शुक्रवार, 9 अगस्त 2019

9 अगस्तः विश्व मूलनिवासी दिवस, मेरी आन, बान शान है.....


‘‘9 अगस्त विश्व मूलनिवासी दिवस के अवसर पर दैनिक मूलनिवासी नायक परिवार की ओर से देश के मूलनिवासी बहुजनों को हार्दिक शुभकामनाएं’’


राजकुमार (संपादक, दैनिक मूलनिवासी नायक)

विश्व मूलनिवासी दिवस, यूएनओ द्वारा पिछले 22 वर्षों से दुनिया के 193 देशों में मनाया जा रहा है. मगर, भारत के ही मूलनिवासी बहुजनों को इसकी जानकारी नहीं है. इसको मद्देनजर रखते हुए अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर मूलनिवासियों की समस्याओं को मजबूती के साथ रखने के सन्दर्भ में बामसेफ के राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय अध्यक्ष वामन मेश्राम ने 23 जुलाई 2016 को लंदन (इंग्लैंड), 26 जुलाई 2016 को पेरिस (फ्रांस) व 01 अगस्त 2016 को रोम (इटली) में बामसेफ द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनारों का आयोजन किया. तब से भारत में विश्व मूलनिवासी दिसव बड़े पैमाने पर मनाये जाने लगा.

बता दें कि यूएनओ की स्थापना 24 अक्टूबर 1945 को हुई. इसका मुख्यालय न्यूयार्क में है तथा वर्तमान में इसके 193 देश सदस्य हैं. भारत भी यूएनओ का 30 अक्टूबर 1945 से सदस्य है. इसके बाद भी ब्राह्मणों ने यह बात किसी को पता नहीं होने दी. मूलनिवासियों के मानवाधिकारों को लागू करने और उनके संरक्षण के लिए 1982 में संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओ) ने एक कार्यदल ‘‘यूनाईटेड नेशनल वर्किंग ग्रुप ऑन इंडिगेंस पॉपुलेशन’’ (यूएनडब्ल्यूजीओआईपी) के आयोग का गठन किया था. जिसकी, पहली बैठक 9 अगस्त 1982 को हुई. प्रत्येक वर्ष 9 अगस्त को ‘‘विश्व मूलनिवासी दिवस’’ यूएनए द्वारा अपने कार्यालय एवं अपने सदस्य देशों को मनाने का निर्देश दिया था. मूलनिवासी बहुजन समाज की समस्याओं के निराकरण हेतु विश्व के देशों का ध्यान आर्षित करने के लिए सबसे पहले यूएनओ ने 1982 में होने वाले सम्मेलन के 300 पन्नों के एजेंडे में 40 विषय रखा, जो 4 भागों में बांटे गए. तीसरे भाग में रियोडीजनेरो (ब्राजील) सम्मेलन में विश्व के मूलनिवासियों की स्थिति की समीक्षा की और प्रस्ताव पारित किया. यूएनओ ने यह महसूस किया कि 21वीं सदी में भी विश्व के विभिन्न देशों में निवासरत मूलनिवासी समाज अपनी उपेक्षा, बेरोजगारी एवं बंधुआ बाल मजदूरी जैसी समस्याओं से ग्रसित हैं.

