शुक्रवार, 2 मार्च 2018

बैंक घोटालों का छक्का-चौका


बैंक घोटालों का छक्का-चौका

मेरे प्रिय, मूलनिवासी पाठकों आप लोग सोचते होंगे कि दैनिक मूलनिवासी नायक में इधर कुछ दिनों से केवल भ्रष्टाचार (बैंक घोटाले) पर ही ज्यादा खबरें और लेख प्रकाशित किए जा रहे हैं। इन बातों को लेकर सवाल भी पैदा होते होंगे कि भ्रष्टाचार के अलावा क्या दूसरी खबरें और लेख नहीं है? बात तो आप लोगों की बिल्कुल सही है, मगर क्या किया जाए आज कल भाजपा सरकार के छत्रछाया में यूरेशियन शासकों (ब्राह्म, क्षत्रिय और वैश्य) द्वारा बैंक लूटने का सीजन चल रहा है। जिसको मौका मिल रहा है वहीं बैंक लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। मोदी सरकार के पिछले चार सालों में शासक वर्ग पूंजीपतियों ने ताबड़तोड़ बैंक लूटने का जहां सतक लगा दिया है, वहीं शासक वर्ग नये साल की शुरूआत ही घोटालों से की है। हालांकि कहने का यह अभिप्राय कŸाई नहीं है कि केवल भाजपा सरकार में बैंक लूटा जा रहा है और कांग्रेस दूध की धूली है। कांग्रेस दूध की धूली नहीं है, बल्कि कांग्रेस ही इन भ्रष्टाचारों को जन्म दिया है। इसलिए कांग्रेस दूध की धूली है यह कहना बेईमानी होगा। यदि कांग्रेस और बीजेपी दोनों के घोटालों की बात करें तो दोनों सरकारों ने अपनी-अपनी पारी (कार्यकाल) के केवल एक-एक ओवर (एक-एक साल) में बेहतरीन बैटिंग (लूट) के साथ घोटालों का सतक लगाकर एक दूसरे का रिकॉर्ड तोड़ा है। जबकि अंपायर (भारत सरकार) ने खिलाड़ियों (लूटेरों) को क्लीन बोल्ड तो क्या कैच आऊट और एलबीडब्ल्यू भी नहीं कर पाया, बल्कि व्हाइट बॉल की तरह ओवर बढ़ाते रहे और खिलाड़ी छक्कों-चौकों के साथ रनों की बौछार (लूट पर लूट) करते रहे। र्थड अंपायर (सीबीआई) ने कुछ खिलाड़ियों को रन आउट भी किया तो रि-प्ले के बाद पता चला कि नॉट आउट हैं। इस तरह से खिलाड़ियों को जीवन दान मिलता रहा। जब उन लोगों को लगा कि बोर्ड (यूरेशियन ब्राह्मण) के इस रवैये पर सवाल उठने लगे तो बोर्ड ने एक-एककर सभी खिलाड़ियों (लूटेरों) को पवेलियन (देश) से बाहर भगा रहे हैं। 
देश के बैंकिंग क्षेत्र को हिला देने वाले पीएनबी घोटाले की शुरुआत 2013 में इलाहाबाद बैंक की निदेशक मंडल की बैठक में ही हो गई थी। नई दिल्ली में हुई उस बैठक में गीतांजलि ज्वेलर्स के मालिक मेहुल चौकसी को 550 करोड़ रुपये देने को मंजूरी दी गई थी। मेहुल चौकसी रिश्ते में घोटालेबाज नीरव मोदी के मामा हैं। बाद में मामा-भांजे ने मिलकर बैकों को हजारों करोड़ का चूना लगाया। पंजाब नेशनल बैंक घोटाले के सार्वजनिक हुए दो दिन भी नहीं बीते थे कि मोदी सरकार ने भारत में बैंक धोखाधड़ी से जुड़े चौंकाने वाले आंकड़े सामने रख दिए. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि सार्वजनकि क्षेत्र के बैंकों को साल 2012 से 2016 के बीच धोखा देकर 22,743 करोड़ रुपये का चूना लगाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार साल 2017 के पहले नौ महीने में आईसीआईसीआई बैंक में धोखाधड़ी के करीब 455, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में 429, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक में 244 और एचडीएफसी बैंक में 237 मामले पकड़े गए। रिपोर्ट कहती है कि धोखाधड़ी के ज्यादातर मामलों में बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत थी। आंकड़े बताते हैं कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के 60 से ज्यादा स्टाफ, एचडीएफसी बैंक के 49, एक्सिस बैंक के 35 कर्मचारियों का इस गोरखधंधे में रोल पाया गया था। नीरव मोदी कांड के बाद पंजाब नेशनल बैंक ने भी 11,400 करोड़ रुपये के घोटाले के सिलसिले में अपने 20 कर्मचारियों को निलंबित किया है।
आइए एक नजर डालते हैं 2011 से 2017 के बीच हुए कुछ बड़े बैंक घोटालों पर। साल 2011 में केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) ने बताया कि कुछ बैंक अफसरों ने 10 हजार संदिग्ध बैंक खाते खोले और उनमें लोन के 1500 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर लिए, ये अधिकारी बैंक ऑफ महाराष्ट्र, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और आईडीबीआई जैसे बैंकों के थे। इसके ठीक तीन साल बाद 2014 में मुंबई पुलिस ने सार्वजनिक बैंकों के कुछ अधिकारियों के खिलाफ 09 एफआरआर दर्ज किए थे जिन पर 700 करोड़ रुपये के फिक्स्ड डिपॉजिट का घपला करने का आरोप था। इसी साल कोलकाता के उद्योगपति बिपिन बोहरा पर कथित तौर पर फर्जी दस्तावेजों के सहारे सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया से 1400 करोड़ रुपये दबाकर बैठ गया। 2014 में ही सिंडिकेट बैंक के एक्स चेयरमैन और प्रबंध निदेशक एसके जैन पर कथित रूप से रिश्वत लेकर 8000 करोड़ रुपये का लोन मंजूर करने का आरोप सामने आया। इसी साल यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने विजय माल्या को विलफुल डिफॉल्टर घोषित कर दिया। साल 2015 विदेशी मुद्रा के विनिमय घोटाले का साल था। इस घोटाले में कई बैंकों के स्टाफ और हांगकांग की एक कंपनी शामिल थी, इन लोगों ने मिलकर 6000 करोड़ रुपये के मूल्य की विदेशी मुद्रा का घपला किया।
चार धोखेबाजों ने मिलकर साल 2016 में सिंडिकेट बैंक के खातों से 1000 करोड़ रुपये उड़ा लिए। इसी तरह से 2017 का यह साल विजय माल्या को लेकर सुर्खियों में रहा। विजय माल्या ने बैंकों कों 9500 करोड़ का भारी चपत लगाया और भारत छोड़ दिया। कुछ ही महीने बीते थे कि 7000 करोड़ रुपये के एक घोटाले का मामला विनसम डायमंड्स के खिलाफ सामने आया गया। जतिन मेहता की विनसम डायमंड्स का मामला नीरव मोदी की धोखाधड़ी की तर्ज पर ही था, जबकि इसी साल कोलकाता के कारोबारी नीलेश पारेख का मामला भी सुर्खियों में रहा। सीबीआई ने 2017 में नीलेश को मुंबई एयरपोर्ट पर गिरफ्तार कर लिया, नीलेश ने कम से कम 20 बैंकों को 2,223 करोड़ रुपये का चूना लगाया 
अभी सारे मामले थमें नहीं कि अब कैनरा बैंक में भी 515 करोड़ के घोटाले ने आंकड़ों को उंचाई दे दिया। इस कंपनी ने भी 10 बैंकों को चूना लगाने मो कोई सकर नहीं छोड़ी। इस घोटाले में एसबीआई, एसबीबीजे, यूनियन बैंक, इलाहाबाद बैंक, ओबीसी, सेंट्रल बैंक, पीएनबी, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, फेडरल बैंक को चूना लगाया गया है। विशेष सूत्रों के मुताबिक कैनरा बैंक ने कोलकाता के आरपी इंफोसिस्टम और उसके डायरेक्टर्स के खिलाफ 515.15 करोड़ की धोखाधड़ी का केस दर्ज करवाया है। इसमें कहा गया है कि इन लोगों ने कैनरा बैंक और 9 दूसरे बैंकों के साथ 515 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की है। इन बैंकों में एसबीआई, एसबीबीजे, यूनियन बैंक, इलाहाबाद बैंक, ओबीसी, सेंट्रल बैंक, पीएनबी, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, फेडरल बैंक को चूना लगाया गया है। पीएनबी बैंक घोटाले के बीच एक और सनसनीखेज मामला सामने आया है। वह यह है कि आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में खुद इस बात का खुलासा किया है कि बैंक के कर्मचारी घोटाले में लिप्त हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि हर 04 घंटे में बैंक का एक कर्मचारी धोखाधड़ी जैसे मामलों में पकड़ा जाता है। आरबीआई की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 1 जनवरी 2015 से 31 मार्च 2017 के बीच सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के 5200 कर्मचारी को धोखाधड़ी के मामलों में पकड़ा गया है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की बात करें तो सबसे ज्यादा धोखाधड़ी के मामलों में देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के कर्मचारी टॉप पर हैं। एसबीआई के 1538 कर्मचारियों को धोखाधड़ी के मामलों में दोषी पाया गया है। इसके अलावा इंडियन ओवरसीज बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के कर्मचारियों ने भी सबसे ज्यादा फ्रॉड किया है। चौंकाने वाली बात यह है कि इन बैंकों की तुलना में एसबीआई के तीन गुना ज्यादा कर्मचारी ऐसे मामलों में शामिल पाए गए हैं।
आरबीआई की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा नहीं किया गया है कि धोखाधड़ी में पकड़े गए कर्मचारियों की वजह से बैंकों को कितना नुकसान हुआ है, लेकिन आरबीआई के एक पुराने डाटा के मुताबिक, 1 अप्रैल, 2013 से 31 दिसंबर 2016 तक प्राइवेट बैंकों समेत सभी कामर्शियल बैंकों को 1704 फ्रॉड के मामलों से 66066 करोड़ का भारी चूना लगा है। 
भाजपा हमेशा कोंग्रेस के घोटाले दिखाती है, और खुद को देशभक्त साबित करना चाहती है और भोली भाली जनता को बेवकूफ बनाने कि नाकाम कोशिश करती है। आईये नजर डालते हैं भाजपा के घोटाले की लिस्ट पर। 
1- कारगिल ताबूत घोटाले, कारगिल उपकर दुरूपयोग घोटाला।
 2- दूरसंचार प्रमोद महाजन - घोटाले (रिलायंस)
3-अरुण शौरी निजी खिलाड़ियों को बेलआउट पैकेज यूटीआई घोटाले
4- साइबर स्पेस इन्फोसिस लिमिटेड घोटाले
5- पेट्रोल पंप और गैस एजेंसी आवंटन घोटाले
6- जूदेव घोटाले सेंटूर होटल में डील
7- दिल्ली भूमि आवंटन घोटाले
8- हुडको घोटाले राजस्थान में लैंडस्कैम 
9- बेल्लारी खनन और रेड्डी ब्रदर्स घोटाले
10- मध्य प्रदेश में कुशाभाऊ ठाकरे ट्रस्ट घोटाले
11- कर्नाटक में भूमि आवंटन (येदियुरप्पा)
13-,पंजाब रिश्वत मामले
14- उत्तराखंड पनबिजली घोटाले- छत्तीसगढ़ खानों में भूमि घोटाले
15- पुणे भूमि घोटाले (भाजपा नेता नितिन गडकरी शामिल)
16- उत्तराखंड में गैस आधारित पावर प्लांट घोटाले
17- फर्जी पायलट घोटाले सुधांशु मित्तल और विजय कुमार मल्होत्रा
18- अरुण शौरी द्वारा वीएसएनएल विनिवेश घोटाला
19- अरविंद पार्क लखनऊ घोटाले
20- आईटी दिल्ली प्लॉट आबंटन घोटाले
21- चिकित्सा प्रोक्योर्मेंट घोटाले - सी पी ठाकुर
22- बाल्को विनिवेश घोटाले जैन हवाला मामले लालकृष्ण आडवाणी
23- 1998 खाद्यान घोटाला 35,000 करोड़
24- 2000 चावल निर्यात घोटाला 2,500 करोड़ का
25- 2002 उड़ीसा खदान घोटाला 7,000 करोड का
26- 2003 स्टाम्प घोटाला 20,000 करोड़ का
27- 2002 संजय अग्रवाल गृह निवेश घोटाला 600 करोड़ का
28- 2002 कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज घोटाला 120 करोड़ का
