शनिवार, 10 जून 2017

26 लाख करोड़ का महा घोटाला

सरकार ने देश को बेच डालाः 26 लाख करोड़ का महा घोटाला


क्या सर्वोच्च न्यायालय इस महाघोटाले को अनदेखा कर देगाघ् संसद से हमें बहुत ज़्यादा आशा नहीं हैए क्योंकि उसकी समझ में जब तक आएगाए तब तक उसके 5 साल पूरे हो जाएंगेण् जनता बेबस हैए उसे हमेशा एक महानायक की तलाश रहती है और अब महानायक पैदा होने बंद हो चुके हैंण् अब एक ही महानायक है और वह है देश का सुप्रीम कोर्टए उसी के चेतने का इंतज़ार हैण्
अगर 2.जी स्पेक्ट्रम घोटाला देश के सभी घोटालों की जननी है तो आज जिस घोटाले का चौथी दुनिया पर्दाफाश कर रहा हैए वह देश में हुए अब तक के सभी घोटालों का पितामह हैण् चौथी दुनिया आपको अब तक के सबसे बड़े घोटाले से रूबरू करा रहा हैण् देश में कोयला आवंटन के नाम पर करीब 26 लाख करोड़ रुपये की लूट हुई हैण् सबसे बड़ी बात है कि यह घोटाला प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के  कार्यकाल में ही नहींए उन्हीं के मंत्रालय में हुआण् यह है कोयला घोटालाण् कोयले को काला सोना कहा जाता हैए काला हीरा कहा जाता हैए लेकिन सरकार ने इस हीरे का बंदरबांट कर डाला और अपने प्रिय.चहेते पूंजीपतियों एवं दलालों को मुफ्त ही दे दियाण् आइए देखेंए इतिहास की सबसे बड़ी लूट की पूरी कहानी क्या हैण्
सबसे पहले समझने की बात यह है कि देश में कोयला उत्खनन के संबंध में सरकारी रवैया क्या रहा हैण् 1973 में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने दूरदर्शिता दिखाते हुए देश में कोयले का उत्खनन निजी क्षेत्र से निकाल लिया और इस एकाधिकार को सरकार के अधीन कर दियाण्
प्रधानमंत्री ने टू.जी स्पेक्ट्रम घोटाले की ज़िम्मेदारी मंत्री पर डाल दीण् उन्हें कुछ मालूम ही नहीं थाण् आदर्श घोटाला और कॉमनवेल्थ घोटाला भी दूसरों ने कियाए लेकिन अब उनके ही कोयला मंत्री रहते हुए जो महा घोटाला हुआए उसकी ज़िम्मेदारी किस पर डाली जाएगीघ्  इस सवाल का जवाब जनता प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से ज़रूर जानना चाहेगीण्
मतलब इसका राष्ट्रीयकरण कर दिया गयाण् शायद इसी कारण देश में कोयले का उत्पादन दिनोंदिन बढ़ता गयाण् आज यह 70 मिलियन मीट्रिक टन से बढ़कर लगभग 493 ;2009द्ध मिलियन मीट्रिक टन हो गया हैण् सरकार द्वारा कोयले के उत्खनन और विपणन का एकाधिकार कोल इंडिया लिमिटेड को दे दिया गया हैण् इस कारण अब कोयला नोटिफाइड रेट पर उपलब्ध हैए जिससे कोयले की कालाबाज़ारी पर बहुत हद तक नियंत्रण पा लिया गयाण् लेकिन कैप्टिव ब्लॉक ;कोयले का संशोधित क्षेत्रद्ध के नाम पर कोयले को निजी क्षेत्र के लिए खोलने की सरकारी नीति से इसे बहुत बड़ा धक्का पहुंचा और यह काम यूपीए सरकार की अगुवाई में हुआ हैण्
सबसे बड़ी बात है कि यह घोटाला सरकारी फाइलों में दर्ज है और सरकार के ही आंकड़े चीख.चीखकर कह रहे हैं कि देश के साथ एक बार फिर बहुत बड़ा धोखा हुआ हैण् यह बात है 2006.2007 कीए जब शिबू सोरेन जेल में थे और प्रधानमंत्री ख़ुद ही कोयला मंत्री थेण् इस काल में दासी नारायण और संतोष बागडोदिया राज्यमंत्री थेण् प्रधानमंत्री के नेतृत्व में कोयले के संशोधित क्षेत्रों को निजी क्षेत्र में सबसे अधिक तेजी से बांटा गयाण् सबसे बड़ी बात यह है कि ये कोयले की खानें सिर्फ 100 रुपये प्रति टन की खनिज रॉयल्टी के एवज़ में बांट दी गईंण् ऐसा तब किया गयाए जब कोयले का बाज़ार मूल्य 1800 से 2000 रुपये प्रति टन के ऊपर थाण् जब संसद में इस बात को लेकर कुछ सांसदों ने हंगामा कियाए
स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने दूरदर्शिता दिखाते हुए देश में कोयले का उत्खनन निजी क्षेत्र से निकाल लिया और इस एकाधिकार को सरकार के अधीन कर दियाण् मतलब इसका राष्ट्रीयकरण कर दिया गयाण् शायद इसी कारण देश में कोयले का उत्पादन दिनोंदिन बढ़ता गयाण् आज यह 70 मिलियन मीट्रिक टन से बढ़कर लगभग 493 ;2009द्ध मिलियन मीट्रिक टन हो गया हैण् सरकार द्वारा कोयले के उत्खनन और विपणन का एकाधिकार कोल इंडिया लिमिटेड को दे दिया गया हैण् इस कारण अब कोयला नोटिफाइड रेट पर उपलब्ध हैए जिससे कोयले की कालाबाज़ारी पर बहुत हद तक नियंत्रण पा लिया गयाण् लेकिन कैप्टिव ब्लॉक ;कोयले का संशोधित क्षेत्रद्ध के नाम पर कोयले को निजी क्षेत्र के लिए खोलने की सरकारी नीति से इसे बहुत बड़ा धक्का पहुंचा और यह काम यूपीए सरकार की अगुवाई में हुआ हैण्
तब शर्मसार होकर सरकार ने कहा कि माइंस और मिनरल ;डेवलपमेंट एंड रेगुलेशनद्ध एक्ट 1957 में संशोधन किया जाएगा और तब तक कोई भी कोयला खदान आवंटित नहीं की जाएगीण् 2006 में यह बिल राज्यसभा में पेश किया गया और यह माना गया कि जब तक दोनों सदन इसे मंजूरी नहीं दे देते और यह बिल पास नहीं हो जाताए तब तक कोई भी कोयला खदान आवंटित नहीं की जाएगीण् लेकिन यह विधेयक चार साल तक लोकसभा में जानबूझ कर लंबित रखा गया और 2010 में ही यह क़ानून में तब्दील हो पायाण् इस दरम्यान संसद में किए गए वादे से सरकार मुकर गई और कोयले के ब्लॉक बांटने का गोरखधंधा चलता रहाण् असल में इस विधेयक को लंबित रखने की राजनीति बहुत गहरी थीण् इस विधेयक में साफ़.साफ़ लिखा था कि कोयले या किसी भी खनिज की खदानों के लिए सार्वजनिक नीलामी की प्रक्रिया अपनाई जाएगीण् अगर यह विधेयक लंबित न रहता तो सरकार अपने चहेतों को मुफ्त कोयला कैसे बांट पातीण् इस समयावधि में लगभग 21ण्69 बिलियन टन कोयले के उत्पादन क्षमता वाली खदानें निजी क्षेत्र के दलालों और पूंजीपतियों को मुफ्त दे दी गईंण् इस दरम्यान प्रधानमंत्री भी कोयला मंत्री रहे और सबसे आश्चर्य की बात यह है कि उन्हीं के नीचे सबसे अधिक कोयले के ब्लॉक बांटे गएण् ऐसा क्यों हुआघ् प्रधानमंत्री ने हद कर दीए जब उन्होंने कुल 63 ब्लॉक बांट दिएण् इन चार सालों में लगभग 175 ब्लॉक आनन.फानन में पूंजीपतियों और दलालों को मुफ्त में दे दिए गएण्
वैसे बाहर से देखने में इस घोटाले की असलियत सामने नहीं आतीए इसलिए चौथी दुनिया ने पता लगाने की कोशिश की कि इस घोटाले से देश को कितना घाटा हुआ हैण् जो परिणाम सामने आयाए वह स्तब्ध कर देने वाला हैण् दरअसल निजी क्षेत्र में कैप्टिव ;संशोधितद्ध ब्लॉक देने का काम 1993 से शुरू किया गयाण् कहने को ऐसा इसलिए किया गया कि कुछ कोयला खदानें खनन की दृष्टि से सरकार के लिए आर्थिक रूप से कठिन कार्य सिद्ध होंगीण् इसलिए उन्हें निजी क्षेत्र में देने की ठान ली गईण् ऐसा कहा गया कि मुना़फे की लालसा में निजी उपक्रम इन दूरदराज़ की और कठिन खदानों को विकसित कर लेंगे तथा देश के कोयला उत्पादन में वृद्धि हो जाएगीण् 1993 से लेकर 2010 तक 208 कोयले के ब्लॉक बांटे गएए जो कि 49ण्07 बिलियन टन कोयला थाण् इनमें से 113 ब्लॉक निजी क्षेत्र में 184 निजी कंपनियों को दिए गएए जो कि 21ण्69 बिलियन टन कोयला थाण् अगर बाज़ार मूल्य पर इसका आकलन किया जाए तो 2500 रुपये प्रति टन के हिसाब से इस कोयले का मूल्य 5ए382ए830ण्50 करोड़ रुपये निकलता हैण् अगर इसमें से 1250 रुपये प्रति टन काट दिया जाएए यह मानकर कि 850 रुपये उत्पादन की क़ीमत है और 400 रुपये मुनाफ़ाए तो भी देश को लगभग 26 लाख करोड़ रुपये का राजस्व घाटा हुआण् तो यह हुआ घोटालों का बापण् आज तक के इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला और शायद दुनिया का सबसे बड़ा घोटाला होने का गौरव भी इसे ही मिलेगाण् तहक़ीक़ात के दौरान चौथी दुनिया को कुछ ऐसे दस्तावेज हाथ लगेए जो चौंकाने वाले खुलासे कर रहे थेण् इन दस्तावेजों से पता चलता है कि इस घोटाले की जानकारी सीएजी ;कैगद्ध को भी हैण् तो सवाल यह उठता है कि अब तक इस घोटाले पर सीएजी चुप क्यों हैघ्
देश की खनिज संपदाए जिस पर 120 करोड़ भारतीयों का समान  अधिकार हैए को इस सरकार ने मुफ्त में अनैतिक कारणों से प्रेरित होकर बांट दियाण् अगर इसे सार्वजनिक नीलामी प्रक्रिया अपना कर बांटा जाता तो भारत को इस घोटाले से हुए 26 लाख करोड़ रुपये के राजस्व घाटे से बचाया जा सकता था और यह पैसा देशवासियों के हितों में ख़र्च किया जा सकता थाण्
यह सरकार जबसे सत्ता में आई हैए इस बात पर ज़ोर दे रही है कि विकास के लिए देश को ऊर्जा माध्यमों के दृष्टिकोण से स्वावलंबी बनाना ज़रूरी हैण् लेकिन अभी तक जो बात सामने आई हैए वह यह है कि प्रधानमंत्री और बाक़ी कोयला मंत्रियों ने कोयले के ब्लॉक निजी खिलाड़ियों को मुफ्त में बांट दिएण् जबकि इस सार्वजनिक संपदा की सार्वजनिक और पारदर्शी नीलामी होनी चाहिए थीण् नीलामी से अधिकाधिक राजस्व मिलताए जिसे देश में अन्य हितकारी कार्यों में लगाया जा सकता थाए लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं कियाण् जब इस मामले को संसद में उठाया गया तो सरकार ने संसद और लोगों को गुमराह करने का काम कियाण् सरकारी विधेयक लाने की बात कही गईए जिसके  तहत यह नीलामी की जा सकेगीए लेकिन यह विधेयक चार साल तक लोकसभा में लंबित रखा गयाए ताकि सरकार के जिन निजी खिलाड़ियों के साथ काले संबंध हैंए उन्हें इस दरम्यान कोयले के ब्लॉक जल्दी.जल्दी बांटकर ख़त्म कर दिए जाएंण् इसमें कितनी रकम का लेन.देन हुआ होगाए यह ज़ाहिर सी बात हैण्
लेकिन अनियमितताएं यहीं ख़त्म नहीं हो जातींण् एक ऐसी बात सामने आई हैए जो चौंका देने वाली हैण् सरकारी नियमों के अनुसारए कोयले के  ब्लॉक आवंटित करने के लिए भी कुछ नियम हैंए जिनकी साफ़ अनदेखी कर दी गईण् ब्लॉक आवंटन के लिए कुछ सरकारी शर्तें होती हैंए जिन्हें किसी भी सूरत में अनदेखा नहीं किया जा सकताण् ऐसी एक शर्त यह है कि जिन खदानों में कोयले का खनन सतह के नीचे होना हैए उनमें आवंटन के 36 माह बाद ;और यदि वन क्षेत्र में ऐसी खदान है तो यह अवधि छह महीने बढ़ा दी जाती हैद्ध खनन प्रक्रिया शुरू हो जानी चाहिएण् यदि खदान ओपन कास्ट किस्म की है तो यह अवधि 48 माह की होती हैण् ;जिसमें वन क्षेत्र हो तो पहले की तरह ही छह महीने की छूट मिलती हैण्द्ध अगर इस अवधि में काम शुरू नहीं होता है तो खदान मालिक का लाइसेंस रद्द कर दिया जाता हैण् समझने वाली बात यह है कि इस प्रावधान को इसलिए रखा गया हैए ताकि खदान और कोयले का उत्खनन बिचौलियों के हाथ न लगेए जो सीधे.सीधे तो कोयले का काम नहीं करतेए बल्कि खदान ख़रीद कर ऐसे व्यापारियों या
उद्योगपतियों को बेच देते हैंए जिन्हें कोयले की ज़रूरत हैण् इस गोरखधंधे में बिचौलिए मुंहमांगे और अनाप.शनाप दामों पर खदानें बेच सकते हैंण् लेकिन सरकार ने ऐसी कई खदानों का लाइसेंस रद्द नहीं कियाए जो इस अवधि के भीतर उत्पादन शुरू नहीं कर पाईंण् ऐसा इसलिएए क्योंकि आवंटन के समय बहुत बड़ी मात्रा में ऐसे ही बिचौलियों को खदानें आवंटित की गई थींए ताकि वे उन्हें आगे चलकर उद्योगपतियों को आसमान छूती क़ीमतों पर बेच सकेंण् अब यदि सरकार और बिचौलियों के बीच साठगांठ नहीं थी तो ऐसा क्यों किया गयाघ् यह काम श्रीप्रकाश जायसवाल का हैए लेकिन आज तक उन्होंने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की हैण् 2003 तक 40 ब्लॉक बांटे गए थेए जिनमें अब तक सिर्फ 24 ने उत्पादन शुरू किया हैण् तो बाक़ी 16 कंपनियों के लाइसेंस ख़ारिज क्यों नहीं किए गएघ् 2004 में 4 ब्लॉक बांटे गए थेए जिनमें आज तक उत्पादन शुरू नहीं हो पायाण् 2005 में 22 ब्लॉक आवंटित किए गएए जिनमें आज तक केवल 2 ब्लॉकों में ही उत्पादन शुरू हो पाया हैण् इसी तरह 2006 में 52ए 2007 में 51ए 2008 में 22ए 2009 में 16 और 2010 में एक ब्लॉक का आवंटन हुआए लेकिन 18 जनवरी 2011 तक की रिपोर्ट के अनुसारए कोई भी ब्लॉक उत्पादन शुरू होने की अवस्था में नहीं हैण् पहले तो बिचौलियों को ब्लॉक मुफ्त दिए गएए जिसके लिए माइंस और मिनरल एक्ट में संशोधन को लोकसभा में चार साल तक रोके रखा गयाण् फिर जब इन बिचौलियों की खदानों में उत्पादन शुरू नहीं हुआ ;क्योंकि ये उत्पादन के लिए आवंटित ही नहीं हुई थींद्धए तो भी इनके लाइसेंस रद्द नहीं किए गएण् सरकार और बिचौलियों एवं फर्ज़ी कंपनियों के बीच क्या साठगांठ हैए यह समझने के लिए रॉकेट साइंस पढ़ना ज़रूरी नहीं हैण् अगर ऐसा न होता तो आज 208 ब्लॉकों में से स़िर्फ 26 में उत्पादन हो रहा होए ऐसा न होताण्
