शनिवार, 10 जून 2017

विद्रोहियों को ‘आज़ादी’

खुल रहा नया समझौते का ष्रहस्यष्ए दे रहे विद्रोहियों को ष्आज़ादीष्!. देश से कौन खेल रहा है
 क्या मोदी सरकार पूर्वोत्तर में एक और कश्मीर स्थापित करने की कोशिश में हैए जिसका अपना संविधान होगाए अपनी न्यायिक व्यवस्था होगीए अपना झंडा होगाए अपनी मुद्रा होगीए अपना पासपोर्ट होगा और अपनी सेना होगीए जो भारतीय सेना के साथ साझा तौर पर काम करेगी! भारतीय सेना के शीर्ष अफसर भी यह संकेत दे रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नगाओं को ष्आजादीष् देने जा रहे हैंए जो आने वाले समय में कश्मीर से ज्यादा खतरनाक साबित होने वाला हैण्
पूर्वोत्तर के साथ.साथ शेष भारत के आम लोग भी पीएम मोदी से पूछ रहे हैं कि कश्मीरी अलगाववादियों की ष्आजादीष् की मांग राष्ट्र.द्रोह और नगा विद्रोहियों की ष्आजादीष् की मांग राष्ट्रवाद कैसे हैघ् यह वाजिब लोकतांत्रिक सवाल हैए इसका जवाब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देना ही चाहिएण्
केंद्र की सत्ता में आने के सालभर बाद ही तीन अगस्त 2015 को नरेंद्र मोदी सरकार ने नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड ष्ईसाक.मुइवाष् ;एनएससीएन.आईएमद्ध गुट के साथ एक समझौता कियाए लेकिन देश के सामने इसका ब्यौरा नहीं रखाण् केंद्र सरकार की तरफ से यह कहा गया कि पहले इसका विवरण संसद के समक्ष रखा जाएगाए फिर बाद में इसे सार्वजनिक किया जाएगाण् लेकिन केंद्र सरकार ने दोनों काम नहीं कियाण् न संसद में रखा और न जन.संसद को इस लायक समझाण्
समझौते के दो साल होने को आएए लेकिन केंद्र सरकार ने देश को यह बताने की जरूरत नहीं समझी कि समझौते के कौन.कौन से मुख्य बिंदु हैं और केंद्र सरकार ने एनएससीएन की क्या.क्या शर्तें मानी हैंण् केंद्र ने इसे गोपनीय बना कर रखा है लेकिन पूर्वोत्तर मामलों के विशेषज्ञ वरिष्ठ सेनाधिकारी केंद्र सरकार द्वारा मानी गई शर्तों की परतें खोलते हैं और उन पर अपना क्षोभ जाहिर करते हैंण् गृह मंत्रालय के एक आला अधिकारी ने कहा कि एनएससीएन ;आईएमद्ध के स्वयंभू लेफ्टिनेंट जनरल और विदेश मंत्री अंथोनी निंगखन शिमरे ने जमानत पर छूटने के बाद जो बातें कहींए उसके बाद समझौते की गोपनीयता कहां रह गईण्
शिमरे के बयान को ध्यान से देखेंए उसने तो बता ही दिया है कि क्या होने जा रहा हैण् शिमरे एनएससीएन प्रमुख मुइवा का भांजा हैण् शीर्ष सत्ता गलियारे में जिस तरह की सुगबुगाहटें हैंए उससे केंद्र सरकार के एनएससीएन ;आईएमद्ध के आगे दंडवत होने के कई उदाहरण सामने दिखने लगे हैंण् विदेशों से बड़ी तादाद में हथियारों का जखीरा जमा करने के आरोप में गिरफ्तार किए गए अंथोनी शिमरे की जमानत अर्जी पर नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी ;एनआईएद्ध का कोई आपत्ति दर्ज नहीं करना और शिमरे को बड़े आराम से जमानत मिल जानाए केंद्र सरकार की दंडवत.कथा के बारे में काफी.कुछ कहता हैण्
दिल्ली के पटियाला हाउस स्पेशल कोर्ट के जज अमरनाथ के समक्ष एनआईए के स्पेशल पब्लिक प्रॉसीक्यूटर ने ष्ऑन.रिकॉर्डष् कहा था कि उन्हें ई.मेल पर एनआईए से निर्देश मिला है कि शिमरे की जमानत अर्जी पर कोई आपत्ति दाखिल न की जाएण् एनआईए के वकील ने अदालत से यह भी कहा कि शिमरे की जमानत एनएससीएन ;आईएमद्ध के साथ चल रही शांतिवार्ता के कार्यान्वयन के लिए जरूरी हैण् शिमरे को सितम्बर 2010 में काठमांडू में गिरफ्तार दिखाया गया थाण् उसे चीन के साथ हथियारों की बड़ी डील करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया थाए लेकिन चार अगस्त 2016 को एनआईए ने ही शिमरे की रिहाई का रास्ता खोल दियाण्
रिहा होने के बाद अंथोनी शिमरे ने कहा कि बृहत्तर नगालिम की स्वायत्तताए अलग संविधानए अलग न्यायिक और प्रशासनिक व्यवस्थाए अलग मुद्रा और साझा सेना समझौते की मुख्य शर्त हैण् शिमरे ने इसकी पुष्टि की कि समझौते के आधार पर नए नगा राज्य की अपनी अलग न्यायिक व्यवस्थाए कानून व्यवस्था और प्रशासनिक व्यवस्था होगीण् रक्षा मसले पर नॉर्थ.ईस्ट फ्रंटियर आर्मीए भारतीय सेना और नगा सेना साझा तौर पर काम करेगीण् नगालैंड और भारत की अपनी अलग.अलग स्वतंत्र पहचान होगीण् नगालैंड की जमीन और संसाधनों का इस्तेमाल सिर्फ नगा ही करेंगेण्
