आज बहुत ज्यादा तबियत खराब होने के बाबजूद मुझे लिखना पड़ रहा है क्योकि कुछ लोग बहुत ही बड़े भक्त लोग बन गए है. शायद मेरे ही समाज के कुछ लोगों को यह पोस्ट बुरी लगे लेकिन मुझे लिखते हुए खुशी का एहसास हो रहा है क्योकि इस पोस्ट से उन लोगों की आँखे खुल जायेगी.
आज सुबह उठा तो फेसबुक खोली तो पाया की बहुत से लोग लिख रहे है “हम आरक्षण विरोधी है” कोई ब्राह्मण, क्षत्रिय या वैश्य ऐसा लिखे तो समझ आता है लेकिन जब एससी, एसटी, ओबीसी और आदिवासी लोग यह बात कहे तो बहुत हैरानी होती है. ब्राह्मण जो बोलता है उसी को सच मान के बैठ जाते है और उस पर लंबी लंबी बहस करने लगते है. असल में ब्राहण अज्ञानी नहीं है वो सब जानता है. लेकिन आप लोगों का ज्ञान अधूरा है. इसीलिए आप लोग ऐसी मूर्खतापूर्ण हरकते करते है.
असल में आप लोगों को कही भी आरक्षण नहीं दिया गया है यहाँ कोई है जो मुझे बता सके कि संविधान में कहा आप लोगों को “Right to Reservation” मतलब “आरक्षण का अधिकार” दिया गया है?
संविधान में कही भी आरक्षण की बात नहीं की गई है. असल में आप सभी लोगों को “Right to Representation” मतलब “प्रतिनिधत्व का अधिकार” दिया गया है. सही तरीके से समझाने के लिए मुझे यहाँ एक उदाहरण देना पड़ेगा. इंडिया में इस समय दो वर्ग के लोग है. पहले बहुसंख्यक; जो गरीब, सदियों से प्रताड़ित, उत्पीडित और शोषित लोग है. दूसरे अल्प संख्यक; जो साधन सम्पन और सदियों से बहुसंख्यकों का शोषण करते आ रहे है. बहुसंख्यकों में एससी, एसटी, ओबीसी और आदिवासी या धर्मान्तरित लोग आते है और अल्प संख्यकों में ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य आते है. आज बहुसंख्यकों के पास ऐसा कोई साधन नहीं है जिससे वो सत्ता पर काबिज हो सके. जबकि अल्पसंख्यक लोगों के पास हर तरह के साधन है. अब मान लो संसद में 100 लोग चुन कर जाते है. अगर प्रतिनिधत्व का अधिकार नहीं होगा तो जो सम्पन और चालक वर्ग है जिसकी मानसिकता ही गरीब बहुसंख्यकों का शोषण करना है वो कोई भी तिकडम लगा कर अपने ही 100 लोग संसद में भेजेगा और अपनी मनमानी से शासन करते हुए बहुसंख्यकों का शोषण करेगा. क्योकि वो अनपढ़, गरीब, साधनहीन और सदियों से प्रताड़ित लोग है.
इसी बात को समझते हुए भीम राव अम्बेडकर ने संविधान में एक व्यवस्था कर दी. जिसके अंतर्गत यह शर्त रखी गई कि हर क्षेत्र में बहुसंख्यकों को एक निश्चित प्रतिनिधित्व दिया जाए. जिसका प्रतिशत आज 27 है. अब हम उदाहरण पर आते है; अगर 100 लोग संसंद में चुन कर जाने हो तो व्यवस्था कहती है कि उन 100 लोगों में 27 प्रतिशत लोग बहुसंख्यक होने चाहिए. ताकि 77 प्रतिशत लोग अपनी मनमानी ना कर सके.
यह बात ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्यों को ना बाबा साहब के समय रास आई थी और ना आज रास आती है क्योकि उनकी मानसिकता में बहुसंख्यकों के लिए सिर्फ और सिर्फ नफ़रत भरी पड़ी है. ये लोग कभी बहुसंख्यकों को ऊपर उठते या विकास करते देख ही नहीं सकते. यही मुख्य कारण है कि आज ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य “Right to Representation” को खत्म करना चाहता है. ताकि वो लोग मनमर्जी से बहुसंख्यकों का शोषण कर सके और उन पर राज कर सके. यही वो कारण है जिसके चलते ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य प्रतिनिधत्व के अधिकार को आरक्षण बता कर उसके विरोध में भारी जन समर्थन बनाने के लिए प्रयासरत है और प्रतिनिधत्व के अधिकार को आरक्षण बोल कर बहुसंख्यकों बरगला रहा है.
बहुसंख्यकों अभी भी समय है सावधान हो जाओ. ब्राह्मण प्रतिनिधत्व को आरक्षण कह कर आपका वो अधिकार भी छीनना चाहता है जो आपका मौलिक अधिकार है. मैं आशा करता हूँ कि आज के बाद कोई भी बहुसंख्यक किसी भी हाल में प्रतिनिधत्व के अधिकार का विरोध नहीं करेगा.
आप लोगों को यह अधिकार मुफ्त में नहीं मिला है. इस अधिकार के लिए आपके पूर्वजों ने अपनी तीन पीढ़ियों का बलिदान दिया है और बर्षों का संघर्ष किया है. अपने महापुरुषों का सम्मान करना सीखो. उनके दिए अधिकारों को सही से समझो फिर उस पर बात करो. ब्राह्मण आज मीडिया पर भी आरक्षण-आरक्षण चिल्ला कर प्रतिनिधत्व के अधिकार का विरोध कर रहा है. हमारे पास कोई मीडिया नहीं है. लेकिन आप सभी लोग हमारे मीडिया हो. यह सन्देश बहुसंख्यकों के घर घर पहुंचाए और बहुसंख्यकों में जागृति उत्पन करे.
अब मैं आप लोगों से पूछना चाहता हूँ कि इस में आरक्षण की बात कहा से आई? असल में आरक्षण तो है ही नहीं. आप लोगों को तो प्रतिनिधत्व का अधिकार दिया गया है. मैं आशा करता हूँ कि आज के बाद कोई भी एससी, एसटी, ओबीसी और आदिवासी समाज के लोग प्रतिनिधत्व के अधिकार का विरोध नहीं करेंगे
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें