रविवार, 11 मार्च 2018

भाजपा शासित मध्य प्रदेश में विकास की भयावह तस्वीर, कुपोषण से हर दिन 92 बच्चों की मौत

भाजपा शासित मध्य प्रदेश में विकास की भयावह तस्वीर
कुपोषण से हर दिन 92 बच्चों की मौत

दै.मू.ब्यूरो/भोपाल
जब से केन्द्र में संघ संचालित भाजपा की सरकार बनी है तब से भारत की जनता को बेरोजगारी, गरीबी और भुखमरी में झोंकने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। इसा बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आज मघ्य प्रदेश में कुपोषण (भुखमरी) से हर दिन 92 बच्चों की मौत हो रही है। 
दैनिक मूलनिवासी नायक ब्यूरो से मिली जानकारी के अनुसार भाजपा शासित मध्य प्रदेश के महिला एवं बाल विकास विभाग के आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश में जनवरी 2016 से जनवरी 2018 के बीच करीब 57,000 बच्चों ने भुखमरी के चलते दम तोड़ चुके हैं। कुपोषण के चलते अक्सर सुर्खियों में रहने वाले मध्य प्रदेश में हर रोज 92 बच्चों की मौत (भुखमरी) के चलते हो रही है। यह जानकारी मध्य प्रदेश विधानसभा में स्वयं प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनीस ने दी है। गौरतलब है कि ताजा आंकड़ा जनवरी 2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार, विधानसभा में एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने स्वीकार किया है कि प्रदेश में कुपोषण से रोज मरने वाले बच्चों की संख्या 92 हो गई है, जबकि 2016 में यह आंकड़ा 74 था। महिला एवं बाल विकास विभाग के आंकड़ों के आधार पर मध्य प्रदेश में जनवरी 2016 से जनवरी 2018 तक करीब 57,000 बच्चों ने कुपोषण के चलते दम तोड़ चुके हैं। इसी बीच 01 जनवरी 2016 से 31 जनवरी 2017 के बीच 396 दिनों में 05 वर्ष तक के मृत बच्चों की संख्या 28,948 रही, जबकि 06 से 12 वर्ष के 462 बच्चों की मौतें हुई हैं। इस तरह इस अवधि में कुल 29,410 बच्चों की मौत हो चुकी हैं। इस तरह औसतन प्रतिदिन 74 बच्चों की मौत हुई तो वहीं, अप्रैल 2017 से सितंबर 2017 के बीच के 183 दिनों में 01 वर्ष तक के 13,843 बच्चे कुपोषण के चलते काल के गाल में समा गए हैं। 01 से 05 वर्ष के 3,055 बच्चों की मौत हुई। इस तरह कुल 16,898 बच्चों की मृत्यु हुई हैं। 183 दिन में औसतन प्रतिदिन 92 बच्चों की मृत्यु हुई है, वहीं, ताजा आंकड़े अक्टूबर 2017 से जनवरी 2018 के बीच के 123 दिनों के हैं। इस अवधि में 0 से 01 वर्ष तक के मृत बच्चों की संख्या 9,124 थी तो वहीं, 01 से 05 वर्ष की उम्र के बीच वाले 2,215 बच्चों की मौत हो गई। यानी कि कुल 11,339 बच्चों की मृत्यु हुई, जिसका प्रतिदिन औसत 92 निकलता है।
आंकड़ों से यह भी स्पष्ट होता है कि कुपोषण से निपटने के मध्य प्रदेश सरकार के दावे इस दौरान खोखले ही साबित हुए हैं, क्योंकि इस अवधि में प्रदेश में कुपोषण में वृद्धि दर्ज की गई है। जहां, 01 जनवरी 2017 तक के आंकड़े बताते हैं कि उस समय तक 70,60,320 बच्चों का प्रदेश में वजन किया गया, जिनमें से 56,13,327 बच्चे सामान्य वजन के थे। 12 लाख 84 हजार 36 कम वजन के पाए गए और 01 लाख 62 हजार 957 बच्चे अतिकुपोषित मिले। कुल 14 लाख 46 हजार 993 बच्चे कुपोषित थे। फरवरी 2017 में वजन किए गए 71,35,036 में से 14,17,800 बच्चे कुपोषित पाए गए। लेकिन दिसंबर 2017 में तौले गए 69,84,872 बच्चों में भी 14 लाख के ऊपर कुपोषित बच्चे मिले। आपको बता दें कि जब सितंबर 2016 में प्रदेश के श्योपुर जिले (जिसे ‘भारत का इथोपिया’ भी कहा जाता है) में कुपोषण के चलते 116 बच्चों की मौत हुई थी तो प्रदेश सरकार ने इस संबंध में श्वेत-पत्र लाने की घोषणआ की थी। लेकिन प्रदेश की शिवराज सरकार कुपोषण को लेकर कितनी गंभीर है, यह इस बात से पता चलता है कि अब तक इस गंभीर मसले पर श्वेत-पत्र नहीं लाया जा सका है।

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