बुधवार, 28 मार्च 2018

एक और सनसनीखेज खुलासा, बैंक घोटालों के बाद अब 36 अरब का पानी घोटाला

एक और सनसनीखेज खुलासा
बैंक घोटालों के बाद अब 36 अरब का पानी घोटाला

दै.मू.ब्यूरो/छŸासगढ़
आजकल घोटालों का दौर चल रहा है। विभिन्न योजनाओं में घोटाला रुकने का नाम नहीं ले रहा है, कभी बैंक घोटाला, कभी कोयला घोटाला, कभी राशन घोटाला तो कभी जहाज घोटाला। कभी एलइडी घोटाला तो कभी कम्बल घोटाला, कभी कफन घोटाला तो कभी अलाव घोटाला। इन घोटालों में एक और नया घोटाला ‘‘पानी’’ घोटाला भी शामिल हो गया है। वैसे भी अब इन घोटालों की परतें खुलने लगी हैं और एक के बाद एक चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। इन हजारों करोड़ों के घोटालों के बीच एक ऐसा घोटाला भी सामने आया है जिसे सुनकर चौंक जायेंगे। 11000 करोड़ का महाघोटाला अभी सुलझा नहीं था कि अब 36 अरब रूपये का पानी घोटाला सामने आ गया। 
दैनिक मूलनिवासी नायक ने एक सनसनीखेज खबर का हवाला देते हुए बताया कि बैंक घोटालों का सिलसिला थमा भी नहीं कि तब तक 36 अरब का पानी घोटाला ने कोहराम मचा दिया है। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता मोदी सरकार के संरक्षण में करीब 23 कंपनियां मिलकर सरकार को 36,55,64,83,000 रूपये का भारी चूना लगाया है। विशेष सूत्रों के मुताबिक छŸासगढ़ में संचिलत 23 संस्थान, जिनमे निजी और शासकीय उपक्रम द्वारा लाख मिली घन मीटर पानी का दोहन किया गया है, लेकिन जल संसाधन विभाग को बीते चार साल का 36 अरब 55 करोड़ 64 लाख 83 हजार रूपए नहीं चुकाया है। इसके लिए विभाग ने कई बार नोटिस दिया, लेकिन कंपिनयां भुगतान करने को तैयार नहीं हैं। आरटीआई से मिले दस्तावेज बताते हैं कि यह राशि बीते वर्ष तक 55 अरब 36 करोड़ 43 लाख 67 हजार रूपए थी, जिसमे से 18 अरब 80 करोड़ 78 लाख 84 हजार रूपए का भुगतान ही कंपिनयों ने किया है। इसमे से 36 अरब 55 करोड़ 64 लाभ 83 हजार अब भी बकाया है जो बीते चार साल का बकाया है।
आपको बता दें कि भिलाई इस्पात कंपनियां का भी करीब 10 करोड़ से ज्यादा का बकाया है। जलाशय एवं रविशंकर सागर परियोजना से भिलाई इस्पात का वर्ष 2014-15 में 91.36 एमएलडी के लिए बकाया राशि 0.00, तथा 2015-16 में 74.26 एमएलडी के लिए ककाया राशि 81,92,000 एवं वर्ष 2016-17 में 90.98 एमएलडी के लिए बकाया 02 करोड़ 56 लाख 92 हजार व 2017-18 में 69.42 एमएलडी के लिए 06 करोड़ 65 लाख 64 हजार रूपये बकाया है। इसी के साथ निजी कंपनियों के अटके 50 करोड़ केलोबांध रायगढ़ का मेसर्स अंजनी स्टील प्राइवेट लिमिटेड को वर्ष 2014-15 में 1.81 एमएलडी पानी दिया गया था, जिसका 5 करोड़ 87 लाख 58 हजार, 2015-16 में 1.81 एमएलडी का 12 करोड़ 28 लाख 89 हजार, 2016-17 में 1.89 एमएलडी का 13 करोड़ 99 लाख 93 हजार और 2017-18 में 1.81 एमएलडी का 15 करोड़ 40 लाख 27 हजार रूपये बकाया है। इस तरह से 10 कंपनियों पर कुल 50 करोड़ का बकाया है, जिसे भुगतान नहीं कर रहे हैं और सरकार भी शांत बैठ चुकी है।
इसके अलावा मध्य प्रदेश में कुछ कंपनियों ने सरकार को करीब 07 करोड़ का चूना चूना अलग से लगाया है। जारी एक आंकड़ा के मुताबिक कवर्धा जिले में शिवनाथ नदी के जलाशय से मध्य प्रदेश बालघाट की मलाज कुड ताम्र परियोजना का भी 2015-16 में 1.51 एमएलडी का 02,11,11,000 तो वहीं वर्ष 2016-17 में 02,87,51,000 और 2017-18 में 02,49,21000 रूपये बकाया है। आरटीआई से मिली जानकारी से साफ हो गया है कि शासन का 36 अरब रूपये बीते चार साल से बकाया है और कंपनियां देने से साफ इनकार कर रही हैं, इसके बाद भी सरकार उन कंपनियों के खिलाफ गुंगी बन चुकी है। इससे साबित हो जाता है कि इतना बड़ा पानी घोटाला मोदी सरकार के संरक्षण में हुआ है।

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