बुधवार, 18 अक्तूबर 2017

अब तक हुए बम ब्लास्ट के पीछे, संघ का आतंकी कनेक्शन


अब तक हुए बम ब्लास्ट के पीछे का काला सच, जानिये संघ का आतंकी कनेक्शन!

हेमंत करकरे एक जांबाज अफसर जिसने पुरी दुनिया के सामने भारत में हुई बम धमाकोंकी पोल खोल दी …

देश में जितने भी जगह बम ब्लास्ट हुए वे सारे के सारे आरएसएस या आरएसएस से जुड़े लोगो ने ही करवाए। असित चटर्जी उर्फ़ असिमानद ने कन्फेशन में कहा की देश भर में जितने बं ब्लास्ट हुए वे सारे के सारे आरएसएस ने ही करवाए !! मगर सत्ता में बैठी कांग्रेस ने उन सारे आतंकवादियों को बचाया क्यों की मोहन भागवत को वह बचा रहे थे !कांग्रेस ने ही तो आरएसएस को १९२५ में पैदा किया था ना !कांग्रेस बीजेपी आरएसएस एक ही है !!
पर जब जांच शुरू की करकरे वे कर्नल प्रसाद पुरोहित और दयानंद पांडे lephtanata करने के लिए 3 से एक लैपटॉप जब्त कर लिया गया 2008 के मालेगांव बम विस्फोट। यह जानकारी एक हिंदू राष्ट्र की ब्लू प्रिंट तंग आ गया था।

उसमे आरएसएस के द्वारा ही चलाये जा रहे अभिनव भारत के असंख्य गुप्त मीटिंग्स के वीडियो , ओडिवो रिकॉर्डिंग थे। उसके अनुसार उन ब्राम्हणी आतंकवादियों मीटिंगे delhi ,जम्मू,कलकत्ता ,फरीदाबाद,भोपाल,इंदौर ,जबलपुर,नासिक ,पुणे ,देवळाली इन पर गुप्त मीटिंगे हुयी !उन ३ लैपटॉप में ४८ पार्ट है जिसमे २४ विडीवो और २४ ओडिवो है। उसमे से केवल ४ या ५ भागो का ही सामने जिक्र आता है बाकी ढेर सारी बाते सामने अभी तक आयी नहीं है।
भारत में छाहे कांग्रेस आये या बीजेपी RSS नोकरशाही के होने के कारण RSS आतंकवाद को बढ़ावा देते है क्यों की इसी से संघियो का भारत पर और लोकतंत्र पर नाजायज कब्जा हो जाता है। जो भी जाँच एजंसियां है उनमे भी उन्हीका नियंत्रण है ! नाजायज तरीके से कब्ज़ा किया है। आयबी और एटीएस ,NIA पर भी आरएसएस ने कब्ज़ा किया है। २६ – ११ का जो हमला हुआ था उसमे आरएसएस का भी हाथ था और इसी में जो मालेगाव बम ब्लास्ट की तहकीकात कर रहे अधिकारियो की हत्याए भी कर दी गयी और इस काम के लिए कांग्रेस ने आरएसएस को मदत किया !! कांग्रेस के संघी कितने महान होगे इसकी आप कल्पना करो !!

कई जगह पर बम ब्लास्ट हुए उसमे से १७ जगह के बम ब्लास्ट के मामले के चार्ज शीट कोर्ट में दायर हुए है वे सारे के सारे आरएसएस पर हुए है।
जानकारी सामने आयी है पुरोहित को बचाया जा रहा है !! क्लीन चिट दी जा रही है !! शेम शेम !!
क्या हम भारत में रहते है ? क्या भारत में लोकतंत्र है ?

उन १७ जगह की कोर्ट में दायर चार्ज शीट अनुसार आरएसएस आतंकवादी संघठन है जानकारी :
आरएसएस , अभिनव भारत और वन्दे मातरम के संघियो ने किये बम ब्लास्टः
१ अजमेर शरीफ ,राजस्थान २००६
२ मक्का मस्जित ,आंध्र प्रदेश ,हैदराबाद २००६
३ समझौता एक्सप्रेस २००६
4 मालेगांव, महाराष्ट्र, 2006
महाराष्ट्र 5, 2008 में मालेगांव
६ मोडासा ,गुजरात २००८
आरएसएस और बजरंग दलों के द्वारा किये गए बम ब्लास्ट :
७ नांदेड़ ,महाराष्ट्र २००६
८ परभणी ,महाराष्ट्र २००३
9 जाला, महाराष्ट्र 2004
१० पूर्णा , महाराष्ट्र २००४
११ कानपुर , उप , २००८
आरएसएस के द्वारा किये गए बम ब्लास्ट
१२ कन्नूर , केरल , २००८
१३ तेन काशी , तमिलनाडु २००८
१४ पनवेल , महाराष्ट्र, २००८
सनातन संस्था के द्वारा किये गए बम ब्लास्ट :
१५ ठाणे , महाराष्ट्र , २००८
१६ वाशी , नवी मंबई , महाराष्ट्र
१७ मडगाव , गोवा , २०१०
अब इन बम ब्लास्ट में शामिल ब्राम्हणो की लिस्ट :
१ सुनील जोशी – मऊ , मध्य प्रदेश का आरएसएस का प्रचार प्रमुख १९९० से २००३
२ संदीप डांगे – आरएसएस का प्रचार प्रमुख :शाजापुर , मध्य प्रदेश , २००५ से २००८
३ देवेन्द्र गुप्ता जामताड़ा झारखण्ड का आरएसएस का जिला प्रचार प्रमुख
४ लोकेश शर्मा -आरएसएस का नगर कार्यवाहक देवगढ़।
५ चंद्रकांत लावे – आरएसएस का जिला प्रचार प्रमुख :शाजापुर , मध्य प्रदेश , २००८ से २०१०
६ स्वामी असिमांंनन्द – आरएसएस का सबसे पुराना और सर्वोच्च नेता।
७ राजेंद्र उर्फ़ समुन्दर – आरएसएस वर्ग विस्तारक।
८ मुकेश वासनी -गोधरा का आरएसएस का कार्यकर्त्ता
९ रामजी कालसांगरा – आरएसएस का कार्यकर्त्ता
१० कमल चौहांन – आरएसएस का कार्यकर्ता
११ साध्वी Pradnya सिँघ ठाकुर , आरएसएस की कार्यकर्ता जो वन्दे मातरम और अभिनव भारत से जुडी है !
१२ राजेंद्र चौधरी उर्फ़ रामबालक दास -आरएसएस का कार्यकर्ता
१३ धन सिंह उर्फ़ लक्ष्मण – आरएसएस का कार्यकर्ता
१४ राम मनोहर कुमार सिंह
१५ तेज राम उर्फ़ रामजी उर्फ़ रामचन्द्र कालसांगरा – आरएसएस का कार्यकर्त्ता
१६ संदीप उपाध्याय उर्फ़ संदीप डांगे – आरएसएस
१७ सुनील जोशी – आरएसएस
१८ राहुल पाण्डे – आरएसएस
१९ डॉ उमेश देशपांडे – आरएसएस
२० संजय चौधरी
21 हिमांशु पानसे -
22 रामदॉस mulange
२३ नरेश राजकोंडावर
२४ योगेश विदुलकर
२५ मारुती वाघ
२६ गुरुराज तुप्तेवर
27 मिलिंद एक्बोट
२८ मलेगोंडा पाटिल ( जो गोवा में बम ब्लास्ट के साथ ही मारा गया , यह पिछड़े वर्ग का है और उसका इस्तेमाल आरएसएस ने किया )
२९ योगेश नाईक
३० विजय तलेकर
३१ विनायक पाटिल
32 प्रशांत juvekar
३३ सारंग कुलकर्णी
34 dhanajaya ashtekar
३५ दिलीप मंगोंकर
३६ जयप्रकाश उर्फ़ अन्ना
३७ रूद्र पाटिल
38 प्रशांत ashtekar
३९ रमेश गडकरी -सनातन संस्था
४० विक्रम भावे – सनातन संस्था

पिछले साल आरएसएस ने मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में भी बम ब्लास्ट किया था जिसमे २०० से ज्यादा लोग टमाटर की तरह फटकर मारे गए। mp में बीजेपी आरएसएस की सत्ता है उस मसले को आरएसएस ने दबाया !
देश भर में आरएसएस बम ब्लास्ट कर रही है।

तथाकथित आज़ादी के ६८ साल के सालो में ६४ हज़ार फसाद हुए जिससे sc ,st obc का धार्मिक धुरुवीकरन करके हिन्दू के नाम पर इस्तेमाल किया और कांग्रेस को डर के मारे मुस्लिमो ने वोट दिया !

इससे कांग्रेस और बीजेपी का सत्ता और विपक्ष पर कब्ज़ा हुआ।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट कहती है की भारत में मुसलमान काम जेल में ज्यादा रहते है !!
अभी की सरकारी ताजा रिपोर्ट के अनुसार sc ,st ,obc ,मुस्लिम के ८५ प्रतिशत लोगो के ६७ प्रतिशत लोग जबरन जेलो में है !!
अब तो समझ में आया राष्ट्रव्यापी जनांदोलन के अलावा कोई विकल्प है ?
सभी भारतीय  जनता ध्यान रखे की  *सबसे बड़े आतंकवादी RSS , BJP , VHP , ABVP , congress , शिवसेना  के ब्राह्मण लोग है*  !!


Social Media पर एक video घूम रहा है,
जिसमे,कुछ तथाकथित उच्च जात के लोग,
शूद्रों (पिछड़ो) और दलितों (अछूत) को नंगा करके गांव में ढोल बजाते हुए घुमा रहे है,
इस भीड़ में जवानों के साथ-साथ बच्चे भी शामिल है,
सब ठहाके लगा रहे है,
लड़की-लड़के को पहले नंगा किया जाता है,फिर नंगी लड़की को लड़के के कंधे पर बिठा कर पूरे गाँव मे घुमाया जाता है,
फिर लड़की से कहा जाता है,की वो लड़के को अपने कंधे पर बिठाए,
जब लड़की ऐसा नही कर पाती तो हिन्दू सभ्यता (ब्राह्मण सभ्यता) के रक्षक उसे डंडों से मारते है,
Video #गुजरात_के_किसी_गाँव का है,

"डोल गवार शूद्र पशु और नारी सब ताड़न के अधिकारी"।।
ये पक्ति विदेशी आर्य ब्राह्मणों ने अपने धर्म ग्रंथों मे लिखी जिसे बे खुद बनाया हुआ कानून बताते हैं और सदियों तक कानून तौर पर उपयोग किया है मूलनिवासी बहुजन पर और महिलाओं पर अन्याय अत्याचार करके, इस वीडियो को देख कर मानवता का कत्ल और मानवता का बलात्कार होता हुआ देख सकते हैं, वीडियो इतना भयानक और भीभत्सह है कि कोई देख नही सकता।।  हालांकि भारत में बहुजन मूलनिवासिओ और महिलाओं के साथ ये पहली बार नही हुआ लाखो करोडो बार हुआ, उनके दुख दर्द पीडा ना कोई देखने वाला हुआ ना कोई सुनने वाला, यही विदेशी आर्य ब्राह्मणों की सनातनी परम्परागत संस्कृति है लेकिन आज social media के माध्यम से ऐसी घटनाएं हमारे सामने आ जाती है जो देहातों गांवो मे होती है जहां दबे कुचले अछूत गरीब को दबा कर खूब बधुआ गुलाम बनाकर आज भी भारत में विदेशी आर्य बांमन बनिए रांडपूतो खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं।।


ऐसी घटनाओं पर पूरा विदेशी आर्य बांमन बनिए रांडपूतो लोग मुंह बंद कर चुप्पी साध लेता है भारत का मीडिया ऐसी घटनाओं को बांमन बनिए रांडपूतो की बांमन संस्कृति क्रूर संस्कृति का हिस्सा समझ कर इग्नोर करता है क्यूंकि मीडिया पर विदेशी आर्य बांमन बनिए रांडपूतो का एकाधिकार है।।


 *भारत : क्या आपको पता है ?*

- भारत के लगभग सभी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया वाले अपनी रिपोर्ट में अपने देश का नाम हिन्दुस्तान बोल रहे हैं। गत दो- तीन वर्षों में न्यूज चैनल वाले अपने देश का नाम ही भूल गए हैं ?

- विश्व में हिन्दुस्तान नाम का कोई देश नहीं है।

- केन्द्रीय सरकार अपने सभी पत्रावलियों में *"भारत सरकार"* ही लिखती है। आपने कहीं पर भी "हिन्दुस्तान सरकार" लिखा हुआ देखा है ?

- आप मुम्बई को मुंबई में रहकर बम्बई या बोंबे, चेन्नई को मद्रास बोल सकते हैं ? किसी की भी हिम्मत नहीं है, लेकिन भारत में रहकर हिन्दुस्तान बोलने पर कोई कुछ नहीं कहेगा।

- यदि सरकारी दस्तावेजों,नौकरी, विदेश में देश का नाम लिखना हो तो जिनके खून में भी भारत का नाम हिन्दुस्तान बोलने की आदत है वो भी गरज के समय *"भारत"* ही लिखते है। हिन्दुस्तान लिखने की हिम्मत नहीं होती है।

-  किसी भी जगह जहाँ पर नागरिकता बतानी होती है वहाँ पर *"भारतीय"* ही लिखते हैं। किसी को हिन्दुस्तानी लिखते हुए देखा है ?
-
-  भारत के संविधान की उद्देशिका के प्रारंभ में ही *"हम भारत के लोग...."* लिखकर संबोधित किया गया है, कहीं पर भी "हम हिन्दुस्तान के लोग" जैसे असंवैधानिक शब्द का उपयोग नहीं किया गया है।

-- भारत के संविधान में अंग्रेजी नाम INDIA का हिन्दी शब्द *"भारत"* लिखा गया है। INDIA that is BHARAT. हिन्दुस्तान कहीं नहीं लिखा है।

- भारत में विद्यालयों में बोली जाने वाली, पुस्तकों के पीछे प्रकाशित प्रतिज्ञा में भी *"भारत मेरा देश है"* ही लिखा हुआ है कहीं पर भी "हिन्दुस्तान मेरा देश है" लिखा हुआ नहीं मिलेगा।

इतना सब प्रमाणिक है और देश का नाम हमारा गर्व है तो फिर हमारे देश का गलत नाम "हिन्दुस्तान" बोलने में हमें शर्म नहीं आनी चाहिए ?
सोचें.......!

सरकार को अपने स्तर से ही एक आदेश जारी करना चाहिए कि कोई भी जन संचार के साधन (अखबार, टीवी चैनल,रेडियो,पत्र पत्रिकाओं)  अपने देश का नाम *भारत* ही लिखेगा,उच्चारित करेगा। यही हमारे देश भारत के प्रति हमारी सच्ची निष्ठा है।



 *जो Sc St Obc अपने आपको हिन्दू समझते है वे ध्यान दे ।*

एक मंदिर में बिना नहाए भी जा सकता है दूसरा नहा-धोकर भी मंदिर में नहीं घुस सकता,
तो दोनों कैसे हिन्दू हैं ?
एक का पाँव पूजने का और दूसरे की पीठ पूजने का ग्रंथ आदेश देते हैं,
तो दोनों कैसे हिन्दू हैं ?

कोई आरक्षण वाला है कोई आरक्षण वाला नहीं है,
 तो दोनों कैसे हिन्दू हैं ?

एक आरक्षण से सहमत है दूसरा आरक्षण का विरोधी है,
तो दोनों कैसे हिन्दू हैं ?

एक कायम उच्च है और एक कायम निम्न है,
 तो दोनों कैसे हिन्दू हैं ?

एक लगातार सत्ता में रहता है दूसरा लगातार सत्ता से बाहर है,
 तो दोनों कैसे हिन्दू हैं ?

एक सभी संवैधानिक पदों पर है दूसरा वैधानिक हक से भी वंचित है ,
तो दोनों कैसे हिन्दू हैं ?

*हिन्दू धर्म है या सत्ता पाने का एक राजनीतिक षड्यंत्र है ?*

हिन्दू होकर भी हिन्दू, हिन्दू को अपनी बेटी नहीं देता
है ।
हिन्दू होकर, हिन्दू, हिन्दू को अपनी थाली में रोटी
नहीं देता है ।
हिन्दू होकर भी हिन्दू, हिन्दू को मान नहीं देता,
सम्मान नहीं देता,
हिन्दू होकर, हिन्दू, हिन्दू के ही अधिकार छीन लेता है ।
हिन्दू होकर, हिन्दू, हिन्दू गरीबों का पेट काट लेता है ।
हिन्दू होकर, हिन्दू, हिन्दू के बच्चों से स्कूल-कालेजों में
भेदभाव करता है ।
हिन्दू होकर, हिन्दू, हिन्दू को ही शासन-सत्ता में आगे
बढ़ते नहीं देखना चाहता है ।
हिन्दू होकर, हिन्दू, हिन्दू के ही बाल-बच्चो का गला
काट देता है ।
हिन्दू होकर, हिन्दू, हिन्दू की काबिलियत पर ऊँगली
उठाता है ।
हिन्दू होकर ही हिन्दू, हिन्दू को एक समान अपने जैसा
इंसान होने का दर्जा नहीं देता है अपने को उच दूसरे ओर नीच समझता है ।
ये कैसा हिन्दू है और कैसा इसका हिन्दू धर्म है❓

*ये धर्म नहीं, स्वार्थ का पुलिन्दा है, सिर्फ जातियों का एक झुंड है और बहुजनों को गुलाम बनाए रखने की साजिश है ।*

*हम हिन्दू ना थे , ना है , हम सिर्फ एक षड्यंत्र के शिकार है।*
✒जब तक तुम हिन्दू रहोगे तुम्हारा स्थान सबसे नीचा रहेगा।
✒ तुम हिन्दू कभी नहीं थे, तुम आज भी हिन्दू नहीं हो।
✒ तुम हिन्दू धर्म के गुलाम हो।
✒ तुम्हें धर्म का भी गुलाम बना लिया गया है।
✒ हिन्दू धर्म छोड़ना धर्म परिवर्तन नहीं बल्कि गुलामी की जंजीरे तोड़ना है।
जाति के अधार पर किसी को ऊँचा मानना पाप है और नीचा मानना महापाप।
✒ हिन्दू धर्म की आत्मा वर्ण जाती और ब्रह्मण हितेषी कर्मकांडो मैं है।
✒ वर्ण और जाति के बिना हिन्दू धर्म की कल्पना ही नहीं की जा सकती है।
✒ हिन्दू धर्म वर्णों का है तुम किसी भी वर्ण में नहीं आते हो, जबरदस्ती सबसे नीचे वर्ण में रखा गया है।
✒ हिन्दू धर्म के कर्मकांडों को तुम्हे नहीं करने दिया गया और तुम नहीं कर सकते हो।
✒ हिन्दु धर्म के भगवान उनके अवतार और उनके देवी देवता ना तो तुम्हारे हैं और न तुम उनके हो।
✒ इसलिए वे तुम्हारे साये से भी परहेज करते आये हैं और आज भी कर रहे हैं।
✒ कुत्ते बिल्ली की पेशाब से उन्हें कोई परहेज नहीं है परन्तु तुम्हारे द्वारा दिए गए गंगा जल से अपवित्र
हो जाते हैं।
✒ उनकी पुनः शुद्धि गाय के मल-मूत्र से होती है।
✒याद रखो हिन्दू धर्म के देवी देवता ही तुम्हारे पूर्वजों के हत्यारे हैं।
✒धर्म मनुष्य के लिए है मनुष्य धर्म के लिए नहीं और जो धर्म तुम्हें इन्सान नही समझता वह धर्म नहीं अधर्म का बोझ है।
✒जहाँ ऊँच और नीच की व्यवस्था है, वह धर्म नही, गुलाम बनाये रखने की साजिश है।
✒ हिन्दू धर्म मे कर्म नहीं जाति प्रधान है।

बाबा साहेब के नाम विश्व में हर रिकार्ड


विश्व में हर रिकार्ड बाबा साहेब के नाम

इसको इतना SHARE करें ता कि सभी लोगों बाबा साहेब के बारे मे जान सकें....
1. भारत के सबसे पढे व्यक्ति
2. सबसे ज्यादा किताब लिखने वाले
3. सबसे तेज स्पीड से ज्यादा टाईप करने वाले
4. सबसे ज्यादा शब्द टाईप करने वाले
5. सबसे ज्यादा आंदोलन करें
6. महिला अधिकार के लिए संसद में इस्तीफा देने वाले
7. दलित, पिछडो के हको को दिलाने वाले
8. हिन्दू धर्म के ग्रन्थ मनुस्मर्ति को चोराहे पर जलाने वाले
9. जातिवाद को समाप्त करने के लिए पंडतानि से sadi करने वाले
10. गरीब मज़लूमो के हको के लिए 4 बच्चे कुर्बान करने वाले
11. 2 लाख किताबो को पढ़कर याद रखने वाले
12. भारत का सविधान लिखा
13. पूना पैक्ट लिखा
14. मूक नायक पत्रिका निकाली
15. बहिस्किरत समाचार पत्र निकाला
16. सबसे तेज लिखने वाले
17. दोनों हाथो से लिखने वाले
18. ग़ांधी जी को जीवन दान देने वाले
19. सबसे काबिल बैरिस्टर
20. मुम्बई के सेठ के बेटे को फर्जी मुक़दमे से बरी कराने वाले
21. योग करने वाले
22. सबसे ईमानदार
23. 18 से 20 घंटे पढ़ने वाले
24. सरदार पटेल को obc का मतलब समझने वाले
25. स्कूल के बहार बैठकर और अपमान सहकर उच्च शिक्षा पाने वाले
25. हम सबकी भलाई के लिए पत्नी रमाबाई को खोने वाले .........
.
दिल से जय भीम
.

*बाबा साहब डॉ.भीमराव रामजी अम्बेडकर*
(एक संक्षिप्त परिचय)

🌀डॉ.बाबासाहब अंबेडकर 9 भाषाएँ जानते थे।
1) मराठी (मातृभाषा)
2) हिन्दी
3) संस्कृत
4) गुजराती
5) अंग्रेज़ी
6) पारसी
7) जर्मन
8) फ्रेंच
9) पाली

 उन्होंने पाली व्याकरण और शब्दकोष (डिक्शनरी) भी लिखी थी, जो महाराष्ट्र सरकार ने "Dr.Babasaheb Ambedkar Writing and
Speeches Vol.16 "में प्रकाशित की हैं।

🔹 बाबासाहब अंबेडकर जी ने संसद में पेश किए हुए विधेयक

1) महार वेतन बिल
2) हिन्दू कोड बिल
3) जनप्रतिनिधि बिल
4) खोती बिल
5) मंत्रीओं का वेतन बिल
6) मजदूरों के लिए वेतन (सैलरी) बिल
7) रोजगार विनिमय सेवा
8) पेंशन बिल
9) भविष्य निर्वाह निधी (पी.एफ्.)

