शुक्रवार, 25 अक्तूबर 2019

ईवीएममेव जयते...



महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद भले ही दोनों राज्यों में बीजेपी को पूर्ण बहुमत ना मिला हो. लेकिन, दोनों राज्यों में सरकार बीजेपी के बनाने की पूरी संभावना बन चुकी है. दूसरी खास बात सरकार चाहे किसी भी पार्टी की बने परन्तु, यह सच है कि दोनों राज्यों में ईवीएम गठबंधन की ही सरकार बनेगी, इसे कोई रोक नहीं सकता है. क्योंकि, ईवीएम गठबंधन ने दोनों राज्यों में एक दूसरे को मजबूत किया है और लोकसभा चुनाव 2004 से लेकर अब तक के विधानसभा चुनावों में ईवीएममेव जयते की ही विजय हुई है. ईवीएममेव जयते के विजय के साथ ही देश में ईवीएमवाद हावी हो गया और ईवीएमवाद हावी होते ही वर्तमान भारत में लोकतंत्र को दरकिनार कर ब्राह्मणवाद और ईवीएमवाद दोनों साथ-साथ चल रहे हैं.

जहाँ एक ओर भारतीय जनता पार्टी की सरकार से लेकर चुनाव आयोग तक इनकार करते आ रहे हैं कि ईवीएम में घोटाला नहीं हो सकता है, वहीं हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले हरियाणा के असांध सीट से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी बख्शीश सिंह विर्क ने सौ प्रतिशत दावे के साथ कहा था कि ‘‘आप ईवीएम मशीन का कोई भी बटन दबाओगे, वोट कमल के फूल को ही जाएगा. उन्होंने यहाँ तक कह दिया था कि ‘हमने ईवीएम में सेटिंग कर रखा है, इस सेटिंग से यह भी बता देंगे कि किस बूथ पर किसने कितना वोट’ दिया है. यही नहीं, चुनाव के फाइनल नतीजे आने तक बीजेपी यही बात बार-बार कहती रही है कि भले ही महाराष्ट्र और हरियाणा में हम बहुमत से चूक गये हैं. लेकिन, सरकार बनाने से नहीं. इससे यह साफ है कि महाराष्ट्र और हरियाणा में सरकार बीजेपी ही बनाने वाली है.

लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 में जबरदस्त ईवीएम घोटाले से केन्द्र की सत्ता पर कब्जा करने के बाद अब महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 में फिर से ईवीएम घोटाले ने भाजपा नेतृत्व वाली सरकार की ताजपोशी पर मुहर लगा दी है. गुरूवार को आये विधानसभा चुनाव के नतीजे भले ही भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं दिला सके, परन्तु दोनों ही राज्यों में सरकार बीजेपी ही बनाने जा रही है. यही नहीं ईवीएम ने एक बार फिर बीजेपी को महाराष्ट्र और हरियाणा में दूसरी सबसे बड़ी बना दिया है.

इस बात में कोई दो राय नहीं है कि ‘‘नाजायज लोग न केवल देश की सत्ता पर कब्जा कर रहे हैं, बल्कि नाजायज फैसले भी ले रहे हैं’’ इसका जिम्मेदार केवल ईवीएम और चुनाव आयोग है. इसका मतलब साफ है कि ईवीएम के साथ-साथ चुनाव आयोग भी हैक हो गया है. यह फर्जी सरकार और फर्जी चुनाव आयोग होने का सबसे बड़ा सबूत है. इसमें भारत की मीडिया भी पूरी तरह से शामिल है. गौरतलब है कि चुनाव आयोग के सामने जनता के जबरन वोट छीने जा रहे हैं, चोरी किए जा रहे हैं इसके बाद भी आयोग चिड़ीचुप है. आयोग की चुप्पी साबित करता है कि ईवीएम घोटाले में आयोग पूरी तरह से शामिल है. आयोग का रवैया बता रहा है एनडीए सरकार, चुनाव आयोग को 10 साल के लिए रिर्जव कर लिया है.

बता दें कि संविधान ने चुनाव आयोग को मुक्त, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराने के लिए स्वतंत्र रूप से जिम्मेदारी दी है. लेकिन, चुनाव आयोग मुक्त, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराने का काम रत्तीभर भी नहीं कर रहा है. बल्कि, चुनाव आयोग चुनाव परिणाम जल्दी लाने के लिए काम कर रहा है. दूसरी बात यह है कि ईवीएम के बजाए बैलेट पेपर और वीवीपीएटी से निकलने वाली कागजी मतपत्रों की गिनती पर आयोग ने कहा था कि इससे चुनाव परिणाम में देरी होगी.

यही नहीं सुप्रीम कोर्ट द्वारा ईवीएम और वीवीपीएटी के पाँच विधानसभा में मिलान पर भी कहा था कि इससे भी चुनाव परिणाम में देरी होगी, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. सवाल यह नहीं है, सवाल यह है कि मुक्त, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराना जरूरी है या रिजल्ट जल्दी लाना जरूरी है? इसके अलावा हर बार चुनाव आयोग पर ईवीएम में घोटाला करने और सरकार के दबाव में काम करने का आरोप लगते आ रहे हैं. लेकिन, चुनाव आयोग बार-बार एक ही बात दोहारा रहा है कि ईवीएम हैक प्रूफ है. क्या ऐसा नहीं लगता है कि चुनाव आयोग बिक चुका है? बात एकदम साफ है कि चुनाव आयोग न केवल बिक चुका है, बल्कि मीडिया की तरह आयोग भी बीजेपी सरकार की दलाली कर रहा है.
राजकुमार (संपादक, दैनिक मूलनिवासी नायक)

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