ईवीएम शासक जातियों का सत्ता हथियाने का हथियार
जिस दिन देश में लोकतंत्र लागू हो जायेगा उसी दिन ब्राह्मणों की हुकूमत खत्म हो जायेगी-वामन मेश्राम
नई दिल्ली/दै.मू.एजेंसी
कर्नाटक चुनाव में बीजेपी को सबसे बड़ी पार्टी बनने से यह साफ हो गया है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में धोखाधड़ी हुई है। चार साल बाद भी मोदी लहर काम नहीं आई है, लेकिन ईवीएम ने नरेंद्र मोदी को 2014 में केन्द्र की सत्ता सौंपने के बाद खत्म हो चुकी लहर को फिर से हवा दे दिया है। ईवीएम के ही माध्यम से देश के 29 राज्यों में से 20 राज्यों पर बीजेपी सत्ता पर काबिज हो चुकी है यानी ताजा खबर मिलने तक 21वां राज्य कर्नाटक भी अब बीजेपी के पास जाता हुआ दिखाई दे रहा है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे ने एक बार फिर से साबित कर दिया है कि जब तक देश में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से चुनाव होगा तब तक देश की सत्ता पर बीजेपी और कांग्रेस का अनियंत्रित कब्जा बरकरार रहेगा। लेकिन जीत हासिल करने के बाद भी बीजेपी को इस बात की चिंता सता रही है कि फिर से ईवीएम का मुद्दा गर्माने वाला है।
विशेष सूत्रों के मुताबिक इस बार कर्नाटक विधानसभा चुनावों में कुल 80 हजार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) का इस्तेमाल किया गया है। इन सभी में वोटर वेरीफाई पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) का उपयोग किया गया है। पिछले कुछ चुनावों के नतीजों के बाद ईवीएम की प्रामाणिकता को लेकर सवाल उठाए गए जा चुके हैं। आपको बता दें कि भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शुमार है, जहां ईवीएम का उपयोग होता है। जबकि जिन देशों ने ईवीएम का निर्माण किया है उन देशों ने ईवीएम के इस्तेमाल को यह कहते हुए प्रतिबंधित कर दिया है कि ईवीएम से पारदर्शी चुनाव नहीं कराया जा सकता है, ईवीएम से धोखाधड़ी होती है। ईवीएम का इस्तेमाल न करने वाले देशों में अमेरिका, जर्मनी, नीदरलैंड, पैरागुवे, न्यूजीलैंड, इंग्लैंड, फिलीपींस, ऑस्ट्रेलिया, कोस्टा रिका, ग्वाटेमाला, आयरलैंड, इटली, कजाखिस्तान, नॉर्वे, ब्रिटेन आदि देश शामिल हैं।
बता दें कि ईवीएम की विश्वसनीयता पर आज से नहीं, बल्कि 1982 में जब पहली बार ईवीएम का उपयोग केरल के परूर विधानसभा सीट के उपचुनाव में किया गया था, तब से सवाल खड़े हो रहे हैं। इसके बाद 1998 में मध्य प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली की 16 विधानसभा सीटों के लिए हुए चुनाव में फिर से सवाल खड़े हुए। इसके बाद जब 2004 और 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में पहली बार पूरे देश में ईवीएम का इस्तेमाल किया गया तब ईवीएम का मामला और ज्यादा जोर पकड़ने लगा। यही नहीं 2014 के चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेस पर ईवीएम में घोटाला करके सरकार बनाने का आरोप लगाते हुए बीजेपी के सुब्रहमण्यम स्वामी, जी.वी.एल नरसिंह राव, लालकृष्ण आडवाणी सहित अन्य नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में लिखित दस्तावेज के साथ प्रमाणित भी कर दिया था कि ईवीएम में गड़बड़ी संभव है। जब कांग्रेस को लगा कि यह बात सार्वजनिक होने वाली है तब उसने आरएसएस के बीच समझौता किया कि जिस तरह से कांग्रेस 2004-2009 में ईवीएम में घोटाला करके सŸा पर काबिज हुई है उसी प्रकार से भाजपा भी 2014 की भांति 2019 के लोकसभा सहित अन्य राज्यों के विधानसभा चुनाव में ईवीएम घोटाला करके सरकार बना सकती है। यही वो मुख्य कारण है कि कांग्रेस पर ईवीएम में धोखाधड़ी करके सरकार बनाने का आरोप लगाने वाले बीजेपी के उक्त नेता आज ईवीएम के ईमानदारी की पूरी गांरटी दे रहे हैं। इस काम के लिए ईवीएम के साथ-साथ बीजेपी ने चुनाव आयोग भी हैक किया हुआ है, इसलिए चुनाव आयोग भी ईवीएम के ईमानदार होने का मुहर लगा रहा है।
हैरान करने वाली बात तो यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने 08 अक्टूबर 2013 को यानी लोकसभा चुनाव 2014 के पहले ही चुनाव आयोग को आदेश जारी किया था कि बगैर ईवीएम में वीवीपैट लगाये चुनाव सम्पन्न नहीं कराया जा सकता है, लेकिन चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उलंघन करके न केवल लोकसभा 2014 का चुनाव सम्पन्न कराया, बल्कि दिल्ली, बिहार, यूपी सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी ईवीएम का इस्तेमाल किया और 2017 तक देश के 20 राज्यों पर बीजेपी का कब्जा करवाया। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद भारत मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष वामन मेश्राम ने ईवीएम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की और ईवीएम घोटाले के हजारों सबूत सुप्रीम कोर्ट में पेश किए। यही नहीं वामन मेश्राम ने चुनाव आयोग पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना करने का भी आरोप लगाया और सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग को कटघरे में खड़ा कर दिया। यह भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि किसी ने चुनाव आयोग को चुनौती देते हुए कटघरे में खड़ा किया है। 24 अप्रैल 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को कड़ी फटकार लगाते हुए वामन मेश्राम (राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारत मुक्ति मोर्चा) के पक्ष में फैसला देते हुए फिर से पेपर ट्रेल लगाने का आदेश जारी किया। इस जीत के बाद वामन मेश्राम ने देश भर में ईवीएम के खिलाफ मोर्चा निकाला और ईवीएम के जगह बैलेट पेपर की मांग करते हुए ‘‘ईवीएम हटाओ, बैलेट पेपर लाओ, लोकतंत्र बचाओ’’ का अभियान देशभर में चलाया। इस अभियान के तहत वामन मेश्राम ने 5 करोड़ लोगों का ईवीएम के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान चलाया और घोषणा किया कि सुप्रीम कोर्ट भले ही हमारे पक्ष में फैसला देते हुए चुनाव आयोग को ईवीएम में पेपर ट्रेल (वीवी पैट) लगाने का आदेश दिया है, लेकिन पेपर ट्रेल पर भी हमारा यकीन नहीं है। इसलिए हम ईवीएम को खत्म करके उसके स्थान पर बैलेट पेपर से चुनाव की मांग करते हैं। यदि सरकार बैलेट पेपर के लिए राजी नहीं होती है तो हम आगामी लोकसभा चुनाव 2019 में ईवीएम तोड़ो का अभियान चलायेंगे।
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