीजेपी कोई भी चुनाव न तो जीत सकती है और न ही उसकी तैयारी ही कर सकती है। यह किसी कल्पना के आधार पर नहीं, बल्कि सबूत और दलीलों के आधार पर बतायी जा रही है। क्योंकि साक्ष्यों और दलीलों के आधार पर साबित हो जाता है कि दंगा-फसाद, आतंकी हमला और धार्मिक षड्यंत्र ही शासक वर्ग के राजनीति का मूल आधार है अर्थात नींव है। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह द्वारा पिछले साल दिए गए ये बयान ‘देश मे जितना हिंसा का कीचड़ होगा, उतना अच्छा कमल खिलेगा और यूपी में सांप्रदायिक तनाव कायम रहा तो अगली सरकार भी हमारी होगी’ यह इस बात की पुष्टि कर रहा है। इससे साबित होता है कि सहारपुर, शामली, मुजफ्फरपुर, अलीगढ़ और कासगंज की विभत्स घटना बीजेपी की ही देन है। 
दैनिक मूलनिवासी नायक समाचार एजेंसी से मिली जानाकारी के अनुसार देश या सूबे में जब-जब चुनावी दौर शुरू होता है, तब-तब कांग्रेस, बीजेपी न केवल दंगा-फसाद करवाती हैं, बल्कि आतंकी जैसे हमलों को भी अंजाम देती है। इसी बात का आंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बिना दंगा-फसाद के बीजेपी कोई भी चुनाव न तो जीत सकती है और न ही उसकी तैयारी ही कर सकती है। इस बात का सबूत यह है कि पिछले साल यूपी सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी अध्यक्ष ने कहा था कि ‘देश मे जितना हिंसा का कीचड़ होगा, उतना अच्छा कमल खिलेगा और यूपी में सांप्रदायिक तनाव कायम रहा तो अगली सरकार भी हमारी होगी’। इसका नतीजा यह हुआ कि सहारनपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, अलीगढ़ महीनों तक हिंसा, दंगा-फसाद की आग में झुलसते रहे, जैसे आज कासगंज हिंसा की आग में झुलस रहा है। गौरतलब है कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने पूर्वोत्तर दौरे में सीपीएम सरकार और सीएम से कहा था कि ‘मैं राज्य की सरकार को बता देना चाहता हूं कि बीजेपी हिंसा से नहीं घबराएगी, जितना ज्यादा हिंसा का कीचड़ फैलेगा, उतना ही बेहतर कमल मतलब बीजेपी का चुनाव निशान खिलेगा। यही नहीं इसी के साथ भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का मानना है कि अगर उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक तनाव लगातार जारी रहा तो इसका लाभ उनकी पार्टी को मिलेगा। वह यहां तक कहते थे कि यदि मौजूदा स्थिति बरकरार रही तो राज्य में अगली सरकार भाजपा की बनेगी। इसका मतलब साफ है कि चुनाव के दौरान बीजेपी ने न केवल उŸार प्रदेश में हिंसा और दंगा-फसाद करवाया था, बल्कि पूरे देश को हिंसा की आग में झोंककर ही केन्द्र से लेकर अन्य राज्यों में सŸासीन हुई है। इन षड्यंत्रों में चुनाव आयोग से लेकर ब्राह्मणवादी मीडिया तक शामिल हैं। क्योंकि शाह के इस बयान पर मचे बवाल के बाद चैनल ने एक बयान में कहा था कि भाजपा अध्यक्ष के बयान को गलत तरीके से पेश किया गया है। यानी अमित शाह को बचाने के लिए मीडिया ऐसा बयान दे रही है। क्या यह साबित करने के लिए कम है कि मीडिया इस षड्यंत्र में शामिल नहीं है। 
आपको बताते चलें कि बीजेपी द्वारा इसीलिए देश में हिन्दू-मुस्लिम दंगे कराये गये और कराये जा रहे हैं कि जितना ज्यादा हिन्दू-मुस्लिम दंगा-फसाद होगा उतना ही ज्यादा मुस्लिमों में दहशत रहेगा और उतना ही हिंदू के नाम पर एससी, एसटी और ओबीसी बीजेपी को वोट करेगा। मगर यह भी हकीकत है कि बीजेपी को सŸासीन करने का श्रेय जितना हिंदू-मुस्लिम दंगा-फसाद का नहीं है इससे कहीं ज्यादा ईवीएम का है। मगर इसके पीछे धर्म के नाम पर निर्दोष मूलनिवासी मुस्लिमों का नरसंहार किया जा रहा है। यहां पर गौर करने वाली बात है कि ईवीएम के मुद्दे को जहां हिन्दू-मुस्लिमों के बीच दंगा-फसाद दबा रहा है तो वहीं दंगा-फसाद को ईवीएम से बनी सरकार यानी भाजपा दबा रहा है।

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