राजकुमार (संपादक, दैनिक मूलनिवासी नायक)
यह प्रश्न शोध का विषय है, क्योंकि ब्राह्मणों द्वारा मुगलों के शासन-प्रशासन में 40 प्रतिशत की भागीदारी तथा अपने को विदेशी सिकन्दर तो अंग्रेज भी विदेशी यहां तक कि 1884 में राजाराम मोहनराय ने लन्दन में जाकर अंग्रेजों को यह बताया कि आप हमारे पिछड़े भाई बन्धू हैं पूर्व से पश्चिम आकर सुखद अनुभूति हुई। 1894 में अफीका में मेम्बर ऑफ लिजस्टलेरिब कांसिल को खुला पत्र देते हुए गांधी ने कहा कि हम और आप एक ही डाली के दो फूल हैं। डा. केशवचन्द्र सेन ने कहा कि अंग्रेज जब तक चाहे तब तक भारत में राज कर सकते हैं यह सब हमारे भाई बन्धू हैं, इन्हें मत भगाओ। आरएसएस प्रमुख डा. हेडगेवार ने भी अंग्रेजों के खिलाफ कोई बगावत नहीं की और यहां तक अंग्रेजों को सलाह दिया कि व्यस्क मताधिकार मत लागू करे, यदि लागू करना है तो केवल जमीदार एवं शिक्षित व्यक्ति को ही अधिकार दिया जाए जिसका विरोध बाबासहाब ने जमकर किया और अंग्रेजों के समय समस्त प्रमाण दिये कि मूलनिवासियों को ब्राह्मणों ने गुलाम बनाकर हमें शिक्षा, सम्पिŸा एवं अस्त्र, शस्त्र रखने से वंचित कर रखा है। इसीलिए अंग्रेजों ने कई सुधार कार्य मूलनिवासियों के लिए किया जिसका विरोध ब्राह्मणों ने किया जैसे -
1757 में प्लासी के युद्ध में अंग्रेजों की फौज ने भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना की। मनु विधान के अनुसार शूद्रों को सम्पिŸा रखने का अधिकार नहीं था। 1795 में अधिनियम 11 द्वारा शूद्रों को भी सम्पिŸा रखने का कानून बनाया।
2. 1773 में इस्ट इण्डिया कम्पनी ने रेग्यूलेटिंग एक्ट पास किया, जिसमें न्याय व्यवस्था समानता पर आधारित किया गया। 1774 में इसी कानून के तहत बंगाल के सामंत ब्राह्मण नन्द कुमार देव को हत्या एवं बलात्कार के जुर्म में फांसी हुई।
3. 1804 में अधिनियम 3 के द्वारा कन्या हत्या पर रोक अंग्रेजों ने लगाई (लड़कियों को पैदा होते ही तालू में अफीम चिपकाकर मां के स्तन पर धतूरे का लेप लगाकर एक गड्डा बनाकर दूध डालकर उसमें डूबोकर मारा जाता था)
4. 1813 में ब्रिटिश सरकार ने कानून बनाकर सभी जाति एवं धर्मों के लोगों को शिक्षा का अधिकार दिया।
5. 1813 में ब्रिटिश सरकार ने दास प्रथा समाप्त करने का कानून बनाया।
6. 1817 में समान नागरिक सहिंता बनाया गया (1817 के पहले सजा का प्रविधान वर्ग के आधार पर था। ब्राह्मणों को कोई सजा नहीं शूद्रों को कठोर दंड दिया जाता था। अंग्रेजों ने राजा का प्रविधान समाप्त कर दिया।
7. 1817 में अधिनियम 7 के तहत शूद्र क्षत्रियों के शुद्धीकरण पर रोक लगाया (शूद्रों की शादी होने पर दुल्हन को अपने घर न जाकर कम से कम तीन दिन तक ब्राह्मणों के घर शारीरिक सेवा देना पड़ता था।
