पिछले दिनों ब्राह्मण धर्म के भडवे बाबा रामदेव ने कुछ ऐसे ब्यान दिए जो मूलनिवासियों के खिलाफ और ब्राह्मणवादियों के पक्ष में थे. राम कृष्ण का पूरा नाम राम कृष्ण यादव है. जिस से पता चलता है कि रामदेव खुद यादव अर्थात एक शुद्र मूलनिवासी है. रामदेव ने कहा “राहुल दलित बस्ती में पिकनिक और हनीमून मनाने जाते हैं। “ रामदेव ब्राह्मण धर्म की भड़वागिरी करते करते यह भूल गया है कि वो खुद एक शुद्र या दलित है. क्या रामदेव अपनी माता और बहनों के बारे भी ऐसी ही सोच रखता है? क्या रामदेव अपने अनुयायियों को भी यही सब करने की सलाह देता है? लगता है रामदेव को दलितों पर होने वाले अत्याचारों और उनके शोषण से आत्मशांति प्राप्त होती है. रामदेव के पास मनुवाद और ब्राह्मणवादी पाषाण संस्कृति(देव संस्कृति; जिस में पत्थर को भगवान बना कर लोगों का शोषण किया जाता है) को बढावा देने का समय है लेकिन जंतर मंतर पर बैठी उसकी बहनों के प्रति उसकी कोई जिमेवारी नहीं है. रामदेव का यह ब्यान रामदेव को पूरी तरह ब्राह्मणों का भड़वा साबित करता है. दूसरे ब्यान में रामदेव ने कहा कि “मैं खुद कुवारा हूँ तो दूसरों की पत्नी को रख कर क्या करूँगा” और ब्राह्मणवादी पार्टी बीजेपी के प्रधान मत्री पद के उम्मीदवार नरेद्र मोदी का समर्थन कर रहा है. मोदी भी ब्राह्मणवाद का ही एक समर्थक है जो ब्राह्मणों की राजनैतिक पार्टी बीजेपी को जितवा कर देश पर ब्राह्मणवादी सता स्थापित करने में ब्राह्मणों का सहयोग कर रहा है. नरेंद्र मोदी भी कोई दूध का धुला हुआ नहीं है मोदी खुद शुद्र मूलनिवासी होकर देश के मूलनिवासी शूद्रों के खिलाफ ब्राह्मणवादियों के लिए भड़वागिरी कर रहा है. यह दोनों एक नेता और दूसरा मनुवादी ब्राह्मणों का भड़वा; ब्राह्मणों के चाटुकार बन कर दलित समाज के लोगों के साथ धोखा कर रहे है. दोनों ही मूलनिवासियों की भावनाओं से खेल कर ब्राह्मणों का अनुयायी बनाये रखना चाहते है, जोकि मूलनिवासी शूद्रों के खिलाफ एक बहुत बड़े षड्यंत्र का हिस्सा है. ताकि कोई भी शुद्र देश के शीर्ष पदों तक ना पहुँच सके. आज रामदेव और मोदी दोनों भुलाये बैठे है कि ब्राह्मणवादी कभी किसी शुद्र के तो क्या अपनो के भी नहीं हो सके. स्वामी विवेकानंद ने जब शुद्र समाज के हितों के लिए आवाज उठाई तो उनको ब्राह्मणों ने मार डाला. मोहन दास गाँधी ने जब दलित और मुस्लिमों के हित में आवाज उठाई तो ब्राह्मणवादियों ने गाँधी तक को मार डाला, और बाद में जश्न भी बनाया. ज्यादा जानकारी के लिए हमार लेख “आर एस एस, पटेल और बीजेपी” पढ़े. आज नहीं तो कल मोदी और रामदेव के साथ भी यही सब होगा, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होगी. नरेंद्र मोदी और रामदेव के पास संभलने का भी समय नहीं होगा. अब प्रश्न उठता है क्या मूलनिवासी समाज के लोगों को नरेंद्र मोदी और रामदेव जैसे भड़वों का साथ देना चाहिए? ब्राह्मणवादी कभी भी मूलनिवासियों के हितों के बारे नहीं सोचते. आज तक ब्राह्मणवादियों ने मूलनिवासियों को हर जगह में दबाए रखा है. जब भी कोई शुद्र आगे बढ़ने की कोशिश करता है ब्राह्मणवादी किसी ना किसी तरह उस शुद्र को रोकने का प्रयास करते है या उनको मार डालते है. इतिहास गवाह है ब्राह्मणवादियों ने हर एक उस शुद्र का जीना हरम कर दिया. बाबा साहब अम्बेडकर, ज्योतिबा राव फुले, कांशीराम रविदास आदि ऐसे उदाहरण है जिनको झुठलाया नहीं जा सकता. मूलनिवासियों को ऐसे शुद्र द्रोही बाबाओं और नेताओं का बहिष्कार करना चाहिए जो हर पल हर घडी मूलनिवासियों के खिलाफ षड्यंत्र रचते रहते है. ताकि मूलनिवासियों समाज के लोगों को ब्राह्मणवादियों और ब्राह्मण धर्म और राजनीति का अनुसरण करने से रोका जा सके. आखिर कब तक शुद्र या मूलनिवासी समाज के लोग ऐसे मूलनिवासी शूद्रों के बहकावे में आकर ब्राह्मणवाद के शिकार होते रहेंगे? इसलिए मूलनिवासी समाज के लोगों से शुद्र संघ अपील करता है कि ऐसे दोगले और भड़वे लोगों के बहकावे में ना आये और मूलनिवासियों के हित में सोचे. हमारा यह सन्देश हर मूलनिवासी तक पहुंचाए और मूलनिवासी समाज के हित में हमारे प्रयासों को सार्थक बनाये.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें