योगी आदित्यनाथ पर मर्डर के आरोप में दफा 302 सहित कई धाराओं में दर्ज हैं 5 बड़े मुकदमे, दोषी साबित होने पर सजा-ए-मौत भी संभव
शनिवार को उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने योगी आदित्यनाथ को विधायक दल का नेता चुना था।
जनसत्ता ऑनलाइन March 19,
2017 15:40 pm
अपनी फायरब्रांड इमेज
के लिए मशहूर
इस बीजेपी सांसद
ने कई एेसे
विवादित बयान दिए हैं,
जिससे लोगों में
उनकी इमेज एक
कट्टर हिंदूवादी नेता
की बन गई
है।
आज
उत्तर प्रदेश के
मुख्यमंत्री के तौर पर
शपथ लेने जा
रहे योगी आदित्यनाथ का
विवादों से पुराना नाता
रहा है। अपनी
फायरब्रांड इमेज के लिए
मशहूर इस बीजेपी
सांसद ने कई
एेसे विवादित बयान
दिए हैं, जिससे
लोगों में उनकी
इमेज एक कट्टर
हिंदूवादी नेता की बन
गई है। लेकिन
इन सबसे अलग
उनके ऊपर कई
आपराधिक धाराओं में मुकदमे
दर्ज हैं। अगर
बात उनके 2014 लोकसभा
चुनावों में दाखिल हलफनामे की
करें तो इसमें
योगी ने अपने
ऊपर लगे सभी
मामलों के बारे
में जानकारी दी
है। आइए आपको
बताते हैं इन
मामलों और उनमें
होने वाली सजा
के बारे में:
1999: उत्तर
प्रदेश के नए
मुख्यमंत्री पर इस साल
महाराजगंज जिले में आईपीसी
की धारा 147 (दंगे
के लिए दंड),
148 (घातक
हथियार से दंगे),
295 (किसी
समुदाय के पूजा
स्थल का अपमान
करना), 297 (कब्रिस्तानों पर अतिक्रमण), 153A (धर्म, जाति,
जन्म स्थान, निवास,
भाषा आदि के
आधार पर विभिन्न समूहों
के बीच दुश्मनी को
बढ़ावा देना), 307 (हत्या का
प्रयास) और 506 (आपराधिक धमकी
के लिए दंड)
के मामले दर्ज
हुए थे। पुलिस
ने इन मामलों
में क्लोजर रिपोर्ट तो
साल 2000 में ही
दाखिल कर दी
थी, लेकिन स्थानीय अदालत
का फैसला आना
अभी बाकी है।
1999: यहां
भी मामला महाराजगंज का
ही है, जहां
उन पर धारा
302 (मौत
की सजा) के
तहत मामला दर्ज
किया गया था।
इसके अलावा 307 (हत्या
का प्रयास) 504 (शांति भंग
करने के इरादे
से जानबूझकर अपमान)
और 427 (पचास रुपये
की राशि को
नुकसान पहुंचाते हुए
शरारत) के तहत
भी उन पर
मामला दर्ज हुआ
था। पुलिस ने
2000 में
ही क्लोजर रिपोर्ट फाइल
कर दी थी,
लेकिन फैसला आना
बाकी है।
1999: इसी
साल महाराजगंज में
उन पर आईपीसी
की धारा 147 (दंगे
के लिए दंड),
148 (घातक
हथियार से दंगे),
149, 307, 336 (दूसरों
के जीवन को
खतरे में डालना),
504 (शांति
भंग करने के
इरादे से जानबूझकर अपमान)
और 427 (पचास रुपये
की राशि को
नुकसान पहुंचाते हुए
शरारत) के तहत
मामले दर्ज किए
गए। एफिडेविट के
मुताबिक पुलिस ने क्लोजर
रिपोर्ट दाखिल कर दी
थी, लेकिन फैसला
आना बाकी है।
2006: गोरखपुर में
उन पर आईपीसी
की धारा 147, 148, 133A (उपद्रव को
हटाने के लिए
सशर्त आदेश), 285 (आग या
दहनशील पदार्थ के
संबंध में लापरवाही), 297 (कब्रिस्तानों पर
अतिक्रमण) के तहत मामला
दर्ज किया गया
था। यहां भी
पुलिस ने क्लोजर
रिपोर्ट दाखिल कर दी
थी, लेकिन फैसला
अभी नहीं आया।
2007: गोरखपुर के
एक अन्य मामले
में वह जमानत
पर रिहा हैं।
यहां उन्हें धारा
147, 133A, 295, 297, 435 (100 रुपये की
राशि को नुकसान
पहुंचाने के इरादे से
आग या विस्फोटक द्रव्य
द्वारा शरारत) और
506 के
तहत मामला दर्ज
किया गया था।
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