गुरुवार, 17 मई 2018

कॉस्ट के नाम पर क्लास रूम, थाली खा गए टीचर और कागज पर खा रहे बच्चे

बिहार स्कूल का शर्मनाक वाकया
कॉस्ट के नाम पर क्लास रूम
थाली खा गए टीचर और कागज पर खा रहे बच्चे

पटना/दै.मू.ब्यूरो
जब से बिहार में भाजपा की नीतीश सरकार बनी है तब से बिहार की स्कूलों में अजीबो-गरीब वाकये देखने को मिल रहे हैं। अभी हाल ही में एक खबर ने चौंका दिया था कि बिहार के स्कूलों में जहां कास्ट के आधार पर क्लास रूम चल रहा है। यहीं नहीं उसी दौरान यह भी समाचारों की सुर्खियां रही कि विद्यालयों में जाति के नाम पर मासूमों का बंटवारा हो रहा है। ऐसा ही एक और वाकया देखने को मिला है जहां स्कूलों में बच्चों को पेपर पर खाना परोसा जा रहा है।
शिक्षा और विकास को लेकर बिहार सरकार भले ही रोज गाल बजा रही है, लेकिन सिवान की यह तस्वीर यह बताने के लिए काफी है कि जब से बिहार की सŸा पर बीजेपी का कब्जा हुआ है तब से पूरा सिस्टम सड़ चुका है। सिवान के दरौली प्रखंड के मध्य विद्यालय उकरेड़ी का यह दृष्य देख जानवर भी लजा जाए, लेकिन नीतीश सरकार को लाज नहीं आ रही है। सोमवार को विभाग की उस समय पोल खुल गई जब प्रखंड प्रमुख रूपा देवी स्कूल पहुंची। उन्होंने छात्र-छात्राओं को जमीन पर बैठकर कागज पर मध्यांह भोजन करते हुए देखा। रसोइया थाली के बदले कागज के पन्नों पर चावल परोस रहा था। इतना ही नहीं भोजन परोसने वाला रसोइया कपड़े भी गंदे पहने हुए था। यह देख जब प्रखंड प्रमुख ने बच्चों से कारण पूछा तो प्रखंड प्रमुख के होश ही उड़ गये।   भोजन कर रहे बच्चों ने बताया कि स्कूल द्वारा हम लोगों को थाली नहीं दी जाती है। जो बच्चे घर से थाली लाते हैं वे अपने थाली में भोजन करते हैं और जो नहीं लाते हैं उन्हें कागज के पन्नों पर ही भोजन परोसा जाता है। हम लोग हमेशा इसी कागज के पन्नों पर भोजन करते आ रहे हैं। वास्तव में यह वाकया हिला देने वाला है।
विशेष सूत्रों के अनुसार सोमवार को स्कूल में 86 बच्चों की उपस्थिति बनाई गई थी, जबकि मात्र 54 बच्चे ही भोजन कर रहे थे। वहीं प्रमुख द्वारा पूछे जाने पर ग्रामीण लोगों ने बताया कि स्कूल में मध्यांह भोजन में हमेशा गड़बड़ी होती रहती है। भोजन रोज नहीं बनाकर कभी-कभी बनाया जाता है, जब कभी भोजन बनाता भी है तो काफी अनियमितता से बनाया जाता है। जब स्कूल के अनियमितता के खिलाफ आवाज उठाई जाती है तब स्कूल प्रबंधन द्वारा फर्जी केस में फंसाने की धमकी दी जाती है।
अब सवाल यह उठता है कि बाल पंजीकरण पर बच्चों को भोजन कौन परोस रहा है? आज जब देश में शिक्षा अधिकार अधिनियम लागू है, बच्चों को स्कूलों में शिक्षित करने के लिए सरकार द्वारा सभी संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं। मध्यांह भोजन भी उसी का अहम हिस्सा है। इस स्थिति में बिहार के स्कूलों में मध्यांह भोजन योजना में हमेशा गड़बड़ी की बातें सामने आती रही हैं, लेकिन विभाग के अधिकारियों पर कोई फर्क की नहीं पड़ता है। क्योंकि उनके खिलाफ सरकार भी चुप्पी साधे रहती है। स्कूल में बच्चों को बाल पंजी के कागज पर भोजन कराने के पीछे बड़े पैमाने पर गड़बड़ी में पदाधिकारियों की मिलीभगत को कौन सपोर्ट कर रहा है? आखिर बिहार सरकार कब जागेगी? इसका एक ही जवाब है कि जब तक सŸा बीजेपी के हाथों मे रहेगी तब तक शिक्षा, स्वास्थ्य के अलावा रोटी, कपड़ा और मकान जैसी मूलभूत समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता है।

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