‘‘जब तक देश में ईवीएम से चुनाव होंगे तब तक कांग्रेस और बीजेपी को सत्ता से बेदखल करना संभव नहीं है : वामन मेश्राम’’
महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद भले ही दोनों राज्यों में बीजेपी को पूर्ण बहुमत ना मिला हो. लेकिन, दोनों राज्यों में बीजेपी के सरकार बनाने की पूरी संभावना बन चुकी है. दूसरी खास बात सरकार चाहे किसी भी पार्टी की बने परन्तु, यह सच है कि दोनों राज्यों में ईवीएम गठबंधन की ही सरकार बनेगी, इसे कोई रोक नहीं सकता है. क्योंकि, ईवीएम गठबंधन ने दोनों राज्यों में एक दूसरे को मजबूत किया है और लोकसभा चुनाव 2004 से लेकर अब तक के विधानसभा चुनावों में ईवीएममेव जयते की ही विजय हुई है. ईवीएममेव जयते के विजय के साथ ही देश में ईवीएमवाद हावी हो गया और ईवीएमवाद हावी होते ही वर्तमान भारत में लोकतंत्र को दरकिनार कर ब्राह्मणवाद और ईवीएमवाद दोनों साथ-साथ चल रहे हैं. नतीजन जब तक देश में ईवीएम से चुनाव होंगे तब तक कांग्रेस और बीजेपी को सत्ता से बेदखल करना संभव नहीं है.
जहाँ एक ओर भारतीय जनता पार्टी की सरकार से लेकर चुनाव आयोग तक इनकार करते आ रहे हैं कि ईवीएम में घोटाला नहीं हो सकता है, वहीं हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले हरियाणा के असांध सीट से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी बख्शीश सिंह विर्क ने सौ प्रतिशत दावे के साथ कहा था कि ‘‘आप ईवीएम मशीन का कोई भी बटन दबाओगे, वोट कमल के फूल को ही जाएगा. उन्होंने यहाँ तक कह दिया था कि ‘हमने ईवीएम में सेटिंग कर रखा है, इस सेटिंग से यह भी बता देंगे कि किस बूथ पर किसने कितना वोट’ दिया है. यही नहीं, चुनाव के फाइनल नतीजे आने तक बीजेपी यही बात बार-बार कहती रही है कि भले ही महाराष्ट्र और हरियाणा में हम बहुमत से चूक गये हैं. लेकिन, सरकार बनाने से नहीं. इससे यह साफ है कि महाराष्ट्र और हरियाणा में सरकार बीजेपी ही बनाने वाली है.
लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 में जबरदस्त ईवीएम घोटाले से केन्द्र की सत्ता पर कब्जा करने के बाद अब महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 में फिर से ईवीएम घोटाले ने भाजपा नेतृत्व वाली सरकार की ताजपोशी पर मुहर लगा दी है. गुरूवार को आये विधानसभा चुनाव के नतीजे भले ही भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं दिला सके, परन्तु दोनों ही राज्यों में सरकार बीजेपी ही बनाने जा रही है. यही नहीं ईवीएम ने एक बार फिर बीजेपी को महाराष्ट्र और हरियाणा में दूसरी सबसे बड़ी बना दिया है.
महाराष्ट्र के 288 सीटों में बीजेपी ने जहाँ 105 सीटें जीतीं तो वहीं हरियाणा के 90 सीटों में से 40 सीटों पर कब्जा किया. हालांकि, दोनों राज्यों में किसी भी राज्य में बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला. लेकिन, दोनों राज्यों में सरकार बनाने का दावा बीजेपी के पास ही बरकरार है. अगर बात महाराष्ट्र में कांग्रेस, शिवसेना, रांकपा और अन्य की करें तो कांग्रेस को 44, शिवसेना को 56, रांकपा को 54 सीटें मिली है वहीं 29 सीटों पर अन्य हैं. जबकि, हरियाणा में कांग्रेस को 31, जजपा को 10 और 9 सीटें अन्य पार्टियों के हिस्से में गया है.
इसी तरह से 17 राज्यों के उपचुनाव में भाजपा को असम में 3, गुजरात में 3, हिमाचल प्रदेश में 2, सिक्किम में 2 और उत्तर प्रदेश के 11 सीटों में बीजेपी को 7, सपा को 3 और अपना दल को 1 सीटें मिली है. जबकि, बसपा का खाता भी नहीं खुल सका है. यहाँ एक और बात गौर करने वाली है कि देश की राजनीति दिशा तय करने वाले उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा का अस्तित्व पूरी तरह से खत्म होते जा रहा है. लोकसभा चुनाव 2014 में जहाँ बसपा का सुपड़ा साफ हो गया था तो वहीं सपा को केवल उसी के परिवार की सीटें हाशिल हुई थी. वहीं 2019 में सपा को 7 सीटें मिली तो बसपा को 10 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था. जबकि, 2007 में बसपा और 2012 में सपा का उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार थी. यानी 2014 और 2019 से उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा को धीरे-धीरे खत्म किया जा रहा है. ठीक यही हाल बिहार, महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों में क्षेत्रिय दलों का अस्तित्व खत्म होते जा रहे हैं.
दरअसल, क्षेत्रिय दलों के अस्तित्व के खत्म होने का कारण केवल ईवीएम घोटाला है. ईवीएम ने न केवल जनता के वोट देने के अधिकार को खत्म कर रही है, बल्कि ईवीएम क्षेत्रिय पार्टियों को भी खत्म करते जा रही है. यह बात बहुजन क्रांति मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक वामन मेश्राम 2014 से लगातार कहते आ रहे हैं. अभी हाल ही एक खबर आई थी कि तेलंगाना में 6 क्षेत्रिय पार्टियों की मान्यता खत्म करने के लिए चुनाव आयोग ने उन पार्टियों को नोटिस जारी की है. इसका मतलब है कि वामन मेश्राम जो बातें कहते आ रहे हैं वो बातें सही साबित होते जा रहे हैं.
बता दें कि वामन मेश्राम ईवीएम के खिलाफ निरंतर आंदोलन करते आ रहे हैं और हर बार कांग्रेस और बीजेपी पर खुला आरोप लगाते आ रहे हैं कि 2004 और 2009 में कांग्रेस ने ईवीएम घोटाला करके सत्ता पर कब्जा किया और 2014 और 2019 में बीजेपी ने ईवीएम घोटाला करके सत्ता पर कब्जा किया है. वर्तमान सरकार ईवीएम घोटाले से चुनी हुई सरकार है. वामन मेश्राम का दावा है कि देश में जब तक ईवीएम से चुनाव होंगे तब तक कांग्रेस और बीजेपी को सत्ता से बेदखल करना संभव नहीं है.
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