पूर्वोत्तर मामलों के विशेषज्ञ और पूर्वोत्तर में कोर कमांडर रहे लेफ्टिनेंट जनरल ;रिण्द्ध जेआर मुखर्जी का कहना है कि अब तक जो सुराग मिले हैं उसके मुताबिक केंद्र सरकार नगाओं को अलग संविधानए अलग झंडाए अलग मुद्रा और अलग पासपोर्ट का अधिकार देने पर रजामंद हो गई हैण् जनरल मुखर्जी कहते हैं कि इस समझौते से नगालैंड का संयुक्त राष्ट्र में अपना प्रतिनिधि तैनात होना तय हो जाएगाण् नगालैंड का विदेश और रक्षा का मसला भारत सरकार के साथ संयुक्त विषय होगाण्
नगालैंड की अपनी सेना होगी जो भारतीय सेना के साथ साझा तौर पर काम करेगीण् समझौते के तहत नगा बसावट के सभी क्षेत्र बृहत्तर नगालैंड में शामिल किए जाने की भी अंदर.अंदर तैयारी चल रही हैण् बृहत्तर नगालिम में नगालैंड के साथ.साथ मणिपुरए अरुणाचल प्रदेश और असम के नगा बसावट के इलाके भी शामिल होंगेण् इस प्रस्ताव का मणिपुर राज्य की तरफ से पहले से पुरजोर विरोध हो रहा हैण्
लेकिन यह विडंबना ही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक तरफ मणिपुर की अस्मिता को अक्षुण्ण रखने की तकरीरें देते हैं तो दूसरी तरफ बृहत्तर नगालिम की स्थापना के समझौते करते हैंण् सेना की पूर्वी कमान से सम्बद्ध एक वरिष्ठ सेनाधिकारी कहते हैं कि नगा समझौते में केंद्र सरकार की सहमति के ये मुद्दे अगर सच हैंए तो नगालैंड को हाथ से निकला ही समझिएण् इसके अलावा जम्मू.कश्मीरए तमिलनाडु और प्रादेशिक राष्ट्रवाद की भावना से ओत.प्रोत कई अन्य राज्यों में हिंसक आंदोलनों के भड़कने की भी आशंकाओं को खारिज नहीं किया जा सकताण्
प्रधानमंत्री मोदी ने एनएससीएन के थुइंगलेंग मुइवा और ईसाक चीसी स्वू के नेतृत्व वाले गुट से शांति समझौता कियाए लेकिन एनएससीएन के एसएस खापलांग और खोले कोन्याक के नेतृत्व वाले गुट समेत कई प्रमुख गुटों को शांति वार्ता से अलग रखाण् दिलचस्प यह है कि नगालैंड की अलग सेना रखने की सहमति इस तर्क पर दी गई कि खापलांग गुट का मुकाबला करने के लिए मुइवा गुट को अलग से हथियार और सेना की जरूरत होगीण् समझौते पर एनएससीएन की तरफ से मुइवा ने हस्ताक्षर किए हैंण्
विचित्र किंतु सत्य यह है कि नगा शांति समझौते में केंद्र सरकार द्वारा मानी जाने वाली शर्तों पर गृह मंत्रालय ने गहरी आपत्ति जताई थीए लेकिन प्रधानमंत्री और उनके सिपहसालारों ने इस आपत्ति को दरकिनार कर दियाण् गृह मंत्री से बड़ी औकात सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल की साबित हुई जिनकी सिफारिश पर आरएन रवि नगा शांति समझौते के मुख्य वार्ताकार नियुक्त कर लिए गएण् शांति वार्ता में मध्यस्थता के लिए पूर्व खुफिया अधिकारी आरएन रवि का नाम प्रस्तावित किए जाने का भी गृह मंत्रालय ने विरोध किया थाण्
गृह मंत्री ने संयुक्त खुफिया कमेटी के चेयरमैन अजित लालका नाम प्रस्तावित किया थाए लेकिन मोदी ने अपने गृह मंत्री राजनाथ सिंह की नहीं सुनी और डोवाल का कहना मान कर पूर्व खुफिया अधिकारी आरएन रवि को मुख्य वार्ताकार बना डालाण् मुख्य वार्ताकार की दौड़ में लेफ्टिनेंट जनरल ;रिण्द्ध आरएन कपूर और असम पुलिस के पूर्व प्रमुख जीएम श्रीवास्तव का भी नाम थाए लेकिन पीएमओ में उनकी नहीं चलीण्
गृह मंत्रालय और पूर्वोत्तर मामलों के विशेषज्ञों की आपत्तियों को नजरअंदाज कर शांति वार्ता में केवल ईसाक.मुइवा गुट को ही क्यों शामिल किया गया और खापलांग गुट को क्यों अलग.थलग रखा गयाघ् यह गंभीर सवाल है और समझौते की संदेहास्पद.अंतरकथा का संकेत देता हैण् वर्ष 2015 के अगस्त महीने में केंद्र सरकार एनएससीएन ईसाक.मुइवा गुट के साथ गुप्त समझौता करती है और 16 सितम्बर को एनएससीएन खापलांग गुट पर बैन लगाने का आदेश जारी कर देती हैण्
केंद्र सरकार जून 2015 में मणिपुर में सुरक्षा बल के 18 जवानों के मारे जाने की घटना से खापलांग गुट को जोड़ करए चार महीने बाद उसे आतंकवादी संगठन घोषित कर उस पर प्रतिबंध लगाती हैण् प्रतिबंध लगाने के पहले ही म्यांमार सीमा में घुस कर खापलांग गुट के आतंकियों को मार डालने और ठिकानों को नष्ट किए जाने के ष्मिलिट्री.स्ट्राइकष् का खूब प्रचार.प्रसार किया जाता हैण्
