शनिवार, 19 अक्तूबर 2019

देश के 25 उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों भी भारी, कमी उच्च न्यायालयों में बढ़ती जा रही है जजों के खाली पदों की संख्या : क़ानून मंत्रालय



राजकुमार (संपादक, दैनिक मूलनिवासी नायक)


♦ एक नजर इधर ♦
मंत्रालय ने ये आंकड़े एक अक्टूबर को जारी किए थे, जो दिखाते हैं कि उच्च न्यायालयों में 420 न्यायाधीशों की कमी है, जो इस वर्ष अब तक सर्वाधिक है. आंकड़ों के अनुसार, गत एक अक्टूबर तक उच्च अदालतों में 659 न्यायाधीश थे, जबकि कुल 1079 पद मंजूर हैं. वहीं देश के 25 उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के 414 पद रिक्त थे. जबकि, अगस्त में यह आंकड़ा 409 था और जुलाई में यही आंकड़ा 403 था. वहीं न्याय विभाग के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी में उच्च न्यायालयों में रिक्त पदों की संख्या 392 थी.

उच्चतम न्यायालय न्यायाधीशों की अपनी पूर्ण क्षमता के साथ काम कर रहा है. जबकि, देश के 25 उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के रिक्त पदों की संख्या बढ़ती जा रही है. कानून मंत्रालय के हालिया डेटा में यह जानकारी निकल कर सामने आई है. मंत्रालय ने ये आंकड़े एक अक्टूबर को जारी किए थे, जो दिखाते हैं कि उच्च न्यायालयों में 420 न्यायाधीशों की कमी है, जो इस वर्ष अब तक सर्वाधिक है. आंकड़ों के अनुसार, गत एक अक्टूबर तक उच्च अदालतों में 659 न्यायाधीश थे, जबकि कुल 1079 पद मंजूर हैं.

मंत्रालय द्वारा सितंबर में जारी किए गए आंकड़ों में देश के 25 उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के 414 पद रिक्त थे. जबकि, अगस्त में यह आंकड़ा 409 था और जुलाई में यही आंकड़ा 403 था. वहीं न्याय विभाग के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी में उच्च न्यायालयों में रिक्त पदों की संख्या 392 थी. सरकार ने कहा था कि उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति कार्यपालिका और न्यायापालिका के बीच चलने वाली एक निरंतर सहयोगपरक प्रक्रिया है. क्योंकि, उसके लिए कई संवैधानिक अधिकारियों के बीच संवाद एवं उनकी मंजूरी जरूरी होती है. न्यायाधीशों की सेवानिवृति, इस्तीफे या प्रोन्नति तथा उनकी संख्या बढ़ाए जाने के कारण रिक्तियाँ बढ़ती रहती हैं. फिलहाल उच्च न्यायालयों में 43 लाख से अधिक मामले लंबित हैं.

उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए उच्चतम न्यायालय का तीन सदस्यीय कॉलेजियम उम्मीदवारों के नामों की सिफारिश करता है. इसके बाद उच्च न्यायालय का कॉलेजियम संबंधित उच्च न्यायालयों के लिए उम्मीदवारों के नामों को शॉर्ट लिस्ट करता है और उन चयनित नामों को कानून मंत्रालय के पास भेज देता है. मंत्रालय खुफिया ब्यूरो से उन लोगों की पृष्ठभूमि की जाँच करवाने के बाद अंतिम निर्णय के लिए इसे उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम में भेज देता है. सितंबर में चार नए न्यायाधीशों की नियुक्ति के साथ उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की कुल संख्या 34 तक पहुंच गई जो सर्वाधिक है.

गौरतलब है कि पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में जजों के रिक्त पदों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय ने सवाल उठाया था. उन्होंने कहा था कि न्यायपालिका में करीब 25 प्रतिशत सीटें खाली हैं और सरकारी तंत्र में 25 प्रतिशत रिक्तियाँ बहुत अधिक नहीं होती हैं. तब सुप्रीम कोर्ट में कुल स्वीकृत 31 जजों में से सिर्फ 22 जज ही थे, बाकी के 9 पद खाली पड़े थे. वहीं, कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस ज्योतिर्मय भट्टाचार्य ने कहा था कि न्यायाधीशों की कमी के चलते न्यायपालिका एक मुश्किल दौर से गुजर रही है. तब कलकत्ता हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 72 में से मात्र 33 न्यायाधीश थे.

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