शनिवार, 10 जून 2017

हिन्दू धर्म में सिवाए पाखंड के और कुछ भी नहीं है।

आज पुरे भारत के ब्राह्मणों, राजपूतो, वैश्यों और बहुत से मूल निवासी हिन्दू धर्म के अनुयायी बने घूम रहे है, लेकिन किसी से यह पूछा जाये कि हिन्दू शब्द का क्या अर्थ है? तो किसी को भी हिन्दू शब्द का अर्थ पता नहीं है। क्यों पता नहीं है ये अलग रोचक विषय है. ब्राह्मण, राजपूत और वैश्य हिन्दू नाम के धर्म को अपनाने के लिए विवश है क्योकि कोई भी ब्राह्मण, राजपूत और वैश्य यह नहीं कह सकता कि वो हिन्दू नहीं है। अगर कोई भी ब्राह्मण, राजपूत या वैश्य यह मानने से इंकार कर दे तो उसे अपने आप को आर्य धर्म मानना पड़ेगा या अपने आप को आर्य घोषित करना पड़ेगा। अपने आप को आर्य घोषित करते ही ब्राह्मण, राजपूत और वैश्य विदेशी साबित हो जायेंगे और देश के सर्वोच्च पदों से आर्यों को हाथ धोना पड़ेगा।
Sangh Parivarजिस की आड़ में ये विदेशी आर्य पिछले 2000 सालों से मूल निवासियों पर शासन कर रहे है। मूल निवासी भी बिना सच को जाने खुद को हिन्दू कहते रहते है। जबकि असल में सारे मूल निवासी (SC, ST and OBC) चमारद्वीप के मूल निवासी चमार है। इतिहास में वर्णित है कि ईसा से 3200 साल पहले पुरे एशिया महाद्वीप को चमारद्वीप कहा जाता था। चमारद्वीप पर नाग नाम की जाति से लोग रहते थे। जिनको चमारद्वीप का निवासी होने के कारण यूरेशियन आर्यों (ब्राह्मण,राजपूत और वैश्यों) ने नाग के बजाये सिर्फ चमार कहा। समयानुसार चमारद्वीप का नाम क्रमश: जम्बारद्वीप, जम्बूद्वीप, आर्यवर्त, भारत और इंडिया रखा गया। जो जो लोग नाग धर्म (सच और समता) को छोड़ कर यूरेशियन आर्यों के कहने पर उनके धर्म में जुड़ते गए उनको यूरेशियन आर्यों ने जातियों में बाँट दिया, ताकि यूरेशियन आर्यों को अपने हितैषी और अपने विरोधियों को पहचानने में आसानी हो। मूल निवासियों के जितने भी वर्गों ने ब्राह्मण धर्म को अपनाया उनका भला फिर भी ब्राह्मणों ने नहीं किया। उल्टा उनका शोषण ही किया। फिर भी समाज में अपनी जाति का स्थान बनाये रखने के लिए उन मूल निवासियों ने ब्राह्मणों के शोषण को ही अपना धर्म मान लिया। कभी उनका विरोध नहीं किया। जो जाति व्यवस्था नाग समाज में थी ही नहीं उस जाति ब्यवस्था को बनाने से बचाने तक इन तथाकथित मूल निवासियों के उच्च जाति के लोगों ने ब्राह्मणों, राजपूतों और वैश्यों को बहुत महत्वपूर्ण सहयोग दिया। और आज भी वही मूल निवासी लोग देश में ब्राह्मण राज के लिए उतरदायी है।
हिन्दू शब्द का प्रयोग सिकंदर और उसके साथ भारत पर आक्रमण करने आये पर्सियन लोगों ने सबसे पहले भारत के ब्राह्मणों, राजपूतों और वैश्यों के लिए किया। जिस का अर्थ होता है, चोर और गुलाम। अर्थात पर्सियनों ने ब्राह्मणों, राजपूतों और वैश्यों को एक गली दी। मुगलों ने जब भारत पर आक्रमण किया तो उन्होंने भी भारत के लोगों को हिन्दू कहा था। आज भी मुस्लिम देशों में हिन्दू शब्द का प्रयोग महिलाओं और गुलामों के लिए किया जाता है। यहाँ तक संघ भी इस बात को मानता है कि हिन्दू शब्द एक गाली है, संघ परिवार की वेबसाइट भी इस तथ्य को मानती है (जानकारी के लिए इस लिंक पर जाये:

हिन्दू धर्म में सिवाए पाखंड के और कुछ भी नहीं है। यह बात लाखों बार साबित हो चुकी है। झूठे ग्रन्थ और शास्त्र लिख कर ब्राह्मणों ने अपनी बाते साबित करने की कोशिश की है। डॉक्टर भीम राव आंबेडकर जी ने अपने समय में ब्राहमण धर्म का हमेशा विरोध ही किया। 1927 में आंबेडकर जी नेमनु स्मृतिजला कर हिन्दू धर्म का विरोध किया था। लेकिन आज कोई भी मूल निवासी सच्चाई को मानने के लिए तैयार ही नहीं है। उनका भी दोष नहीं है क्योकि ब्राह्मणों ने 1000 साल तक मूल निवासियों को पढाई लिखाई से दूर रख कर सभी मूल निवासियों की मानसिकता को ही ऐसा बना दिया है। जिस जाति और धर्म व्यवस्था के कारण भारत के मूल निवासियों का पतन हुआ आज कोई भी मूल निवासी उन्ही जाति और धर्म व्यवस्था को छोड़ने के लिए तैयार ही नहीं है। इस धर्म व्यवस्था से आज तक किसी का भी उद्दार नहीं हुआ फिर भी लोग धर्म को बंदरी के मृत बच्चे की तरह गले से चिपकाए फिर रहे है। कारण; ब्राह्मणों का नरक और स्वर्ग का फैलाया गया झूठा। आज तक कोई भी हिन्दू नरक या स्वर्ग को प्रमाणित नहीं कर पाया लेकिन फिर भी लोग मानते है। इस से बड़ा मूल निवासियों और क्या दुर्भाग्य हो सकता है? अपने सच और समता के धर्म को भुला कर हिन्दू धर्म को अपना बनाये बैठे है।जब तक सभी मूल निवासी धर्म नाम के इस बंदरी के मृत बच्चे को अपने से दूर नहीं फेंकेंगे, तब तक मूल निवासियों का उदार असंभव है। जब तक मूल निवासी जाति प्रथा का त्याग कर के सच और समता को नहीं अपनाएंगे तक मूल निवासी गुलाम ही रहेंगे। मूल निवासियों की मुस्लिम या बौध धर्म के अनुयायी चीन से भी कोई दुश्मनी नहीं है। चीन के बौध और पाकिस्तान जैसे मुस्लिम देश के लोग सिर्फ ब्राह्मणों से नफरत करते है। ब्राह्मणों के द्वारा किये गए अत्याचारों के कारण ही मुस्लिम और चीन के बौध देश के दुश्मन बने बैठे है। देश में सबसे ज्यादा भर्ष्टाचार भी ब्राह्मणों ने ही फैला है, स्विस बैंकों में जो पैसा है उसके मालिक ब्राह्मण, राजपूत और वैश्य ही है। देश के अन्दर दान से जो काला धन मंदिरों में इकठ्ठा किया गया है उसके मालिक भी ब्राह्मण ही है। देश के ख़राब आर्थिक हालातों के लिए ब्राह्मण ही उतरदायी है। इतनी सारी समस्यायों के बाबजूद भी मूल निवासी सच्चाई को समझने के लिए तैयार नहीं है। खुद को हिन्दू कहते फिरते है। मूल निवासियों जागो.. उठो.. और आगे बढ़ो.. ये देश तुम्हारा है.. इस देश के असली शासनकर्ता तुम लोग हो। बाबा साहब की दो बातों को मानोब्राह्मणों, राजपूतों और वैश्यों को दान मत दोऔरब्राह्मणों, राजपूतों और वैश्यों को वोट मत दोइसी में तुम लोगों का हित छुपा हुआ है।


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