हर मिनट पर बलात्कार की घटनाओं से देश में दहशत
भारत में एक तरफ ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा लगाया जाता है तो दूसरी तरफ उन्हीं बेटियों को हवस का शिकार बनाया जाता है. जबकि, भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में महिलाओं को माँ का दर्जा दिया गया है. लेकिन, उन्हीं माँ समान महिलाओं के साथ बलात्कार जैसी घिनौनी घटनाएं हो रही हैं. क्या आपने कभी सोचा है कि जिस देश में बेटी बचाओ का नारा दिया जाता है आज वही देश पूरी दुनिया में माँ और बेटियों के लिए असुरक्षित देश बन गया है? महिलाओं के साथ हो रहे बलात्कार और सामुहिक बलात्कार के मामलों में भारत जहाँ 2011 में चौथे नंबर था वहीं 2018 में दुनिया का नंबर वन देश बन गया.
2018 में जारी नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर 15 मिनट में एक महिला के साथ बलात्कार होता है, हर 22 मिनट पर एक सामुहिक बलात्कार होता है और हर 35 मिनट पर एक बच्ची को हवस का शिकार बनाया जाता है. इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात तो यह है कि हर तीन दिन पर पुलिस थाने में एक बलात्कार होता है. बलात्कार होने वाली महिलाओं में छोटी जातियां और कमजोर वर्ग की महिलाओं की संख्या सबसे ज्यादा है.
अगर, भारत में वर्ष 1994 से लेकर 2016 तक की बात करें तो 1994 में केवल बच्चियों के साथ बलात्कार की 3,986 घटनाएं हुई थी जो, वर्ष 2016 में 4.2 प्रतिशत की दर से बढ़कर 16863 घटनाएं हो गई. केवल दिल्ली में महज एक साल 2017 में जहाँ 757 बलात्कार हुए, वहीं 2018 में बलात्कार की 780 घटनाएं हुई. इसके अलावा मध्य प्रदेश के आंकड़ों पर गौर करें तो रोंगटे खड़े हो जायेंगे. यह सुनकर की महज 181 दिनों में महिलाओं के साथ 4,961 छेड़छाड़ की घटनाएं हुई. जबकि, 2,439 बलात्कार की घटनाओं को अंजाम दिया गया. इसी तरह से मध्य प्रदेश के चार टॉप शहरों में भोपाल जहाँ 156 बलात्कार, इंदौर 132, जबलपुर 108 और ग्वालियर 97 बलात्कार की घटनाओं के साथ शामिल है.
बता दें कि बलात्कार के मामले में यूपी भी पीछे नहीं है. अगर, आंकड़ों पर गौर करें तो अप्रैल 2017 से जनवरी 2018 तक उत्तर प्रदेश में 3,704 घटनाएं हुई. जबकि, इसी दौरान यूपी में उत्पीड़न के 13,392 घटनाएं और हत्या की 2,223 घटनाओं को अंजाम दिया गया. इसके अलावा 1 अप्रैल 2017 से 31 जनवरी 2018 तक की घटनाओं की बात करें तो 1 अप्रैल 2017 से लेकर 1 जनवरी 2018 तक 3,704 महिलाओं को बलात्कार का शिकार बनाया गया और 11,404 शीलभंग की घटनाएं हुई. अब सवाल खड़ा होता है कि देश में कानून लागू है इसके बाद भी महिलाओं के खिलाफ अपराधों में कोई कमी नहीं आ रही है. देश में महिलाओं के साथ होने वाली घटनाओं की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है. इसके बाद भी सरकार इस पर रोक लगाने में नाकाम है. शासन-प्रशासन का रवैया बता रहा है कि इन घटनाओं पर रोक लगाना सरकार और कानून दोनों के ही बस की बात नहीं है.
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