🔹 बाबासाहब के सत्याग्रह (आंदोलन)

1) महाड आंदोलन 20/3/1927
2) मोहाली (धुले) आंदोलन 12/2/1939
3) अंबादेवी मंदिर आंदोलन 26/7/1927
4) पुणे कौन्सिल आंदोलन 4/6/1946
5) पर्वती आंदोलन 22/9/1929
6) नागपूर आंदोलन 3/9/1946
7) कालाराम मंदिर आंदोलन 2/3/1930
8) लखनौ आंदोलन 2/3/1947
9) मुखेड का आंदोलन 23/9/1931

🔹बाबासाहब अंबेडकर द्वारा स्थापित सामाजिक संघटन

1) बहिष्कृत हितकारिणी सभा - 20 जुलै 1924
2) समता सैनिक दल - 3 मार्च 1927

🔹राजनीतिक संघटन
1) स्वतंत्र मजदूर पार्टी - 16 अगस्त 1936
2) शेड्युल्ड कास्ट फेडरेशन- 19 जुलै 1942
3) रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया- 3 अक्तूबर 1957

🔹धार्मिक संघटन
1) भारतीय बौद्ध महासभा -
4 मई 1955

🔹शैक्षणिक संघटन
1) डिप्रेस क्लास एज्युकेशन सोसायटी- 14 जून 1928
2) पीपल्स एज्युकेशन सोसायटी- 8 जुलै 1945
3) सिद्धार्थ काॅलेज, मुंबई- 20 जून 1946
4) मिलींद काॅलेज, औरंगाबाद- 1 जून 1950

🔹अखबार, पत्रिकाएँ
1) मूकनायक- 31 जनवरी 1920
2) बहिष्कृत भारत- 3 अप्रैल 1927
3) समता- 29 जून 1928
4) जनता- 24 नवंबर 1930
5) प्रबुद्ध भारत- 4 फरवरी 1956

🔹बाबासाहब अंबेडकर जी ने अपने जिवन में विभिन्न विषयों पर 527 से ज्यादा भाषण दिए।

🔹बाबासाहब अंबेडकर को प्राप्त सम्मान

1) भारतरत्न
2) The Greatest Man in the World (Columbia University)
3) The Universe Maker (Oxford University)
4) The Greatest Indian (CNN IBN & History Tv

🔹बाबासाहब अंबेडकर जी इनकी
निजी किताबें (उनके पास थी)
1) अंग्रेजी साहित्य- 1300 किताबें
2) राजनिती- 3,000 किताबें
3) युद्धशास्त्र- 300 किताबें
4) अर्थशास्त्र- 1100 किताबें
5) इतिहास- 2,600 किताबें
6) धर्म- 2000 किताबें
7) कानून- 5,000 किताबें
8) संस्कृत- 200 किताबें
9) मराठी- 800 किताबें
10) हिन्दी- 500 किताबें
11) तत्वज्ञान (फिलाॅसाफी)- 600 किताबें
12) रिपोर्ट- 1,000
13) संदर्भ साहित्य (रेफरेंस बुक्स)- 400 किताबें
14) पत्र और भाषण- 600
15) जिवनीयाँ (बायोग्राफी)- 1200
16) एनसाक्लोपिडिया ऑफ ब्रिटेनिका- 1 से 29 खंड
17) एनसाक्लोपिडिया ऑफ सोशल सायंस- 1 से 15 खंड
18) कैथाॅलिक एनसाक्लोपिडिया- 1 से 12 खंड
19) एनसाक्लोपिडिया ऑफ एज्युकेशन
20) हिस्टोरियन्स् हिस्ट्री ऑफ दि वर्ल्ड- 1 से 25 खंड
21) दिल्ली में रखी गई किताबें-
बुद्ध धम्म,
पालि साहित्य,
मराठी साहित्य- 2000 किताबें
22) बाकी विषयों की 2305 किताबें

🔹बाबासाहब जब अमेरिका से भारत लौट आए तब एक बोट दुर्घटना में उनकी सैंकडो किताबें समंदर मे डूबी।

🔹बाबासाहब अंबेडकर जी
1) महान समाजशास्त्री
2) महान अर्थशास्त्री
3) संविधान शिल्पी
4) आधुनिक भारत के मसिहा
5) इतिहास के ज्ञाता और रचियाता
6) मानवंशशास्त्र के ज्ञाता
7) तत्वज्ञानी (फिलाॅसाॅफर)
8) दलितों के और महिला अधिकारों के मसिहा
9) कानून के ज्ञाता (कानून के विशेषज्ञ)
10) मानवाधिकार के संरक्षक
11) महान लेखक
12) पत्रकार
13) संशोधक
14) पाली साहित्य के महान अभ्यासक (अध्ययनकर्ता)
15) बौध्द साहित्य के अध्ययनकर्ता
16) भारत के पहले कानून मंत्री
17) मजदूरों के मसिहा
18) महान राजनितीज्ञ
19) विज्ञानवादी सोच के समर्थक
20) संस्कृत और हिन्दू साहित्य के गहन अध्ययनकर्ता थे।

🔹बाबासाहब अंबेडकर की कुछ विशेषताएँ

1) पाणी के लिए आंदोलन करनेवाले विश्व के पहल महापुरुष

2) लंदन विश्वविद्यालय के पुरे लाईब्ररी के किताबों की छानबीन कर उसकी
जानकारी रखनेवाले एकमात्र महामानव

3) लंदन विश्वविद्यालय के 200 छात्रों में नंबर 1 का छात्र होने का सम्मान प्राप्त होनेवाले पहले भारतीय

4) विश्व के छह विद्वानों में से एक

5) विश्व में सबसे अधिक पुतले बाबासाहब अंबेडकर जी के हैं।

6) लंदन विश्वविद्यालय मे डी.एस्.सी.
यह उपाधी पानेवाले पहले और आखिरी भारतीय

7) लंदन विश्वविद्यालय का 8 साल का पाठ्यक्रम 3 सालों मे पूरा
करनेवाले महामानव

🔹बाबासाहब अंबेडकर जी के वजह से ही भारत में "रिजर्व बैंक" की स्थापना हुईं।

बाबासाहब डॉ.अंबेडकर जी ने अपने डाॅक्टर ऑफ सायंस के लिए ' दि प्राॅब्लेम ऑफ रूपी' यह शोध प्रबंध भी लिखा था।👑

*Dr.BHIMRAO AMBEDKAR* (1891-1956)
 *B.A., M.A., M.Sc., D.Sc., Ph.D., L.L.D.,*
 D.Litt., Barrister-at-La w.
 B.A.(Bombay University)
 Bachelor of Arts,
 MA.(Columbia university) Master
 Of Arts,
 M.Sc.( London School of
 Economics) Master
 Of Science,
 Ph.D. (Columbia University)
 Doctor of
 philosophy ,
 D.Sc.( London School of
 Economics) Doctor
 of Science ,
 L.L.D.(Columbia University)
 Doctor of
 Laws ,
 D.Litt.( Osmania University)
 Doctor of
 Literature,
 Barrister-at-La w (Gray's Inn,
 London) law
 qualification for a lawyer in
 royal court of
 England.
 Elementary Education, 1902
 Satara,
 Maharashtra
 Matriculation, 1907,
 Elphinstone High
 School, Bombay Persian etc.,
 Inter 1909,Elphinston e
 College,Bombay
 Persian and English
 B.A, 1912 Jan, Elphinstone
 College, Bombay,
 University of Bombay,
 Economics & Political
 Science
 M.A 2-6-1915 Faculty of Political
 Science,
 Columbia University, New York,
 Main-
 Economics
 Ancillaries-Soc iology, History
 Philosophy,
 Anthropology, Politics
 Ph.D 1917 Faculty of Political
 Science,
 Columbia University, New York,
 'The
 National Divident of India - A
 Historical and
 Analytical Study'
 M.Sc 1921 June London School
 of
 Economics, London 'Provincial
 Decentralizatio n of Imperial
 Finance in
 British India'
 Barrister-at- Law 30-9-1920
 Gray's Inn,
 London Law
 D.Sc 1923 Nov London School
 of
 Economics, London 'The
 Problem of the
 Rupee - Its origin and its
 solution' was
 accepted for the degree of D.Sc.
 (Economics).
 L.L.D (Honoris Causa) 5-6-1952
 Columbia
 University, New York For HIS
 achievements,
 Leadership and authoring the
 constitution of
 India
 D.Litt (Honoris Causa)
 12-1-1953 Osmania
 University, Hyderabad For HIS
 achievements,
 Leadership and writing the
 constitution of
 India!

हिंदू नाम का कोई धर्म नही है सिर्फ शोषण का हथियार है।



हिंदू नाम का कोई धर्म नही है… हिन्दू फ़ारसी का शब्द है । हिन्दू शब्द न तो वेद में है, न पुराण में ,न उपनिषद में ,न आरण्यक में ,न रामायण में, न ही महाभारत में । स्वयं दयानन्दसरस्वती कबूल करते हैं कि यह मुगलों द्वारा दी गई गाली है । 1875 में ब्राह्मण दयानन्द सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना की, हिन्दू समाज की नहीं । अनपढ़ ब्राह्मण भी यह बात जानता है । ब्राह्मणो ने स्वयं को हिन्दू कभीनहीं कहा । आज भी वे स्वयं को ब्राह्मण कहते हैं ,लेकिन सभी शूद्रों को हिन्दू कहते हैं । जब शिवाजी हिन्दू थे, और मुगलों के विरोध में लड़ रहे थे ,तथाकथित हिन्दू धर्म के रक्षक थे ,तब भी पूना के ब्राह्मणो ने उन्हें शूद्र कह राजतिलक से इंकार कर दिया । घूस का लालच देकर ब्राह्मण गागाभट्ट को बनारस से बुलाया गया । हिंदू का सच ,गगाभट्ट ने “गागाभट्टी” लिखा ,उसमें उन्हें विदेशी राजपूतों का वंशज बताया तो गया लेकिन ,राजतिलक के दौरान मंत्र “पुराणों” के ही पढे गए, वेदों के नहीं। तो शिवाजी को हिन्दू तब नहीं माना । ब्राह्मणो ने मुगलों से कहा, हम हिन्दू नहीं हैं, बल्कि तुम्हारी तरह ही विदेशी हैं, परिणामतः सारे हिंदुओं पर जज़िया लगाया गया, लेकिन ब्राह्मणो को मुक्त रखा गया । 1920 में ब्रिटेन में वयस्क मताधिकार की चर्चा शुरू हुई । ब्रिटेन में भी दलील दी गई कि वयस्क मताधिकार सिर्फ जमींदारों व करदाताओं को दिया जाए ।
लेकिन लोकतन्त्र की जीत हुई । वयस्क मताधिकार सभी को दिया गया । देर सबेर ब्रिटिश भारत में भी यही होना था । तिलक ने इसका विरोध किया । कहा “तेली,तंबोली ,माली ,कूणबटो को संसद में जाकर क्या हल चलाना है” । ब्राह्मणो ने सोचा ,यदि भारत में वयस्क मताधिकार यदि लागू हुआ तो, अल्पसंख्यक ब्राह्मण मक्खी की तरह फेंक दियेजाएंगे । अल्पसंख्यक ब्राह्मण कभी भी बहुसंख्यक नहीं बन सकेंगे । सत्ता बहुसंख्यकों के हाथों में चली जाएगी । तब सभीब्राह्मणों ने मिलकर 1922 में “हिन्दू महासभा” का गठन किया । जो ब्राह्मण स्वयं को हिन्दू मानने कहने को तैयार नहीं थे, वयस्क मताधिकार से विवश हुये । परिणाम सामने है । भारत के प्रत्येक सत्ता के केंद्र पर ब्राह्मणो का कब्जा है । सरकार में ब्राह्मण,विपक्ष में ब्राह्मण ,कम्युनिस्ट में ब्राह्मण ,ममता ब्राह्मण ,जयललिता ब्राह्मण . 367 एमपी ब्राह्मणो के कब्जों में है । सर्वोच्च न्यायलयों में ब्राह्मणो का कब्जा,ब्यूरोक्रेसी में ब्राह्मणो का कब्जा,मीडिया ,पुलिस ,मिलिटरी ,शिक्षा ,आर्थिक सभी जगह ब्राह्मणो का कब्जा है । एक विदेशी गया तो दूसरा विदेशी सत्ता में आ गया । हम अंग्रेजों के पहले ब्राह्मणो के गुलाम थे अंग्रेजों के जाने के बाद भी ब्राह्मणो के गुलाम हैं । यही वह हिन्दू शब्द है जो न तो वेद में है न पुराण में, न उपनिषद में, न आरण्यक में, न रामायण में ,न ही महाभारत में ।
फिर भी ब्राह्मण हमें हिन्दू कहते हैं । हिन्दू धर्म का विचित्र इतिहास आप भी जाने - मंदोदरी " मेंढकी से पैदा हुई थी ! " श्रंगी ऋषि " " हिरनी से पैदा हुये थे ! - " सीता" " मटकी मे से पैदा हुई थी ! - " गणेश " अपनी माँ के मैल " से पैदा हुये थे ! - " हनुमान " के पिता पवन " कान से पैदा हुये थे ! - हनुमान का पुत्र # मकरध्वज था जो , मछ्ली के मुख से पैदा हुआ था ! - मनु सूर्य के पुत्र थे, उनको छींक आने पर एक लड़का नाक से पैदा हुआ था ! - राजा दशरत की तीन रानियो के चार पुत्र जो, फलो की खीर खाने से पैदा हुये थे - सूर्य कर्ण का पिता था। भला सूर्य सन्तान कैसे पैदा कर सकता है, वो तो आग का गोला है ! " ब्रह्मा के 4 वर्ण यहां वहां से निकले हद है !! " दलित का बनाया हुआ चमड़े का ढोल ,मंदिर में बजाने से मंदिर अपवित्र नहीं होता! " दलित मंदिर में चला जाय तो मंदिर अपवित्र हो जाता है। उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं की , ढोल किस जानवर की चमड़ी से बना है। उनके लिए मरे हुए जानवर की चमड़ी पवित्र है, पर जिन्दा दलित अपवित्र....!! " लानत है ऐसे धर्म पर" ....!!! "
बुद्धिजीवी प्रकाश डाले !! दिमाग की बत्ती जलाओ अंधविश्वास भगाऔ यदि पूजा-पाठ करने से ही बुद्धि और शिक्षा आती तो , पंडों की औलादें ही विश्व में वैज्ञानिक-डॉक्टर-इंजीनियर होती. " वहम् से बचों, अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलवाओ क्योंकि, शिक्षा से ही वैज्ञानिक-डॉक्टर-इंजीनियर और शासक बनते हैं . पूजा-पाठ से नहीं. अतः वहम् का कोई ईलाज नहीं और , शिक्षा का कोई जवाब नहीं. शिक्षित बनो " संगठित रहो " संघर्ष करो " सनातन धर्म मे क्या हुआ ,आप जानते हैं ? इन्द्र ने - गौतम ऋषि की पत्नी "अहिल्या के साथ रेप किया .चन्द्रमा ने अर्क अर्पण करती ब्रहस्पति की पत्नी "तारा के साथ रेप किया .अगस्त्य ऋषि ने सोम की पत्नी "रोहिणी के साथ रेप किया ! ब्रहस्पति ऋषि ने औतथ्य की पत्नी व मरूत की पुत्री "ममता के साथ रेप किया । पराशर ऋषि ने वरुण की पुत्री "काली के साथ रेप किया ! विश्वामित्र ने - अप्सरा "मोहिनी के साथ सम्भोग किया . वरिष्ठ ऋषि ने अक्षमाला के साथ रेप किया ! ययाति ऋषि ने विश्ववाची के साथ रेप किया ! पांडु ने माधुरी के साथ रेप किया । राम के पूर्वज राजा दण्ड ने शुक्राचार्य की पुत्री "अरजा के साथ रेप किया । ब्रह्मा ने अपनी बहिन गायत्री और पुत्री सरस्वती के साथ रेप किया। ऐसी न जानें कितनी घटनाएँ इनके धर्म ग्रन्थों में भरी पढ़ी हैं ,इस पोस्ट को करने का मेरा एक ही मकसद है कि ,मैं हिन्दू धर्म के ठेकेदारों से पूछना चाहता हूँ , इन बलात्कारियों का दहन क्यों नहीँ ? और रावण महान जैसे महा विद्वान, शीलवान व्यक्तित्व का जिसने सीता का अपहरण तो किया पर, कोई शील भंग नहीँ किया, ऐसे नारी को सम्मान देने वाले रावण का दहन आखिर क्यों ? रत्न विचार भगवान से न्याय मिलता तो *न्यायालय नहीं होते। सरस्वती से ज्ञान मिलता तो विद्यालय नहीं होते। दुआओ से काम चलता तो औषधालय नहीं होते। बिन काम किये भाग्य चमकता तो कार्यालय नहीं होते। मंदिर धर्म के दलालों की *निजी दुकान* है, जो कि कुछ *विशेष जाती* के लोगो को ही फायदा पहुँचाने के लिए है। वहाँ वही जाते हैं, जो *दिमाग से गुलाम* होते हैं। सोच बदलो, ये है भारत का असली इतिहास , बाकि सब झूठ है ।
