मातृभाषा के अखबारों में यह बात क्यों नहीं छापी गयी???
DNA = Deoxyribonucleic acid =अनुवांशिक गुणसूत्र . 21 may 2001 को अख़बार times of india में ये बात छपी .सिर्फ इंग्लिश पेपर में ही ये बात छापी गयी| मातृभाषा के अखबारों में यह बात क्यों नहीं छापी गयी??? क्यु के इंग्लिश पेपर जादातर तो विदेशी लोग याने ब्राम्हण,क्षत्रिय,वैश्य ये लोग पढ़ते है.हमारे मूलनिवासी लोग नहीं. अपने लोगो को बाख़बर करना चाहते थे.ये इसके पीछे मकसद था. जानकारी के बारे में वो अतिसंवेदनशील लोग है.हमारे लोगो को वो अंजान बनाये रखना चाहते है. The hide & the highlight two point program. सुचना शक्ति का स्तोत्र होता है. यूरोपियन लोगो को हजारो सालो से भारत के लोगो में बहोत जादा interest है. क्यूँ के यहाँ व्यवस्था है ,धर्मव्यवस्था है,वर्णव्यवस्था है,जातिव्यवस्था है ,अस्पृश्यता है,रीती रिवाज है जिसने हजारो सालो से विदेशियों की जिज्ञासा को जगाया.की ये जो विशेषता है भारत के लोगो की जिसका मिलन कहीं दुनिया में नहीं होता.इसीलिए वैज्ञानिको को हमेशा ये जिज्ञासा रही के इस विशेषता का “मूल” कारन क्या है.मुश्किल हालात होने के बावजूद भी उसे हमेशा प्रेरित किया.इस वजह से संशोधन हो रहा है.उनके माध्यम से ये बड़े पैमाने पर हुआ. अमेरिका के उताह विश्वविद्यालय (washington) में माइकल बामशाद नाम का Biotechnology Dept. का HOD है. इसने ये प्रोजेक्ट तयार किया था.उसे लगा कर तो दिया लेकिन भारत के लोग इस conclusion को मान्यता देने से इनकार कर देंगे. इसीलिये उसने एक और रास्ता निकाला .भारत के वैज्ञानिको को involve करके उसे transperent method से किया जाये.इसीलिए मद्रास विशाखापटटनम का Biotec.Dept.,भारत सरकार का मानववंश शास्त्र – enthropology के लोग मिलकर प्रोजेक्ट में शामिल किया joint प्रोजेक्ट था. उन्होंने research किया .सारे दुनिया के sample के आधार पर उन्होंने ब्राम्हणों का DNA compare सारे जाती धर्म के लोगो के साथ किया गया. यूरेशिया प्रांत में मोरुवा समूह है रशिया के पास काला सागर नमक area में ,अस्किमोझी भौगोलिक क्षेत्र में, मोरू नाम का DNA भारत के ब्राम्हणों के साथ मिला.इसीलिए ब्राम्हण भारत के नहीं है. महिलाओं में mitocondriyal DNA(जो हजारो सालो बाद भी सिर्फ महिला से महिला ही ट्रान्सफर होता है) के आधार पर compare किया गया.विदेशी महिलाओं के साथ का DNA भारत की sc,st,obc की महिलाओं के साथ नहीं मिला.बल्कि ब्राम्हण के घरों में जो महिलाएं है.उनका DNA sc,st,obc के महिलाओं के साथ मिला. आर्यन,वैदिक ये theory हुआ करती थी.अब तो इसका 100% वैज्ञानिक प्रमाण ही मिल गया है.सारी दुनिया के साथ साथ भारत के भी सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे मान्यता दी है.क्यूँ के प्रमाणित हो गया है. DNA कितना मिला किसका यूरेशियन के साथ १)ब्राम्हण =99.90% २) क्षत्रिय=99.88% ३)वैश्य=99.86% . राजन दीक्षित नाम का ब्राम्हण (oxford में प्रोफेसर है) ने किताब लिखी. उसका चाचा जोशी है पूना में उसने वो किताब publish की india में. के “ब्राम्हण का DNA और रशिया के पास काला सागर area में ,मोरुआ लोगो का और यहूदी (ज्यूज=हिटलर ने जिनको मारा था) लोगो का DNA एक ही है .” ऐसा क्यों किया उसने क्यों की अमेरिकन लोग भारत के लोगो को अमेरिका में asian ना कहें. राजन दीक्षित ने बामशाद के ही संशोधन को आधार बनाकर exactly वो प्रांत आप जो यूरेशिया कह रहे हो ये कहाँ है वो भी बताया.(राजन दीक्षित=एक महान संशोधक. ये आदमी सही मायने में भारतरत्न का हक़दार है). DNA टेस्ट की जरुरत क्यों पड़ी??? संस्कृत और यूरोपियन language में हजारो शब्द एकजैसे मिले है.फिर भी ब्राम्हणों ने नहीं माना.फिर ये बात पुरातत्व विभाग ने सिद्ध की,मानववंशशास्त्र विभाग ने सिद्ध की,भाषाशास्त्र विभाग ने सिद्ध की फिर भी ब्राम्हणों ने नहीं माना जो की सच था.वो खुद भी जानते थे.ब्राम्हण भ्रांतिया पैदा करने में बहोत माहिर लोग है ,इस महारथ में पूरी दुनिया में उनका मुकाबला कोई नहीं कर सकता.इसीलिए DNA के आधार पर संशोधन हुआ.ब्राम्हणों का DNA प्रमाणित होने के बाद उन्होंने सोचा के अगर हम लोग अब इस बात का विरोध करते हैं तो दुनिया की नजर में हम लोग बेवकूफ साबित हो जायेंगे. दोनों तथ्यों पर चर्चा होने वाली थी इसीलिए उन्होंने चुप रहने का निर्णय लिया. ”ब्राम्हण जब जादा बोलता है तो खतरा है .ब्राम्हण जब मीठा बोलता है तो खतरा नजदीक में पोहोंच गया है और जब ब्राम्हण बिलकुल ही नहीं बोलता.एकदम चुप हो जाता है तो भी खतरा है.its a conspiracy of silence= Dr.B.R.Ambedkar”. अगर वो कुछ छुपा रहे हैं तो हमें जोर से बोल देना चाहिए. इसका DNA टेस्ट का परिणाम क्या हुआ.अब हमें सारा का सारा इतिहास नए सिरे से लिखना होगा .जो भी लिखा है अनुमान प्रमाण पर .अब DNA को आधार बनाकर आप विश्लेषण कर सकते हो .जो ऐसा नहीं करेगा उसे लोग backward historian कहेंगे. DNA ट्रान्सफर होता है पीढ़ी से पीढ़ी without change. आक्रमणकारी लोग हमेशा अल्पसंख्याक होते है और वहां की प्रजा बहुसंख्यांक होती है .जब आपस में वो आते हैं .तो हमेशा अल्पसंख्याक लोगो के मन में बहुसंख्यांक लोगो के प्रति inferiority complex develop होता है .घनसंख्या के घनत्व की physchology होती है.इसीलिए उस समय ब्राम्हणों के मन में हिन् भाव पैदा हो गया होगा .अपनी हिन् भावना को इन पराजित लोगो में ट्रान्सफर करने के लिए उन्होंने योजना बनायीं.युद्ध में जिन लोगो में पराजित किये हुये लोगो को गुलाम बनाना एक बात है और गुलाम बनाये हुये लोगो को हमेशा के लिए गुलाम बनाये रखना ये दूसरी बात है .ये समस्या ब्राम्हणों के सामने थी. रुग्वेद में ब्राम्हणों को देव कहा जाता था(देवासुर संग्राम = देव + असुर) मूलनिवासियों को दैत्य,दानव,राक्षस,शुद्र,असुर कहते थे.ये evidence है .अब देव ब्राम्हण कैसे हो गए??? दीर्घकाल तक लोगो को गुलाम बनाये रखने के लिए उनको व्यवस्था बनानी पड़ी. इसीलिए उन्होंने वर्णव्यवस्था बनायीं. दैत्य,दानवो का नाम परिवर्तन करके उनको शुद्र घोषित किया.क्रमिक असमानता है तो ब्राम्हण,क्षत्रिय,वैश्य को अधिकार है तो शुद्र को भी अधिकार होना चाहिए .मगर वो अधिकार वंचित है .ऐसा क्यूँ किया?? खुद को ब्राम्हण घोषित करने के लिए . ब्राम्हण,क्षत्रिय,वैश्य अगर एक ही है तो उन्होंने अपने को ३ हिस्सों में क्यूँ बाटा???? हमको शुद्र घोषित याने गुलाम बनाने के लिए व्यवस्था बनाना जरुरी था. संस्कृतभाषा में वर्ण का अर्थ होता है रंग.इसका मतलब है की ये रंगव्यवस्था है (वर्णव्यवस्था). संस्कृत डिक्शनरी में भी आपको ये मिलेगा. ये वर्णव्यवस्था/रंगव्यवस्था क्यूँ है???? क्यूँ के ब्राम्हण,क्षत्रिय,वैश्य ये एक ही रंग के लोग हैं.इसीलिए रंगव्यवस्था में ये अधिकार संपन्न है.चौथे रंग का आदमी उस रंग का नहीं है .इसिलए अधिकार वंचित है.DNA की वजह से ये विश्लेषण करना संभव है. Racial Discrimination Ideology है ब्राम्हणवाद. .वर्णव्यवस्था बनाने से गुलाम बनाना और दीर्घकाल तक गुलाम बनाये रखना ब्राम्हणों को संभव हुआ. ब्राम्हणों ने सभी धर्मशास्त्रों में सभी महिलाओं को शुद्र घोषित क्यूँ किया ???? ये आजतक का सबसे मुश्किल सवाल था .ब्राम्हण की माँ,बेटी,बहन,बीवी को भी उन्होंने शुद्र घोषित किया. DNA में mitocondriyal DNA के आधार पर ये सिद्ध हुआ.ब्राम्हणों के महिला और हमारी महिला का DNA मिलता है .वो जानते थे की जब उन्होंने प्रजनन के लिए यहीं की महिलाओं का उपयोग किया है.इसीलिए उन्हें शुद्र वर्ण में ढकेल दिया. इसीलिए ब्राम्हण हमेशा purity की बात करता है.आदमी का DNA आदमी में ट्रान्सफर होता है. ये बात वो जानते थे इसीलिए औरत को तो वो हमेशा पाप योनी मानता आया है.क्यूँ की वो उनकी कभी नहीं थी. DNA और धर्मशास्त्र दोनों के आधार पर ये सिद्ध कर सकते हैं.इससे ये भी सिद्ध हुआ के आर्य ब्राम्हण स्थलांतरित नहीं हुये थे.वो आक्रमण करने के लिए ही यहाँ आये थे .क्यूँ के जो आक्रमण करने के लिए आतें हैं ,तो उनकी महिलाएं साथ बिलकुल भी नहीं लातें हैं .ऐसी उस समय दृढ़ मान्यता भी थी.इसीलिए उनका आक्रमणकारी स्वभाव आजतक बना हुआ है. बुद्ध ने वर्णव्यवस्था को समाप्त किया.हमारे गुलामी के विरोध में लढने वाला वो सबसे बड़ा पुरखा है .इसका मतलब है वर्णव्यवस्था बुद्धपूर्वकाल में विद्यमान थी.ये evidence है.इस जनआंदोलन में बुद्ध को मूलनिवासियों ने ही सबसे जादा जनसमर्थन दिया.तो जैसे ही वर्णव्यवस्था ध्वस्त हुई और चतुसुत्री पर आधारित नई समाज रचना का निर्माण हुआ.उसमे समता,स्वतंत्रता,बंधुता और न्याय पर आधारित समाजव्यवस्था निर्माण की गयी.