गुरुवार, 17 मई 2018

कर्नाटक में ईवीएम का चमत्कार, बहुमत ना होने के बाद भी कर्नाटक में बीजेपी सरकार

कर्नाटक में ईवीएम का चमत्कार
बहुमत ना होने के बाद भी कर्नाटक में बीजेपी सरकार
♦ लोकतंत्र की हत्या कर कर्नाटक सहित 21 राज्यों पर बीजेपी का कब्जा
♦ सुप्रीम कोर्ट का शपथ ग्रहण रोकने से इनकार
♦ येदियुरप्पा ने एक हफ्ता मांगा, गवर्नर ने दे दिए 15 दिन
बैंगलूरू/दै.मू.एजेंसी
यह ईवीएम का चमत्कार ही है कि कर्नाटक में जो दो सीट भी नहीं जीत सकती थी वह आज 104 सीटें जीतने मे कामयाब हो चुकी है। यही नहीं बहुमत ना होने के बावजूद भी कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाल ने न केवल बीजेपी की सरकार बनाने का न्यौता दिया, बल्कि सुप्रीम कोर्ट ने भी राज्यपाल की हां में हां मिलाने का काम किया है। यह इस बात का सबूत है कि ईवीएम के साथ-साथ बीजेपी द्वारा राज्यपाल और सुप्रीम कोर्ट भी हैक कर लिया गया है।
कांग्रेस, राज्यपाल के फैसले के खिलाफ और येदियुरप्पा के शपथ ग्रहण पर रोक लगाने के लिए बुधवार देर रात की सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। बुधवार को कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला ने बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व में बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता दे दिया, जिसके बाद येदियुरप्पा के नए सीएम बनने का रास्ता भी साफ हो गया। गुरुवार को सुबह 9 बजे येदियुरप्पा मुख्यमंत्री पद और गोपनियता की शपथ भी ले लिया। विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए उन्होंने 7 दिन का वक्त मांगा था, लेकिन हैरान करने वाली बात है कि राज्यपाल ने येदियुरप्पा को ‘फ्लोर टेस्ट’ यानी बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का वक्त दिया है। वहीं, कांग्रेस राज्यपाल के फैसले के खिलाफ और येदियुरप्पा के शपथ ग्रहण पर रोक लगाने के लिए बुधवार देर रात की सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। कांग्रेस ने राज्यपाल के फैसले को असंवैधानिक बताते हुए येदियुरप्पा के शपथ ग्रहण पर रोक लगाने की मांग की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने शपथ ग्रहण पर रोक लगाने से साफ इनकार कर दिया। बेंच ने कहा कि हम राज्यपाल का फैसला नहीं पलट सकते हैं। इसका मतलब साफ है कि सुप्रीम कोर्ट, राज्यपाल ने मिलकर कर्नाटक में लोकतंत्र की हत्या कर दी है, जो पूर्वनियोजित रणनीति का हिस्सा है।
इसमें चौंकाने वाली बात तो यह है कि कांग्रेस-जीडीएस के पास 117 विधायक हैं, जबकि बीजेपी के पास केवल 104 विधायक, ऐसे में बीजेपी कैसे बहुमत साबित करेगी? दूसरी बात, येदियुरप्पा ने बहुमत के लिए 7 दिन मांगे थे और राज्यपाल ने 15 दिन दे दिए, क्यों? ऐसा पहली बार देखा कि किसी दल को बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है। गोवा में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी थी, लेकिन कांग्रेस को क्यों नहीं बड़ी पार्टी के रूप में सरकार बनाने का मौका दिया गया, क्यों चुनाव बाद हुए गठबंधन के बाद बीजेपी को सरकार बनाने का मौका मिला? जबकि जेडीएस ने बहुमत के सबूत के साथ सरकार बनाने का दावा भी कर दिया था, फिर राज्यपाल ने इंतजार क्यों नहीं किया? येदियुरप्पा को सरकार बनाने का न्योता देने का फैसला इतनी जल्दी कैसे ले लिया? अगर यह कोर्ट संविधान की धारा 356 के तहत राष्ट्रपति शासन को रोक सकता है, तो राज्यपाल के आदेश को क्यों नहीं रोक सकता? इसके जवाब में बीजेपी का कहना है कि राज्यपाल के पास सबसे बड़े दल को बुलाने का अधिकार है, अगर सबसे बड़ी पार्टी बहुमत साबित नहीं बना सकी तो दूसरी पार्टी को मौका मिलेगा। यह भी मानना है कि राज्यपाल को पार्टी नहीं बनाया जा सकता है। इस देश में राष्ट्रपति और राज्यपाल के आदेश देने के अधिकार को चुनौती नहीं दी जा सकती है। बीजेपी की तरफ याचिका खारिज करने की मांग करते हुए कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट का अंतिम निर्णय ही सर्वमान होगा। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारीज करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के शपथ को नहीं रोका जा सकता है, तय समय पर ही शपथ समारोह सम्पन्न कराया जाय। 

