सोमवार, 14 अक्तूबर 2019

कबीरदास रामानंद के शिष्य नहीं





डॉ. मोहन सिंह की किताब के आधार पर यह तथ्य उभरकर आता है कि रामानंद (ब्राह्मण) के शिष्य कबीर नहीं थे। डॉ. मोहन सिंह की किताब "KABIR--HIS BIOGRAPHY" आत्मा राम एंड संस, लाहौर से 1934 ई0 में छपी थी। डॉ. मोहन सिंह ने "भारत मत दर्पण" के आधार पर बताया है कि रामानंद की मृत्यु 1354 ई0 में हो गयी थी और कबीर का जन्म तो 1398 ई0 में सर्व विदित है। इस प्रकार रामानंद कबीर के जन्म से करीब 44वर्ष पूर्व ही गुजर गए थे तो फिर रामानंद के शिष्य कबीर कैसे हुए ?

कबीर ने तो साफ लिख दिया है कि मेरा गुरू "विवेक" है - "कह कबीर मैं सो गुरू पाया जाका नाउ बिबेको।" जो लोग "कासी में हम प्रगट भए हैं रामानंद चेताए" के आधार पर रामानंद को कबीर का गुरू बताते हैं, उन्हें जानना चाहिए कि 'प्रगट भए' यह कबीर की शैली नहीं है, यह पौराणिक शैली है और ऐसी बात कबीर की जीवनी लेखक ही कह सकता है, स्वयं कबीर कि हम काशी में प्रगट भए। चेला वह जिसकी शिक्षाएँ अपने गुरु की शिक्षाओं से मिलती जुलती हों। क्या जुलाहा कबीर की शिक्षाएं ब्राह्मण रामानंद की शिक्षाओं से मेल खाती हैं ?

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