स्वतंत्रता है इसका मतलब है की बुद्ध गुलामी के विरोध में लढ रहे थे. इस क्रांति के बाद ही प्रतिक्रांति हुई जो पुष्यमित्र शुंग(राम) ने बृहदत्त की हत्या करके की .वाल्मीकि शुंग के दरबार में राजकवि था और उसे सामने रखकर ही रामायण लिखी गयी .इसका evidence रामायण में खुद है.हत्या पाटलिपुत्र में हुई थी.शुंग की राजधानी अयोध्या है और रामायण में राम की राजधानी भी अयोध्या है archeological evidence है.कोई भी राजा अपनी राजधानी का निर्माण करता है .तो वो उसे युद्ध करके जीतता है ,फिर अपनी राजधानी खड़ीं करता है.मगर अयोध्या युद्ध जीतकर खड़ीं की गयी राजधानी नहीं थी .इसीलिए उसका नाम रक्खा अयोध्या.(अ+योध्या) . युद्ध ना होकर निर्माण की गयी राजधानी .शुंग ने अश्वमेध यज्ञ किया.रामायण में रामने भी अश्वमेध यज्ञ किया. ये जो प्रतिक्रांति शुंग ने की इसके बाद जातिव्यवस्था का निर्माण हुआ.पहले गुलाम बनाने के लिए वर्णव्यवस्था और क्रांति के बाद जब प्रतिक्रांति हुई उसके बाद जातिव्यवस्था का निर्माण हुआ.फिर उन्होने योजना बनायीं के हमेशा के लिए अब बहुजनों का प्रतिकार ख़त्म कर दिया जाये.बिलकुल भी लायक ना रक्खा जाये.इसीलिए उन्होंने हमें 6000 अलग अलग जातियों के टुकडो में बाटां.इससे हमारे लोगो की एक pshychology तयार हो गयी के हम प्रतिकार करने लायक नहीं है.गुलामो की ही ऐसी प्रतिक्रिया होती है.ये सबुत है गुलामी का .दुनिया में जाती व्यवस्था नहीं है इसीलिए दुनिया में कुटुंब व्यवस्था नहीं है.बुढोके लिए old age home है foreign में. जातिव्यवस्था को फिरसे क्रमिक असमानता पर खड़ा किया ब्राम्हणों ने .असमान लोग आपस में समान होने चाहिए थे मगर क्रमिक असमानता में असमान लोग भी आपस में समान नहीं है.प्रतिकार अंदर ही अंदर होता है .जिसने गुलामी लादी उसके बारे में प्रतिकार करने का खयाल ही नहीं आता.ब्राम्हणों ने जातीअंतर्गत लढाई शरू करवा दी .ये DNA सिद्ध करता है की निर्माणकर्ता ब्राम्हण है.उसने सभी को विभाजित किया लेकिन खुद को कभी भी विभाजित नहीं होने दिया . जाती को बनाये रखने के साथ ब्राम्हणों की supremacy जुडी हुई है .इसीलिए उनके सामने ये हमेशा संकट खड़ा रहा की कैसे इस जातिव्यवस्था को बनाये रक्खा जाये . Evidence= कन्यादान system =ये कोई वस्तु नहीं है दान करने के लिए.धार्मिक व्यवस्था इस के लिए ऐसी बनायीं गयी.स्त्री अगर उपवर हो गयी ,शादी योग्य हो गयी तो उसकी शादी करने के की जिम्मेदारी माँ,बाप की ही होगी . Bramhanical Social Order. परिवार ही शादी करेगा.अगर कन्या खुद अपनी पसंद से शादी करेगी तो जाती के बहार जाकर शादी कर सकती है .तो जातिव्यवस्था ख़तम हो जाएगी .ब्राम्हण की supremacy ख़तम जो जाएगी .तो बहुजनों की गुलामी ख़तम जाएगी.ये नहीं होना चाहिए .इसीलिए कन्यादान system निकाला . *****बालविवाह= कन्या की विवाह योग्य होने के पहले ही शादी कर दी जाये.क्यों के विवाह योग्य होगी तो अपने पसंद से शादी कर सकती है .इसीलिए बचपन में ही उसकी व्यवस्था कर दी .माँ,बाप जाती अंतर्गत ही शादी करेंगे.For more information read Cast in india & anhilation of cast=Dr.B.R Ambedkar . *****विधवाविवाह= विधवाविवाह पर पाबंदी क्यों थी??? अगर किसी विधवा से कोई शादी योग्य लड़का समाज के अंदर का उससे हुई.तो समाज में उसके लिए एक लड़के की कमी होगी .वो लड़की जाती के बाहर जाकर शादी कर सकती है .तो भी जाती व्यवस्था खतरे में पड़ेगी.जाती अंतर्गत विवाह जाती बनाये रखने का सूत्र है. जातिव्यवस्था बनाये रखने के लिए उन्होंने महिलाओं का इस्तेमाल किया. मतलब विधवा को शादी ना करने का बंधन . विधवाविवाह पर पाबंदी थी .लेकिन उन्होंने देखा की ये इसे टिकाये रखना जाद्त्ती है.ये सम्भव नहीं है.तो ये विधवा सुंदर नहीं दिखनी चाहिए.तो उसके बल कांट दिए गए .ताकि कोई उसकी तरफ आकर्षित ना हो और कोई उसके साथ शादी करने के लिए तैयार ना हो जाये.याने किसीभी स्थिति में ये जातिव्यवस्था बने ही रहनी चाहिए. ****सतीप्रथा= दूसरा रास्ता ब्राम्हणों ने निकाला.अपने पति के साथ मरनेवाली जो स्त्री है ये पतिव्रता स्त्री है और ये पतिव्रता स्त्री है .ये सचचरित्र स्त्री है.इसीलिए ये सती है.ब्राम्हणों ने ये जो गलत और घटियाँ कम किया .इस गलत और घटियाँ काम का उन्होंने गौरव किया.सच के लिए जन दे रही है .गौरवभाव निर्माण किया.जो जिवंत सटी है वो अपने पति की चिता पर जिन्दा जलनी चाहिए .इसकेलिए स्त्री में प्रेरणा पैदा की जाये.ये प्रेरणा पैदा करने के लिए उन्होंने औरतो के लिए खास त्यौहार बनाया.जिसका नाम था वडसावित्री. ***वडसावित्री=(प्रेरणा) संस्कार बनाया योजनाबद्ध तरीके से .औरत धागा लेकर चक्कर काटती है और कहती है यही पति मुझे सातों जनम जनम तक मिलना चाहिए .ये शराबी है फिर भी मीलना चाहिए.मरता-पिटता है फिरभी मिलना चाहिए.यही मिलना चाहिए.गहरी बात है .समझो.ये बार बार हर साल त्यौहार आता है .तो हर साल उनके मन में ये संस्कार किया जाता है .यही पति तुमको मिलने वाला है और कोई पति मिलने वाला नहीं है .और अगर तुम जिन्दा रहती हो तो जबतक जिंदा रहोगी तबतक तुम्हारा पुनर्मिलन होने के लिए late हो जाओगी .क्यों की अगर तुम अपने पति की चिता पर मार जाओगी.तो एक ही तारीख को,एकही समय को पैदा हो जाओंगी ,पुनर्जन्म हो जायेगा.फिर दोनों का मिलन भी हो जायेगा,अगर एकसाथ जाओगी.जिन्होंने षड्यंत्र किया ,जिन्होंने योजना बनायीं,जिन्होंने प्लानिंग बनायीं.कोई चोर में चोर हूँ ये नहीं बताता.ऐसा ही ब्राम्हणों के बारे में है.जनम जनम की theory महिलाओं में प्रेरणा देने के लिए की गयी. ****क्रमिक असमानता= जातिव्यवस्था बंधन डालने के बाद ही निर्माण करना /maintain करना संभव है.गुलाम बनाने के लिए .हर कोई किसी ना किसी के ऊपर होने से वो समाधानी रहता है.ये सरे लोग अपने आप में लढते रहे.इसीलिए ब्राम्हणों के लिए वो unite हो ही नहीं सकते.consolation prize is not a real prize. है नहीं पर लग्न चाहिए .ये उचनिचकी भावना एक आदमी को नहीं पुरे humanity को ख़तम करती है. ****अस्पृश्यता=ये बुद्ध पूर्व कल में नहीं थी.जातिव्यवस्था बुद्ध पूर्व काल में नहीं थी.इसीलिए literature में नहीं है.इसीलिए भ्रांति होती है.जिन बुद्धिष्ट लोगो ने ब्राम्हणी धर्म से compramise किया .उसे अपना लिया. वो आज obc है.उनपर ब्राम्हणवाद का प्रभाव है .obc,untouchable,tribe भी प्रतिक्रांति के बाद के वर्ग है. सिंधु घाटी की सभ्यता पैदा करने वाले भारतीय लोगो से इतनी बड़ी महान सभ्यता कैसे नष्ट हुई,जो 4500,5000 पूर्व थी ??? ये इंग्रेजो ने पूछा था.एक इंग्रेज अफसर को इस का शोध करने के लिए भी बोला गया था.बाद में इसके शोध को राघवन और एक संशोधक ने continue किया .पत्थर और इटें के टेस्ट में पता चला की ये संस्कृति अपने आप नहीं गीरी वो गिराई गयी.दक्षिण राज्य केरल में हराप्पा और मोहेंदोजड़ो के 429 अवशेष मिले.ब्राम्हण भारत में ईसा पूर्व 1600,1500 शताब्दी पूर्व आया. ऋग्वेद में इंद्र के संदर्भ में 250 श्लोक आतें हैं.सबसे जादा श्लोक इंद्र पर है.जो ब्राम्हणों का नायक है.बार-बार ये श्लोक आता है. “हे इंद्र उन असुरों के दुर्ग को गिराओं” उन असुरों(बहुजनों) की सभ्यता को नष्ट करो.ये धर्मशास्त्र नहीं बल्कि criminal दस्तावेज हैं. भाषाशास्त्र के आधार पर ग्रिअरसन ने भी ये सिद्ध किया की अलग-अलग राज्यों में जो भाषा बोली जाती हैं,वो सारी origion from पाली है. DNA का evidence निर्विवाद और निर्णायक है.क्यूँ के वो तर्क,दलील पर खड़ा नहीं है.जिसे lab में जाकर प्रमाणित किया जा सकता है.lab को जाती नहीं है science है.lab धर्मनिरपेक्ष है.इसीलिए lab निर्णायक और निर्विवाद है.कोई भी आदमी अपना DNA टेस्ट lab में जाकर कर सकता है.इस DNA के शोध में पूरी दुनिया से शोध करनेवाले 265 लोग थे. बामशाद का ये शोध 21 may 2001 को nature नाम के अंक में ,जो दुनिया का वैज्ञानिक सबसे जादा मान्यता प्राप्त अंक है उसमे आया था. बाबासाहब आंबेडकर की उम्र सिर्फ 22 साल थी जब उन्होंने विश्व का जाती का origion क्या है इसका खोज किया था और 2001 में जो DNA reasearch हुआ था .बाबासाहब का और माइकल बामशाद का मत एक ही निकला था. ब्राम्हण सारी दुनिया के सामने पुरे expose हो चुके थे.फिर भी मापदंड के आधार पर ये जो दक्षिण राज्य के ब्राम्हणों ने दो विभिन्न नस्लों की संतान है / दो पूर्वज समूह की संतान है भारतीय ऐसा झूठा प्रचारित करने के लिये,अपना विदेशीपण छिपाने के लिए, उन्होंने हमेशा की तरह ब्राम्हण theory use करते हुये ,पूर्व के DNA संशोधन को ख़ारिज नहीं किया और एक झूठ media के द्वारा प्रचारित करना शुरू कर दिया .की अभी कोई भी मूलनिवासी कह नहीं सकता है .सब अब संमिश्र है .उन्होंने कहाँ का मापदंड ढूंडा????? उन्होंने अंदमान और निकोबार द्वीप समूह में जो आदिवासी जनजाति है.उसका दलील देकर कहा की ये अफ्रीकन का वंशज है .वो इधर से आया था और इधर से यूरोपियन countries में चला गया .तो कैसे गया इसका शोध करना चाहिए.ऐसा कहा. माइकल बामशाद के विज्ञानं द्वारा किये गए शोध को नाराकने के लिए उन्होंने विज्ञानं का सिर्फ नाम लिया .सिर्फ उस प्रचार में विज्ञानं ये शब्द डाला.उससे झूठ प्रचारित किया. ब्राम्हण अगर तुमको यही झूठी कहानी बताये तो पूछो के इन दो में से कौनसा विदेश से आया ??? विदेशी का DNA बताओं????? लेकिन वो ये साबित कर ही नहीं सकते. ब्राम्हण मुसलमान विरोधी घृणा अभियान क्यूँ चलाते हैं????? क्यूँ के ब्राम्हणवाद और बुद्धिजम के टकराव में जो ब्राम्हण विरोधी बुद्धिष्ट मुसलमान बने.उन्होंने ब्राम्हण धर्म को नहीं अपनाया.इसीलिए ये सब पहले से किया जा रहा है.क्यूँ के ब्राम्हण जानता है की ये मूल के बुद्धिष्ट लोग हैं. इंग्रेजो के गुलाम ब्राम्हण थे और उनके गुलाम हम थे.हम आजतक आजाद नहीं हुये हैं.आजादी की जंग में जो आजादी का आंदोलन लढ रहे थे .उनके सामने ये समस्या थी.इसीलिए बाबासाहब ने इंग्रेजो को कहा था की ब्राम्हण को आजाद करने के पहले हम बहुजनों को आजाद जरुर कर देना.अगर तुमने ब्राम्हणों को हमसे पहले आजाद कर दिया .तो ब्राम्हण हमको आझाद करने वाले नहीं है .ये आशंका सिर्फ बाबासाहब के मन में ही नहीं थी बल्कि मुसलमानों के भी मन में थी.इसीलिए 14 aug.को पाकिस्तान बना.मुसलमानों ने इंग्रेजो को कहा के गाँधी के पहले एक दिन हमको आझादी दे देना.और हमारे बाद गाँधी को देना.अगर तुमने गाँधी को पहले दे दिया तो गाँधी बनिया है हमको कुछ नहीं देगा. ब्राम्हणों ने अपने आझादी की लढाई हमको सीडी बनाकर लढी.और वो इंग्रेजो को भगाकर आझाद हो गए. DNA संशोधन आया.उसने सिद्ध किया के ब्राम्हण यहाँ के नहीं है .ब्राम्हण विदेशी है. जब ये देश इनका कभी था ही नहीं,उन्होंने कभी ये माना नहीं. इसीलिए तो ब्राम्हण हमेशा हमको राष्ट्रवाद की theory बताता आया है.के हम कितने राष्ट्रभक्त है और मूल बात छुपाता है.इसका मतलब एक विदेशी देश छोड़कर गया| दूसरा विदेशी देश का मालिक हो गया.DNA ने ये सिद्ध कर दिया.दुसरे विदेशी यानि ब्राम्हणों ने ये propaganda किया के भारत आझाद हो गया.भारत आझाद नहीं हुआ ब्राम्हण आझाद हुआ.भारत पर ब्राम्हणों का राज है अर्थात विदेशियों का राज है.भारत आझाद नहीं हुआ ये सिद्ध हुआ.तो हम बहुजनों को आझादी हासिल करने का कार्यक्रम भविष्य में चलाना ही पड़ेगा.ये मामला अभी समाप्त नहीं हुआ.इतने conclusion draw होते है DNAके आधार पर.ये दुनिया के 600 cr. में से 100 cr. जिनकी प्रजा है.उन 100cr. को प्रभावित करने वाला संशोधन है.कल्पना करो कितना मुलभुत और कितना महत्वपूर्ण संशोधन है|
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