लेकिन यह असलियत देश को नहीं बताई जाती कि म्यांमार ;बर्माद्ध सरकार ने अपने यहां सागाइंग डिवीजन को बाकायदा नगा सेल्फ.एडमिनिस्टर्ड ज़ोन घोषित कर रखा हैए जिसमें म्यांमार के छह जिले तामूए मोलाइकए फुऑनपिनए होमालिनए खामटी और तानाई जिले शामिल हैंण् हाल में म्यांमार सरकार ने तीन जिले वापस लिएण् अन्य तीन जिलों लाएशीए लाहे और नामयुंग में खापलांग गुट का ऑटोनोमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल स्थापित हैण् खापलांग गुट लगातार यह मांग करता रहा है कि शांति वार्ताओं में उसे भी शामिल रखा जाएण्
लेकिन कुछ ष्अज्ञातष् वजहों से मोदी और उनके खास नुमाइंदों ने इस ताकतवर गुट को दूध की मक्खी बना कर बाहर कर दियाण् पूरब के नगाओं को इस बात का गहरा मलाल है कि मोदी सरकार ने उनकी उपेक्षा की जबकि पश्चिम के नगाओं की खूब सुनीण् खापलांग गुट न केवल नगालैंड बल्कि अरुणाचल प्रदेश और म्यांमार तक नगाओं के बीच खासा प्रभावी और लोकप्रिय हैण् इससे समझा जा सकता है कि एक गुट के साथ शांति समझौता करके केंद्र सरकार ने पूरे क्षेत्र को किस हिंसक विद्वेष की आग में झोंकने की पृष्ठभूमि तैयार कर दी हैण्
वर्ष 1956 की बात है जब नगालैंड की स्वतंत्र पहचान की मांग हिंसक युद्ध की शक्ल में बदल गई थी और फीजो ने नगा नेशनल काउंसिल ;एनएनसीद्ध को पूरी तरह अपने नियंत्रण में ले लिया थाण् इसके बाद ही नगा पर्वतीय क्षेत्र को अशांत घोषित किया गया और उसे सेना के हवाले कर दिया गया थाण् तब से यह क्षेत्र लगातार अशांत ही हैण् तब नेहरू ने कहा था कि सेना कुछ ही महीनों में हटा ली जाएगीए लेकिन ऐसा नहीं हुआ और विभिन्न कारणों से सेना की मौजूदगी वहां लगातार बनी हुई हैण् थल सेना की तीसरी कोर का मुख्यालय दीमापुर में स्थापित हैण्
ईशाक.मुइवा गुट के नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड ;एनएससीएनद्ध के साथ 1997 से युद्ध विराम लागू हैण् तबसे लगातार भारत सरकार और एनएससीएन के साथ समझौता वार्ता भी जारी हैण् हम यह भी याद करते चलें कि नगा नेशनल काउंसिल और केंद्र सरकार के बीच 1975 में हुए शिलांग समझौते के विरोध में 31 जनवरी 1980 को ईसाक चिसी स्वूए थुइंगलेंग मुइवा और एसएस खापलांग ने मिल कर नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड का गठन किया थाण् 1988 में खापलांग ने टूट कर अपना अलग गुट बना लियाण्
25 जुलाई 1997 को केंद्र सरकार और एनएससीएन ;आईएमद्ध के साथ समझौता हुआ और दोनों तरफ से युद्ध विराम की घोषणा हुईण् लेकिन इस दरम्यान कोई स्थायी समाधान नहीं ढूंढ़ा जा सकाण् 28 जून 2016 को ईसाक चिसी स्वू की मृत्यु के बाद थुइंगलेंग मुइवा एनएससीएन ;आईएमद्ध के अकेले प्रमुख हो गएण् तीन अगस्त 2015 को मोदी सरकार ने एनएससीएन ;आईएमद्ध के साथ नगा शांति समझौता किया और दावा किया कि इस समझौते से 60 साल पुराने विवाद का हल निकल आया हैण् लेकिन क्या हल निकलाए इस बारे में केंद्र सरकार ने देश को कुछ नहीं बतायाण्
यह सवाल देश के सामने खड़ा ही रह गया कि आखिर नगा शांति समझौते का क्या परिणाम निकलाघ् प्रधानमंत्री बनने के बाद से नरेंद्र मोदी खास तौर पर पूर्वोत्तर को लेकर संजीदा दिखते रहे और पूर्वोत्तर की तमाम योजनाओं का पूरा प्रचार.प्रसार भी होता रहाण् लेकिन लोगों को यह समझ में नहीं आ रहा कि नगा शांति समझौते को लेकर मोदी ने चुप्पी क्यों साध रखी हैण्
यह भी आधिकारिक तौर पर स्पष्ट नहीं किया गया है कि नगा शांति समझौता स्वतंत्र संप्रभु नगालिम राष्ट्र के लिए हुआ है या बृहत्तर नगालिम राज्य के लिएण् सेना के सूत्र और खुद एनएससीएन ;आईएमद्ध के शीर्ष कमांडर शिमरे जिस तरह की बातें कर रहे हैंए वह नगा आजादी की तरफ बढ़ने का ही संकेत हैण् केंद्र को यह तो बताना ही चाहिए कि स्वतंत्र संप्रभु नगालिम की मांग करने वाले एनएससीएन ;आईएमद्ध को आखिर किन शर्तों पर समझौते के लिए राजी किया जा सकाण् ऐसी गोपनीयता पहली बार बरती गई हैण् सरकार ने केवल इतना कहा है कि इस समझौते से पिछले 60 साल से चला आ रहा गतिरोध लगभग समाप्त हो गया हैण्
एनएससीएन समेत कई संगठन लंबे अर्से से बृहत्तर नगालिम या ग्रेटर नगालैंड की मांग करते चले आ रहे हैंण् इसके तहत मणिपुरए अरुणाचल प्रदेश और असम के नगा समुदाय की बहुलता वाले पहाड़ी जिलों को मिलाकर ग्रेटर नगालैंड बनाने की मांग की जाती रही हैण् केंद्र सरकार एनएससीएन ;आईएमद्ध को स्वायत्तता देने पर राजी हो गई हैए लेकिन इसकी प्रक्रिया क्या होगी और यह कैसे लागू होगीए इस पर सस्पेंस बना हुआ हैण् नगा शांति वार्ता की प्रक्रिया से जुड़े गृह मंत्रालय के एक अधिकारी कहते हैं कि नगा बहुल क्षेत्रों के बृहत्तर नगालैंड में शामिल करने के मसले को फिलहाल किनारे रख कर बाकी मसलों पर दोनों पक्षों में सहमति बन गई हैण्
दोनों पक्ष खापलांग गुट और उसका साथ देने वाले गुटों का पूरी तरह सफाया करने पर रजामंद हैंण् केंद्र ने नागालिम की मांग को सिरे से खारिज नहीं किया हैण् इसे फिलहाल भविष्य पर छोड़ दिया गया है क्योंकि असमए अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में हो रहे तीखे विरोध के कारण ऐसा करना खतरे से खाली नहीं हैण् लेकिन नगा समझौते की मूल मांग नगा बहुल क्षेत्रों को एक साथ करने की हैण् एनएससीएन ;आईएमद्ध प्रमुख थुइंगलेंग मुइवा मणिपुर के उखरूल जिले के शोनग्राम ;सोमडालद्ध गांव के रहने वाले हैंए इसलिए नगा बहुल इलाकों के विलय की मांग उनकी प्रतिष्ठा से जुड़ा मसला हैण्
बहरहालए एनएससीएन प्रमुख थुइंगलेंग मुइवा के भांजे अंथोनी शिमरे की गिरफ्तारी और फिर नाटकीय रिहाई से सैन्य और खुफिया एजेंसियों का एंटीना सजग हुआए लेकिन इस सजगता का कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकलाण् निरंकुश पीएमओ और ताकतवर सुरक्षा सलाहकार के कारण सेना और खुफिया एजेंसियों के आला अधिकारी खुले तौर पर भले ही कुछ न कहेंए लेकिन उनके अपने दायरे में इस बात को लेकर चर्चा और गहरी चिंता है कि चीन सम्बन्धों के संदर्भ में नगा समझौता भारत के लिए एक और खतरे का मुहाना खोलने जैसा होगाण्
पूर्वोत्तर में आतंकवाद भड़काने के लिए चीन हथियारों की अंधाधुंध सप्लाई में लगा हैण् शिमरे की गिरफ्तारी इसकी आधिकारिक पुष्टि हैण् हथियार के एवज में चीन पैसा कम भारत की जासूसी अधिक चाहता हैए ताकि उसे पूर्वोत्तर में तैनात हो रही मिसाइल प्रणालियों और सैन्य ठिकानों का पता चलता रहेण् कुछ वर्ष पहले यह आधिकारिक खुलासा हुआ था कि चीनी अधिकारियों ने मणिपुर के यूएनएलएफ नेताओं से भारतीय मिसाइलों की तैनाती और सैनिकों की आवाजाही के बारे में जानकारियां मांगी थींण् लेकिन भारत सरकार ने इस मसले को नहीं उठाया और न अपना विरोध जतायाण्
शिमरे ने एनएससीएन की तरफ से चीन के सबसे बड़े हथियार निर्माता नोरिंको को एक लाख डॉलर का अग्रिम भुगतान किया थाण् चीन के हथियार निर्माता को शिमरे ने बैंकॉक में पैसा दिया थाण् नोरिंको के चाइना नॉर्थ इंडस्ट्रीज़ कॉरपोरेशन और एनएससीएन ;आईएमद्ध के बीच 10 हजार असॉल्ट राइफलेंए पिस्तौलेंए रॉकेट प्रक्षेपित हथगोलों और गोला.बारूद की खरीद के लिए डील हुई थीण् यह सूचनाएं सूत्रों के हवाले से नहींए बल्कि गृह मंत्रालय के आधिकारिक दस्तावेजों के हवाले से लिखी जा रही हैंण्
सैन्य खुफिया एजेंसी के अधिकारी कहते हैं कि नोरिंको चीनी सेना का ही एक कवर.फेस हैण् नोरिंको और एनएससीएन ;आईएमद्ध का काफी पुराना रिश्ता हैण् यानिए एनएससीएन ;आईएमद्ध चीन का ही एक मुहरा हैण् कुछ वर्ष पहले बांग्लादेश में जो हथियारों का बड़ा भारी जखीरा पकड़ा गया थाए वह एनएससीएन ;आईएमद्ध के लिए ही आया थाण् उसी समय नोरिंको का नाम उजागर हुआ थाण् विडंबना यह है कि चीन द्वारा इस तरह हथियारों की निर्बाध सप्लाई का मसला भारत सरकार ने द्विपक्षीय संवाद में या अंतरराष्ट्रीय फोरम पर कभी नहीं उठायाण्
नगालैंड और पूर्वोत्तर के आतंकवादी आराम से चीन जाकर हथियारों की डील कर लेते हैंण् चीन पूर्वोत्तर के आतंकी संगठनों को अपनी धरती पर ठिकाने बनाने की इजाजत भी देता हैण् एनएससीएन और उल्फा समेत कई संगठन चीन के यून्नान समेत कई अन्य सीमाई प्रांतों से संगठन चलाते रहे हैंण् यहां तक कि चीन की सेना द्वारा आतंकियों को ट्रेनिंग देने की खबरें भी मिलती रही हैं और पीएमओ में दबती रही हैंण् चीन में ट्रेनिंग लेने वाले आतंकियों में मणिपुर के यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट ;यूएनएलएफद्ध के प्रमुख मेघेन का भी नाम है जिसे बाद में गिरफ्तार किया गया थाण् मेघेन मणिपुर राजघराने से सम्बद्ध हैण् उसके पास से चीन की हरकतों के जुड़े तमाम दस्तावेज बरामद किए गए थेण्
अटल.मोदी लोकप्रियए पर किन शर्तों पर!
पूर्वोत्तर राज्यों में खास तौर पर नगालैंड का मसला इतना उलझा रहा है कि आजादी के बाद से लेकर आज तक किसी भी प्रधानमंत्री को नगालैंड की धरती पर उपेक्षा और असम्मान ही प्राप्त हुआ हैण् पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसके अपवाद हैंण् वाजपेयी ने नगाओं की दुर्लभ ऐतिहासिक संस्कृति की प्रशंसा की थी और केंद्र सरकार द्वारा की गई गलतियों को सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया थाण् अटल ने 1962 से लेकर 1965ए 1971 और करगिल युद्ध तक नगालैंड के सैनिकों के योगदान और बलिदान को खास तौर पर रेखांकित किया थाण् इसीलिए नगाओं में अटल काफी लोकप्रिय प्रधानमंत्री हुएण्
कोहिमा में 28 अक्टूबर 2003 को हुए अटल बिहारी वाजपेयी के ऐतिहासिक भाषण को आज भी नगालैंड के लोग याद करते हैंण् अगस्त 2015 में नगाओं के साथ शांति समझौता कर नरेंद्र मोदी भी खासे लोकप्रिय हो गएए लेकिन इस समझौते को लेकर अरुणाचलए मणिपुर और असम में उनकी निंदा भी हो रही हैण् कांग्रेस के शासनकाल में इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने तो कभी भी कोहिमा की यात्रा ही नहीं कीण् 30 मार्च 1953 को जवाहरलाल नेहरू कोहिमा गए थेए लेकिन उनकी सभा में पांच हजार नगा नागरिक नेहरू की तरफ पीठ घुमा कर बैठ गए थेण् इससे नेहरू ने काफी अपमानित महसूस किया थाण् मोरारजी देसाई और एचडी देवेगौड़ा भी नगालैंड गएए लेकिन उनकी यात्रा कहीं भी किसी भी प्रसंग में उल्लेखनीय नहीं हैण्
ष्संदेहास्पदष् समझौते में पेट्रोल का ष्संदेहास्पदष् रोल
एनएससीएन ;आईएमद्ध और मोदी सरकार के बीच हुए ष्संदेहास्पदष् समझौते के पीछे तेल का भी खेल हैण् एनएससीएन ;आईएमद्ध तेल.ब्लॉक का पूरा ठेका अपने हाथ में लेना चाहता हैए जबकि कई प्रमुख उद्योगपति इसे हथियाने की फिराक में हैंण् 2012 के नगालैंड पेट्रोलियम एंड नैचुरल गैस रेगुलेशंस के तहत नगालैंड के तेल.फील्ड नगालैंड सरकार के अधिकार क्षेत्र में आ गए और सरकार ने तेल का ठेका निजी कंपनियों को दे दियाण् एनएससीएन व अन्य संगठनों के हिंसक विरोध को देखते हुए जब ऑयल एंड नैचुरल गैस कमीशन ने नगालैंड में तेल और गैस के स्रोत तलाशने का काम छोड़ दियाए तब ओएनजीसी द्वारा छोड़े गए तेल.फील्ड पर भी नगालैंड सरकार ने कब्जा कर लियाण्
धन का सबसे मजबूत स्रोत होने के कारण पूर्वोत्तर के तेल.ब्लॉक नगा शांति समझौते की जड़ में हैंण् विशेषज्ञ मानते हैं कि ये तेल.ब्लॉक अगर भारत सरकार के हाथ से निकल गए तो बड़ा पूंजी स्रोत एनएससीएन के हाथ लग जाएगाए जिसके दूरगामी नकारात्मक नतीजे निकल सकते हैंण् सरकारी आकलन है कि अकेले नगालैंड में 60 करोड़ ;छह सौ मिलियनद्ध टन तेल और प्राकृतिक गैस का भंडार हैण् अगर इसका पूरा दोहन हुआ तो देश के तेल.गैस उत्पादन में 75 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हो जाएगीण् केंद्र ने बहुत दिनों के बाद एक बार फिर नई नीति बना कर ओएनजीसी और ऑयल इंडिया लिमिटेड के अधिकार क्षेत्र में रहे तेल.ब्लॉक्स को नीलाम करने का फैसला कियाए लेकिन वह फैसला भी नगा शांति समझौते के पेंच में फंस गया हैण्
समझौता कहीं आत्मघाती न साबित हो
पूर्वोत्तर और चीन मामलों के विशेषज्ञ अधिकारी इस बात से आशंकित हैं कि एनएससीएन ;आईएमद्ध से हुआ समझौता भारत के लिए कहीं आत्मघाती न साबित हो जाएण् उनका मानना है कि एनएससीएन हमेशा से चीन.परस्त रहा हैए उसकी प्रतिबद्धता चीन के प्रति अधिक हैण् कहीं ऐसा तो नहीं कि एनएससीएन भारत सरकार के साथ समझौता करके चीन की रणनीति को ही अमल में ला रहा होण् खुफिया एजेंसियों को चीन की प्लानिंग से जुड़े कुछ दस्तावेज मिले थेण् ये दस्तावेज चीन से ट्रेनिंग लेकर आए आतंकियों की गिरफ्तारी में बरामद हुए थेण्
चीन का प्लान रहा है कि भारत पर पहले तिब्बत के दक्षिण की तरफ से ष्सिलीगुड़ी गलियारेष् पर धावा बोला जाएए जिससे पूरे पूर्वोत्तर को शेष भारत से काटा जा सकेण् फिर विद्रोही गुटों की मदद से भारतीय सेना को लंबे समय तक उलझाए रखा जाए और आराम से अरुणाचल प्रदेश के विस्तृत इलाके पर कब्जा कर लिया जाएण् इसी रणनीति के तहत चीन लगातार नगाए मिजोए मणिपुरीए उल्फा समेत कई अन्य आतंकी गुटों को न केवल आधुनिक हथियार मुहैया करा रहा है बल्कि उन्हें अपने यहां सुरक्षित अड्डे और सैन्य प्रशिक्षण भी उपलब्ध करा रहा हैण् लेकिन मोदी सरकार के लिए यह विचारणीय प्रश्न नहीं हैण्