बता दें कि कर्नाटक में 222 सीटों पर शनिवार को वोटिंग हुई थी। सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 112 है जबकि बीजेपी के पास सिर्फ 104 विधायक और कांग्रेस के 78 और जेडीएस के 37 विधायक हैं। जेडीएस और कांग्रेस ने गठजोड़ करके सरकार बनाने का दावा किया था, लेकिन गठबंधन के साथ बहुमत होने के बाद भी सŸा पर बीजेपी का कब्जा हो गया। कर्नाटक चुनाव में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला। इसके बाद भी बीजेपी ने राज्यपाल को हैक करके कर्नाटक में जो 2 सीट भी नहीं जीत सकती थी वह ईवीएम के बदौलत 104 सीटें न केवल हाशिल कर  चुकी है। बल्कि बहुमत न होने के बाद भी कर्नाटक पर बीजेपी का जबरन कब्जा हो गया। हालांकि यह पहला ऐसा मामला नहीं है, बल्कि बीजेपी ने गोवा और बिहार में भी यही रवैया अपना चुकी है। बिहार और गोवा में भी बीजेपी को बहुमत ना होने के बावजूद भी बीजेपी सŸा में है। राज्यपाल वजुभाई वाला ने बीजेपी को बहुमत ना होने बाद सरकार बनाने का न्योता देकर साबित कर दिया है कि राज्यपाल हैक हो चुका है। राज्यपाल के इस फैसले के बाद राजनीतिक गलियारों में उथल-पुथल मच गई, क्योंकि पहले से ही कांग्रेस-जेडीएस मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश कर चुकी थी। क्योंकि सरकार बनाने के लिए 123 सीटें चाहिए, जिसमें से बीजेपी को 104 और कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन से 115 सीटें मिली है। पूर्ण बहुमत ना होने के बाद जैसे ही राज्यपाल ने बीजेपी को सरकार बनाने के लिए न्योता दिया ही मामला बेहद गंभीर रूप ले लिया, इसलिए बात सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई रात के 1ः45 बजे शुरू हुई। सुप्रीम कोर्ट ने भी वहीं किया जो पहले से निर्धारित हो चुका था। आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने भी शपथ ग्रहण पर रोक लगने से इंकार कर दिया और तय कार्यक्रम के मुताबिक ही गुरुवार को सुबह 9 बजे येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। तथाकथित स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह दूसरा मौका है जब सुप्रीम कोर्ट रात को खुला है। इसके पहले साल 2015 में मुंबई ब्लास्ट केस 1993 के झूठे आरोपी याकूब मेमन को आतंकवादी के नाम पर फांसी देने के लिए सुप्रीम कोर्ट को रात 3 बजे खोला गया था और अब कर्नाटक में बीजेपी की सरकार बनाने के लिए रात को 1ः45 बजे तक सुप्रीम कोर्ट खोला गया। वैसे राजनीतिक मामले को लेकर यह पहली बार हुआ है जब सुप्रीम कोर्ट ने आधी रात में कार्रवाई की है।

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