1993 में यूएनडब्ल्यूजीआईपी कार्य दल के 11वें अधिवेशन में मूलनिवासी घोषणा प्रारूप को मान्यता मिलने पर 1994 को ‘मूलनिवासी वर्ष’ व 9 अगस्त को ‘‘विश्व मूलनिवासी दिवस’’ घोषित किया. अतः मूलनिवासियों को हक अधिकार दिलाने और उनकी समस्याओं का निराकरण, भाषा, संस्कृति, इतिहास के संरक्षण के लिए यूएनओ की महासभा द्वारा 9 अगस्त 1994 को जेनेवा शहर में विश्व के मूलनिवासी प्रतिनिधियों का विशाल एवं विश्व का ‘प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय मूलनिवासी दिवस’ का सम्मेलन आयोजित किया. मूलनिवासियों की संस्कृति, भाषा, उनके मूलभूत हक एवं अधिकारों को सभी ने एकमत से स्वीकार किया और उनके सभी हक अधिकार बरकरार रहें इस बात की पुष्टि की गयी. साथ ही यूएनओ ने ‘हम आपके साथ हैं’ यह वचन भी मूलनिवासियों को दिया. यूएनओ ने व्यापक चर्चा के बाद 21 दिसंबर 1994 से 20 दिसंबर 2004 तक प्रथम मूलनिवासी दशक तथा प्रत्येक वर्ष 9 अगस्त को ‘‘विश्व मूलनिवासी दिवस’’ मनाने का फैसला लिया और विश्व के सभी देशों को मनाने का निर्देश दिया.

तब से लेकर अब तक विश्व के समस्त देशों में 9 अगस्त को विश्व मूलनिवासी दिवस मनाया जाने लग. किन्तु, अफसोस भारत की ब्राम्हणवादी सरकारों ने मूलनिवासियों के साथ धोखा करते हुए भारत में इस दिन के बारे में आज तक किसी को नहीं बताया और ना ही आज तक इस पर चर्चा ही किया. जबकि, यूएनओ ने पुनः 16 दिसंबर 2004 से 15 दिसंबर 2014 तक फिर ‘दूसरा मूलनिवासी दशक’ घोषित किया. जेनेवा के सम्मेलन में भारत की मनुवादी सरकार ने अपने प्रतिनिधि के रूप में डॉ. बाबासाहब अम्बेडकर के सगे पौत्र प्रकाश अम्बेडकर द्वारा यूएनओ को यह अवगत कराया कि भारत में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा परिभाषित देशज अर्थात मूलनिवासी भारतीय लोग ही नहीं हैं और न ही यहाँ के अनुसूचित जाति, जन जातियों से किसी भी प्रकार का सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक व शैक्षिक पक्षपात हो रहा है. इस तरह से संयुक्त राष्ट्र संघ में ग्लोबल इकनॉमी के संबंध में मूलनिवासियों को जो प्रतिनिधित्व मिलने वाला था, उसे मनुवादियों ने अपने में से ही बिकाऊ एक मूलनिवासी के द्वारा समाप्त कर दिया. 

यूएनओ द्वारा पिछले 22 वर्षों से निरन्तर विश्व मूलनिवासी दिवस मनाया जा रहा है. किन्तु, भारत के मूलनिवासी बहूजनों को इसकी कोई जानकारी नहीं होने दी. इसको मद्देनजर रखते हुए अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर मूलनिवासियों की समस्याओं को मजबूती के साथ रखने के सन्दर्भ में बामसेफ के राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय अध्यक्ष वामन मेश्राम ने 23 जुलाई 2016 को लंदन (इंग्लैंड), 26 जुलाई 2016 को पेरिस (फ्रांस) व 01 अगस्त 2016 को रोम (इटली) में बामसेफ द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनारों का आयोजन किया. फिर वामन मेश्राम के इस कोशिश को नाकाम करने के लिए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने लन्दन में गया और बोला कि भारत में हिन्दू नामक का कोई धर्म नहीं है, बल्कि एक परम्परा है. बता दें कि यूएनओ की स्थापना 24 अक्टूबर 1945 को हुई. इसका मुख्यालय न्यूयार्क में है तथा वर्तमान में इसके 193 देश सदस्य हैं. भारत भी यूएनओ का 30 अक्टूबर 1945 से सदस्य है. इसके बाद भी ब्राह्मणों ने यह बात किसी को पता नहीं होने दी. ‘‘9 अगस्त, विश्व मूलनिवासी दिवस के अवसर पर दैनिक मूलनिवासी नायक परिवार की ओर से देश के मूलनिवासी बहुजनों को हार्दिक शुभकामनाएं’’

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