शनिवार, 10 जून 2017

भीम के साथ बेरुखी


 जिस महामानव ने भेद-भाव मिटाने के लिए अपना सारा जीवन समर्पित कर दिया, लेकिन आज उसी के साथ भेद-भाव किया जा रहा है l जी हाँ मैं बात कर रहा संविधान शिल्पकार बाबा साहेब डा. बी.आर. अम्बेडकर की l
आज जो मैं आप को बताने जा रहा हूँ वह किसी किताब के पन्ने पर नहीं लिखा है, यह हकीकत है और इस हकीकत को देख कर आँखों में आंसू गए l इस हकीकत को प्रस्तुत किया इण्डिया टी.वी. ने 25 जनवरी रात साढ़े आठ बजे, जिस किसी ने भी इसे देखा होगा उसकी भी आँखे नाम हो गई होंगी l
नागपुर के पास चिंचोली की जहाँ बाबा साहेब डा. बी.आर. अम्बेडकर का संग्रहालय है l जिसमें बाबा साहेब की 400 निशानियां मौजूद है l संविधान निर्माता बाबा साहेब के कपड़ों में दीमक लग चुकी है जिसके कारण वो कपडे चीथड़ों में तब्दील हुए जा रहे है l संग्रहालय में रखे बाबा साहेब के कोट-पैंट, टाई, कुर्ता, शेरवानी, सदरी और बैरिस्टर गाउन तमाम चीजें सीलन और दीमक की भेट चढ़ी जा रही है l बाबा साहेब के वे दो कुर्ते जो वे जन सभा में या आराम करते समय पहनते थे आज उनमें बड़े-बड़े छेद दिखाई पड़ते है l बाबा साहेब का वह कोट-पैंट-टाई जिसे वे इसलिए पहनते थे कि अनुसूचित जाति पिछड़ी जाति के लोग उनसे प्रेणना लेंगे और समाज का हिस्सा बनेंगे l उस कोट-पैंट की हालत भी जर्जर हो चली है l
जिस टाइप राईटर से भारत का संविधान लिखा गया आज वह कबाड़ में तब्दील है l 1950 से अब तक भारतीय संविधान में 98 बदलाव हुए पर उस टाइप राईटर की हालत जस की तस है l अष्टधातु की बनी वह बुद्ध जी की प्रतिमा जिसके सामने बाबा साहेब ने नतमस्तक होकर बौद्ध धम्म की दीक्षा ली थी उस पर धूल की मोटी परत जम गई है l
संग्रहालय देखने आये लोगों ने बताया जब वह दिल्ली गांधी-नेहरू परिवार की चीज़े देखने गए तो वह सब चमचमा रही थी लेकिन दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र देने वाले के साथ ये कैसा भेद-भाव है l बाबा साहेब की अंतिम निशानियों के साथ ऐसा क्यों ?
मेरा सवाल उन राजनीतिक पार्टियों से है जो अपने को अनुसूचित जाति पिछड़ी जाति का हमदम बताती है l राहुल गांधी जो दलितों के यहाँ खाना खाते है, क्या उनके पास इसका जवाब है ? उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती जिन्होंने अम्बेडकर पार्क बनवाये लेकिन बाबा साहेब की अंतिम निशानियों को बचाने के लिए क्या किया ? जो भी अपने को दलितों का नेता कहता है उन सभी से मेरा यही सवाल है l
जो रिपोर्ट न्यूज़ चैनल पर दिखाई गई है उसके मुताबिक संग्रहालय में रखी निशानियां कीड़े-मकोड़े, सीलन फफूदी और दीमक से नष्ट हो रही है l इन्हे तुरंत केमिकल ट्रीटमेंट की जरूरत है l टरमाइट ट्रीटमेंट की जरूरत है अर्थात दीमक से इन्हे बचाया जाये l यहाँ एयरकंडीशनर की जरूरत है, यहाँ क्यूरेटर की जरुरत है और सिक्योरटी गार्ड रखने की जरूरत है l केंद्र राज्य सरकार ने एक रुपया भी खर्च नहीं किया ऐसा बताया गया l
रिपोर्ट के अनुसार पुरातत्व विभाग ने संग्रहालय संचालक से छः लाख तिहत्तर हज़ार रुपये चुकाने की बात कही है l इसके बाद ही बाबा साहेब की निशानियों को बचाने के विषय में सोचा जायेगा l
मात्र छः लाख तिहत्तर हज़ार रुपये l इससे ज्यादा महंगी गाड़ियों में तो हमारे नेता घूमते है l आज-कल होने वाली रैलियों में ही करोड़ों रुपये स्वाहा हो जाते है l पर बाबा साहेब की निशानियों को बचाने के लिए इनके पास एक रुपया भी नहीं है l अगर इस न्यूज़ को दिखने के बाद भी ये पार्टिया आगे नहीं आती है तो समझो ये बाबा साहेब के नाम का सिर्फ इस्तेमाल करती है और अपना काम बनाती है l
अब मैं यही सोचता हूँ कि अगर बाबा साहेब होते तो हम लोगों का क्या होता ? जब आज भी ये बाबा साहेब के साथ ऐसा करते है तो हम लोगो के साथ क्या करते ? मैं तो बस यही कहूंगा कि…… अगर बाबा साहेब होते तो हम होते…. !
इंडिया टी.वी. का बहुत-बहुत धन्यवाद जो इस सच्चाई को सामने लाया और आप लोगों का भी बहुत-बहुत धन्यवाद जो आप ने इस लेख को पढ़ने में अपना अमूल्य समय दिया l


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें