रविवार, 22 सितंबर 2019

भाऊराव पाटिल जयंती


भाऊराव पाटिल जयंती
कर्मवीर भाऊराव पायगोंडा पाटिल का जन्म महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में 22सितंबर 1887 को हुआ था। उन्होंने सतारा जिले के काले नामक स्थान पर महात्मा फुले के 'सत्य शोधक समाज ' के उद्देश्यों की पूर्ति के निमित्त 04अक्टूबर1919 को बहुजनों की शिक्षा के लिए 'रयत शिक्षण संस्था' की स्थापना की थी। उनका कहना था कि समाज का यह जो गरीब तबका है, इसके पिछड़ने का कारण अशिक्षा है। उन्होंने मजदूर वर्ग को नारा दिया, 'कमाओ और शिक्षा प्राप्त करो' (Earn and learn) रयत शिक्षण संस्था के पास आज करीब 700 होस्टल हैं जिनमें करीब 4,50,000 विद्यार्थी संस्था के विभिन्न स्कूलों और कालेजों में शिक्षा प्राप्त करते हैं।

महाराष्ट्र सरकार ने 1955 में उनके द्वारा समाज के लिए की गई उनकी सेवाओं को याद करते हुए उन्हें 'कर्मवीर' की मानद उपाधि से सम्मानित किया। भारत सरकार ने भी 1959 में उन्हें राष्ट्रीय सम्मान देते हुए 'पद्म भूषण' से अलंकृत किया तथा उनके 29वें स्मृति दिवस पर 09मई 1988 को 60 पैसे का एक डाक टिकट भी जारी किया। इसी वर्ष पूना यूनिवर्सिटी ने उन्हें 'डी लिट्' की मानद उपाधि से नवाजा। करीब 72वर्ष की आयु में 09मई1959 को उनका परिनिर्वाण हो गया। लीक से हटकर चलते हुए इस महान हस्ती ने दबे-कुचलों की शिक्षा के लिए जो कार्य किया, इतिहास में उसे हमेशा याद किया जायेगा।

यह मात्र एक संयोग ही कहा जायेगा कि बाबासाहेब अम्बेडकर ने भी कोलंबिया यूनिवर्सिटी, न्यूयॉर्क में 09मई1916 को आयोजित एक शोध संगोष्ठी में भारत में जातियां: उनकी संरचना, उत्पत्ति एवं विकास (Castes in India: Their Mechanism, Genesis & Development) पर अपना शोधपत्र पढ़ा था। बाबासाहेब तब केवल 25 साल के थे और मानवशास्त्र के शोधार्थी थे। 18 पृष्ठों के इस शोध प्रबंध में बाबासाहेब ने भारत की जाति प्रथा को एक अनूठे परिप्रेक्ष्य में देखने का प्रयास किया है।

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