राजकुमार (संपादक, दैनिक मूलनिवासी नायक)
देश में जहाँ अमीरी-गरीबी की खाई को पाटने के लिए बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं तो वहीं इसके उलट अमीरी-गरीबी की यही खाई साल दर साल और ज्यादा चौड़ी व गहरी होती जा रही है. नतीजन गरीब और गरीब होता जा रहा है तो अमीर और ज्यादा अमीर होता जा रहा है. जबकि, भारत में अक्सर एक कहावत कही जाती है कि ‘कामयाबी, हमेशा कड़ी मेहनत करने वालों की कदम चूमती है’ मगर, भारत में ठीक इसका उलटा हो रहा है. भारत जैसे कृषि प्रधान देश में तपती और चिलचिलाती धूप, हाड़ कपकपा देने वाली सर्दी और तेज तुफान जैसे बारिश में कड़ी मेहनत करने के बाद भी गरीबों और किसानों के कदम आज तक कामयाबी नहीं चूम सकी. जबकि, इसके उलट अमीर जो मेहनत के नाम पर कुछ भी नहीं करता, बल्कि इन्हीं गरीब, मजदूर और किसानों से ही करवाता है. इसके बाद भी कामयाबी अमीरों के कदम चूम रही है.
गौरतलब है कि भारत में अमीरी और गरीबी की खाई खत्म होने के बजाए और ज्यादा चौड़ी व गहरी होती जा रही है. भारत में अमीरी-गरीबी का बढ़ता यह ग्राफ इस बात का सबूत है कि सरकारें अमीरी-गरीबी की खाई पाटने की कभी कोशिश ही नहीं की है. इस बात का उदाहरण सामने है कि महज एक साल में अमीरों की संपत्ति में 9.62 फीसदी की बढ़ोत्तरी हो गई है. कार्वी वेल्थ मैनेजमेंट की रिपोर्ट के अनुसार, देश में अमीरों के पास 2017 में 392 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति थी, जो कि 2018 में 9.62 फीसदी की दर से बढ़कर 430 लाख करोड़ रुपये हो गई है.
रिपोर्ट के मुताबिक, देश में अमीरों की संपत्ति की कुल वृद्धि दर 2018 में 9.62 प्रतिशत रही. हालांकि, यह भी बताया गया है कि पहले की तुलना में कम है, जो एक साल पहले 13.45 प्रतिशत थी. एक रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया है. कार्वी वेल्थ मैनेजमेंट की रिपोर्ट के अनुसार, दावा किया है कि 2018 में बड़े अमीरों की संख्या घटकर 2.56 लाख रह गई है, जो 2017 में 2.63 लाख थी. ऐसे लोग जिनके पास 10 लाख डॉलर से अधिक का निवेश योग्य अधिशेष है, बड़े अमीरों की श्रेणी में आते हैं.
यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है अमीर और गरीब के बीच बढ़ती खाई को लेकर सवाल उठ रहे हैं. अमीर अधिक अमीर हो रहे हैं, जबकि गरीब अधिक तेजी से और गरीब हो रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि अमीरों के पास मौजूद संपत्तियों में से 262 लाख करोड़ रुपये की वित्तीय संपत्तियाँ हैं. जबकि, शेष अचल संपत्तियाँ हैं. इस तरह से कुल मिलाकर इसका अनुपात 60ः40 पर कायम है.जबकि, वित्तीय संपत्तियों में सबसे अधिक 52 लाख करोड़ रुपये सीधे इक्विटी निवेश के रूप में हैं. इस वर्ग में वृद्धि 2017 के 30.32 प्रतिशत के मुकाबले 2018 में घटकर 6.39 प्रतिशत पर आ गई है.
दूसरी तरफ मियादी जमा या बांड में इन अमीरों का निवेश बढ़ा है और यह 45 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है. इनमें वृद्धि 8.85 प्रतिशत की रही जो पिछले साल 4.86 प्रतिशत थी.वित्तीय संपत्तियों में बीमा में निवेश 36 लाख करोड़ रुपये रहा, जबकि बैंक जमा 34 लाख करोड़ रुपये है. वहीं देश के अमीरों के पास सोने में निवेश 80 लाख करोड़ रुपये का है. रीयल एस्टेट क्षेत्र में उनका निवेश 74 लाख करोड़ रुपये है. एक साल पहले संपत्ति में निवेश 10.35 प्रतिशत था वहीं 2018 में यह कम होकर 7.13 प्रतिशत रह गया है.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें