सोमवार, 22 मई 2017

मोदी सरकार से 'जनता' पूछ रही है ये 30 सवाल

मोदी सरकार से 'जनता' पूछ रही है ये 30 सवाल
सबसे पहले सबसे ज़रूरी बात--बैलेंस शीट में लोकप्रियता और जनभावना का कोई कॉलम नहीं होता. मोदी की लोकप्रियता में कोई शक नहीं है, ही इसमें कि शहरी मध्यवर्गीय बहुसंख्यकों का विश्वास मोदी में बना हुआ है, लेकिन ये ब्लैक एंड व्हाइट भी नहीं है, इन तीन सालों में मोदी के नेतृत्व में दिल्ली, पंजाब और बिहार में हार मिली है तो यूपी में भारी जीत. नरेंद्र मोदी सरकार के तीन साल पूरा होने पर क्या कह रहे हैं आम लोग. ये मोदी सरकार है, ये बीजेपी या एनडीए की सरकार नहीं है, इसलिए सरकार के कामकाज का आकलन करते हुए उसमें से मोदी फ़ैक्टर को अलग कर पाना मुश्किल है, लेकिन 'परफॉर्मेंस' अलग चीज़ है और 'परसेप्शन' अलग. 'परसेप्शन मैनेजमेंट' के मामले में मोदी सरकार ने नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं, और उसके भी ऊपर हैं धार्मिक-सांस्कृतिक भावनाएँ जिन्हें हमेशा उबाल पर रखकर 'परफॉर्मेंस मैनेजमेंट' पर ठोस, तार्किक बहस की गुंजाइश तकरीबन ख़त्म कर दी गई है. सरकार के कामकाज पर सवाल उठाना इन दिनों मोदी की व्यक्तिगत आलोचना है, सवाल करने वाले की नीयत फ़ौरन शक के दायरे में जाती है, इसमें सबसे बड़ी सुविधा ये है कि सवाल का जवाब देने की ज़रूरत नहीं रह जाती.अब शायद समय गया है कि इस सरकार के तीन साल के प्रदर्शन को प्रचार के घटाटोप, नारों की गूंज और राजनैतिक हाहाकार से परे जाकर देखा जाए, बैलेंस शीट की तरह.तथ्यों और तर्कों के साथ, भावनाओं और व्यक्तिगत पसंद-नापसंद से परे. पहले साल लोगों ने कहा अभी कुछ कहना जल्दबाज़ी होगी, दूसरे साल लोगों ने कहा कि कोई जादू की छड़ी नहीं है, अब तीसरा साल भी पूरा हो चुका है, अब नहीं तो कब? टूटे और अधूरे वादों की एक लंबी फ़ेहरिस्त है, ख़ास तौर पर रोज़गार और विकास के मामले में, सरकारी आँकड़े ही चुगली कर रहे हैं कि रोज़गार के नए अवसर और बैंकों से मिलने वाला कर्ज़, दोनों इतने नीचे पहले कभी नहीं गए लेकिन जन-धन योजना के तहत 25 करोड़ खाते खुलना और उज्ज्वला स्कीम के तहत ग़रीब घरों तक गैस पहुँचना निस्संदेह कामयाबी है. बीबीसी हिंदी मोदी सरकार के तीन साल पूरे होने पर सिर्फ़ उन मुद्दों की पड़ताल कर रही है जिन्हें बैलेंस शीट पर परखा जा सकता हो, यानी पक्के आंकड़े और उनके सही संदर्भ, इसके अलावा कुछ नहीं.लव जिहाद, एंटी रोमियो स्क्वॉड, गोरक्षा, घर वापसी, राम मंदिर और हिंदू राष्ट्रवाद जैसे मुद्दे इन तीन सालों में सरकार के लिए रोज़गार, शिक्षा, स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था से कम अहम नहीं रहे हैं. 'सर्जिकल स्ट्राइक' और 'नोटबंदी' जैसे दो अति नाटकीय फ़ैसले भी हुए जिनके विस्तृत और विश्वसनीय परिणाम अब तक जनता या मीडिया के सामने नहीं आए हैं, इन दोनों का भावनात्मक लाभ सरकार को ज़रूर मिला है.मोदी जी ने कुछ तो किया होगा तभी इतने लोकप्रिय हैं", इस तरह सोचने के बदले ठोस तर्कों के आधार पर मोदी सरकार की कितनी कितनी तारीफ़ की जा सकती है? यही असली सवाल है. ऐसी कोई सरकार नहीं हो सकती जो कुछ भी काम करे, या सब कुछ ग़लत करे, और ऐसा भी नहीं है कि सब कुछ जय-जयकार के लायक हो, ज़ाहिर है, सच कहीं बीच में छिपा है जिसे हम ढूँढने की कोशिश करेंगे. बीबीसी हिंदी ने तय किया है कि भावनात्मक मुद्दों को परे हटाकर, मोदी की लोकप्रियता और उनकी शख़्सियत से अलग जाकर, रोज़गार, 'मेक इन इंडिया' और स्वच्छ भारत जैसे वादों का आकलन किया जाए.बीबीसी के संवाददाता इस काम में निष्पक्ष जानकारों की मदद ले रहे हैं, नए-पुराने आँकड़े खंगाल रहे हैं और आप तक सही तस्वीर पहुँचाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि बैलेंस शीट बताए कि बड़े वादों पर सरकार ने क्या हासिल किया बीबीसी हिंदी को बड़ी तादाद में लोगों के सवाल मिले हैं जिनमें से सबसे ज़्यादा सवाल रोज़गार के अवसरों को लेकर हैं. तीन साल के कामकाज से जुड़े ये रहे वे 30 सवाल जिनके जवाब लोग चाहते हैं.
