रविवार, 21 मई 2017

सहित्यों में बाबासाहब अंबेडकर

दोस्तों हमारे लिए बाबासाहब अंबेडकर का साहित्य यानी हमारी महत्वपूर्ण प्रोपर्टी हैं। बाबासाहब का विचार यानी उनका साहित्य हैं। जो महाराष्ट्र सरकार के पास हैं। हमे जितने बाबासाहब के पुतले महत्वपूर्ण लगते हैं उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण उनका साहित्य हैं। बाबासाहब हमारे बाप हैं। क्या हमारे बाप कि प्रोपर्टी यानी उनका पुरा साहित्य हमारे पास हैं? क्या जो साहित्य हैं उसमे भी कुछ मिलावट हैं ? आखिर कब तक यह साहित्य हमारे पास होगा ? और कितना साहित्य हमे मिलना बाकि है ? इन सारे सवालो के बारे मे हम आपके सामने यह जानकारी पेश कर रहे हैं।
** बाबासाहब द्वारा लिखित पुरा साहित्य महाराष्ट्र सरकार के पास हैं। बाबासाहब का साहित्य प्रकाशित करने हेतु महाराष्ट्र सरकार ने 15 मार्च 1976 को Dr. Babasaheb Ambedkar Source Material Publication Committee कि स्थापना की। यह Committee Education Department of Maharashtra के तहत काम करती हैं। इस Committee के अध्यक्ष शिक्षा मंत्री होते हैं।
वसंत मुन इस Committee के पहले Member Secretary (officer on special duty) थे। वसंत मून इन्होने अपने कार्यकाल मे बहोत अच्छा काम किया। उनके कार्यकाल मे बाबासाहब अंबेडकर के साहित्य के 17 वोल्युम प्रकाशित हूए और उन्होने 22 वोल्युम तक की फाईलिंग भी तयार कर रखी थी। वसंत मून 17 साल तक इस Committee के Member Secretary थे। उनके देहांत के बाद Committee का काम धीमे गती से चल रहा हैं।
बाबासाहब का साहित्य भारत मे बेस्ट सेलर साहित्य हैं।
महाराष्ट्र सरकार बाबासाहब का साहित्य अंग्रेजी मे प्रकाशित करता हैं जो बाबासाहब का मुल साहित्य हैं।
*** बाबासाहब के साहित्य के साथ छेडछाड
वोल्युम 17 के 300 पृष्ठ गायब:-
वोल्युम 17 वसंत मुन इन्होने अपने कार्यकाल मे ही पुरा किया था। वह पुरे 800 पृष्ठों का था। वसंत मून इनके देहांत के बाद नए Member Secretary ने वोल्युम 17 को पिछे लेते हुए कहा कि इसमे बहोत सी गलतीया हैं और वह गलतीया निकालकर उसमे से 300 पृष्ठों को गायब कर दिया गया और वोल्युम 17 सिर्फ 500 पृष्ठों का ही प्रकाशित किया गया।
एक दो शब्द या बाबासाहब के हस्ताक्षर या उसमे कुछ गलतीया होने कि वजह से एक लाईन गलत हो सकती हैं किंतु उसके लिए पूरे पृष्ठ को गलत करार देना क्या जायज है ?
कोई लाईन, शब्द या प्रिंट मिस्टेक हो तो उसके लिए 300 पृष्ठों को गायब करना यह बात कुछ हजम नही होती।
यानी बाबासाहब के साहित्य के साथ छेडछाड की हैं और यह बहोत गंभीर मुद्दा हैं।
*** साहित्य मे की गई गलतियाँ:-
1) वोल्युम 11 :-
Committee की तरफ से वोल्युम 11 बुद्धा दि अँड हिज धम्मा यह अक्तुंबर 1995 मे प्रकाशित हुआ। बाबासाहब अंबेडकर जी ने बुद्ध और उनका धम्म के लिए जो Preface लिखा था वह Preface इस वोल्युम के आखिर मे दिया गया। मुल ग्रंथ के पृष्ठों से छोटे पृष्ठों पर छोटे अक्षरो मे टाईप कर उसकी झेराँक्स काँपी इस वोल्युम के आखिर मे चिपकाई गई।
लेकिन नियम यह हैं कि किसी भी किताब का Preface किताब के सामने वाले पृष्ठों पर होता हैं न कि आखिर मे।
बुद्ध और उनका धम्म की Reference List 1995 को स्वतंत्र रूप से प्रकाशित कि गई इसको वोल्युम 11 Suppliment (Pali & Other Sources of The Buddha & His Dhamma With an Index) यह नाम दिया गया।
आश्चर्य कि बात यह हैं कि बुद्धा और उनका धम्म इस वोल्युम की 50,000 काँपी प्रकाशित की गई किंतु उसके Reference List की केवल 15,000 काँपी प्रकाशित की गई।
2) वोल्युम 18 :-
वोल्युम 18 तीन भागों मे हैं। जहा पर बाबासाहब अंबेडकर के कुल 354 भाषण प्रकाशित किए गए। (बाबासाहब ने अपने जिवन मे 527 भाषण दिए थे। उनमे से 500 भाषण डा. नरेंद्र जाधव द्वारा संपादित बोल महामानवाचे इन 3 खंडो मे उपलब्ध हैं फिर महाराष्ट्र सरकार के वोल्युम 18 मे केवल 354 ही भाषण क्यों ?)
बाबासाहब अंबेडकर इन्होने 20 मई 1956 मे व्हाईस आफ अमरिका यहा दिए हुऐ ‘ भारतीय जनतंत्र का भविष्य ‘ यह भाषण बाबासाहब के हस्ताक्षरो मे मौजूद होते हूए भी वोल्युम 17 मे शामिल नही किया गया।
बाबासाहब ने 12 मई 1956 को बीबीसी को जो भाषण Why I like Buddhism & How Useful it is to the World in its Present यह महत्वपूर्ण भाषण भी यहा प्रकाशित नही किया।
3) वोल्युम 21 :-
महाराष्ट्र सरकार ने वोल्युम 21 मे बाबासाहब के खतों ( पत्र ) को प्रकाशित किया गया। वहा बाबासाहब के पत्रों कि फोटोकोपी हैं। लेकिन बाबासाहब के सभी खत वहा शामिल नही हैं। आखिर बाबासाहब के पुरे खत क्यो नही छापे? इसके पिछे भी बडी साजिश हो सकती हैं।
4) वोल्युम 22 :-
महाराष्ट्र सरकार ने 2010 मे Babasaheb Ambedkar Photobiography नाम का वोल्युम 22 प्रकाशित किया था। उस वोल्युम मे बाबासाहब
के फोटोग्राफ छांपे गए। लेकिन यह वोल्युम भी बहोत से विवादो मे आया।
1)इसमे बाबासाहब के सभी फोटो नही हैं।
2)इस वोल्युम कि स्क्रिप्ट सुक्ष्म अध्ययन करके नही लिखी गई।
3)फोटो मे कौन कौन हैं? क्या कर रहे हैं? फोटो कब और कहा निकाला गया इसके बारे मे जानकारी नही दी गई।
4)कुछ फोटो स्पष्ट नही दिखाई देते।
इस वजह से इस वोल्युम को कैंसल किया गया (यह वोल्युम मेरे पास हैं।)
इस वोल्युम को सुधारना चाहिऐ इसके बारे मे Committee के Member Secretary से हमारी बातचीत जारी हैं। हमने कुछ 15-17 दुर्लभ फोटो भी इनको भेजे थे। और वोल्युम के फोटो मे कौन क्या कर रहा है ? फोटो कौन से साल का है ? यह भी लिखकर कुल 17 पृष्ठों का खत लिखकर भेजा था वो भी पुरे स्टडी के साथ। लेकिन वहा से जवाब आता हैं कि वोल्युम 22 जल्द प्रकाशित होगा। 2010 से एक भी वोल्युम प्रकाशित नही हुआ और वोल्युम 22 का द्वितीय और सुधारित संस्करण अभीतक प्रकाशित नही हुआ।
वोल्युम 22 मे लिखा गया कि अब Committee के पास बाबासाहब का कोई साहित्य नही हैं। किंतु यह बात पुरी तरह से झुठ हैं। Committee के पास बाबासाहब का और भी साहित्य हैं।
हरी नरके (Ex-Member Secretary Dr. Babasaheb Ambedkar Source Material Publication Committee):-
” Committee के पास 40-50 वोल्युम तयार हो सकते हैं इतना साहित्य हैं।”
म.ल.कसारे ( Ex-Member Secretary Dr. Babasaheb Ambedkar Source Material Publication Committee):-
” 175 वोल्युम प्रकाशित हो सकते है।”
हरी नरके और म.ल.कसारे यह Secretary Dr. Babasaheb Ambedkar Source Material Publication Committe Ex-Member Secretary थे। इससे यह पता चलता हैं कि Committe के पास बाबासाहब का और भी साहित्य हैं।
*** महाराष्ट्र सरकार द्वारा बाबासाहब के साहित्य के अंग्रेजी मे प्रकाशित वोल्युम 22 हैं।
वोल्युम 14 दो भागों मे हैं।
वोल्युम 17 तीन भागों मे हैं।
वोल्युम 18 तीन भागों मे हैं।
संदर्भ ग्रंथ-2
यानी कुल 29 किताबे प्रकाशित हैं।
*** वोल्युम के पुनः संस्करण नही।
महाराष्ट्र सरकार द्वारा अंग्रेजी मे बाबासाहब का जो साहित्य प्रकाशित किया गया वह आज खत्म यानी आउट आफ स्टाक हैं। उनको दोबारा प्रकाशित नही किया गया।
महाराष्ट्र के पुर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख खुद वोल्युम 19 मे लिखते हैं कि वोल्युम 1, 2, 3, 5, 6, 7, 8, 10, 13, 14, 15, 16 कि सभी प्रतीयाँ खत्म हो चुकी हैं। और साथ ही संदर्भ साहित्य के दो वोल्युम भी खत्म हो चुके हैं।
मैं खुद नागपूर के Government Press & Book Depot मे जाकर देखता हूं वहा बाबासाहब के साहित्य के बहोत से वोल्युम नही मिल रहे हैं। लगभग सभी वोल्युम खत्म हो चुके हैं। उनको दोबारा प्रकाशित नही किया गया।
हरी नरके (Ex-Member Secretary Dr. Babasaheb Ambedkar Source Material Publication Committee) इन्होने वोल्युम 19 और 20 मे लिखा हैं कि सरकार द्वारा पाठको के लिए कम किमत मे यह ग्रंथ मिल रहे हैं फिर भी यह नुकसान मे जानेवाला प्रोजेक्ट नही हैं। इससे कोई फायदा मिले यह महाराष्ट्र सरकार का कोई उद्देश (हेतु) नही हैं फिर भी आज तक 1 करोड से भी ज्यादा फायदा महाराष्ट्र सरकार को इस प्रोजेक्ट से हुआ हैं।
महाराष्ट्र सरकार को करोडो का फायदा होकर भी सरकार बाबासाहब का साहित्य प्रकाशित नही कर रही।
*** बाबासाहब अंबेडकरजी का और कौनसा साहित्य प्रकाशित किया जाना चाहिए?
1) जनता (अखबार)
2) समता (अखबार)
3) प्रबुद्ध भारत (अखबार)
4) बाबासाहब के पुरे खत
5) बाबासाहब के संपुर्ण फोटो
6) विदेशों से भेजे गए खत
7) उनकी विभिन्न पत्रकारों को दिए गए इंटरव्ह्यु
8) बाबासाहब के द्वारा निकाले गए नोटिस
9) बाबासाहब अंबेडकर केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल मे थे। बाबासाहब के पास चार डिपार्टमेंट थे। उन्होने उस वक्त जो भी महत्वपूर्ण निर्णय लिए थे (केंद्रिय विद्युत आयोग, केंद्रिय जल आयोग, दामोदर महानदी प्रकल्प, हिराकुड सोननदी के डैम के बारे मे) इसके बारे मे बाबासाहब के महत्वपूर्ण भाषण, नोट्स, हस्ताक्षर और उससे संबंधित कागजात केंद्रिय मंत्रालय के रेकार्ड रूम और पुरातत्व विभाग के लाईब्ररी मे हैं। उसका भी एक वोल्युम तयार हो सकता हैं। इस मंत्रालय के रेकार्ड रूम और पुरातत्व विभाग के लाईब्ररी के कागजात को डा. सुखदेव थोरात इन्होने पढा हैं। इसका जिक्र उन्होंने अपनी किताब Dr.Ambedkar’s Role in Economic Planing & Water Policy मे किया हैं।
यानी बाबासाहब का और भी साहित्य हैं जो अब तक प्रकाशित नही किया गया।
*** बाबासाहब इनका साहित्य मराठी मे प्रकाशित नही।
भारत सरकार ने डा.बाबासाहब अंबेडकर इनका साहित्य विभिन्न भाषाओं मे अनुवाद करने के लिए 1991 मे डा.अंबेडकर फौंडेशन कि स्थापना की।
बाबासाहब का साहित्य महाराष्ट्र सरकार ने अभीतक मराठी मे प्रकाशित नही किया।
महाराष्ट्र सरकिर द्वारा प्रकाशित वोल्युम 19 और 20 मे पुर्व शिक्षा मंत्री दिलिप वळसे पाटिल कहते हैथ कि अगले साल 6 दिसंबर 2006 को बाबासाहब अंबेडकर के महापरिनिर्वाण को 50 साल पुरे हो रहे हैं। उससे पहले बाबासाहब के साहित्य के अधिकाधिक(ज्यादा से ज्यादा) वोल्युम मराठी मे प्रकाशित हो ऐसा हमारा प्रयास हैं।
किंतु अब तक यानी 2014 तक एक भी वोल्युम मराठी मे प्रकाशित नही हुआ।
वोल्युम 22 मे
हरी नरके (Ex-Member Secretary Dr. Babasaheb Ambedkar Source Material Publication Committee) कहते हैं कि वोल्युम 4 और 6 मराठी प्रकाशन के लिए तयार हैं और वोल्युम 9 और 12 के मराठी अनुवाद हमे प्राप्त हो चुके हैं। यह बात उन्होंने 2010 मे कही थी किंतु आज 2014 तक एक भी वोल्युम मराठी मे प्रकाशित नही हुआ।
वोल्युम 6 यह डा.विजय कविमंडन इन्होने मराठी मे अनुवादित किया हैं। लेकिन वह अबतक प्रकाशित नही किया गया। इसके बारे मे डा.विजय कविमंडन अपने ” डा.आंबेडकरांचे आर्थिक चिंतन ” इस किताब मे लिखते हैं कि ‘ 1994 मे मेरे पास छठे वोल्युम के मराठी अनुवाद का काम आया। दो साल मे लगभग 700 पृष्ठों का अनुवाद करके मैने उसे Committee को सौंपा। Committee ने वह प्रकाशन के लिए स्विकारा किंतु आज तक वह लोगों के सामने आया ही नही।
यानी सरकार नही चाहती कि बाबासाहब का साहित्य महाराष्ट्र के आम जनता तक पहुचे।
*** बाबासाहब का पुरा साहित्य हिंदी मे प्रकाशित नही हैं।
दिल्ली सरकार द्वारा बाबासाहब का साहित्य बाबासाहब डा.अंबेडकर संपुर्ण वाङमय नाम से प्रकाशित किया जाता हैं। आज यह किताबें 21 वोल्युम मे प्रकाशित हैं। 21 यानी बहोत ज्यादा हो गए ऐसा नही हैं। यह महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्रकाशित अंग्रेजी 22 वोल्युम के केवल 10 वोल्युम का हिंदी अनुवाद हैं। और भी बहोत साहित्य हिंदी मे आना बाकि हैं। इसके लिए हमे जोरदार प्रयास करना पडेगा।
यह पुरा साहित्य हमे उपलब्ध हो इसके लिए लार्ड बुद्धा टिवी के जोरों से प्रयास चालू हैं। इसमे आप सभी लोगों के सहायता कि आवश्यकता हैं। बाद मे पुतलों के लिए लढना पहले बाबासाहब के साहित्य को प्राप्त करने के लिए लड़ना पडेगा।
Reference:-
1) Dr.Babasaheb Ambedkar Writing & Speeches Vol. 19
2) Dr.Babasaheb Ambedkar Writing & Speeches Vol. 20
3) Dr.Babasaheb Ambedkar Writing & Speeches Vol. 22
4) डा.बाबासाहेब अंबेडकर यांच्या साहित्य संपदेवर काँग्रेसची अघोषित बंदी
लेखक:- प्रा.विलास खरात
5) मुलनिवासी नायक(अखबार)
6) डाँ.बाबासाहेब आंबेडकर खंडमालिका खंड-22 दोषपूर्ण: चिकित्सा व समिक्षा
लेखक:- रमेश जिवने
7)Ambedkar’s Role in Economic Planning & Water Policy
Author:- Dr.Sukhdeo Thorat.
8) आंबेडकरांचे आर्थिक चिंतन
लेखक:- डाँ.विजय कविमंडन

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें