बुधवार, 28 मार्च 2018

मोदी सरकार तल रही पकोड़े आतंकवादी घटनाएं जेल मे बंद लोग करा रहे है-राजनाथ सिंह ❑ यदि देश में आतंकी घटनाएं जेल में बंद लोग करा रहे है तो सरकार उनको पकड़ क्यों नहीं रही है? क्या मोदी सरकार चिप्स तल रही है? जबकि उनके पास केंद्र और राज्य की सरकारें, सेना, पुलिस, आईबी, चैनल से लेकर न्यायपालिका तक सब कुछ उनके पास है इसके बाद भी मोदी सरकार बेबस क्यों है? चलो, अब कड़ी निंदा कर दो या किसी और को जिम्मेदार ठहरा दो। यह कितनी चौंका देने वाली बात है कि गृहमंत्रालय यह जानते हुए कि जेल बंद लोग ही आतंकी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं इसके बाद भी मोदी सरकार का गृहमंत्रालय कुछ करने के बजाय जनता को बता रहा है कि जेल बंद लोग ही आतंकी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। दैनिक मूलनिवासी एजेंसी से मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार 27 मार्च को राज्यसभा में लिखित जानकारी देते हुए गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इनपुट के आधार पर डीजीपी जम्मू-कश्मीर को जानकारी मिली है कि श्रीनगर समेत कश्मीर घाटी के कई जिलों में बंद कैदी देश विरोधी गतिविधियों का संचालन करते हुए देश में आतंकी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। इस रिपोर्ट में इन कैदियों को कश्मीर घाटी के बाहर की जेलों में ट्रांसफर करने का सुझाव दिया गया है। जम्मू-कश्मीर राज्य में जेल मैन्युअल के आधार पर ऐसे कैदियों का तत्काल ट्रांसफर करने के लिए उचित कार्रवाई करने की सलाह दी गई है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक 12 मार्च, 2018 को एनआईए के बीस अधिकारियों जम्मू-कश्मीर पुलिस, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड की संयुक्त टीम ने जेल में छापेमारी की थी। इस दौरान एनआईए के अधिकारी ने जानकारी दी थी कि रेड के दौरान कुछ मोबाइल फोन, सिम कार्ड, आईकॉर्ड, एक पाकिस्तानी झंडा और अन्य आपत्तिजनक सामग्री बरामद हुई हैं। एनआइए और दूसरी एजेंसियों के सुरक्षा अधिकारियों ने जेल में ऐसे समय में छापेमारी की थी जब 6 फरवरी को लशकर-ए-तैयबा का उग्रवादी नावेद जाट उर्फ अबू हुनजुल्लाह मेडिकल चेकअप के वक्त जेल से फरार हो गया था। खबरों के मुताबिक जेल के अंदर के ही कुछ लोगों ने उसकी मदद की थी, अबू हुनजुल्लाह के जेल से भागने के बाद ही उग्रवादियों ने श्रीनगर के एसएमएचएस हॉस्पिटल के पास दो पुलिसकर्मियों को हत्या कर दी थी। इस घटना के बाद श्रीनगर की सेंट्रल जेल में बंद बड़े उग्रवादियों को कश्मीर घाटी के बाहर की जेलों में ले जाया गया है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह के बयानों पर गौर करने से पता चलता है कि देश में जितनी भी आतंकी घटनाएं करायी जा रही हैं, उन सभी घटनाओं और आतंकियों को गृहमंत्रालय अच्छी तरह से जानता है। मंत्रालय यह भी जानता है कि आतंकी घटनाओं में केवल संघ परिवार के ही आतंकी शामिल हैं। यही कारण है कि उनके पास केंद्र और राज्य की सरकारें, सेना, पुलिस, आईबी, चैनल से लेकर न्यायपालिका तक सब कुछ उनके पास है इसके बाद भी मोदी सरकार कुछ नहीं कर रही है, केवल भाषणबाजी के सिवाय। इस बयान के पीछे दूसरा पहलू यह है कि आतंकी घटनाओं को संघ परिवार ही अंजाम दे रहा है, लेकिन गृहमंत्री राजनाथ सिंह का बयान जेल में बंद मुस्लिम नौजवानों के तरफ इशारा कर रहा है। पुर्वानुमान से ऐसा कहा जा सकता है कि मोदी सरकार जेल में बंद मुस्लिम नौजवानों को आतंकवादी का आरोप लगाकर उनको मारने का प्लान बना रही है।

