बामसेफ आज का भिक्खु संघ है और पूर्णकालीन प्रचारक बौद्ध भिक्खु
माँ-बाप, भाई-बहन, सगे-संबंधी और नाते-रिस्तेदार सभी रिश्तों को त्यागकर मूलनिवासी बहुजन समाज को नौकरी, शिक्षा, संवैधानिक हक और अधिकार दिलाने हेतु पूरे देश में प्रचारक बनकर प्रचार करते हैं। हमारी जिम्मेदारी है कि उन्हे साथ-सहयोग करें, उनका मान-सम्मान करें! पूरे देश में प्रचारकों ने गांव-गांव में जाकर बहुजन समाज के महापुरुषों की विचारधारा का प्रचार-प्रसार करके जगाने का काम करते हैं। जिस प्रकार बुद्धा के समय में बौद्ध भिक्खु किया करते थे, ठीक उसी प्रकार आज बामसेफ के पूर्णकालीन प्रचारक काम कर रहे हैं। इसलिए आज के वर्तमान समय में बामसेफ एक भिक्खु ‘संघ’ है एवं बहुजन नायक मा. वामन मेश्राम बुद्ध के सच्चे अनुयायी हैं।
बहुजन नायक मा.वामन मेश्राम, जिन्होंने आज की बामसेफ (प्राचीन काल की बौद्ध भिक्खु संघ) बनाकर समाज में एक मिसाल कायम कर दी है। आज कितनी गर्व की बात है कि जिस मूलनिवासी बहुजन समाज में आरएसएस, कांग्रेस और बीजेपी (शासक वर्ग) ने दलाल और भड़वे तैयार किए थे, आज बामसेफ उसी समाज में ईमानदार, निष्ठावान, स्वाभिमानी और न बिकनेवाला वर्ग तैयार करने में काफी सफल हो चुका है। मा.वामन मेश्राम की नीति-रणनीति से यूरेशियन ब्राह्मणों अर्थात मूलनिवासी बहुजन समाज के दुश्मनों का न केवल मनोबल ध्वस्त हो चुका है, बल्कि उनके अंदर दहशत का माहौल व्याप्त हो चुका है। आज ब्राह्मण हर पल मूलनिवासी बहुजनों में झगडे़ लगाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन मा.मेश्राम साहब के जन-जागृति के कारण विदेशी ब्राम्हणों के मंसूबों पर पानी फिर रहा है। आज पूरे देश में केवल एक ही चर्चा का विषय बना हुआ है कि मूलनिवासी बहुजन समाज के लोग बहुजन नायक मा.वामन मेश्राम को क्रांतीवीर की उपाधि से नवाज रहे हैं। वास्तव में यह चर्चा ब्राह्मणों को हजम नहीं हो रहा है। इसलिए ब्राह्मणवादी सरकारें मा.वामन मेश्राम को रोकने के लिए हिंसा का सहारा ले रही हैं, इसके बाद भी बामसेफ का कारवां आगे ही बढ़ता जा रहा है। जिसका जीता-जागता प्रमाण यह है कि आज मूलनिवासी बहुजन समाज के जो लोग जातिगत संगठन बनाकर अकेले-अकेले दुश्मनों से लड़ रहे थे, वे आज बामसेफ का पूरजोर समर्थन कर रहे हैं। क्योंकि उनको इस बात का एहसास हो चुका है कि बगैर बामसेफ के समर्थन से समस्याओं का समाधान नामुमकिन है।
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