इस पोस्ट के अन्दर दबे हुए इतिहास के पन्ने है। जिसमें *मूलनिवासी द्रविड कौन है? देवी-देवता कौन है?आर्य कौन है?जातिवाद,पूँजीवाद क्या है? आप द्रविड़ शब्द का अर्थ जानते हो? कुछ लोग मेरे ख्याल से नहीं जानते होंगे। उनके लिए मैं संक्षिप्त में जानकारी प्रस्तुत कर रहा हूँ। *द्रविड शब्द सभी ने अपने विद्यार्थी जीवन में अवशय पढ़ा होगा । साथ ही यह भी पढ़ा होगा की भारत देश की सभ्यता आर्य और द्रविड लोगों की मिली-जुली सभ्यता हैl और यह भी पढ़ा होगा की *आर्य बाहर से आये हुए लोग है। हमारे भारतीय इतिहासकार लोगो ने बहुत सारी बातो को दबा दिया हैl भारत में आर्यों का आगमन हुआl ये कौन लोग है? कहाँ से आए?भारत में ये लोग है या नहीl इस बारे में इतिहासकार इतिहास में लिखते नहीं। क्यों? क्योंकी आज भारत देश में इतिहास लिखनेवाले आर्य लोग ही है। लेकिन आप उसे पहचानते नहीं। क्या आपको पता है? आपको शिक्षा कब से मिली ?और आप कौन से वर्ण में आते है? आप इस जाति में क्यों है? आप का इतिहास क्या था? जिस दिन इन बातो को खोजना शुरू करेंगे। आपको उत्तर मिलना शुरू हो जायेगा ।और जब समझ में आएगा तब आपको अहसास होगा की मैं गुलाम हूँ।आर्यों ने हमें घेर रखा हैl अब मैं कुछ करू। क्योंकी द्रविड कोई और नहीं आप ही द्रविड हो।* इतिहास के पन्नोे से *आर्य कोई और नहीं ब्राम्हण,क्षत्रिय,वैश्य ही आर्य है। ये अर्थवा,रथाईस्ट,वास्तारिया जाति के हैl इनका आगमन आज से 4500 साल पहले 2500 ईसा पूर्व भारत में हुआ थाl* ये घुड़-सवारी होते थे और लोहे के तलवार रखते थेl ये अपने साथ गाय भी लेकर आये थे। उस समय *भारत तीन भागो में बटा थाl पश्चिमोत्तर में राजा बलि का राज था। पूर्वोत्तर में राजा शंकर का राज थाl जिसे आप शंकर भगवान कहते होl और दक्षिण में राजा रावण का राज थाl जिसे आप हर साल जलाते हो और खुसिया मनाते होl* आर्य के आगमन के पहले भारत के मूलनिवासी द्रविड लोग थेl उस समय भारत के द्रविड लोग कृषि पशुपालन,पक्के ईटो के घर ,नहाने के लिए स्नानागार, देश-विदेश में ब्यापार ,विज्ञानवादी सोच ,मूर्ती निर्माण कला ,चित्रकारी में कुशल,शांति प्रिय ,एक उन्नत सभ्यता थीl उस समय अन्य देशोसे तुलना करे तो हमारी सभ्यता उनसे काफी विकसित थी।आर्योने सर्वप्रथम राजा बलि के राज में प्रवेश कियाl झुग्गी-झोपडी बनाकर रहने लगेl चोरी-चकारी करना शुरू किया। द्रविड़ो ने राजा से शिकायत कीl द्रविड़ो ने आर्यों को पकड़ कर राजा के सामने हाजिर किये। आर्यों ने पेट का हवाला दियाl राजा बलि दयालु मानवता प्रेमी थे। उसने माफ़ कर दिया और आर्यों के रहने-खाने का बंदोबस्त कर दिया ,और चोरी न करने की सलाह दीl कुछ दिन में राजा और प्रजा के ब्यवहार समझ जाने के बाद आर्यों ने एक योजना बनायीl इसमें *बामन नाम का एक आदमी (जिसे आज विष्णु भगवान कहते है) सभी आर्यों में तेज बुध्दीवान था*l पुरे आर्य ग्रुप के साथ राजा बलि के दरबार पहुचे और कहा राजा साहब हम आपके दरबार में बहुत सुखी हैl पर कुछ और हमें चाहिए दे देते तो बड़ी मेहरबानी होतीl राजा बलि ने कहा मांगो। आर्यों ने कहा राजा साहब हमने सुना है, आपके राज में त्रिवाचा चलता हैl अर्थात तीन वचन। हमें भी त्रिवाचा दीजिये, कही मुकर जायेंगे तो। इस प्रकार आर्यों ने छल-कपट पूर्वक राजा बलि के सामने तीन मांगे रखी। *पहली- राजा साहब हमें ऐसी शिक्षा का अधिकार दो, जिसे चाहे हम दे और न चाहे तो न दे। दूसरी-राजा साहब हमें ऐसा धन का अधिकार दो, जिसे चाहे हम दे न चाहे तो न देl तीसरी- राजा साहब हमें ऐसा राज करने का अधिकार दो, जिसे चाहे उसे राज में बिठाये और न चाहे तो न बिठाये। इसप्रकार आर्यों ने छल-पूर्वक राजा बलि से शिक्षा, धन ,राज करने का अधिकार ले लिए और राज में स्वयं बैठ गए। सैनिक शक्ति में अपने लोगो का कब्ज़ा करवा दिया। फिर राजा बलि को मारकर जमीन में गाढ़ दिया। जिसे कहा जाता है, विष्णु भगवान ने राजा बलि से दान में धरती पर तीन पग जमीन माँगीl ये तीन पग शिक्षा, धन, राज करने का अधिकार हैl जमीन में गाडा इसे बताया जाता है पाताल लोक का राजा बना दिया। आप तो पढ़े-लिखे होl जरा सोचो क्या किसी का पैर इतना बड़ा हो सकता हैl जो पुरी पृथ्वी को ढक ले। और पुरी पृथ्वी पर कब्ज़ा होता, तो विष्णु भगवान को अन्य देश के लोग क्यों नहीं जानते। क्यों नहीं पूजते। इसप्रकार आर्यों ने राजा बलि का राज हड़प लियाl उसी दिन से आर्य और द्रविड(भारत के मूलनिवासी) के बीच युद्ध जारी हैl* इसके बाद *राजा शंकर का राज हड़पने के लिए योजना बनायी। इसके लिए विष्णु ने अपनी बहन की शादी राजा शंकर से करने के लिए सोचा और शादी का प्रस्ताव भेजाl राजा शंकर का सेनापति महिषासुर थाl वो आर्यों की चाल समझ गया था, उसने मना करवा दिया। महिषासुर रोड़ा बन गया। तो आर्य पुत्री पार्वती ने ही महिषासुर को मारने के लिए उसे अपने प्रेम-जाल में फँसाया और खून करने के लिए आठ दिन तक मौका खोजती रहीl नौवे दिन जैसे ही मौका मिला धोखे से त्रिशूलद्वारा हत्या कर दी, और शंकर के पास दासी के रूप में सेवा करने लगी। धीरे-धीरे पार्वतीने अपनी खूबसूरती से शंकर को भी वश में कर लिया। और योजनाबद्ध तरीके से राजा शंकर को नशा की आदत लगा दीl इसप्रकार नशा के आदि होकर राजा शंकर का राज-पाठ से मोह-भंग हो गयाl फिर आर्यों ने उनका भी राज चलाया और नशे से आपका शरीर गर्म हो गया यह कहकर हिमालय पर्वत में रहने की सलाह दीl जिसे आज कैलाश पर्वत कहते है।* इसप्रकार दो राज्यों में आर्यों का कब्ज़ा हो गया। फिर *रावण का राज हड़पने के लिए युद्ध छेढ दिया गया। बिभिशन के दोगलापन के कारण छल से रावण को भी भारी मसक्कत के बाद आखिर में मार दिया गया।* इसप्रकार तीनो राज्यों में आर्यों ने कब्ज़ा कर लिया। *आर्यों ने अपने को देव और भारत के मूलनिवासी(द्रविड) को असुर कहाl इसप्रकार 1500 वर्षो तक चले युद्ध के बाद द्रविड पूर्ण रूप से हार गए। यह युद्ध इतिहास में देवासुर-संग्राम के नाम से प्रसिद्ध है।* *देवासुर-संग्राम के बाद ही जाति व वर्ण व्यवस्था बनायी। आर्यों ने अर्थवा को ब्राम्हण,रथाईस्ट को क्षत्रिय और वस्तारिया जाति को वैश्य(बनिया) घोषित किया और भारत के मूलनिवासी(द्रविड) को शुद्र घोषित किया।* और शुद्र में दो वर्ग बनाये जितने लोगो ने लड़ा-भिड़ा उसे अछूत शुद्र कहा और बाकि को सछुत शुद्र घोषित किया। तथा सामाजिक एकता तोड़ने के लिए उन्होंने सिर्फ शुद्र की ही जाति बनायीl *आज ये जाति लगभग 6743 की संख्या में हैl* इसकी लिस्ट गूगलनेट में देख सकते है। *ब्राम्हण, क्षत्रिय,वैश्य की कोई जाति नहीं होतीl उनका सिर्फ वर्ण ही होता है। जैसे शर्मा, दुबे, चौबे, श्रीवास्तव ,द्विवेदी इनके गोत्र है जाति नहीं*यकिन न हो तो चतुराई से पुछ कर देख लेना। इस *देवासुर-संग्राम में जो लोग लड़-भीड़ कर जंगल में शरण लीl और युद्ध जारी रखाl वो वन शरणागत शुद्र(आदिवासी) ST कहलाये ,और जो लोग लड़-भीड़ कर हार कर वही समाज के बाहर रहने लगे वो (अछूत) SC कहलायेI और बाकि शुद्र सछुत शुद्र कहलायेl जिनमें अन्य (पिछड़ा वर्ग) OBC आता है।* जिसने जैसा संग्राम किया उसे उतना ही घृणित कार्य दिया गया। *रामायण, महाभारत ,चारो वेद ,उपनिषद,पुराण उसी समय के लिखे गए ग्रन्थ है। इस प्रकार जातियाँ द्रविड की सामाजिक एकता तोड़ने के लिए बनायी गयी और देवी-देवता धार्मिक गुलाम बनाने के लिए बनाए गए।* *हम देवी-देवता के रूप में सभी आर्यों की पूजा करते हैl ये सारे देवी-देवता झूठे(false) है। यह सत्य होता तो पुरे विश्व में देवी-देवता मानतेl भारत में ही क्यों?* इसप्रकार *शिक्षा का अधिकार ब्राम्हण ने ले लियाl क्षत्रिय ने राज करने का, वैश्य ने धन का अधिकार ले लिया और शुद्र(द्रविड) मूलनिवासी को तीनो वर्णों की सिर्फ सेवा करने का काम दिया गया। जिसे आपने कहीं न कहीं अवश्य पढा होगाl* इसके बाद *महावीर स्वामी ने जाति व वर्ण ब्यवस्था का विरोध किया थाl (583 ईसा पूर्व में) पर ज्यादा सफल नहीं हुए।* फिर *गौतम बुद्ध ने (534 ईसा पूर्व) बौद्ध धर्म जो मानव जाति का प्रकृति प्रदत धम्म को खोजाl जो शाश्वत धम्म है। जिसने पुरे विश्व के मानव जीवन का कल्याण खोज निकालाl जाति व वर्ण व्यवस्था को लगभग समाप्त कर दिया था। गौतम बुद्ध के बाद मौर्य वंश में चन्द्रगुप्त मौर्य अशोकने बौद्ध धर्म को नई उचाई दीl अशोक के पुत्र-पुत्री ने कई देशो में बौद्ध धम्म का प्रचार-प्रसार कियाl* जो आज के समय में *100 से अधिक देश बौद्ध धर्म को अपना चूके हैl* कही अंशिक तो कही पूर्ण रूप से। *मौर्य वंश के अंतिम बौद्ध राजा बृहदस्थ ने गलती कीl उसने सेनापति के रूप में ब्राम्हण पुष्यमित्र शुंग को घोषित किया। शुंग ने सभी ब्राम्हणो को सेना में भर्ती कर दिया और सेना के सामने अंतिम बौद्ध राजा बृहदस्थ की हत्या कर दीl और 84000. स्तूप तोड़ दिए गए। पुष्यमित्र शुंग का शासनकाल 32 वर्ष (184 ईसा पूर्व -148 ईसा पूर्व)है। लाखो बौद्धो को काट दिया गया ।एक बौद्ध सिर काटकर लाने का इनाम 100 नग सोने के सिक्के रखा गया। भारत की धरती खून से रक्त-रंजित हो गयी।* बहुतो ने दुसरे देश जाकर अपनी जान बचायी। सारे बौद्ध ग्रंथ घर से खोज-खोज कर जला दिए गए। इसप्रकार जिस देश में बौद्ध धम्म ने जन्म लिया उस देश से गायब हो गया। आज भारत में जो भी बौद्ध ग्रंथ, त्रिपिटक लाये गए वो सब अन्य देशो से लाये गए है। बादमें *पुष्यमित्र शुंग ने मनुस्मृति लिखीl जिसमें शुद्रो के सारे मानवीय अधिकार छीन लिए गए। रामायण, महाभारत को फिर से नए ढंग से नमक मिर्ची लगाकर लिखा गया। तब से 2000 साल तक शुद्र (SC/ST/OBC) को शिक्षा और धन का अधिकार नहीं मिला थाl* इस बीच अनेको संत कबीर,गुरुनानक,रविदास,गुरु घासीदास ,और अनेक महापुरुष हुएl जिन्होंने भक्ति मार्ग से लोगों को सत्य का अहसास करायाl लेकिन नैतिक शक्ति-शिक्षा ,राजनितिक शक्ति - वोट देने के अधिकार ,सैनिक व शारीरिक शक्ति-कुपोषण के कारण क्षीण हो गया थाl *ब्राम्हण, पेशवाई में अचूतो की स्थिति अति दयनीय हो गयी थीl इस समय अचूतो को गले में हांड़ी और कमर में झाड़ू बांधकर चलना पडता थाl यह 12 वर्षो तक चलाl 1जनवरी 1818 को 500 महार सैनिकों ने 28000 पेशवाई लगभग युद्ध करके ख़त्म कर दीl जिसमें 22 महार सैनिक शहीद हुए थेl* मुग़ल राजाओ ने भी ब्राम्हणों से साठ-गाठ कर भारत को गुलाम बनाया और ब्राम्हणों के मर्जी से शुद्र को शिक्षा नहीं दीl लेकिन जहांगीर के शासन काल में थाॅमस मुनरो आये थेl यहाँ की अजीब स्थिति देखकर वह दंग रह गए ,उसी के बाद डच,पोर्तूगाली,फ़्रांसिसी,अंग्रेज आये और कंपनी स्थापित कर भारत को गुलाम बनायाl *थाॅमस मुनरो ने सबको शिक्षा देना शुरू कियाl जिसमें पहले व्यक्ति महात्मा ज्योतिबा फुले ने शिक्षा पायीl जो की माली जाति के अन्य पिछड़ा वर्ग से आते हैl शिक्षा पाने के बाद उन्होने अपनी पत्नी सावित्रीबाई फुले को भी पढायाl इसप्रकार सावित्रीबाई फुले सवर्ण महिला ,शुद्र महिला ,अतिशुद्र महिला में शिक्षा पानेवाली पहली महिला बनीl* ये आर्य सवर्ण लोग अपनी पत्नी को भी शिक्षा नहीं देते, क्योंकी उनकी पत्नी भी द्रविड महिला ही है। इसलिए कहा गया है *ढोल ग्वार शुद्र , पशु , नारी ये सब है ताडन के अधिकारीl शुद्रो को शिक्षा 19वी सदी में 1840 के आसपास ही मिलना शुरू हुआl* सारी क्रांति शुद्रोने(द्रविड) ब्रिटिश शासनकाल में ही कीl *रामास्वामी पेरियार , डाॅ. बाबासाहेब आंबेडकर के जीवनकाल में कितनी छुवाछुत थीl किसी से छुपा नहीं है। डाॅ.आंबेडकर अछूत समाज में पहले व्यक्ति है, जिन्होंने पहली बार मेट्रिक पास कियाl ग्रेजुएशन किया ,M.A. किया।देश-विदेश से अनगिणत डिग्रीयाँ हासिल कीl* *डाॅ.आंबेडकर साहब जैसे संघर्ष आज तक किसी ने नहीं किया। अछूत कहे जाने वाले अस्पृश्य समाज को तालाब का पानी पीने का ,मंदिर में प्रवेश का अधिकार नहीं थाl चवदार तालाब का पानी पीने का सामूहिक प्रयास डाॅ.आंबेडकरने पहली बार कियाl* जिसमें अछूतो के संग बहुत मारपीट की गयीl करीब 20अछूत इस हमले में जख्मी हो गए थेl फिर कालाराम मंदिर में प्रवेश किये। बाबा साहब ने कई सभाए ली,कई समितियों का निर्माण किया । *25दिसंबर 1927 को मनुस्मृति का दहन किया गयाl यही वह ग्रंथ है, जिसमें शुद्रो को नरक सा जीवन जीने के लिए तानाशाही आदेश जारी किये गए।* देश स्वतंत्र होनेवाला थाl समय *बाबासाहब से बड़ा कोई विद्वान ही नहीं थाl इसकारण संविधान लिखने का अवसर बाबा साहेब को मिलाl आज अचूतो को ,शुद्रो को ,महिलाओं को जो भी अधिकार मिले है, चाहे कोई भी फील्ड हो सब बाबासाहब के अथक प्रयास से संभव हुआ है। इसे SC/ ST/OBC/मायनॅरिटी माने या न माने ये उनके ऊपर निर्भर है। अनुसूचित जाति कल्याण आयोग, अनुसूचित जनजाति कल्याण आयोग, अन्य पिछड़ा कल्याण आयोग, धार्मिक अल्प संख्यक कल्याण आयोग (SC/ST/OBC/Minirity) के लिए बनाया गया है।* आपको संविधान में सवर्ण कल्याण आयोग कही नहीं मिलेगा। क्यों ? जरा सोचे यह *संविधान भारत के मूलनिवासी (द्रविड) के हित व उनका सम्पूर्ण विकास के लिए बनाया गया है। हर जरुरी अधिकार सविधान में डाले गए है। लेकिन अफ़सोस की मूलनिवासीयों (द्रविड़) ने आज तक संविधान को खोलकर देखा ही नहीं और सवर्ण के साथ ही संविधान को बिना पढ़े घटिया और बदलने की बात करता हैl* वही अन्य देश के राष्ट्रपति,PM ,कानून के जानकार इसे दुनिया की सबसे महान संविधान कहता हैl *बाबसाहेबने संविधान लिखकर मूलनिवासी (द्रविड) को आधी आजादी दी गयी है और आधी आजादी जिस दिन हमारे द्रविड भाई एक हो जायेंगे उस दिन सम्पूर्ण आजादी मिलेगी।आज व्यापार में 95%, शिक्षा में 75%, नौकरी में 75% ,जमीन में 90% इन आर्यों का ही कब्ज़ा है। भाईयों जरा गौर करो SC/ST/OBC/Minirity के लोग कितने % व्यापार में हाथ-पाव जमाये हो? 85% मूलनिवासी (द्रविड) सिर्फ ग्राहक बने हो, दुकानदार तो मुख्य रूप से सवर्ण ही है।* बड़े-बड़े उद्योग ,कंपनी, बड़ी-बड़ी दुकाने हर प्रकार का दुकाने कौन चला रहा हैl गौर करोगे तो सब समझ आ जायेगाl लेकिन दुःख की बात है कि, हमारे भाई दूर की सोच रखते ही नहींl *आज सिख, बौद्ध भी द्रविड हैl इसाई,मुस्लिम भी द्रविड हैl मुग़लकाल में हमारे ही द्रविड भाईयो ने हिंदू धर्म की हीनता देख कर मूस्लिम धर्म को अपनायाl अंग्रेजो के शासनकाल में हमारे द्रविड भाईयों ने ही इसाई धर्म को अपनाया। और सिखों ने अपना अलग सा धर्म बनाया। इस कारण सवर्ण लोग कभी सिख दंगा, कभी इसाई दंगा, कभी मुस्लिम दंगा, कभी बौद्ध पर हमला करता रहता हैl ये सब इनकी सोची-समझी साजिश होती है। ''67 साल के बाद आज जैसे ही बीजेपी सत्ता में बहुमत से आई है। गौर कीजिये क्या हो रहा हैl धर्म-धर्म रट रही हैl भारत को हिंदुस्तान करना चाहते है। सिख हिन्दू थे, घर वापसी करो ऐशी बाते करते हैl इनके मंत्री बोल रहे है साध्वी, नाथूराम गोडसे देशभक्त हैl जो आपके राष्ट्रपिता को तीन गोली ठोकता है। 4-5 बच्चे पैदा करो एक इनको दो, एक बोर्डर को दो, बाकी अपने पास रखोl कितना सम्मान करते है महिलाओं का सोचो। 2021तक सबको हिन्दू बनाने की धमकी दिये जा रहे हैl तो अल्पसंख्यक कहा जायेंगे। इसी कारण ही बाबासाहब ने अल्पसंख्यक को कुछ विशेष अधिकार दिए थेl ताकि बहुसंख्यक इन पर हावी न हो सके। गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करना चाहते है, क्योंकि पुन: युद्ध करा सके। इतने सारे बेतूके बयान दे रहे है और मोदी चुप है क्यो? द्रविड भाइयो अब एक हो जाओl यह समय खतरे से भरा हैl अगर टूट कर रहोगे तो फिर याद रखना इतने दिनो तक ब्राम्हणवाद ने मारा अब पूँजीवाद मारेगा और वर्ग संघर्ष की स्थिति निर्मित होगीl शिक्षा का भगवाकरण करके आपके दिमाग को मार रहे है।
‬[ये फर्क है वैदिक धर्म और बौद्ध धम्म में]
"विश्व इतिहास में गौरवशाली सह अद्वितीय 'मौर्य शासन काल' एवं मौर्य सम्राटों (बौद्ध कालिन) के शासन में अखंड भारत की आदर्श महानता/पहचान"* 🇮🇳

1.चक्रवर्ती सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य
     323 - 299 ई०पू०

2.सम्राट बिंदुसार मौर्य
    299 - 274 ई०पू०

3. प्रियदर्शी सम्राट अशोक महान
     274 - 234 ई०पू०

4. सम्राट कुणाल मौर्य
     234 - 231 ई०पू०

5. सम्राट दसरथ मौर्य
     231 - 223 ई०पू०

6. सम्राट सम्प्रति मौर्य
     223 - 215 ई०पू०

7. सम्राट शालिशुक मौर्य
     215 - 203 ई०पू०

8. सम्राट देववर्मा मौर्य
     203 - 196 ई०पू०

9. सम्राट सतधन्वा मौर्य
    196 - 190 ई०पू०

10.सम्राट वृहद्रथ मौर्य
     190 - 184 ई०पू०

ये है ऐतिहासिक एवं गौरवशाली अखंड भारत में मौर्य वंश के अद्वितीय 10 सम्राटों/राजाओं के सर्वोत्तम शासन काल का विवरण। गौरवशाली सह अद्वितीय मौर्य शासन काल के 139 वर्ष विश्व इतिहास में एक अलग स्थान रखते हैं।
🌻इसी समय में "अखण्ड भारत का निर्माण" हुआ था।
🌻इसी समय में भारत "विश्व गुरु" कहलाता था।
🌻इसी समय में भारत "सोने की चिड़िया" कहलाता था।
🌻इसी 139 वर्षों में भारत "विश्व विजयी" कहलाता था।
🌻इसी समय चन्द्रगुप्त मौर्य के नेतृत्व में विश्व की प्रथम संयुक्त सेना का सफल सह विजयी सेना का निर्माण हुआ था।
🌻इसी समय विश्व में अखंड भारत की सेना सबसे विशाल और अजेय थी।
🌻इसी समय में भारत विदेशी आक्रमणकारियों से भयमुक्त/चिंतामुक्त था।
🌻इसी समय में सिकंदर-सेल्युकस जैसे आक्रमणकारी को चन्द्रगुप्त मौर्य के सामने अपनी हार और भारत की विजय स्वीकार करनी पड़ी थी।
🌻इसी समय में भारत विश्व की सबसे मजबूत समावेशी, मानवीय, सामाजिक, शैक्षिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक, मैत्री इत्यादि की ताकत होता था।
🌻इसी समय में भारत में विदेशी छात्रों का आगमन शुरू हुआ।
🌻इसी समय में भारत पूरे विश्व में व्यापार की शुरुआत किया।
🌻इसी समय मे सबको शिक्षा, स्वास्थ्य, संपति, समावेशी मौलिक जीवन का समान अधिकार होता था।
🌻इसी समय में समृद्धशाली भारत का निर्माण हुआ।
🌻इसी समय में भारत "प्रबुद्ध भारत" कहलाता था।
🌻इसी समय में भारत सत्य,  करुणा, प्रेम, मैत्री, बंधुत्व, शील, प्रज्ञा इत्यादि से शांतिमय सह सुखमय भारत था।
🌻इसी समय का शासन मानवता, समानता, लोक कल्याणकारी, राष्ट्रीयता, समावेशी समाज सह राष्ट्र विकास पर आधारित था।
🌻इसी समय का "अशोक स्तम्भ" स्वतंत्र भारत का राष्ट्रीय चिन्ह/प्रतीक है। जो प्रत्येक राष्ट्रीय मुद्रा एवं दस्तावेज पर अंकित रहता है।
🌻इसी समय का "सत्यमेव जयते" राष्ट्रीय वाक्य है।
🌻इसी समय का "अशोक चक्र" भारत के तिरंगे में प्रगति प्रतीक नीले रंग में चक्र एवं राष्ट्रीय सम्मान है।
🌻स्वतंत्र भारत का राजकीय पथ "अशोक पथ" एवं केन्द्रीय हॉल "अशोक हॉल" है।
🌻इसी समय का राष्ट्रीय पशु "शेर/सिंह" और राष्ट्रीय पक्षी "मोर" है।
*हिन्दू एवं इसका सच*
 कोई धार्मिक स्थल चर्च, मस्जिद, गुरुद्वारा, बौद्ध विहार इत्यादि में उसी धर्म के लोगों का प्रवेश वर्जित नहीं, पर हिन्दू धार्मिक स्थल मन्दिर में हिन्दू दलित एवं कई जगह हिन्दू महिलाएं भी नहीं जा सकती, मेंस पीरियड में तो सभी मन्दिरों में वर्जित है। जब अपने ही धार्मिक स्थल पर प्रवेश वर्जित है तो उसे अपना मानना क्या बेवकूफी नहीं है?
दक्षिण के अनेकों मन्दिरों में महिलाएं अपने प्रवेश के लिए आंदोलन किये, फिर भी बहुत से मन्दिर में अभी भी महिलाओं का प्रवेश वर्जित है। जिस न्यायिक सिस्टम हम जा ही नहीं सकते, वह अपना न्यायालय कैसे है? जिस घर में या मन्दिर में जा ही नहीँ सकते वह अपना घर एवं पूजा स्थल कैसे?
     धर्म सिर्फ शोषण का हथियार है।
 सिर्फ डिंग हांकने एवं क्रिशचन- मुस्लिम को बुराई करने से नहीँ होता, बल्कि तार्किक, वैज्ञानिक एवं पारदर्शिता के पैमाने पर पर आंकना पड़ता है, जिसमें हिन्दू कहीं नहीँ टिकता।।
              सिर्फ यहाँ आडम्बर एवं बकवास है। कुंभ में लाखों नागा हिमालय से अवतरित होते हैं एवं अखाड़े में अपना युद्ध कौशल दिखाते हैं, पर उसी हिमालय पर चीन एवं पाकिस्तान के सेना आता है, तो ये नागा कहीं भी सीमा बचाने नहीं आते। 
      वहीँ, मुस्लिम धार्मिक लोग जिसे हम मुस्लिम आतंकवादी कहते हैं, वो बिना अखाड़े में प्रदर्शन किये सीमा पार कर भारत से लड़ने आते हैं। यही फर्क है हिन्दू एवं मुस्लिम धर्म के पैरोकार का।
      Only 3% Brahminic religion was taken it's fold to all Indians in the name of hindu. In fact , Brahimins are invaders of Eurasia, who destroyed our rich traditions and imposed waste cultural practices in the name of rituals and generated many nonscientific books like ramayan, ved, ramayan, upnishad etc. That's why India was unable to innovate any things.
धार्मिक झूठी कहानी को अगर जस्टिफाई करते हैं तो समझ आती है कि क्या बन्दर पढ़ कर पत्थर पर लिख सकते हैं। जो हनुमान पृथ्वी से कई गुणा सूर्य को निगल गया उसे समुद्र पार करने के लिए पुल की क्या आवश्यकता। सभी बकवास है। 
सूर्पनखा एक महिला का नाक काटना एवं होलिका का प्रत्येक साल दहन करना क्या नारी के साथ घृणित अपमान नहीं है, चाहे दोष कितना भी हो? वहीँ नीच जाति के नाम शूरवीर धनुर्धर एकलव्य का अंगूठा काटने वाले द्रोणाचार्य के नाम पर अवार्ड क्या एक्सट्रीम ब्रह्मिनिज्म की पराकाष्ठा नहीं है?
 Be rational, scientific and secular  All Religious nations are destroyed in itself, only scientific nations survive.Mythology itself explain myth यानि झूठ का स्टडी। इसे सत्य मानना क्या बेवकूफी नहीँ है। मैं सुना था, नासा ने सरस्वती नदी एवं पुष्पक बिमान इत्यादि खोज लिया है, पर सोर्स देखा तो समझ गया ये आरएसएस द्वारा फेका गया है, नासा द्वारा नहीं। कुछ दिन पहले न्यूज आया गुजरात के गिर गाय के गोबर एवं मूत्र में सोना पाया जाता है। तो फिर भैस में क्यों नहीं? जब वही भोजन भैंस भी खाती है। सब बकवास है, सिर्फ धार्मिक fervour बढ़ाने के लिये।  हमें बताया गया गाय के दूध से दिमाग पतला होता है एवं भैस के दूध से मोटा, पर सब झूठ। भैंस के दूध में 18% सॉलिड है जबकि गाय में 12% सॉलिड एवं 88% पानी। यानि भैस के दूध में गाय से डेढ़ गुना ज्यादा nutrients है तो कौन फायदेमंद होगा? खुद सोंचे? चुकि आर्य गाय लेकर आये थे, पर भैस भारत जैसे गर्म प्रदेश का जानवर है, इसीलिए इस पर अनेकों कहानियां बनाई गई। यमराज की सवारी, भैंस के आगे बिन बजाये। भैस का दूध अपवित्र पूजा में प्रयोग युक्त नहीं। ये सब मूलनिवासी को हतोत्साहित करने का आडम्बर।
यहाँ बौद्दिस्ट धर्म के खिलाफ इनके पवित्र पीपल पर हांडी टँगवाया एवं भुत का अड्डा बनाया, पवित्र मुंडन को अगदेवा मुंडन। इनके दार्शनिक गुरु घण्टाल को ठग इत्यादि। राम रावण कहानी भी ब्राह्मणों एवं मूलनिवासी बौद्दिस्टों की लड़ाई ही है। अगर देव एवं राक्षस अलग होते तो इनके फॉसिल्स जरूर मिलते, जैसे क्रोमग्नन एवं निएंडरथल मैन के मिले हैं। फिर रावण ब्राह्मण था, तो राक्षस कैसे है? बहुत से ऐसे तुलसीदास जी फेंके हैं , जिसे कुछ लोग सत्य मान लेते हैं। ये बनावटी कहानी है सिर्फ इंटरटेनमेंट के लिये। कहते हैं रावण 100 भाई था इसके 10 सिर थे। कौरव भी 100 भाई। इन दोंनो में दो जीरो है। जीरो का खोज आर्यभट्ट 5वी सदी में किया था। तो रामायण महाभारत की घटना 5वी सदी बाद हुई होगी जिस ज़ीरो द्वारा गिना गया। तो इसे ईसा से भी पहले क्यों मानते हैं? बहूत चीजें तर्क पर नहीँ टिकते। गरुड़ पुराण जिसे ईसा से पुराना माना जाता है, इसमें लिखित है संकट होने पर छाता एवं जुता ब्राह्मणों को दान करने पर समस्या खत्म। छाता एवं जूता 17वी सदी में चीन में अविष्कार हुआ तो फिर ये किताब इनके बाद ही लिखी गयी। प्रिंटिंग प्रेस एवं पेपर का अविष्कार भी 15वी सदि बाद हुई है तो सभी किताबें इसके बाद लिखी गयी है, पर इसे ईसा पहले यानि 2100 साल से भी पहले का बताया जाना क्या लोगों के इमोशन के साथ चीटिंग नहीं है?   हिस्ट्री एवं मिथ दोनों को एक मे मिलाया नहीँ जा सकता।  हड़प्पा हिस्ट्री है, क्योंकि इसका एविडेन्स है। पत्थर का इंस्ट्रूमेंट, टूल्स, कॉइन्स, अर्चिटेक्चर, लिपि इत्यादि।  
1918 में पहली बार इस्तेमाल हुआ 'हिन्दू धर्म' शब्द : तुलसीदास ने रामचरित मानस मुगलकाल में लिखी, पर मुगलों की बुराई में एक भी चौ!!!पाई नहीं लिखी. क्यों? क्या उस समय हिंदू मुसलमान का मामला नहीं था? हां, उस समय हिंदू मुसलमान का मामला नहीं था क्योंकि उस समय हिंदू नाम का कोई धर्म ही नहीं था. तो फिर उस समय कौनसा धर्म था? उस समय ब्राह्मण धर्म था और ब्राह्मण मुगलों के साथ मिलजुलकर रहते थे, यहाँ तक कि आपस में रिश्तेदार बनकर भारत पर राज कर रहे थे. उस समय वर्ण व्यवस्था थी. वर्ण व्यवस्था में शूद्र अधिकार-वंचित था, जिसका कार्य सिर्फ सेवा करना था. मतलब सीधे शब्दों में गुलाम था.तो फिर हिंदू नाम का धर्म कब से आया? ब्राह्मण धर्म का नया नाम हिंदू तब आया जब वयस्क मताधिकार का मामला आया. जब इंग्लैंड में वयस्क मताधिकार का कानून लागू हुआ और इसको भारत में भी लागू करने की बात हुई.इसी पर तिलक ने बोला था, "क्या ये तेली तम्बोली संसद में जाकर तेल बेचेंगे? इसलिए स्वराज इनका नहीं मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है. हिन्दू शब्द का प्रयोग पहली बार 1918 में इस्तेमाल किया गया. तो ब्राह्मण धर्म खतरे में क्यों पड़ा? क्योंकि भारत में उस समय अँग्रेजों का राज था, वहाँ वयस्क मताधिकार लागू हुआ तो फिर भारत में तो होना ही था. 
ब्राह्मण 3.5% हैं. अल्पसंख्यक हैं. राज कैसे करेंगे? ब्राह्मण धर्म के सारे ग्रन्थ शूद्रों के विरोध में, मतलब  हक/अधिकार छीनने के लिए, शूद्रों की मानसिकता बदलने के लिए षड़यंत्र का रूप दिया गया.  आज का ओबीसी ही ब्राह्मण धर्म का शूद्र है. SC (अनुसूचित जाति)) के लोगों को तो अछूत घोषित करके वर्ण व्यवस्था से बाहर रखा गया था, क्योंकि उन्होंने ही यूरेशियन आर्यों से सबसे ज्यादा संघर्ष किया था. ST (अनुसूचित जनजाति) के लोग तो जंगलों में थे उनसे ब्राह्मण धर्म को क्या खतरा? उनको तो यूरेशियन आर्यों के सिंधु घाटी सभ्यता से संघर्ष के समय से ही वन में जाकर रहने पर मजबूर किया. उनको वनवासी कह दिया. ब्राह्मणों ने षड़यंत्र से हिंदू शब्द का इस्तेमाल किया जिससे सबको समानता का अहसास हो. पर ब्राह्मणों ने समाज में व्यवस्था ब्राह्मण धर्म की ही रखी. उसमें जातियां रखीं. जातियां ब्राह्मण धर्म का प्राण तत्व हैं, इनके बिना ब्राह्मण का वर्चस्व खत्म हो जायेगा. इसलिए उस समय हिंदू मुसलमान की समस्या नहीं थी. ब्राह्मण धर्म को जिंदा रखने के लिए वर्ण व्यवस्था थी. उसमें शूद्रों को गुलाम रखना था. इसलिए तुलसीदास ने मुसलमानों के विरोध में नहीं शूद्रों के विरोध में शूद्रों को गुलाम बनाए रखने के लिए लिखा.
ढोल गंवार शूद्र पशु नारी। ये सब ताड़न के अधिकारी।। अब जब मुगल चले गये, देश में SC/ST/OBC के लोग ब्राह्मण धर्म के विरोध में ब्राह्मण धर्म के अन्याय अत्याचार से दुखी होकर इस्लाम अपना लिया तो ब्राह्मण अगर मुसलमानों के विरोध में जाकर षड्यंत्र नहीं करेगा तो SC/ST/OBC  के लोगों को प्रतिक्रिया से हिंदू बनाकर, बहुसंख्यक लोगों का हिंदू के नाम पर ध्रुवीकरण करके अल्पसंख्यक ब्राह्मण बहुसंख्यक बनकर राज कैसे करेगा? इसलिए आज हिंदू मुसलमान कि समस्या देश में खड़ी कि गई है तथाकथित हिंदू (SC ST OBC) मुसलमान से लड़ें, मरें.  क्या कभी आपने सुना है कि किसी दंगे में कोई ब्राह्मण मरा हो? जहर घोलनें वाले कभी जहर नहीं पीते हैं. इसलिए, यूरेशियन ब्राह्मण सदैव सुरक्षित. कोई दर्द नहीं कोई फर्क नहीं, आराम से टीवी में डिबेट के लिये तैयार !

शनिवार, 14 अक्तूबर 2017

भूमि अधिकार और किसानो की समस्याओ पर बाबासाहेब आंबेडकर के विचार



सभी जानते हैं कि पहले राजा जब भी किसी व्यक्ति या वजीर पर खुश होते थे तो गांव के गांव जागीर में ईनाम में दे देते थे, वो ही जागीरदार, सामंती या जमींदार बनते गये। जब राजतंत्र का पतन होना शुरु हुआ तो जमीन पर निजी मालिकाना हक जमा लिया गया, वो कोई और नहीं ब्राह्मण/सवर्ण ही थे। कुछ छोटे-छोटे खेतों पर दलित/पिछड़े भी कब्जा जमाने में सफल हुऐ।
ब्रिटिश सरकार में रैयतवाड़ी व्यवस्था होती थी जिसमें भूमिदार सरकार को लगान देने के लिये उत्तरदायी होता था, लगान न देने पर भूमि से बेदखल कर दिया जाता था। जब सरकार द्वारा रैयतवाड़ी भूमि को बड़े भू-स्वामियों को देने के लिये संसोधन बिल पेश किया गया तो इसका विरोध करने वाले “बाबा साहेब अंबेडकर” ही थे। उन्होनें कहा था कि भू-स्वामित्व को इसी तरह बढ़ाया जाता रहा तो एक दिन ये देश को तबाह कर देगा, पर सरकार उनसे सहमत नहीं हुई।
चाहे रैयतवाड़ी प्रथा हो या कोई और, जिनमें छोटे किसान जिनके पास जमीन भी थी तो वो उसके मालिक नहीं थे। महाराष्ट्र में एक खोती प्रथा भी थी, रैयतवाड़ी में तो किसान सीधा सरकार को टैक्स देते थे पर खोती प्रथानुसार इसमें बिछौलिये रखे गये थे, जिन्हें खोत भी कहा जाता था। उन्हें किसानों से टैक्स बसूलने के लिये कुछ भी करने की छूट थी, वे किसानों पर बहुत जुल्म करते थे तो कभी जमीन से बेदखल। इसके लिये भी बाबा साहेब अंबेडकर ही थे जिन्होंने 1937 में खोती प्रथा के उन्मूलन के लिये बम्बई विधानसभा में बिल प्रस्तुत किया और आंबेडकर जी के प्रयास से खोती प्रथा का उन्मूलन हुआ और किसानों को उनका हक मिला।
1927 में भी ब्रिटिश सरकार ने बम्बई विधानसभा में छोटे किसानों के खेतों को बढ़ा करके भू-स्वामी के हवाले करने का विधेयक पेश किया था, तब भी कोई और नहीं बाबा साहेब अंबेडकर ही थे जिन्होंने इसका विरोध किया था, उन्होंने तर्क दिया था कि खेत का उत्पादक और अनुत्पादक होना उसके आकार पर निर्भर नहीं करता बल्कि किसान के आवश्यक श्रम और पूंजी करता है। उन्होंने कहा था कि समस्या का समाधान खेत का आकार बढ़ाने से नहीं बल्कि सघन खेती से हो सकता है। इसलिये उन्होंने सलाह दी थी कि सामान्य क्षेत्रों में सहकारी कृषि को अपनाया जाये। बाबा साहेब ने इसके पीछे उदाहरण दिया था कि इटली, फ्रांस और इंग्लैण्ड के कुछ हिस्सों में सहकारी कृषि अपनाया जाना फायदेमंद रहा है।
1946 में भी बाबा साहेब अंबेडकर ही थे जिन्होंने संबिधान सभा को भूमि के राष्ट्रीयकरण की मांग को लेकर ज्ञापन दिया था, यह ज्ञापन “स्टेट्स एंड मायनारिटीज” के नाम से आज भी उपलब्ध है। वो भूमि, शिक्षा, बीमा उद्योग, बैंकादि का राष्ट्रीयकरण चाहते थे। वो चाहते थे कि ना कोई जमींदार रहे, ना पट्टेदार और ना ही कोई भूमिहीन।
1954 में भी बाबा साहेब ने भूमि के राष्ट्रीयकरण के लिये संसद में बहस करने के दौरान आवाज उठाई थी पर कांग्रेस ने उनकी नहीं सुनी, क्योंकि भारत का शासन/सत्ता राजाओं, नवाबों और जमींदारों के हाथों में ही आया था, जिसका मुखिया ब्राह्मण था और वो ब्राह्मण/सवर्ण वर्चस्व कायम रखना चाहता था और दलित-पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को आर्थिक रूप से कमजोर।
बाबा साहेब भूमि की सवाल पर भी उतने ही गंभीर थे जितने कि भारत में फैली अन्य समस्याओं के लिऐ। बाबा साहेब ने किसानों की समस्याओं का निवारण हेतु “स्मॉल हॉल्डिंग्स इन इंडिया” नामक शोध-पत्र भी लिखा था, वह भी लोगों को अवश्य पढ़ना चाहिऐ।

चमचो का सफर


या तो हम पढ ही नहीं पा रहे थे फिर हम जो पढने लगे तो कुछ चमचे भी पैदा हो गए जो सवर्ण लोगो से जा मिले तब भी वो सवर्ण लोगो के बराबर नहीं हो सके कोई छूत की बीमारी उन मे बनी रही खैर इस पर मैं बाद मे आता हूँ. सवाल ये है की दलित से चमचा बनने का सफर कैसे शुरु होता है? ये लोग क्या कुछ करते हैं?  चमचो के युग में कैसे दलित आगे जाए? चमचो को जवाब देने के लिए तैयार रहें.
पहली तो बात ये की इसकी जड ज्ञान की कमी और उसके होने का भ्रम है. जी हाँ अशिक्षित या तो बाबा साहेब को जानता ही नहीं है, अपने अधिकारों को नहीं जानता उसके हिसाब से सब भाग्य का खेल है और अगर वह बाबा साहेब को मानता है तो पूरे दिल से. पर शिक्षित जैसे जैसे और हायर एजुकेशन लेता है वो नकारना शुरु कर देता है. कितने ही आईएएस, आईआरएस, डाक्टर , इंजीनियर इत्यादि बीजेपी जैसी अम्बेड़कर विरोधी पार्टीयों मे बैठे हैं. ये सब अचानक एक दिन नहीं हो गया.
ये लोग बाबा साहेब अम्बेड़कर को सिर्फ संविधान सभा की प्रारूप समिति का अध्यक्ष ही मानते हैं. इस के बाद वह बाबा साहेब द्वारा किए गए अन्य कार्यो को नकार देते हैं. जैसे मेरा एक व्यक्ति से सामना हुआ तो मैने उन्हे बाबा साहेब द्वारा आरबीआई, लेबर एक्ट, बाँध परियोजनाओं जैसे हीराकुंड, दमोदर घाटी, ग्रिड़ सिस्टम, वैधानिक हड़ताल का अधिकार इत्यादि के बारे मे बताया तो उन महाशय ने सब को एक बात से खारिज कर दिया “तुम हर बात पर अम्बेड़कर का लेबल क्यों लगा देते हो. ”
ये भी मेरी आपकी तरह दलित ही हैं, महाशय एम.ए. कर रहे हैं इकोनोमिक्स मे. अब इनको लगता है की ज्यादा ज्ञानी हैं. इन्होंने बाबा साहेब की एक भी किताब नहीं पढी हुई होती है फिर भी ये उनके कामों को खारिज कर देते हैं. जब मैने पूछा की कोई एक वजह बता दो जिससे मैं मान लूँ की भारतीय नोट पर मि. गांधी की ही फोटो होनी चाहिए. क्या योगदान है उनका भारतीय अर्थव्यवस्था मे . वो नहीं बता सके. क्या परेशानी है अगर उनको मज़दूरों का उत्थान कर्ता कहा जाता है ? क्या दिक्कत है अगर वो हर तबके के नायक हैं ? बाबा साहेब ने हर वर्ग के लिए कुछ न कुछ जरूर किया है चाहे वह कोयले की खान का मज़दूर हो, रेलवे का मजदूर हो, अधिकारी हो या कोई और. पर कुछ ज्ञानीजन चार अक्षर पढ कर कुछ लोग ज्ञान पेलने निकल पड़ते हैं.
ये दिक्कत उन लोगों मे मुख्यत: शुरु होती है जो हायर एजुकेशन ले रहे होते है. ऐसा क्यों?  ज्ञान का भ्रम है और कुछ नहीं. उन्हे लग रहा होता है की उन जैसा दृष्टिकोण बाकी अन्य अम्बेड़करवादी या दलितों के पास नहीं है. ये लोग यह तक कह देते हैं की अम्बेड़कर न होते तो क्या हम भी नहीं होते?
अम्बेड़कर न होते तो क्या हम चौदह घंटे ही काम करते? चीजें बदल रही हैं, इत्यादि. फिर मुझे बताना पड़ता है की पैदा तो हम दलित हजारों सालों से होते रहे हैं पर जीते और मरते हम जानवरों की तरह ही आए हैं. पर सम्मान से जीने का अधिकार मिला तो बाबा साहेब की वजह से. हर वह काम जो बाबा साहेब ने किया उसका श्रेय सिर्फ बाबा साहेब को ही मिले. जिसे शर्म है वो अधिकारी या कर्मचारी छोड़ दे डीए को, विरोध करे वेतन इनक्रिमेंट का, विरोध करे मेडिकल सुविधाओं का. क्या क्या कर सकते हैं ये ज्ञानीजन? सरकार या सेठ ओवर टाइम का पैसा न दे तो क्यों बैठ जाते हैं हड़ताल पर ? ये दलित ज्ञाता जानते भी थे मानव अधिकारों के बारे में?
उसके अस्तित्व को नकारा जा सकता है? हम कृतज्ञ हैं उनके और रहेंगे. ये उस विद्वान को पढ़ते तब न कुछ समझ पाते. बहस मे ये आप को पागल तक भी करार दे देते हैं, कोई बडी बात नहीं. पर ये भी चलेगा. ये ही ज्ञानीजन या दलित छात्र कालांतर में चमचे बनते हैं. इनकी ये मूर्खता ज्यादा खतरनाक है,  जैसे घर का भेदी. कुछ के होश तो ऊँची पढ़ाई की एक रस्म ही ला देती है जिसे वायवा कहते हैं, कहीं कहीं यही काम सत्रांक कर देते हैं जहाँ इन के ज्ञान को चोट लगती है. छोटे कर्मचारियों की बात करने का तो मतलब ही नहीं बनता क्योंकि बडे अधिकारी ही रोते बिलबिलाते पाए जाते हैं.
कुछ चमचागिरी करके सेवानिवृत्त हो लेते हैं और कुछ चमचागिरी की कमाई से एमएलए या एमपी हो जाते हैं फिर ये शो-केस के गुड्डे की तरह पडे होते हैं कोने में. बहुत बार मंच पर इनका हाथ झटक दिया जाता है, इन्हे छोड़ कर सब के गले मे माला डाली जाती है. यानी अछूत अब भी अछूत ही है. कभी कभी इन्हे (चमचो को) भूल का एहसास हो जाता है पर इससे पहले ये वो खतरनाक काम कर देते हैं जिसे कहते हैं जड़ खोदना. जी हाँ जो आधा ज्ञान था इनको वो ये औरों को भी पिला चुके होते हैं. आप बाहर वाले दुश्मन से आराम से जीत सकते हैं बजाय घर के विभीषण से. इसलिए हर मौके पर ऐसे चमचो को जवाब देने के लिए तैयार रहें.
मेरा मानना है ये जो ज्योति जली है ज्ञान की और स्वाभिमान की वह किसी भी हालत मे न बुझे. हमारे बहुत सारे मित्र शानदार काम कर रहे हैं, आशावादी हूँ बेहतरी के लिए. शिक्षित होते रहिए, संघठन मे रहेंगे तो आसानी रहेगी संघर्ष करने मे.