मोदी सरकार तल रही पकोड़े
आतंकवादी घटनाएं जेल मे बंद लोग करा रहे है-राजनाथ सिंह
❑ यदि देश में आतंकी घटनाएं जेल में बंद लोग करा रहे है तो सरकार उनको पकड़ क्यों नहीं रही है? क्या मोदी सरकार चिप्स तल रही है? जबकि उनके पास केंद्र और राज्य की सरकारें, सेना, पुलिस, आईबी, चैनल से लेकर न्यायपालिका तक सब कुछ उनके पास है इसके बाद भी मोदी सरकार बेबस क्यों है? चलो, अब कड़ी निंदा कर दो या किसी और को जिम्मेदार ठहरा दो। 

यह कितनी चौंका देने वाली बात है कि गृहमंत्रालय यह जानते हुए कि जेल बंद लोग ही आतंकी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं इसके बाद भी मोदी सरकार का गृहमंत्रालय कुछ करने के बजाय जनता को बता रहा है कि जेल बंद लोग ही आतंकी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। 
दैनिक मूलनिवासी एजेंसी से मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार 27 मार्च को राज्यसभा में लिखित जानकारी देते हुए गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इनपुट के आधार पर डीजीपी जम्मू-कश्मीर को जानकारी मिली है कि श्रीनगर समेत कश्मीर घाटी के कई जिलों में बंद कैदी देश विरोधी गतिविधियों का संचालन करते हुए देश में आतंकी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। इस रिपोर्ट में इन कैदियों को कश्मीर घाटी के बाहर की जेलों में ट्रांसफर करने का सुझाव दिया गया है। जम्मू-कश्मीर राज्य में जेल मैन्युअल के आधार पर ऐसे कैदियों का तत्काल ट्रांसफर करने के लिए उचित कार्रवाई करने की सलाह दी गई है। 
सरकारी सूत्रों के मुताबिक 12 मार्च, 2018 को एनआईए के बीस अधिकारियों जम्मू-कश्मीर पुलिस, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड की संयुक्त टीम ने जेल में छापेमारी की थी। इस दौरान एनआईए के अधिकारी ने जानकारी दी थी कि रेड के दौरान कुछ मोबाइल फोन, सिम कार्ड, आईकॉर्ड, एक पाकिस्तानी झंडा और अन्य आपत्तिजनक सामग्री बरामद हुई हैं। एनआइए और दूसरी एजेंसियों के सुरक्षा अधिकारियों ने जेल में ऐसे समय में छापेमारी की थी जब 6 फरवरी को लशकर-ए-तैयबा का उग्रवादी नावेद जाट उर्फ अबू हुनजुल्लाह मेडिकल चेकअप के वक्त जेल से फरार हो गया था। खबरों के मुताबिक जेल के अंदर के ही कुछ लोगों ने उसकी मदद की थी, अबू हुनजुल्लाह के जेल से भागने के बाद ही उग्रवादियों ने श्रीनगर के एसएमएचएस हॉस्पिटल के पास दो पुलिसकर्मियों को हत्या कर दी थी। इस घटना के बाद श्रीनगर की सेंट्रल जेल में बंद बड़े उग्रवादियों को कश्मीर घाटी के बाहर की जेलों में ले जाया गया है।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह के बयानों पर गौर करने से पता चलता है कि देश में जितनी भी आतंकी घटनाएं करायी जा रही हैं, उन सभी घटनाओं और आतंकियों को गृहमंत्रालय अच्छी तरह से जानता है। मंत्रालय यह भी जानता है कि आतंकी घटनाओं में केवल संघ परिवार के ही आतंकी शामिल हैं। यही कारण है कि उनके पास केंद्र और राज्य की सरकारें, सेना, पुलिस, आईबी, चैनल से लेकर न्यायपालिका तक सब कुछ उनके पास है इसके बाद भी मोदी सरकार कुछ नहीं कर रही है, केवल भाषणबाजी के सिवाय। इस बयान के पीछे दूसरा पहलू यह है कि आतंकी घटनाओं को संघ परिवार ही अंजाम दे रहा है, लेकिन गृहमंत्री राजनाथ सिंह का बयान जेल में बंद मुस्लिम नौजवानों के तरफ इशारा कर रहा है। पुर्वानुमान से ऐसा कहा जा सकता है कि मोदी सरकार जेल में बंद मुस्लिम नौजवानों को आतंकवादी का आरोप लगाकर उनको मारने का प्लान बना रही है। 

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