सोमवार, 16 सितंबर 2019

पहले इस्तेमाल करें, फिर विश्वास करें : सरकार


‘‘गोबर-गोमूत्र से बनी दवाओं का इस्तेमाल करें, फिर बुद्धिमान बच्चों को जन्म दें महिलाएं’’
मोदी सरकार द्वारा गठित आयोग ने एक अजीबो गरीब दावा किया है. आयोग का दावा है कि गोमूत्र और गोबर से तैयार दवाओं का इस्तेमाल कर महिलाएं बुद्धिमान बच्चों को जन्म देंगी. वैसे अब तक जितने भी अजीबो गरीब दावे या अजीबो गरीब हरकतों से भरी घटनाएं हुई हैं, वे मोदी सरकार में ही संभव हो पाया है. खासकर गाय, गोबर, गोमूत्र और धर्म, चमत्कार, पाखंडवाद, अंधविश्वास को लेकर. कभी बताया जाता है कि गाय के गोबर और गोमूत्र से कैंसर ठीक हो जाता है तो कभी गाय के पीठ पर हाथ फेरने से हार्टअटैक. हद तो तब हो गयी जब सरकार द्वारा गठित आयोग ने दावा कर दिया कि गोबर-गोमूत्र से तैयार दवाएं इस्तेमाल करने से महिलाएं बुद्विमान बच्चों को जन्म देंगी. इस दावे पर हंसी आती है और गुस्सा भी आता है कि सरकार के इस बचकाने दावे को क्या कहा जाय? इन लोगों ने तो विज्ञान को भी पीछे छोड़ दिया है. मिशन चन्द्रयान-2 के फेल हो जाने पर सोशल मीडिया पर कई तरह के पोस्ट आने लगे थे. एक ने तो पूरे दावे के साथ लिखा था कि ‘‘अगर चन्द्रमा पर गोबर का लेप किया गया होता तो मिशन चन्द्रयान फेल नहीं होता’’ इस हिसाब से तो पोस्ट करने वाले का दावा सत्य हो सकता है? क्या इस दावे को सत्य मान लिया जाय? अगर यही बात है तो सरकार द्वारा गठित आयोग को मिशन चन्द्रयान के लिए गोबर-गोमूत्र से किसी ऐसे उपकरण का निर्माण करना चाहिए जिससे मिशन कामयाब हो सके.
सरकार ने गाय की सुरक्षा के लिए न केवल भारी भरकम बजट पेश किया है, बल्कि कानून भी बना दिया है. लेकिन, गाय के नाम पर मौत के घाट उतारे जा रहे लाखों लोगों के लिए आज तक कोई कानून नहीं बनाया है. यूपी की योगी सरकार ने तो खुले शब्दों में कह दिया था कि ‘‘हमारी सरकार सिर्फ गाय की रक्षा और सुरक्षा के लिए संकल्पबद्ध है’’ उस वक्त इस बयान पर योगी सरकार की जमकर किरकिरी हुई थी. लोग नारा देने लगे थे कि ‘‘योगी तेरे राज में बहन, बेटियाँ न माँएं, सिर्फ गायें सुरक्षित हैं’’ यह कहने में जरा भी संकोच नहीं है कि यह नारा काफी हद तक साबित भी हुआ है. यूपी ही नहीं, पूरे देश में महिलाओं के प्रति अपराध में बेतहासा बढ़ोत्तरी हुई है. एक रिपोर्ट के अनुसार भारत ही भारत की महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक देश बन गया है, जहाँ हर 15 मिनट पर एक महिला के साथ बलात्कार होता है. हर 22 मिनट पर एक महिला के साथ सामुहिक बलात्कार होता है और हर 35 मिनट पर एक बच्ची को हवस का शिकार बनाया जाता है.

मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल में जितना महत्व गाय को दिया है. अगर, शायद उतना महत्व देश और इंसान पर दिया होता तो आज न तो देश में बेरोजगारी, गरीबी, भुखमरी, अशिक्षा, हत्या, बलात्कार, अपहरण, आतंकवाद, मॉब लिंचिंग, दंगा-फसाद होता और न ही गाय के नाम पर लाखों लोगों को मौत के घाट उतारा जाता. बल्कि देश के विकास में काफी हद तक सुधार हो गया होता. लेकिन, सरकार पर जनता का जोर चलने वाला नहीं है. क्योंकि, सरकार को जनता ने नहीं ईवीएम मशीन ने चुना है. यही कारण है कि सरकार को जनता से ज्यादा ईवीएम मशीन की चिंता है और फालतू काम करने की सनक सवार है. लगे हाथ एक और बात बता दें कि कभी बीजेपी की चुनावी नैय्या यही गाय, गंगा, गीता पार लगाती थीं बशर्ते आज ईवीएम लगा रही है.

आपको बताते चलें कि मोदी सरकार ने इसी साल फरवरी में गोवंश के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए ‘राष्ट्रीय कामधेनु आयोग’ के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. यह आयोग आयुष मंत्रालय के साथ मिलकर पंचगव्य दवाएं तैयार करने पर काम कर रहा है. ये पंचगव्य दवाएं गोमूत्र और गोबर आदि से तैयार किए जा रहे हैं. आयोग का दावा है कि अगर गर्भवती महिलाएं इन दवाओं का नियमित इस्तेमाल करेंगी तो वे ‘बेहद बुद्धिमान और स्वस्थ बच्चों’ को जन्म दे पाएंगी. राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के चेयरमैन वल्लभभाई कथीरिया ने अंग्रेजी वेबसाइट द प्रिंट से बातचीत में कहा कि शास्त्र और आयुर्वेद में भी पंचगव्य औषधि का जिक्र है, जो गाय से मिलने वाली पाँच चीजों का मिश्रण है. उन्होंने कहा, शास्त्रों और आयुर्वेद में लिखा है कि अगर गर्भवती स्त्रियाँ इन दवाओं का सेवन करती हैं तो वे बेहद बुद्धिमान और स्वस्थ बच्चों को जन्म दे सकती हैं. कथीरिया ने बताया कि आयुष मंत्रालय के अलावा हालिया गठित पशुपालन मंत्रालय की ओर से सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय से मदद मांगी जाएगी. एक बार बड़े पैमाने पर दवाओं का उत्पादन शुरू होने के बाद वे गांवों में वैद्यों की नियुक्ति करेंगे, जो गर्भवती महिलाओं को ये दवाएं इस्तेमाल करने के लिए कहेंगे. आयोग के चेयरमैन ने बताया कि उनकी जिम्मेदारी देसी गायों की नस्लों के विकास और उनके संरक्षण की भी है. इसके लिए 22 देसी नस्लों का चयन किया जा चुका है.

बता दें कि 15 अगस्त के दिन जैसे ही पीएम मोदी ने विस्फोटक जनसंख्या पर चर्चा किया, वैसे ही एक बार फिर जनसंख्या वृद्धि को लेकर मुसलमानों पर हमला शुरू हो गया कि मुसलमान की बढ़ती संख्या देश के लिए खतरनाक है. हालांकि, पहले भी समय-समय पर हिन्दुवादी नेताओं द्वारा बयानबाजी और आंकड़ेबाजी शुरू हुई है. कोई कहता था कि हिन्दुओं को पाँच-पाँच बच्चे पैदा करना चाहिए तो कोई कहता हिन्दुओं को दस-दस बच्चे पैदा करना चाहिए. हिन्दुवादी नेताओं द्वारा तो यह भी कहा जाता रहा है कि जितनी तेजी से मुसलमानों की संख्या बढ़ रही है उतनी ही तेजी से हिन्दुओं की संख्या कम हो रही है. यही नहीं यह भी दावा किया जा चुका है कि जिस तरह से देश में मुसलमानों की जनसंख्या बढ़ रही है उस तरह से आने वाले कुछ ही सालों में देश पर केवल मुसलमानों का ही कब्जा हो जायेगा. इस बात को ध्यान में रखते हुए हमें लगता है कि इन दवाओं की सबसे ज्यादा जरूरत उन हिन्दुवादी नेताओं के लिए है जो मुस्लिमों की बढ़ती आबादी और हिन्दुओं की घटती जनसंख्या से चिंतित होकर हिन्दुओं को पाँच से दस बच्चे पैदा करने की सलाह देते हैं. सरकारी आयोग ने जिस हिसाब से दावा किया है उस हिसाब से हिन्दुवादी नताओं को इन दवाओं का इस्तेमाल करके बुद्धिमान बच्चों को जन्म देने के साथ-साथ हिन्दुओं की जनसंख्या में वृद्धि करनी चाहिए.
राजकुमार
सामाजिक कार्यकर्ता
चन्दौली (उत्तर प्रदेश)

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