सोमवार, 16 सितंबर 2019

दैनिक मूलनिवासी नायक स्थापना दिवस


दैनिक मूलनिवासी नायक हिन्दी के 9वें स्थापना दिवस पर सभी पाठकों को दैनिक मूलनिवासी परिवार की ओर से ढेर सारी हार्दिक शुभेच्छाएं 
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‘‘खिंचों न कमान को, न तलवार निकालो, लोक का तंत्र है तो अखबार निकालो’’
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हम जिस व्यवस्था को बदलने के लिए आंदोलन कर रहे हैं, उसे बदलने में मीडिया की अहम भूमिका है. इस बात को ध्यान में रखते हुए बामसेफ संगठन के द्वारा ‘‘दैनिक मूलनिवासी नायक’’ नाम से मराठी और हिन्दी, बहुजनों का बहुजन भारत हिन्दी साप्ताहिक, मूलनिवासी बहुजन भारत अंग्रेजी मासिक पत्रिका, के अलावा पंजाबी और कई भाषाओं में पत्र पत्रिकाएं प्रकाशित की जा रही है. साथ ही सोशल मीडिया के माध्यम से एमएन न्यूज, एमएन वॉइस रेडियो का सीधा प्रसारण भी हो रहा है. बामसेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वामन मेश्राम साहब के नेतृत्व में 16 सितंबर 2009 को दैनिक मूलनिवासी नायक मराठी और 17 सितंबर 2011 को पेरियार रामासामी नायकर के 132वें जन्म दिवस के अवसर पर दैनिक मूलनिवासी नायक हिन्दी की स्थापना की गई थी. आज इस मूलनिवासी बहुजन आंदोलन के साथी दैनिक मूलनिवासी नायक (मराठी) का 11वाँ तथा दैनिक मूलनिवासी नायक (हिन्दी) का 9वाँ स्थापना दिवस है.



मूलनिवासी बहुजन समाज के कई संत महापुरूषों ने बहुजन आंदोलन को सफल करने के लिए समय-समय पर पत्र, पत्रिकाएं प्रकाशित की और कुछ संत महापुरूषों ने ‘‘वाणी’’ के माध्यम से आंदोलन को सफल बनाया. डॉ. बाबासाहब अम्बेडकर कहते थे, मीडिया की ताकत बहुत बड़ी ताकत होती है. ‘‘अगर बायें हाथ में मीडिया है तो दायें हाथ से रातों रात किसी को जीरो से हीरो बनाया जा सकता है और हीरो से जीरो बनाया जा सकता है’’ जिसकी कीमत टकाभर भी नहीं है वह आज मीडिया के बदौलत महात्मा और बापू बने हुए हैं. डॉ.बाबासाहब अंबेडकर कहते थे, मिशन चलाने के लिए मुखपत्र अख़बार का होना बहुत जरूरी है. इसलिए उन्होंने अपने जीवन में पैसों की भारी कमी के बावज़ूद भी अख़बार निकालकर लोगों में चेतना और लोगों को जागृत करने का काम किया. डॉ.बाबासाहब अम्बेडकर ने मूकनायक, जनता, बहिष्कृत भारत, प्रबुद्ध भारत जैसे समय-समय पर मुखपत्र निकाले. इसके बाद बहुजन नायक मान्यवर कांशीराम साहब ने भी उनके ही नक्शे कदम पर चलकर कुछ पाक्षिक, साप्ताहिक, पत्र पत्रिकाएं निकाली. जिनमें दी अनटचेबल इंडिया अंग्रेजी, दी ऑपरेसड इंडियन अंग्रेजी, श्रमिक साहित्य मराठी, दलित साहित्य गुजराती, बहुजन साहित्य हिंदी, शोषित साहित्य पंजाबी, बहुजन नायक मराठी, बहुजन संदेश पंजाबी, बहुजन संघटक हिन्दी और बहुजन टाइम्स हिंदी मराठी और इंग्लिश दैनिक अखबार प्रमुख है.
इसी नक्शे कदम पर चलते हुए बामसेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वामन मेश्राम साहब भी कई पत्र पत्रिकाएं निकाल कर तथागत बुद्ध से लेकर मान्यवर कांशीराम साहब तक के आंदोलन को आगे बढ़ा रहे हैं. वामन मेश्राम द्वारा आज वर्तमान में दैनिक मूलनिवासी नायक मराठी और हिन्दी, बहुजनों का बहुजन भारत हिन्दी साप्ताहिक, मूलनिवासी बहुजन भारत अंग्रेजी मासिक पत्रिका, इसके अलावा पंजाबी साप्ताहिक और कई भाषाओं में पत्र पत्रिकाएं प्रकाशित हो रहे हैं. इसके साथ ही सोशल मीडिया के माध्यम से एमएन न्यूज, एमएन वॉइस रेडियो का सीधा प्रसारण किया जा रहा है.
बहुजन आंदोलन के लिए खुद का मीडिया इसलिए जरूरी है क्योंकि, भारत की मीडिया पर ब्राह्मण और बनियों का पूर्ण रूप से कब्जा हो गया है. बता दें कि वर्तमान समय में तकरीबन 3840 टीवी चैनल और 5170 से ज्यादा समाचार पत्र हैं. इन सभी समाचार पत्रों और टीवी चैनलों के मालिक बनिया हैं और संपादक ब्राह्मण हैं. टाईम्स ऑफ इंडिया का मालिक जैन बनिया, दैनिक जागरण का मालिक गुप्ता बनिया, दैनिक भाष्कर का मालिक अग्रवाल बनिया, गुजरात समाचार का मालिक शाह बनिया, लोकमत का मालिक दर्डा बनिया, राजस्थान पत्रिका का मालिक कोठारी बनिया, नव भारत का मालिक माहेश्वरी बनिया और अमर उजाला का मालिक महेश्वरी/अग्रवाल बनिया हैं.

अगर टीवी चैनलों की बात करें तो लोकसभा टीवी के सीईओ राजिव मिश्रा, राज्य सभा टीवी के सीईओ राजेश बादल, डीडी दूरदर्शन के सीईओ त्रिपुरारी शर्मा, प्रसार भारती के चेयरमैन एस सूर्य प्रकाश, पीटीआई के चेयरमैन एमएम गुप्ता, टाईम्स ग्रुप के सीईओ रविन्द्र धारीवाल, एक्सप्रेस ग्रुप के विवेक गोयंका और हिन्दू के सीईओ राजीव लोचन हैं. इस तरह से मीडिया पर पूरी तरह से ब्राह्मणों और बनियों का कब्जा हो गया है. यही कारण है कि मूलनिवासी बहुजन आंदोलन की एक भी खबर प्रकाशित नहीं करते हैं, बल्कि उसको छिपाने का काम करते हैं. वहीं दैनिक मूलनिवासी नायक मराठी और हिन्दी इस आंदोलन के लिए पूर्ण रूप से समर्पित होकर मूलनिवासी बहुजनों की आवाज को बुलंद कर रहा है.
राजकुमार (संपादक, दैनिक मूलनिवासी नायक)

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