गुरुवार, 8 फ़रवरी 2018

हमें रोकने के लिए ब्राह्मणों के पास कलेजा चाहिए-वामन मेश्राम

ब्राह्मणों के भारी विरोध के बाद भी गुजरात में भारत मुक्ति मोर्चा ने लहराया परचम

दै.मू.ब्यूरो/अहमदाबाद
हमें रोकने के लिए 56 इंच का सीना नहीं, बल्कि 56 इंच सीने के अंदर कलेजा चाहिए। ब्राह्मणों के पास कलेजा ही नहीं है, वो हमें क्या रोक पायेंगे। यह बात मंगलवार 06 फरवरी 2018 को भारत मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष वामन मेश्राम ने गुजरात के कच्छ (भुज) के खासरा मैदान में भारत मुक्ति मोर्चा के विशाल प्रबोधन कार्यक्रम में लाखों की संख्या में उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए उस वक्त कही, जिस वक्त आरएसएस समर्थक संगठनों द्वारा गुजरात में न केवल भारत मुक्ति मोर्चा के विशाल कार्यक्रम के आयोजन को रोकने केेे लिए शासन प्रशासन से गुहार लगा रहे थे, बल्कि राष्ट्रीय अध्यक्ष वामन मेश्राम को जान से मारने की धमकी भी दे रहे थे। 
दैनिक मूलनिवासी नायक वरिष्ठ संवाददाता ने जानकारी देते हुए बताया कि यूरेशियन ब्राह्मणों के मंसूबे पर पानी तब फिर गया जब ब्राह्मणों के लाख विरोध करने के बावजूद भी गुजरात के कच्छ (भुज) में भारत मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष वामन मेश्राम की अध्यक्षता में भारत मुक्ति मोर्चा का विशाल संबोधन कार्यक्रम का आयोजन सफलतापूर्वक सम्पन्न हो गया, जिसमें 85 प्रतिशत मूलनिवासी बहुजन समाज के लाखों लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। यही नहीं मूलनिवासी बहुजन समाज के सरकारी कर्मचारियों को भी जगाने का कार्य तब और ज्यादा आसान कर दिया जब गुजरात सरकार ने वामन मेश्राम साहब को सुनने और उनकी सुरक्षा के लिए 02 डीवाईएसपी, 20 पुलिस इंसपेक्टर, 15 लेडिस पुलिस और 80 कॉन्स्टेबल लगा दिए। गौरतलब है कि भारत मुक्ति मोर्चा का यह विशाल आयोजन 06 फरवरी को होने वाला था, मगर इससे पहले ही भारत मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष वामन मेश्राम के आंदोलन को रोकने के लिए आरएसएस के साथ-साथ कच्छ भूदेव सेना, करणी सेना, ब्राह्मण मंडल, हिन्दू युवा संगठन, बजरंग दल, परशुराम सेना, विश्व हिन्दू परिषद जैसे ब्राह्मणों के कई सारे संगठनों और गुजरात के समस्त ब्राह्मणों ने अपनी पूरी ताकत लगा दी थी, इसके बाद भी बहुजनों के नायक वमन मेश्राम को नहीं रोक सके। हालांकि ब्राह्मणों द्वारा वामन मेश्राम को गुजरात में रोकने के लिए पिछले दो साल पहले भी इसी तरह का षड्यंत्र किया गया था। इसके अलावा 01 जनवरी को भीमा कोरेगांव में भी ब्राह्मणों ने भारत मुक्ति मोर्चा के कार्यक्रम को रोकने के लिए एड़ी से चोटी तक जोर लगा दिया, मगर बाल भी बांका न कर सके। आज वैसी ही हरकत दुबारा करके ब्राह्मणों ने साबित कर दिया है कि बहुजनों के नायक वामन मेश्राम को रोक पान ब्राह्मणों के बूते की बात नहीं है। क्योंकि जब-जब विदेशी ब्राह्मण वामन मेश्राम को रोकने की कोशिश करता है तब-तब वामन मेश्राम की शक्ति चार गुना ज्यादा बढ़ जाती है।
आपको बताते चलें कि इस विशाल कार्यक्रम में लाखों की संख्या में उपस्थित जन-समूह को संबोधित करते हुए भारत मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष वामन मेश्रान ने कहा कि लोकतंत्र का प्राणतत्व प्रतिनिधित्व है। इसलिए लोकतंत्र में चुनाव प्रक्रिया एक महत्वपूर्ण भाग है। भारत में पहले बैलेट के द्वारा चुनाव होता था, मगर 2004 से ईवीएम मशीन के द्वारा चुनाव हो रहा है। बैलेट के द्वारा  फ्री, फेयर एण्ड ट्रान्सपेरेन्ट चुनाव होता था, मगर ईवीएम के द्वारा फ्री, फेयर एण्ड ट्रान्सपेरेन्ट चुनाव नहीं होता है। इसलिए 3.5 प्रतिशत ब्राह्मणों ने ईवीएम मशीन में घोटाला करके भारत की सŸा पर सम्पूर्ण अधिकार कर लिया है। भारत के सŸा का दुरूपयोग करके ब्राह्मणों ने भारत के व्यवस्था पर अनियंत्रित कब्जा कर लिया है। इसके कारण भारत में लोकतंत्र के बजाए ब्राह्मणतंत्र स्थापित हो चुका है। लोकतंत्र की हत्या करने में ईवीएम का महत्वूर्ण योगदान है। 
अपनी बात को जारी रखते हुए उन्होंने का कि सन् 2004 और सन् 2009 में कांग्रेस ने सारे देश भर में लोकसभा चुनाव में ईवीएम मशीन का उपयोग किया और कांग्रेस ने ईवीएम मशीन के माध्यम से घोटाला किया। यह घोटला कैसे करना है यह केवल इन्दिरा गांधी को मालूम था। 2004 में कांग्रेस ने ईवीएम मशीन में घोटाला करके चुनाव जीता। 2009 में भी कांग्रेस ने ईवीएम मशीन में घोटाला करके चुनाव जीता। 2004 और 2009 में कांग्रेस द्वारा ईवीएम मशीन में घोटाला करके लोकसभा चुनाव जीतने के बाद डा.सुब्रमण्यन स्वामी ने इसके दस्तावेजी सबूत इकट्ठा किए। डा.सुब्रमण्यन स्वामी ने इसके दस्तावेजी सबूत इकट्ठा करके इसे सुप्रीम कोर्ट में लेकर गया। वैसे बीजेपी को ईवीएम मशीन में घोटाले के बारे में मालमू नहीं था। मगर 2004 और 2009 में कांग्रेस के द्वारा ईवीएम मशीन में घोटाला करके लोकसभा चुनाव जीतने का सबूत डा.सुब्रमण्यम स्वामी ने आरएसएस को दे दिया, जिसके कारण आरएसएस और बीजेपी को भी मालूम हो गया कि ईवीएम मशीन में घोटाला करके चुनाव जीता गया है। इसके बाद कांग्रेस ने आरएसएस के साथ सम्पर्क किया और आरएसएस के साथ गुप्त समझौता किया। इसी गुप्त समझौते का नजीता है कि आज बीजेपी ईवीएम में घोटाला कर सŸा पर कब्जा जमा रही है।
वामन मेश्राम ने आगे कहा कि भारत मुक्ति मोर्चा के माध्यम से हमने मुम्बई हाईकोर्ट, पटना हाईकोर्ट और चण्डीगढ़ हाईकोर्ट में केस दायर कर दिया, क्योंकि तीन राज्यों में चुनाव होने वाले थे। हमने वहां के तीनों हाईकोर्टों में केस दायर कर दिया। हमारे द्वारा केस दायर करने के बाद भी हमने इलेक्शन कमीशन के साथ पत्र व्यवहार जारी रखा। हमने चुनाव आयोग को दोबारा लेटर लिखा और कहा कि जिन राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, आप वहाँ चुनाव में ईवीएम मशीन में पेपर ट्रेल क्यों नहीं लगा रहे हो? चुनाव आयोग ने हमको लिखकर जवाब दिया कि नरेन्द्र मोदी पेपर ट्रेल मशीन खरीदने के लिए पैसा नहीं दे रहा है। इसके बाद हमने चुनाव आयोग को दूसरा लेटर लिखा कि संविधान के अनुसार प्रधानमंत्री देश का आखिरी ऑथोरिटी नहीं होता है। इस देश का आखिरी ऑथोरिटी राष्ट्रपति है। क्या चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखा कि सुप्रीम कोर्ट ने 08 अक्टूबर 2013 को ईवीएम मशीन के साथ पेपर ट्रेल मशीन जोड़ने का आदेश दिया था और भारत सरकार को पेपर ट्रेल मशीन खरीदने के लिए पैसा चुनाव आयोग को देने का भी आदेश दिया था, इसके बावजूद भी देश का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पैसा नहीं दे रहा है? चुनाव आयोग ने जवाब दिया नहीं। क्या चुनाव आयोग ने चीफ जस्टिस ऑफ इण्डिया को ऐसी ही चिट्ठी लिखी? नहीं लिखी। चुनाव आयोग ने इसके लिए दूसरो दलों के साथ सर्वदलीय मीटिंग क्यों नहीं बुलाई? चुनाव आयोग को ऐसी चिट्ठी लिखना चाहिए था और दूसरे दलों के साथ सर्वदलीय मीटिंग बुलाने के लिए प्रयास करना चाहिए था। क्या चुनाव आयोग ने ऐसा किया? नहीं किया। 08 अक्टूबर 2013 को सुप्रीम कोर्ट का ईवीएम में पेपर ट्रेल मशीन लगाने का निर्णय लागू करने के लिए चुनाव आयोग को प्रेस कॉन्फ्रेंस लेना चाहिए था और भारत के मतदाताओं को बताना चाहिए था कि, ‘आप लोगों ने जिस व्यक्ति को भारत का प्रधानमंत्री चुना है, वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी फ्री, फेयर एण्ड ट्रान्सपेरेन्ट चुनाव सम्पन्न कराने के लिए पेपर ट्रेल मशीन खरीदने के लिए पैसा नहीं दे रहा है।’ ऐसा प्रेस कॉन्फ्रेंस लेकर चुनाव आयोग ने क्या भारत के मतदाताओं को बताया है? नहीं बताया है। ऐसी चिट्ठी हमने चुनाव आयोग को लिखी और चुनाव आयोग का जवाब प्राप्त करने के लिए हमने दो महीने की राह देखी और दो महीना राह देखने के बाद भी चुनाव आयोग ने हमें कोई जवाब नहीं दिया। तब हमने चुनाव आयोग के खिलाफ ‘कॉन्टेम्प्ट ऑफ कोर्ट’ (न्यायपालिका की अवमानना) का केस सुप्रीम कोर्ट में दायर कर दिया कि, ‘सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम मशीन में पेपर ट्रेल लगाने का आदेश देने के बाद भी चुनाव आयोग ने ईवीएम में पेपर ट्रेल मशीन नहीं लगाया और ऐसा करके चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अवमानना किया है। जब हमने कोर्ट में चुनाव आयोग के खिलाफ केस दायर किया तो दूसरे केसों की हियरिंग (सुनवाई) के लिए तारीखे आ रही थी, मगर हमारी केस के हियरिंग के लिए तारीख ही नहीं आ रही थी। जब हमरा आदमी रजिस्ट्रार ऑफिस में इनक्वायरी किया तो रजिस्ट्रार ने बताया की आपके वकील ने तो आपका केस विद्ड्रा (वापस) कर लिया है। 04 जनवरी 2017 को केस का हियरिंग हुआ। चुनाव आयोग ने मेरे खिलाफ चार वकील खड़े किया। चुनाव आयोग के सिनियरमोस्ट लॉयर ने सुप्रीम कोर्ट के जज को कहा कि जज साहब यह जो वामन मेश्राम है, वह ऐसे-ऐसे लेटर लिखता है? इसलिए दो महीने का समय और बढ़ा दिया जाए। इसलिए 04 मार्च 2017 को दो महीने के लिए समय बढ़ा दिया गया। 04 मार्च 2017 आया, मगर चुनाव आयोग ने कोई जवाब सुप्रीम कोर्ट में दाखिल नहीं किया। क्योंकि चुनाव आयोग के पास इसका कोई जवाब ही नहीं था। सुप्रीम कोर्ट ने जो नोटिस जारी किया था, उस नोटिस का चुनाव आयोग ने कोई जवाब नहीं दिया। अंत में उन्होंने कहा कि अब हम फैसला कर चुके हैं कि जब हमने बैलेट पेपर की मांग की तो पेपर ट्रेल मशीन दिया अब हमें पेपर ट्रेल मशीन नहीं चाहिए, हमें बैलेट पेपर चाहिए। यदि आयोग और सरकार इस पर अमल नहीं करता है तो हम 2019 के लोकसभा में ईवीएम के विरोध में ईवीएम फोड़ो अभियान चलाएंगे और ब्राह्मणों को सबक भी सिखाएंगे।

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