भारत में जहाँ इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का उपयोग बड़े पैमाने पर हो रहा है, तो वहीं इजराइल, यूक्रेन, इंडोनेशिया, जापान, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैण्ड, इटली, नीदरलैंड, आयरलैंड, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे दुनिया के विकसित देश आज भी ईवीएम के बजाय बैलेट पेपर से चुनाव कराते हैं. जबकि, उपरोक्त देशों में जापान, अमेरिका सहित कुछ देशों ने ईवीएम का आविष्कार किया है. इसके बाद भी ईवीएम से चुनाव नहीं कराते हैं. उन देशों का मानना है कि ईवीएम से निष्पक्ष, पारदर्शी और स्वतंत्र रूप से चुनाव नहीं हो सकता है.
गौरतलब है कि 17 सितंबर 2019 को इसराईल के नागरिकों ने देश में पाँच महीने में दूसरी बार हुए आम चुनाव में मंगलवार को बैलेट पेपर पर वोट डाले. इस चुनाव को मौजूदा प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के नेतृत्व पर एक जनमत संग्रह के तौर पर देखा जा रहा है. मंगलवार सुबह सात बजे बैलेट पेपर से मतदान शुरू हुआ. जबकि, इसी साल अप्रैल में चुनाव हुआ था. लेकिन, 120 सदस्यीय संसद में 61 सदस्यों का गठबंधन बनाने में नेतन्याहू (69) के नाकाम रहने के चलते मध्यावधि चुनाव की फिर जरूरत पड़ गयी. इसलिए पाँच महीनें में यह दूसरी बार चुनाव हो रहा है. इसराईली चुनाव की सबसे खास बात यह है कि यहाँ बैलेट पेपर से चुनाव होता है. इसराईली सरकार को ईवीएम पर रत्तीभर भी भरोषा नहीं है. इसराईल के प्रधानमंत्री नौ सितंबर को एकदिवसीय भारत दौरे पर आने वाले थे, लेकिन चुनावों में व्यस्तता के कारण उन्हें यह दौरा रद्द करना पड़ा. इससे पहले अप्रैल में हुए चुनावों के कारण भी अपना भारतीय दौरा रद्द करना पड़ा था.
बता दें कि 2017 में जापान में भी चुनाव बैलेट पेपर से संपन्न हुआ था. यही नहीं 30 मार्च 2019 को यूक्रेन में भी चुनाव बैलेट पेपर से संपन्न हुआ है. दिलचस्प बात तो यह है कि जापान में मतदाताओं को दो बार वोट डालने का अधिकार है. एक वोट चुनाव क्षेत्र के उम्मीदवार के लिए और दूसरा वोट पार्टी के लिए. जापान का संविधान वयस्क मताधिकार और गुप्त मतदान का अधिकार देता है. साथ ही वह निर्धारित करता है कि चुनाव कानून, नस्ल, जाति, लिंग, सामाजिक स्थिति, पारिवारिक मूल, शिक्षा, जायदाद या आय से भेदभाव नहीं कर सकता.
अगर भारत की बात करें तो भारत में ईवीएम में घोटाला होने के बाद भी बैलेट पेपर से चुनाव नहीं किया जा रहा है. जबकि बीते फरवरी 2019 को इंडोनेशिया में राष्ट्रपति का चुनाव संपन्न हुआ. जिसमें ईवीएम की जगह बैलेट पेपर का इस्तेमाल किया गया है. इंडोनेशिया में ईवीएम पर लंबे समय से बहस जारी थी, जिसके बाद सभी दलों में राजनीतिक सहमति नहीं बन सकी और वापस बैलेट पेपर पर लौटना तय हुआ. इंडोनेशिया दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जहाँ अमेरिका की तरह ही राष्ट्रपति सिस्टम लागू है.
सबसे ज्यदा चौंकाने वाली बात तो यह है कि इंडोनेशियाई में 8,00,000 मतदान केंद्रों पर 19 करोड़ से अधिक मतदाताओं को वोट देना होता है. इससे भी ज्यादा हैरान करने वाली बात यह भी है कि 19 करोड़ से ज्यादा मतदाता बैलेट पेपर पर मतदान करते हैं. लेकिन, वहीं भारत में चुनाव आयोग द्वारा कहा जा रहा है कि बैलेट पेपर से चुनाव कराने में देरी होगी. अब सवाल यह है कि क्या इंडोनेशिया में देर नहीं हो रहा है? दूसरा सवाल यह है कि चुनाव आयोग का काम निष्पक्ष, पारदर्शी और स्वतंत्र रूप से चुनाव कराने का काम दिया गया है या चुनाव जल्दी कराने का काम दिया गया है?
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