पीएमओ ने एनआईए पर दबाव डालकर शिमरे को छुड़वाया
नगा शांति समझौते में विचित्रताएं भरी पड़ी हैंण् इसमें शांति कहीं नहीं हैए केवल समझौता हैण् आज स्थिति यह है कि एनएससीएन ;आईएमद्ध देश की राष्ट्रीय जांच एजेंसी ;एनआईएद्ध को अपना दुश्मन मानता हैण् चीन के साथ हथियारों की बड़ी डील करने के आरोप में बड़ी मशक्कतों से पकड़े गए एनएससीएन ;आईएमद्ध के कथित लेफ्टिनेंट जनरल अंथोनी शिमरे को एनआईए छोड़ना नहीं चाहता थाण् लेकिन पीएमओ की तरफ से एनआईए पर भीषण दबाव थाण् एनआईए का आधिकारिक तौर पर कहना था कि एनएससीएन ;आईएमद्ध एक आतंकवादी संगठन है और उसके एक शीर्ष सरगना का छोड़ा जाना देश के लिए कतई उचित नहीं हैण्
लेकिन मोदी सरकार के सामने एनआईए की नहीं चलीण् पीएमओ के दबाव में एनआईए ने शिमरे की जमानत अर्जी पर कोई आपत्ति दाखिल नहीं की और शिमरे को जमानत मिल गईण् दुखद पहलू यह है कि जिस संगठन के आगे भारत सरकार नतमस्तक हैए वह संगठन भारत में आतंकवादी संगठनों के बारे में खुफिया जानकारियां हासिल करने वाली नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी को अपना दुश्मन बताता हैण्
एनएससीएन ;आईएमद्ध का कमांडर शिमरे खुलेआम कहता है कि एनआईए नगा शांति समझौते की वार्ता प्रक्रिया को बाधित करने की साजिश कर रहा थाण् भारत सरकार इस पर तीखी प्रतिक्रिया जाहिर करने के बजाय चुप्पी साधे रह जाती हैण् शिमरे कहता है कि उसे काठमांडू से गिरफ्तार नहीं किया गया थाए बल्कि उसे अगवा किया गया थाण् शिमरे को इस बात का भी गुस्सा है कि एनआईए ने हथियारों के कुख्यात डीलर विल्ली नारू को क्यों गिरफ्तार कियाण् जमानत मिलने के बाद केंद्र सरकार ने अंथोनी शिमरे को शांति वार्ता प्रक्रिया का स्थायी सदस्य बना दिया और एनआईए खंभा नोचती रह गईण्
आपको यह भी बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त नगा समझौता वार्ता के मुख्य मध्यस्थ आरएन रवि एनएससीएन ;आईएमद्ध कमांडर अंथोनी शिमरे के गहरे दोस्त भी हैंण् इसी दोस्ती का नतीजा है कि उन्होंने एनएससीएन ;आईएमद्ध के प्रमुख थुइंगलेंग मुइवा के समक्ष उनके पांच हजार हथियारबंद कैडरों को पुनर्वास योजना के तहत बीएसएफ में भर्ती कराने का आश्वासन दे डालाण् सरकार की तरफ से नियुक्त मुख्य वार्ताकार आरएन रवि के इस आश्वासन पर जब विवाद गहरायाए तब केंद्र सरकार को सामने आकर इससे इन्कार करना पड़ाण् केंद्र ने इस खबर को गलत बता कर सिरे से पल्ला झाड़ लियाण्
नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी ;एनआईएद्ध नगालैंड सरकार और वहां के आतंकी संगठनों की साठगांठ का आधिकारिक खुलासा कर चुकी हैण् नगालैंड के कई सरकारी अधिकारी एनआईए के हाथों गिरफ्तार भी किए जा चुके हैंण् यही वजह है कि एनएससीएन ;आईएमद्ध समेत अन्य कई आतंकी संगठन एनआईए को फूटी आंख नहीं देखना चाहतेण् राज्य के विकास की विभिन्न योजनाओं का धन सरकारी अधिकारियों के जरिए आतंकी संगठनों के पास पहुंचता हैण् एनआईए ने केंद्र सरकार को इस बात के सबूत दिए हैं कि नगालैंड सरकार आतंकी संगठनों को विकास के फंड डायवर्ट कर देती हैण्
एनआईए ने नगालैंड में कई जगह छापामारी अभियान चलाए और महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किएए जिनसे यह खुलासा हुआ कि नगालैंड सरकार एनएससीएन ;आईएमद्धए खापलांग व कुछ अन्य गुटों को धन देती हैण् एनआईए ने आतंकी संगठनों को देने के लिए रखे कुछ सरकारी धन भी बरामद किए और कई सरकारी अधिकारियों से पूछताछ भी कीण् यह भी पता चला कि सरकारी मुलाजिमों के वेतन से 24 प्रतिशत अंश काट कर सीधे आतंकी संगठनों को पहुंचाया जाता हैण् सरकारी कर्मचारियों के वेतन से 24 प्रतिशत हिस्सा काटने का काम खुद सरकार करती हैण् नगालैंड से सरकारी कर्मचारियों से यह अघोषित टैक्स काटा जा रहा हैण्
सरकारी महकमों में भ्रष्टाचार और सरकारी कर्मचारियों का वेतन काटकर उसे आतंकी संगठनों को दिए जाने के खिलाफ व्यापक स्तर पर अभियान चलाने वाले सामाजिक संगठन ष्अगैंस्ट करप्शन एंड अनऐबेटेड टैक्सेशनष् ;एसीयूटीद्ध ने नगालैंड के कई वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर तक दर्ज कराई और इस बारे में राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक को पत्र लिखाण् लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुईण् एसीयूटी ने केंद्र सरकार को बार.बार लिखा कि सरकारी कर्मचारियों के वेतन का जबरन काटा गया ष्टैक्सष् एनएससीएन ;ईसाक.मुइवाद्ध गुट वसूलता हैए लेकिन इसका केंद्र सरकार पर कोई असर ही नहीं पड़ाण् उल्टा संगठन के सदस्य एनएससीएन से जान बचाए फिर रहे हैंण्
एनआईए ने एनएससीएन खापलांग गुट से साठगांठ रखने वाले समाज कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक तुलुला पोंजेनए भूसंसाधन विभाग के संयुक्त निदेशक ;डीडीओद्ध एलेन्बा पैंगजुंग और उसी विभाग के कैशियर केण् लाशितो शेकी को गिरफ्तार किया थाण् ये अधिकारी भी एनएससीएन के लिए विभिन्न सरकारी विभागों से व्यापक पैमाने पर वसूली और गैर कानूनी टैक्स काटा करते थेण् इन अधिकारियों के जरिए एनएससीएन समेत कई अन्य आतंकी संगठन धन कमा रहे थेण् याद रहे कि नगालैंड के आतंकी संगठनों को सरकारी कर्मचारियों द्वारा दिए जा रहे धन के बारे में चौथी दुनिया ने पहले भी ध्यान दिलाया थाण्
कूकी और मैतेयी की कोई सुनने वाला नहीं
केंद्र से शांति समझौता करने वाले एनएससीएन ;आईएमद्ध ने पहले से ही घोषणा कर रखी है कि स्वायत्त नगालैंड राज्य आधिकारिक तौर पर ईसाई राज्य नहीं बल्कि धर्म.निरपेक्ष राज्य रहेगाए लेकिन अन्य धर्म के लोगों को उनकी जमीनों का मालिकाना हक नहीं दिया जाएगाण् अगर बृहत्तर नगालिम बना तो कूकी जनजाति जैसी कई जनजातियां बेमौत मारी जाएंगीण् एनएससीएन ;आईएमद्ध के शीर्ष कमांडर अंथोनी सिमरे ने स्पष्ट कहा है कि कूकी जनजाति के लोग चाहें तो नगालैंड में रह सकते हैंए लेकिन उन्हें उनकी जमीन का स्वामित्व नहीं मिलेगाण् मणिपुर के कूकी और मैतेयी समुदाय और नगा समुदाय के बीच जो खाई गहराई हैए उसे राज्य और केंद्र ने और गहरा करने का काम किया हैण् यह आने वाले समय में भीषण हिंसक शक्ल लेने वाला हैण्
कूकी जनजाति भी नगाओं की तरह ही नगालैंडए मणिपुरए असमए मेघालय जैसे जिलों में बसी हुई हैण् कूकी जनजाति के लोग भी लंबे अर्से से अलग राज्य की मांग कर रहे हैंण् मणिपुर में कूकी जनजाति की संख्या अधिक हैण् मणिपुर में छोटे बड़े करीब तीन दर्जन उग्रवादी संगठन सक्रिय हैंण् इनमें कूकर नेशनल आर्मी ;केएनएद्धए कूकी नेशनल फ्रंट ;केएनएफद्धए कूकी लिबरेशन आर्मी ;केएलएद्ध और कूकी नेशनल ऑर्गेनाइजेशन ;केएनओेद्ध प्रमुख हैंण् दूसरे सक्रिय संगठनों में यूनाइटेड रेवोल्यूशनरी फ्रंट ;यूआरएफद्धए पीपुल्स रेवोल्यूशनरी पार्टी ऑफ कांगलीपाक ;पीआरपीकेद्ध और कांगलेई यावोल कानलुप ;केवाईकेद्ध और कांगलीपाक कम्युनिस्ट पार्टी पखांगलाक्पा ;केसीपी.पीद्ध प्रमुख हैंण्
कूकी जनजाति के लोगों की पुरानी मांग है कि सेनापति जिले के सदर हिल्स अनुमंडल को एक अलग जिला बना दिया जाए जबकि नगा जनजाति के लोग इस मांग का शुरू से ही विरोध कर रहे हैंण् कूकी जनजाति के संगठन कई बार अलग राज्य की मांग पर व्यापक आंदोलन कर चुके हैंण् कूकी और नगाओं में परस्पर हिंसा भी खूब होती रही हैण् एनएससीएन ;आईएमद्ध और भारत सरकार के बीच हुए नगा शांति समझौते में कूकी जनजाति या ऐसी कई अन्य उपेक्षित जनजातियों के उत्थान और उनकी सुरक्षा के बारे में कोई विचार नहीं हुआ हैण्
हालांकि मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने यह वादा किया है कि वे कुछ चमत्कार कर दिखाएंगेण् जबकि सच यह है कि मणिपुर की मौजूदा राजनीति भी भारत सरकार और एनएससीएन ;आईएमद्ध के बीच हुए समझौते की परिधि में ही घूम रही हैण् मणिपुर के लोगों को आशंका है कि केंद्र सरकार ने समझौते में राज्य की क्षेत्रीय अखंडता से समझौता किया हैण् मुख्यमंत्री ने अपनी तरफ से कहा है कि मणिपुर के लोगों को डरने की कोई जरूरत नहीं हैण्
मणिपुर के लोग इससे आशंकित हैं कि बृहत्तर नगालिम में कहीं मणिपुरए असम और अरुणाचल प्रदेश के नगा बहुल क्षेत्रों का विलय न कर दिया जाएण् बीरेन सिंह ने कहा है कि यह भारत सरकार और मणिपुर सरकार को तय करना है कि नगा बसावट के क्षेत्र उन्हें दिए जाएं या नहींण् मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया है कि मैदानी क्षेत्र में रहने वाले मैतेयी समुदाय के लोगों और पहाड़ पर रहने वाले नगा और कूकी समुदाय के लोगों को करीब लाने का प्रयास किया जा रहा हैण्
राज्य में तीन प्रमुख जनजातियां नागाए कूकी और मैतेयी हैंण् मैतेयी लोग वैष्णव हिंदू धर्म को मानते हैंण् लंबे समय से चले आ रहे नागा कूकी संघर्ष का खामियाजा मणिपुर के लोगों को भुगतना पड़ा हैण् बीरेन सिंह ने यह भी आश्वासन दिया है कि जेल में बंद यूनाइटेड नगा काउंसिल के नेता रिहा कर दिए जाएंगेण् उन्होंने कहा कि मणिपुर में म्यांमार और बांग्लादेश से काफी लोग आकर बस गए हैंण् लिहाजाए अब इस बेरोकटोक आगमन को रोकने के लिए एक अधिनियम लाने की आवश्यकता हैण् यह कानून भविष्य में होने वाले आगमन को नियंत्रित करेगाण्
एनएससीएन ;आईएमद्ध को हथियार लाने ले जाने की छूट
भारत सरकार ने एनएससीएन ;आईएमद्ध को हथियार खरीदनेए रखने और साथ लेकर चलने की खुली छूट दे दी हैण् लेकिन शर्त यह है कि उन्हें हथियार भारत सरकार से ही खरीदने होंगेण् भारत सरकार ने एनएससीएन के कुछ खास कैंपों को भी हथियार रखने की छूट दे दी हैण् एनएससीएन ;आईएमद्ध के सदस्यों को लालए पीला और हरा कार्ड दिया गया हैण्
एनएससीएन ;आईएमद्ध के जिन सदस्यों या कमांडरों के पास लाल कार्ड होगाए उन्हें अपने साथ हथियार लेकर चलने की छूट रहेगीण् लाल कार्डधारी सदस्य या कमांडर अपने साथ हथियार ला और ले जा सकेंगेण् भारत सरकार ने यह ष्गैर.कानूनीष् सुविधा केवल एनएससीएन ;आईएमद्ध के लिए दी हैण् इस कार्ड के जरिए एनएससीएन ;आईएमद्ध के कमांडर और सदस्य हथियार लेकर कहीं भी आ.जा सकेंगेण्
सेना के एक अधिकारी ने कहा कि नगा शांति समझौते की यह प्राथमिक शर्त हैण् अलग.अलग रंग के कार्ड अलग.अलग सुविधाओं के लिए दिए गए हैंण् इन कार्डों पर बाकायदा भारत सरकार और एनएससीएन ;आईएमद्ध की आधिकारिक मुहर हैण् ये कार्ड इस बात की सनद भी हैं कि भारत सरकार और एनएससीएन ;आईएमद्ध के बीच समझौता लागू होने की प्रक्रिया में आ चुका हैण्
नगाओं के कई गुट सक्रिय तो एक से इतना प्यार क्यों!
बहुप्रचारित नगा शांति समझौते को लेकर यह भी सवाल उठ रहे हैं कि केंद्र सरकार ने शांति वार्ता में केवल एनएससीएन के ईसाक.मुइवा गुट को ही क्यों शामिल रखाघ् केंद्र सरकार ने खापलांग गुट को प्रतिबंधित करके ईसाक.मुइवा गुट का हित क्यों साधाघ् बृहत्तर नगालैंड को लेकर पूर्वोत्तर के कई संगठन लंबे अर्से से आंदोलन चला रहे हैंए फिर समझौता वार्ता में उन संगठनों को शामिल क्यों नहीं किया गयाघ् ईसाक.मुइवा गुट के साथ समझौता करने के एक महीने बाद ही केंद्र ने गैरकानूनी गतिविधियां निषेध कानून के तहत खापलांग गुट को बैन करने की अधिसूचना किस दबाव में जारी कीण्
केंद्र सरकार का कहना है कि मार्च 2015 में खापलांग गुट ने ही शांति वार्ता में शरीक होने से मना कर दिया थाण् बहरहालए नगालैंड में खापलांग गुट के अलावा फेडरल गवर्नमेंट ऑफ नगालैंड ष्नॉन.एकॉर्डिस्टष् ;एफजीएन.एनएद्धए फेडरल गवर्नमेंट ऑफ नगालैंड ष्एकॉर्डिस्टष् ;एफजीएन.एद्धए नॉन एकॉर्डिस्ट फैक्शन ऑफ नगा नेशनल काउंसिल ;एनएनसी.एनएद्धए नगा नेशनल काउंसिल ष्एकॉर्डिस्टष् ;एनएनसी.एकॉर्डिस्टद्ध और झेलिआंगरोंग यूनाइटेड फ्रंट ;ज़ेडयूएफद्ध जैसे संगठन काफी सक्रिय हैंण्
इनके अलावा नगा नेशनल काउंसिल ष्अडीनोष् ;एनएनसी.अडीनोद्धए नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड ष्यूनिफिकेशनष् ;एनएससीएन.यूद्धए नेशनलिस्ट सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड ष्खोल.किटोवीष् ;एनएससीएन.केकेद्ध और नेशनलिस्ट सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड ष्रिफॉर्मेशनष् ;एनएससीएन.आरद्ध जैसे गुट भी अपनी सक्रियता बनाए हुए हैंण् खापलांग गुट न केवल नगालैंड बल्कि मणिपुरए अरुणाचल प्रदेश और असम के कुछ जिलों में भी सक्रिय हैण् खापलांग गुट को पूर्वोत्तर का सबसे खतरनाक और ताकवर गुट कहा जाता हैण् नगा आदिवासियों की करीब 17 प्रमुख जातियां और 20 उप जातियां हैंण्
नगा संगठन इन्हीं प्रमुख जातियों का अलग.अलग प्रतिनिधित्व करते हैंण् इन सभी संगठनों में इस बात की गहरी नाराजगी है कि समझौता वार्ता में उन्हें शामिल नहीं किया गयाण् खापलांग गुट शांति वार्ता में शरीक होने की फिर से पहल कर रहा हैण् खापलांग गुट के डिप्टी कमांडर इन चीफ नीकी सूमी ने सार्वजनिक बयान दिया कि खापलांग गुट के सैन्य प्रमुख ईसाक सूमी ने म्यांमार में भारत के राजदूत विक्रम मिसरी से मिल कर शांति वार्ता में शरीक किए जाने का औपचारिक आग्रह कियाण् राजदूत ने भारत सरकार को इस बारे में इत्तिला भी कर दीए लेकिन केंद्र ने इस पर कोई ध्यान नहीं दियाण् खापलांग गुट द्वारा युद्ध विराम संधि तोड़े जाने को लेकर केंद्र की नाराजगी भी अपनी जगह जायज हैण्

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