1. सरकार ने हर साल दो करोड़ नौकरियाँ देने का वादा किया था, इस वादे का क्या हुआ?  2. मोदी सरकार की ऐसी कौन सी योजना है जो पिछले तीन साल में सफल रही है?3. जम्मू कश्मीर में कब शांति स्थापित होगी? इसके लिए सरकार की क्या योजना है?4. उच्च शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए सरकार की क्या नीति है, ख़ास तौर पर विज्ञान और तकनीकी शिक्षा के मामले में5. विपक्ष में रहते हुए मोदी जी ने तब की सरकार पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगाए थे, उनमें किसी को सज़ा क्यों नहीं हुई6. प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए सरकार ने अब तक क्या किया है7. पाकिस्तान से निबटने की सरकार की क्या नीति है8. मोदी सरकार ने देश के युवाओं के लिए अब तक क्या किया है9. सरकार जिस तरह स्मार्ट सिटी की बात करती है, उस तरह स्मार्ट गाँवों की बात क्यों नहीं करती10. पीएम ने ख़ुद कहा था कि 80 प्रतिशत गौरक्षक आपराधिक तत्व हैं फिर उन पर रोक लगाने के लिए सरकार ने कुछ क्यों नहीं किया11. सरकार विदेशों से काला धन लाने में क्यों नाकाम रही? इस दिशा में उसने अब तक क्या काम किया12. गौरक्षकों के हाथों बेकसूर लोगों के मारे जाने के बाद सरकार इस तरह की घटनाओं की खुलकर निंदा क्यों नहीं करती13. मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया के बारे में हमने इतनी बातें सुनीं, लेकिन उनका कोई असर क्यों दिखाई नहीं देता14. नोटबंदी करके सरकार ने आख़िर क्या हासिल किया15. मोदी सरकार ने विदेश से पूंजी लाने की बात कही थी, मोदी जी ने कई देशों का दौरा किया थाउसका आख़िर क्या परिणाम निकलाकितना विदेशी निवेश आया16. सरकार राम मंदिर का निर्माण कब तक कराएगी17. बीफ़ के एक्सपोर्ट पर सरकार रोक क्यों नहीं लगाती18. सरकार ने बड़ी कंपनियों को बहुत सारी रियायतें दी हैं लेकिन देश के ग़रीबों के लिए उसने क्या किया है?19. सैनिकों और सुरक्षा बलों की सीमा पर लगातार हो रही हत्याओं को रोकने के लिए सरकार क्या कर रही है?20. नक्सलवाद की समस्या से निबटने के लिए सरकार ने अब तक क्या ठोस कदम उठाए हैं?21. चीन के बढ़ते दबदबे से निबटने के लिए सरकार की क्या रणनीति है?22. सरकार बढ़ती आबादी को नियंत्रित करने के लिए कुछ क्यों नहीं कर रही है?23. चारों ओर पहले जितनी ही गंदगी दिखाई देती है, स्वच्छ भारत में सिर्फ़ प्रचार हुआ या कुछ ठोस उपलब्धि भी है?24. रेलवे का किराया और तरह-तरह के शुल्क बढ़ रहे हैं लेकिन रेलों की हालत क्यों नहीं सुधर रही है?25. मोदी सरकार के कार्यकाल में नेपाल के साथ संबंध बिगड़ गए, नेपाल अब चीन की ओर झुक रहा है, सरकार इस दिशा में क्या कर रही है?26. क्या मोदी सरकार के कार्यकाल में भ्रष्टाचार में कुछ कमी आई है?27. दलितों के साथ लगातार हो रही हिंसा की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार ने अब तक क्या किया है?28. मुसलमानों के लिए देश के वातावरण को सुरक्षित बनाने के लिए सरकार ने अब तक कोई क़दम क्यों नहीं उठाया है29. सरकार स्किल्ड इंडिया की बात कर रही है, जो स्किल्ड हैं उन्हें ही नौकरी नहीं मिल रही तो स्किल्ड इंडिया के तहत नया हुनर सीखने वालों के लिए रोज़गार कहाँ से आएगा30. मुस्लिम महिलाओं को ट्रिपल तलाक से निजात दिलाने की कोशिश कर रही सरकार ये बताए कि मुस्लिम महिलाओं के शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर सरकार कितनी चिंतित है?



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