मंगलवार, 27 मार्च 2018

चार साल में 23,000 यूरेशियन पूंजीपतियों ने छोड़ा देश

देश छोड़ भाग रहे शासक वर्ग
चार साल में 23,000 यूरेशियन पूंजीपतियों ने छोड़ा देश
दै.मू.ब्यूरो/नई दिल्ली
❝ न्यू वर्ल्ड वेल्थ की रिपोर्ट के मुताबिक 2014 से अब तक करीब 23,000 करोड़पति भारत छोड़ चुके हैं। जबकि 2017 में 7,000, वर्ष 2016 में 6,000 वर्ष 2015 में 4,000 शासक जातियों के धनकुबेर भारत की बजाय दूसरे देशों को अपना ठिकाना बना चुके हैं।❞


अब भारत में यूरेशियन ब्राह्मणों के ऊपर खतरा मंडराने लगा है। अब शासक वर्ग को भारत में रहना सुरक्षित नहीं लग रहा है, इसलिए धीरे-धीरे शासक वर्ग देश छोड़कर अन्य देशों में अपना ठिकाना बनाने लगा है। अभी हाल में ‘न्यू वर्ल्ड वेल्थ की रिपोर्ट’ में भारत से वर्ष 2017 में 7,000 करोड़पतियों के देश छोड़कर भागने का दावा किया गया था, वहीं रविवार 25 मार्च 2018 को फिर से रिपोर्ट जारी कर चौंका दिया है। न्यू वर्ल्ड वेल्थ रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2014 से अब तक करीब 23,000 करोड़पति शासक जाति के लोग भारत को छोड़कर दूसरे देशों में अपना ठिकाना बना चुके हैं। वर्ष 2000 से 2014 के बीच यानी पिछले चौदह सालों में 61,000 से अधिक करोड़पति भारत की सरजमीं को छोड़ चुके हैं। और अपने देश को छोड़कर अन्य देशों की नागरिकता ले ली है। इस बात का खुलासा तब हुआ जब मॉर्गन स्टेनली इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट के मुख्य वैश्विक रणनीतिकार रुचिर शर्मा दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में एनडब्ल्यू वेल्थ सर्वे का हवाला देते हुए कहा कि अपना देश छोड़ने वाले करोड़पतियों में सबसे अधिक भारत से हैं। 
दैनिक मूलनिवासी नायक वरिष्ठ संवाददाता ने जानकारी देते हुए बताया कि न्यू वर्ल्ड वेल्थ की रिपोर्ट के मुताबिक 2014 से अब तक करीब 23,000 करोड़पति भारत छोड़ चुके हैं। जबकि केवल 2017 में ही 7,000 करोड़पति पलायन कर गए थे। वहीं 2016 में यह आंकड़ा 6,000 था, जबकि 2015 में 4,000 शासक जातियों के धनकुबेर भारत की बजाय दूसरे देश की नागरिकता ले चुके हैं। गौरतलब है कि कोई लोन न चुका पाने से भागा है तो कोई भ्रष्टाचार से धन जुटाने के बाद भागा है। जबकि वहीं देश के लाखों, करोड़ों मेहनतकश गरीब किसान-मजदूर बेरोजगारी, निर्धनता की मार से जूझ रहे हैं, अपने गांवों से पलायन कर रहे हैं, लेकिन सवाल यह है कि शासक वर्ग को आखिर क्या हुआ है कि पतली गली से धीरे-धीरे लगभग 23,000 भारत छोड़कर विदेशों में जा बसे हैं? 
आपको बताते चलें कि बदलते भारत की इस दोहरी तस्वीर ने मूलनिवासी बनाम शासक वर्ग के बीच ऐसी चुगली की है कि बीते डेढ़ दशक के भीतर लगभग 21 फीसदी शासक जाति के लोग दौलतमंद हुए हैं, बाकी 79 फीसदी मूलनिवासी भुखमरी का दंश झेल रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की एक रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है कि निकट भविष्य में आर्थिक गैरबराबरी काफी भयावह रूप लेने वाली है। स्विटजरलैंड की ज्यूरिख स्थित संस्था क्रेडिट सुईस तो बता रही है कि भारत में 53 फीसदी दौलत एक फीसदी शासक वर्ग धनकुबेरों के पास इकट्ठी हो चुकी है। देश की सबसे गरीब आबादी को सिर्फ 4.1 फीसदी संपत्ति का हिस्सा ही नसीब हुआ है। बताया गया है कि मौजूदा दशक में वर्ष 2010 से 2015 के बीच देश की गरीब आबादी के हिस्से के संसाधन 5.3 फीसदी से घटकर 4.1 फीसदी रह गए, जबकि इसी दौरान देश की दौलत में लगभग 2.28 खरब डॉलर का इजाफा हुआ है। इस बढ़ोŸारी का 61 फीसदी हिस्सा देश के एक प्रतिशत अमीरों के तिजोरी में चला गया है और 10 प्रतिशत हासिल कर लेने के साथ ये आंकड़ा 81 प्रतिशत पहुंच चुका है। आर्थिक असमानता के इस बेखौफ आंकड़े में भारत, अमेरिका से भी आगे निकल चुका है। अब भारत में शासक वर्ग अपने सŸा में ही अपने आपको ही असुरक्षित मान रहा है, लेकिन हकीकत यह नहीं है। असल में बात यह है कि देश में भारत मुक्ति मोर्चा ब्राह्मणवादी व्यवस्था के खिलाफ उग्र आंदोलन चला रहा है। इस आंदोलन की वजह से शासक वर्ग में खौफ व्याप्त हो चुका है। क्योंकि अब तक शासक वर्ग भारत में अपने विदेशीपन को छुपाकर मूलनिवासियों को गुलाम बना कर शासन चला रहा है, लेकिन भारत मुक्ति मोर्चा ने 21 मई 2001 में हुए डीएनए शोध के आधार पर शासक वर्गों के विदेशीपन को उजागर कर नंगा कर दिया है। आज शासक वर्ग चारों तरफ से घिर चुका है, इसलिए शासक वर्ग भारत छोड़कर भागने को मजबूर हो रहा है। 

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