योगी सरकारी की लापरवाही ने सैकड़ों को सुलया मौत की नींद
बनारस में निर्माणाधीन पुल गिरने से 50 से ज्यादा लोगां की मौत, 100 से ज्यादा घायल
वाराणसी/दै.मू.ब्यूरो
देश में जब-जब चुनाव परिणाम आये उसी दिन या उसके एक दिन पहले या एक दिन बाद इसी तरह की दर्दनाक घटनाएं घटित होती रही हैं। चाहे वह घटना आतंकवाद, नक्सलवाद की हो या किसी चर्चित व्यक्ति की हत्या की हो। चूंकी कई चुनावी परिणाम के दिन या बाद में या उसी दिन ऐसी बहुत सारी घटानाएं हो चुकी है। इससे आशंका पैदा हो रही कि शायद यह घटना भी उसी का एक अहम हिस्सा हो सकती है। गौरतलब है कि पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में कैन्ट रेलवे स्टेशन के सामने बन रहे फ्लाई ओवर की दो बीम गिरने से जहां 50 लोगों की मौत हो गई है वहीं 100 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं, जिनका वाराणसी के प्रमुख अस्पतालों मे इलाज चल रहा है, जिनमें से कई लोग जीवन और मौत के बीच जूझ रहे हैं तथा घटना स्थल पर कोहराम मचा हुआ है।
बीम गिरने के कारण बस सहित कई गाड़ियों के परखच्चे उड़ गये हैं। घटनास्थल पर नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स की सात टीमें राहत व बचाव कार्य में लगी हैं। इतना दर्दनाक हादसा हो जाने के बाद भी जिला प्रशासन घटना के एक घंटे बाद आया, घटना के बाद आस-पास की पब्लिक ही लोगों को बचाने में लगी थी और लगातार पुलिस को फोन किया जा रहा था, लेकिन कोई नहीं आया। कुछ लोगों ने मलवे के नीचे दबी गाड़ियों से लोगों को निकालने की बहुत कोशिश की, लेकिन लोगों से हो नहीं सका और क्रेन भी एक घंटे बाद पहुंची।शायद समय रहते राहत कार्य शुरू कर दिया गया होता तो शायद कुछ लोगों को बचाया जा सकता था।
ताजा जानकारी मिलने तक रात आठ बजे तक 50 शव निकाले जा चुके थे, मरने वाले लोगों की संख्या और ज्यादा बढ़ सकती है। इसके अलावा मलवे में कई लोगों के दबे होने की सम्भावना है। कैंट रेलवे स्टेशन के पास सेतु निर्माण निगम की गाजीपुर निर्माण इकाई के चौकाघाट-लहरतारा फ्लाईओवर की दो बीम आज शाम अचानक गिर गयीं। हादसे का कारण सेतु निर्माण निगम की लापरवाही एवं सरकार की निजीकरण नीति के कारण मानक के अनुसार निर्माण सामग्री उपयोग नहीं करना मुख्य कारण है। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उत्तर प्रदेश पुल निर्माण निगम 2261 मीटर लंबे फ्लाईओवर का निर्माण 129 करोड़ की लागत से कर रहा था। फ्लाईओवर का जो हिस्सा गिरा है, उसे तीन महीने पहले ही बनाया गया था।
इस ओवरब्रिज के डिजाइन को लेकर शुरू से ही सवाल उठते रहे हैं। इस प्रोजेक्ट को 2 मार्च 2015 को मंजूरी मिली थी, 25 अक्टूबर 2015 से इस फ्लाईओवर के निर्माण का काम शुरू हुआ था। इस निर्माणाधीन पुल के डिजाइन को लेकर जुलाई, 2017 में ही सवाल खड़े हो गए थे। ऐसा कहा गया कि फ्लाईओवर की डिजाइन ऐसी बना दी गई है, जो भारी वाहनों के लिए मुसीबत बन गई है। बताया जा रहा है कि इस फ्लाईओवर का निर्माण कार्य पूरा करने की अवधि पहले दिसंबर 2018 निर्धारित थी, लेकिन बाद में इसे घटाकर मार्च 2018 कर दिया गया। पुल गिरने का यही मानक निर्माण सामग्री में घोटाला किया गया और कम समय में ज्यादा काम दिखाकर योगी सरकार की छवि को दिखाने की कोशिश की गयी। जिसका नतीजा यह निकला कि इस घोर लापरवाही ने दर्जनों को मौत की नींद सुला दिया और सैकड़ों का जीवन बर्बाद होने के कगार पर पहुंचा दिया है। दूसरा पहलू यह भी है कि ऐसी घटनाएं विदेशी ब्राह्मणों का आजमाया हुआ एक नुस्खा है। इसलिए ऐसा कहा जा सकता है कि कर्नाटक के ईवीएम घोटाले एवं सरकार की नामाकियों पर पर्दा डालने के लिए वाराणसी में पुल गिरवाकर दर्जनों लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया है।
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