8. 1830 में नरवली प्रथा पर लोक लगाया।
9. 1833 में अधिनियम 87 द्वारा सरकारी सेवा में भेदभाव पर रोक अर्थात सेवा का आधार योग्यता ही होगा, कम्पनी किसी भी भारतीय के धर्म, जाति लिंग के आधार पर पद से वंचित नहीं रखा जा सकता।
10. 1834 में पहला भारतीय विधि आयोग का गठन किया गया
11. 1835 प्रथम पुत्र को गंगादान पर रोक लगाई (ब्राह्मणों ने नियम बनाया था कि शूद्रों के घर यदि पहला बच्चा लड़का पैदा होता है तो गंगा को दान करना होगा)।
12. 7 मार्च 1835 को लार्ड मैकाले ने शिक्षा नीति राज्य का विषय बनाया तथा शिक्षा को अंग्रेजी माध्यम बनाया।
13. 1835 में कानून बनाकर अंग्रेजों ने शूद्रों को कुर्सी पर बैठाकर अधिकार दिया। 1829 में ही विधाओं को जलाना अवैध घोषित कर सती प्रथा का अंत किया।
14. देवदासी प्रथा पर रोक लगाई 1921 में जाति पर आधारित जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या 4 करोड़ 23 लाख थी, जिसमें 2 लाख देवदासियाँ मन्दिरों में भरी पड़ी थी। यह प्रथा आज भी दक्षिण भारत में मन्दिरों में चल रही है। ऐसी शर्मनाक प्रथा किसी भी देश में नहीं थी न है।
15. 1837 अधिनियम द्वारा ठगी प्रथा का अंत कर दिया।
16. 1849 में कलकत्ता में एक कलकत्ता में बालिका विद्यालय जे.ई.टी वेलन स्थापित किया। 1848 में फुले जी ने स्वतंत्रता आन्दोलन चलाया (ब्राह्मणों की गुलामी से स्वतंत्रता) के लिए।
17. 1854 में अंग्रेजों ने भारत में तीन विश्वविद्यालय कलकत्ता, मद्रास एवं बाम्बे में स्थापित किया। 1902 विश्वविद्यालय आयोग की नियुक्त किया गया।
18. 6 अक्टूबर 1960 को अंग्रेजों ने इण्डिया पैनल कोड बनाया। लार्ड मौकाले ने सदियों से जकड़े शूद्रों की जंजीर को काट दिया।
19. 1865 में अंग्रेजों ने कानून बनाकर चरक पूजा पर रोक लगा दिया (आलीशान भवन एवं पुलों को बनाने पर शूद्रों को पकड़कर जिंदा चुनवा दिया जाता था, पूजा में मान्यता थी कि भवन और पुल ज्यादा दिनों तक टिकाऊ रहेगा।
20. 1867 में बहुविवाह प्रथा पर पूरे देश में प्रतिबन्ध लगा दिया तथा बंगाल सरकार ने इस सम्बंध में एक कमेटी का गठन किया।
21. 1871 में अंग्रेजों ने भारत में जातिवार जनगणना प्रारम्भ किया यह जनगणना 1941 तक हुई। 1941 में द्वितीय विश्व युद्ध होने के कारण जाति जनगणना का कार्य अधूरा रह गया। 1948 में नेहरू ने कानून बनाकर जातिवार गणना पर रोक लगा दिया।
22. अंग्रेजों ने महार एवं चमार रेजीमेन्ट बनाकर इन जातियों को सेना में भर्ती किया। 1892 में ब्राह्मणों के दबाव के कारण अछूतों की भर्ती अंग्रेजों ने बन्द कर दिया।
23. 1918 में साउथबोरो कमीशन अंग्रेजों ने भारत में भेजा। यह कमेटी भारत में सभी जातियों का विधिमण्डल में भागीदारी देने के लिए आया था। शाहूजी महराज के कहने पर पिछड़ों के नेता भाष्कर राव जाधव ने एवं अछूतों के नेता डा. भीमराव अम्बेडकर ने विधिमण्डल में अपने लोगों की भागीदारी के लिए एक मेमोरण्डम दिया। तिलक ने 1919 में इतना गुस्सा हुआ और कहा कि तेली, तमोली, कुणभटों को सांसद में जाकर हल चलाना है, तेली तेल बेचेगा। मतलब शूद्रों को केवल सेवा का कार्य करना चाहिए।
24. 1919 में अंग्रेजों ने भारत सरकार अधिनियम का गठन किया।
25. 1919 में अंग्रेजों ने ब्राह्मणों के जज बनने पर रोक लगा दिया और कहा इसके (ब्राह्मणों) के अन्दर न्यायिक चरित्र नहीं होता है।
26. 25 दिसम्बर 1927 को डा. अम्बेडकर द्वारा ‘मनुस्मृति का दहन किया।
27. नवम्बर 1927 को अंग्रेजों ने साइमन कमीशन का गठन किया, 1928 को भारत के लोगों को अतिरिक्त अधिकार देने के लिए आया। भारत के लोगों को यह अंग्रेज अधिकार न दे सके इसलिए इस कमीशन को भारत पहुंचते ही गांधी ने कमीशन के विरोध में आन्दोलन चलाया। लाला लाजपत राय की लाठी खाने से मृत्यु हो गई।
28. साइमन की अधूरी रिपोर्ट लेकर अंग्रेज वापस चला गया एवं अंतिम फैसला लेने के लिए नवम्बर 1930 प्रथम गोलमेज सम्मेलन बुलाया।
29. 24 सितम्बर 1932 को अंग्रेजों ने कम्युनल अवार्ड घोषित किया, परन्तु गांधी के विरोध के कारण ‘‘पूना पैक्ट’’ हुआ जिसमें ओबीसी की महत्वपूर्ण भूमिका थी। यही कारण है कि 52 प्रतिशत ओबीसी कमण्डल लेकर आज तक भीख मांग रहा है।
30. 19 मार्च 1928 को बेगारी प्रथा के विरूद्ध डा. अम्बेडकर ने मुम्बई विधान परिषद में आवाज उठाई। अंग्रेजों ने इस प्रथा को समाप्त किया।
31. 1937 में अंग्रेजों ने प्रोविसिंयल गर्वमेंट का चुनाव करवाया।
32. 1942 में अंग्रेजों से बाबासाहब ने 50 हजार हेक्टेयर भूमि को अछूतों और पिछड़ों में बांट देने के लिए अपील किया, अंग्रेजों ने 20 वर्षों का समय मांगा लेकिन 1947 में अंग्रेज भारत से चले गये।
33. अंग्रेजों ने ब्राह्मणों की भागीदारी 2.5 प्रतिशत पर लाकर खड़ा कर दिया परन्तु आज 71 प्रतिशत भागीदारी सरकारी नौकरी में है।
नोटः- अंग्रेजों ने मूलनिवासियों के हक अधिकार एवं सामाजिक सुधार 1848 में राष्ट्रपिता जोतिराव फुले से काफी प्रभावित होने के बाद तेजी से शुरूआत किया, क्योंकि फुले जी एवं माता सावित्री बाई फुले ने शूद्रों-अतिशूद्रों को जागृति करने के लिए 1850 में सत्यशोधक समाज की नीव डाली 24 सितम्बर 1873 में इसकी स्थापना कर आन्दोलन को तेज कर दिया। 1882 में हंटर कमीशन के सम्मुख शूद्रों-अतिशूद्रों की भागीदारी, हिस्सेदारी सुनिश्चित करने के लिए मेमोरंडम दिया। 1902 में शाहूजी महाराज ने उसी मेमोरंडम को आधार बनाकर 50 प्रतिशत पिछड़ों को राज्य में हिस्सेदारी थी।