इस सरकार की कथनी और करनी में ज़मीन.आसमान का फर्क़ हैण्  सरकार कहती है कि देश को ऊर्जा क्षेत्र में स्वावलंबी बनाना आवश्यक हैण् देश में ऊर्जा की कमी हैए इसलिए अधिक से अधिक कोयले का उत्पादन होना चाहिएण् इसी उद्देश्य से कोयले का उत्पादन निजी क्षेत्र के लिए खोलना चाहिएए लेकिन इस सरकार ने विकास का नारा देकर देश की सबसे क़ीमती धरोहर बिचौलियों और अपने प्रिय उद्योगपतियों के नाम कर दीण् ऐसा नहीं है कि सरकार के सामने सार्वजनिक नीलामी का मॉडल नहीं था और ऐसा भी नहीं कि सरकार के पास और कोई रास्ता नहीं थाण् महाराष्ट्र के माइनिंग डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ने भी इस प्रक्रिया के चलते कोल इंडिया से कुछ ब्लॉक मुफ्त ले लिएण् ये ब्लॉक थे अगरझरीए वरोराए मार्कीए जामनीए अद्कुली और गारे पेलम आदिण् बाद में कॉरपोरेशन ने उक्त ब्लॉक निजी खिलाड़ियों को बेच दिएए जिससे उसे 750 करोड़ रुपये का फायदा हुआण् यह भी एक तरीक़ा थाए जिससे सरकार इन ब्लॉकों को बेच सकती थीए लेकिन ब्लॉकों को तो मुफ्त ही बांट डाला गयाण् ऐसा भी नहीं है कि बिचौलियों के होने का सिर्फ कयास लगाया जा रहा हैए बल्कि महाराष्ट्र की एक कंपनी जिसका कोयले से दूर.दूर तक लेना.देना नहीं थाए ने कोयले के एक आवंटित ब्लॉक को 500 करोड़ रुपये में बेचकर अंधा मुनाफ़ा कमायाण् मतलब यह कि सरकार ने कोयले और खदानों को दलाल पथ बना दियाए जहां पर खदानें शेयर बन गईंए जिनकी ख़रीद.फरोख्त चलती रही और जनता की धरोहर का चीरहरण होता रहाण्
प्रणब मुखर्जी ने आम आदमी का बजट पेश करने की बात कहीए लेकिन उनका ब्रीफकेस खुला और निकला जनता विरोधी बजटण् अगर इस जनता विरोधी बजट को भी देखा जाए तो सामाजिक क्षेत्र को एक लाख साठ हज़ार करोड़ रुपये आवंटित हुएण् मूल ढांचे ;इन्फ्रास्ट्रकचरद्ध को दो लाख चौदह हज़ार करोड़ए रक्षा मंत्रालय को एक लाख चौसठ हज़ार करोड़ रुपये आवंटित किए गएण् भारत का वित्तीय घाटा लगभग चार लाख बारह हज़ार करोड़ रुपये का हैण् टैक्स से होने वाली आमद नौ लाख बत्तीस हज़ार करोड़ रुपये हैण् 2011.12 के लिए कुल सरकारी ख़र्च बारह लाख सत्तावन हज़ार सात सौ उनतीस करोड़ रुपये हैण् अकेले यह कोयला घोटाला 26 लाख करोड़ का हैण् मतलब यह कि 2011.2012 में सरकार ने जितना ख़र्च देश के सभी क्षेत्रों के लिए नियत किया हैए उसका लगभग दो गुना पैसा अकेले मुनाफाखोरोंए दलालों और उद्योगपतियों को खैरात में दे दिया इस सरकार नेण् मतलब यह कि आम जनता की तीन साल की कमाई पर लगा टैक्स अकेले इस घोटाले ने निगल लियाण् मतलब यह कि इतने पैसों में हमारे देश की रक्षा व्यवस्था को आगामी 25 साल तक के लिए सुसज्जित किया जा सकता थाण् मतलब यह कि देश के मूल ढांचे को एक साल में ही चाक.चौबंद किया जा सकता थाण् सबसे बड़ी बात यह कि वैश्विक मंदी से उबरते समय हमारे देश का सारा क़र्ज़ ;आंतरिक और बाह्यद्ध चुकाया जा सकता थाण् विदेशी बैंकों में रखा काला धन आजकल देश का सिरदर्द बना हुआ हैण् बाहर देशों से अपना धन लाने से पहले इस कोयला घोटाले का धन वापस जनता के पास कैसे आएगाघ्
कोयला घोटाले से लाभान्वित ब़डी कंपनियों के नाम
1ण् हिंडाल्को
2ण् जयप्रकाश असोसिएट्स
3ण् एस्सार पावर
4ण् भूषण पावर स्टील
5ण् जीवीके पावर
6ण् जिंदल पावर एंड स्टील
7ण्  
8ण्  


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें