युग, विप्र और द्विज (कल्पित/फारवर्ड)
(1) सतयुग :- जिस युग में केवल ब्राह्मण ही पढ़-लिख सकता था, इसलिए वह जो बोलता था, वही सत्य समझा जाता था इसलिये उसे सतयुग कहते थे।
(2) द्वापर :- जिस युग में ब्राह्मण के साथ-साथ क्षत्रिय भी पढ़ने लगे अर्थात दो वर्ण पढ़ने लगे इसलिये उसे द्वापर युग कहते थे।
(3) त्रेतायुग :- जिस युग में बाह्मण, क्षत्रिय और वैश्य अर्थात तीनों वर्ण पढ़ने लगे, इसलिये उसे त्रेतायुग कहते थे।
(4) कलयुग :- जिस युग में ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य के साथ-साथ शूद्र/अतिशूद्र भी पढ़ने लगे इसलिये इसे कलयुग अर्थात अशुभ/अधर्म/पाप का युग कहने लगे, जबकि यह कलयुग नहीं कलमयुग है। शिक्षा के दरवाजे ब्रिटिश राज में खुलने शुरू हुए।
👉विप्र
:- ब्राह्मण अपने आप स्वयं कहते हैं कि हम विदेशी लोग हैं और यहां आकर
प्रस्थापित हुए हैं। ब्राह्मण अपने आप को 'विप्र' कहता है जिसका अर्थ है कि
वि+प्र = विदेशी प्रस्थापित, जिसका मतलब होता है विदेश से यहाँ आकर
बसना/स्थापित होना। बामसेफ की बदौलत अब कुछ लोग समझ पा रहे हैं कि ब्राह्मण
विदेशी है।
👉द्विज
:- द्विज अर्थात द्वि = दोबारा/पुनः , ज = जन्म लेना, जम जाना/बस जाना।
वाकई में ब्राह्मण डीएनए के अनुसार यूरेशिया से यहाँ भारत में आये और आने
के बाद यहाँ के लोगों को गुलाम बनाकर स्वयं शासक भी बन गये अर्थात प्राथमिक
स्तर पर आये और द्वितीय स्तर पर यहाँ के शासक भी बने अर्थात जड़ें जमां कर
रहने लगे। दो बार तो वही जीव-जन्तु जन्म लेते हैं जिनका जन्म अंडे के
द्वारा होता है अर्थात एक बार अंडा और दूसरी बार अंडे से बच्चा, जबकि बताया
यह जाता है कि जब बच्चे का विद्यारंभ संस्कार होता है तब उसका दोबारा जन्म
होता है और सभी/कुल 16संस्कार तो केवल ब्राह्मण के ही होते हैं इसलिए
ब्राह्मणों को द्विज कहा जाता है।
(1) सतयुग :- जिस युग में केवल ब्राह्मण ही पढ़-लिख सकता था, इसलिए वह जो बोलता था, वही सत्य समझा जाता था इसलिये उसे सतयुग कहते थे।
(2) द्वापर :- जिस युग में ब्राह्मण के साथ-साथ क्षत्रिय भी पढ़ने लगे अर्थात दो वर्ण पढ़ने लगे इसलिये उसे द्वापर युग कहते थे।
(3) त्रेतायुग :- जिस युग में बाह्मण, क्षत्रिय और वैश्य अर्थात तीनों वर्ण पढ़ने लगे, इसलिये उसे त्रेतायुग कहते थे।
(4) कलयुग :- जिस युग में ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य के साथ-साथ शूद्र/अतिशूद्र भी पढ़ने लगे इसलिये इसे कलयुग अर्थात अशुभ/अधर्म/पाप का युग कहने लगे, जबकि यह कलयुग नहीं कलमयुग है। शिक्षा के दरवाजे ब्रिटिश राज में खुलने शुरू हुए।


नवबुद्ध लिखने से अनुसूचित जाति के लाभ मिलता है कि नहीं उत्तर प्रदेश में नवबुद्ध किस वर्ग में शामिल किया गया है
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