जब यूरेशियन लोग दक्षिण भारत का विशाल समुद्र पार कर के भारत के दक्षिणी राज्यों में पहुंचे तो उन लोगों ये ये धारणा बना ली की धरती पानी के अन्दर स्थित है। क्योकि यूरेशियन हजारों किलो मीटर का सफ़र कर के भारत में आये थे। हजारों किलो मीटर की यात्रा के बीच उनको 2-3 जगह और मिली होगी। जहा पर उस समय कोई जन-जीवन नहीं था। इसी से तीन लोकों की धारणा का उदय हुआ। क्योंकि यह बात आज तक विज्ञान भी प्रमाणित नहीं कर पाया कि कही तथाकथित तीन लोक है। परन्तु अपनी बात को सही सिद्ध करने के लिए युरेशियनों ने मनघडंत कहानिया बना डाली। जिसे समय के साथ पहले तीन लोक और बाद में मूल निवासियों को धर्म भ्रम में डालने के लिए सात लोकों में परिवर्तित कर दिया गया। ताकि भारत के मूल निवासी युरेशियनों के धर्म जाल में अच्छे से फंसाया जाये।
यूरेशियन लोग जब दक्षिण भारत में पहुंचे तो यहाँ दक्षिणी भारत में उस समय मधु और कैटभ नाम के दो महाशक्तिशाली मूल निवासी राजाओं का शासन हुआ करता था। यह बात भी वेदों और पुराणों से ही साबित होती है, क्योकि इससे प्राचीन कोई भी कहानी भारत के इतिहास में नहीं है। इसी कहानी को भारत के इतिहास का आधार माना जा सकता है। दक्षिणी भारत के जिस प्रान्त में मधु और कैटभ राज करते थे वह क्षेत्र तीनों ओर से समुद्र से घिरा हुआ था। इसीलिए मधु और कैटभ को इस कहानी में समुद्र में रहने वाला बताया गया है। मधु-कैटभ असीम शक्ति के स्वामी थे, काले थे, और ऊँचा कद था, बड़े बड़े नयन थे। आज भी दक्षिणी भारत के लोगों में यह विशेषता देखने को मिल जाती है। मधु और कैटभ सूरापान अर्थात शराब नहीं पीते थे, इसीलिए दोनों राजा असुर कहलाये। ऊँचा लम्बा कद होने के कारण दानव और दैत्य भी कहलाये।
सबसे पहले ब्रह्मा नाम के यूरेशियन ने मधु कैटभ पर आक्रमण किया, लेकिन मधु कैटभ के सामने ब्रह्मा की एक ना चली और ब्रह्मा की हार का मुह देखना पड़ा। ब्रह्मा ने भारत में आर्यों को स्थापित करने का प्रथम प्रयास किया था इसीलिए आज भी यूरेशियन (ब्राह्मण, राजपूत और वैश्य) ब्रह्मा को परमपिता या सृष्टि का निर्माण करने वाला मानते है। जब ब्रह्मा को पराजय का सामना करना पड़ा तो वह युद्ध क्षेत्र से भाग निकला और मधु-कैटभ ने हजारों आर्यों का विनाश कर दिया। ब्रह्मा किसी तरह अपनी जान बचा कर भागा और जाकर विष्णु नाम के आर्य के पास पहुंचा। वह पर ब्रह्मा ने विस्तार से अपने ज्ञानानुसार भारत की भौगोलिक और सामरिक स्थिति का वर्णन किया तब विष्णु नाम के आर्य ने भगवती नाम की एक औरत को मधु कैटभ के पास भेजा और छल के द्वारा मधु-कैटभ को मौत के घाट उतार दिया। मधु कैटभ की मारे जाने का कारण भी भारत के मूल निवासी ही रहे, क्योकि आर्य तो अपने साथ औरतें लाये ही नहीं थे। तो भगवती नाम की वह औरत मूल निवासियों में से ही कोई गद्दार रही होगी। जिसने आर्यों के प्रेम के लिए मूल निवासियों के साथ धोखा किया। प्रमाण के लिए यहाँ लिखना भी जरुरी है कि अगर भगवती मूल निवासी नहीं थी तो वो मधु-कैटभ के पास जिन्दा कैसे पहुंची? जो मधु-कैटभ आर्यों के कट्टर विरोधी थे, वो आर्यों की औरतों को कैसे अपने पास आने की अनुमति देते? दूसरी तरफ अगर कुछ और प्रमाण देखे जाये तो भी यही साबित होता है कि भगवती नाम की महिला मूल निवासी ही थी। DNA TEST 2001 रिपोर्ट को देखा जाये तो उस में साफ़ साफ़ लिखा है कि ब्राह्मणों, राजपूतों और वैश्यों की औरतों का DNA भारत की शुद्र जाति के लोगों से मिलाता है। DNA TEST रिपोर्ट आप हमारी दुसरे लेखों में भी देख सकते हो। जिस से सारी स्थिति आपकी समझ आ जाएगी। तीसरा प्रमाण हम मनुस्मृति को मान सकते है। जिस में साफ़ साफ़ लिखा हुआ है कि औरत हर हाल में शुद्र ही होती है।
विष्णु ने मधु-कैटभ को धोखे से मार कर आर्यों का प्रवेश दक्षिणी भारत में करवा दिया। जिस भू खंड में आर्यों ने अपना पहला राज्य स्थापित किया वो सम्भवत: महाराष्ट्र और गुजरात प्रान्त था। क्योंकि अमरावती को अपना उपनिवेश बनाया था। इंद्र नाम के आर्य को सैनिक शक्ति संगठित करने के लिए नियुक्त किया था। इंद्र किसी व्यक्ति विशेष का नाम नहीं था, इंद्र नाम की उपाधि यूरेशियन अपने सेनापति को देते थे और सभी सेनापतियों को इंद्र कहकर बुलाते थे। उस समय भारत के मूल निवासी छोटे छोटे राज्यों में बंटे हुए थे। अफगानिस्तान से लेकर श्रीलंका. आस्ट्रेलिया, भारत के प्रायद्वीप, दक्षिणी अफ्रीका से भारत की सीमाएं लगी हुई थी। प्राकृतिक तौर पर पानी का कटाव ज्यादा नहीं था, और बड़ी बड़ी नावों द्वारा इन भू खण्डों में आना जाना होता था। मूल निवासियों के सभी पडोसी देशों के साथ व्यापारिक सम्बन्ध थे। भारत के मूल निवासी सामाजिक, आर्थिक और सांसकृतिक रूप से काफी समृद्ध थे। सभी लोग मिल जुल कर रहते थे। यही कारण था कि भारत के मूल निवासियों को हराना और अपना राज्य भारत में स्थापित करना आर्यों के बस की बात नहीं थी, तो आर्यों ने छल कपट का सहारा लिया। भारत के मूल निवासी छल कपट से कोसों दूर थे, यह बात बहुत सी किताबों और शोधों से भी सिद्ध हो चुकी है।
मधु-कैटभ को मारने के बाद विष्णु ने उत्साह में दुसरे मूल निवासी राजा हयग्रीव के राज्य पर आक्रमण किया। हयग्रीव से बिष्णु का भयंकर युद्ध हुआ, जिस में हयग्रीव ने विष्णु को बहुत बुरी तरह हरा दिया। हयग्रीव से हरने के बाद विष्णु अचेत हो गए अर्थात हयग्रीव ने विष्णु को इतना मारा की विष्णु बेहोश हो गया। उस समय विष्णु को होश में लाने के लिए आर्यों ने बहुत से यज्ञ किये परन्तु विष्णु को होश नहीं आया। ब्रह्मा ने कही से ब्रह्मी नाम के कीड़े को पकड़ लाया, उस कीड़े ने विष्णु के धनुष की डोरी काट दी जिससे विष्णु का धड उड़ गया, अर्थात विष्णु का शरीर दूर समुद्र में गिर गया। ऐसा भागवत पुराण में लिखा हुआ है। तब सभी आर्यों ने लक्ष्मी से प्रार्थना की कि हयग्रीव का वध करने में उनकी सहायता करे। तो देवताओं की प्रार्थना पर लक्ष्मी ने एक कामुक स्त्री का रूप धारण कर के सिग्रीव को अपने प्रेम जाल में फंसने की कोशिश की। परन्तु सफल नहीं हो सकी, उधर ब्रह्मा के प्रयासों से विष्णु को होश आ गया और ब्रह्मा और विष्णु ने धोखे से हयग्रीव पर आक्रमण कर के अकेले हयग्रीव को मार डाला। इस तरह आर्यों का कब्ज़ा अयोध्या तक हो गया।
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