29- 2001 केतन पारिख प्रतिभूति घोटाला 1,000 करोड़ का
30-2001 यूटीआई घोटाला 32 करोड़ का
31-2001 डालमिया शेयर घोटाला 595 करोड़ का
32- 1998 टीक पौधों का घोटाला 8,000 करोड़ का
33- 1998 उदय गोयल कृषि उपज घोटाला 210 करोड़ का
34-1997 बिहार भूमि घोटाला 400 करोड़ का
35- 1997 एसएनसी पावार प्रोजेक्ट घोटाला 374 करोड़
36- 1997 म्यूच्यूअल फण्ड घोटाला 1,200 करोड़ का
37- 1996 उर्वरक आयत घोटाला 1,300 करोड़ का
38- 1996 यूरिया घोटाला 133 करोड का ये 1999 से 2004 तक 
39- मप्र का व्यापम ,
40- छत्तीसगढ़ का 36000 करोड का चावल घोटाला ,
41- पंजाब का 12000 करोड का गेहुं घोटाला,
42- राजस्थान का माईंस घोटाला ,
43- मनुस्मृति का बुक्स घोटाला,
44- ललित गेट ,
45- गुजरात का जमीन घोटाला,
46- हेमा मालिनी जमीन घोटाला,
47 -एल ई डी बल्ब घोटाले
48- गुजरात में मोदी ने 1 लाख 25 हजार करोड का हिसाब ही नही दिया सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार ।
49- 36000 करोड़ का चावल घोटाला
50- छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री, उनका परिवार,उनके रिश्तेदार, स्टाफ, पीए सब शामिल, 
51- महाराष्ट्र में पंकजा मुंडे का 206 करोड़ का घोटाला,
52- 271 करोड़ का कार बाइक घोटाला हैदराबाद में वैंकया नायडू के पुत्र आरोपी, 
53- मोदी राज में गुजरात का 27000 करोड़ का टैक्स घोटाला, 1 रुपये फीट के भाव अदानी को 16000 एकड़ जमीन का घोटाला।
54- स्मार्ट सिटी की बिना किसी जमीनी आधार दस्तावेज वाली योजना के नाम पर 1 लाख करोड़ का आवंटन घोटाला।
55- पिछले साल फरवरी में पेट्रोल 63 रूपए लीटर और कच्चा तेल 45-50 डॉलर प्रति बैरल था अब जब कच्चा तेल 29 डॉलर प्रति बैरल पर है तो पेट्रोल के दाम 66 रूपए प्रति लीटर। ये है इनकी लूटनीति।
57-पिछली सरकार ने 2जी स्पेक्ट्रम का 20 प्रतिशत भाग बेचा था 62000 करोड़ रुपए में, तब संघियों के फेवरेट कैग ने 1,76,000 करोड़ का घाटा बताया था, अब मोदी जी ने बचा हुआ 80 प्रतिशत स्पेक्ट्रम 1,10,000 करोड़ में 20 साल की उधारी में बेच दिया जिसकी ब्याज सहित 21 लाख करोड़ कहां गया? इसके अलावा बैंक लूटने का सिलसिला पूंजीवादहित में जारी है।
कांग्रेस भी घोटालों का पूरा महल तैयार किया है। देखें कांग्रेस के घोटालों की सूची। 
1987 - बोफोर्स तोप घोटाला, 960 करोड़
1992 - शेयर घोटाला, 5,000 करोड़।।
1994 - चीनी घोटाला, 650 करोड़
1995 - प्रोफ्रेशनल अलॉटमेंट घोटाला, 5,000 करोड़
1995 - कस्टम टैक्स घोटाला, 43 करोड़
1995 - कॉबलर घोटाला, 1,000 करोड़
1995 - दीनार हवाला घोटाला, 400 करोड़
1995 - मेघालय वन घोटाला, 300 करोड़
1996 - उर्वरक आयत घोटाला, 1,300 करोड़
1996 - चारा घोटाला, 950 करोड़
1996 - यूरिया घोटाला, 133 करोड
1997 - बिहार भूमि घोटाला, 400 करोड़
1997 - म्यूच्यूअल फण्ड घोटाला, 1,200 करोड़
1997 - सुखराम टेलिकॉम घोटाला, 1,500 करोड़
1997 - एसएनसी पॉवर प्रोजेक्ट घोटाला, 374 करोड़
1998 - उदय गोयल कृषि उपज घोटाला, 210 करोड़
1998 - टीक पौध घोटाला, 8,000 करोड़
2001 - डालमिया शेयर घोटाला, 595 करोड़
2001 - यूटीआई घोटाला, 32 करोड़
2001 - केतन पारिख प्रतिभूति घोटाला, 1,000 करोड़
2002 - संजय अग्रवाल गृह निवेश घोटाला, 600 करोड़
2002 - कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज घोटाला, 120 करोड़
2003 - स्टाम्प घोटाला, 20,000 करोड़
2005 - आईपीओ कॉरिडोर घोटाला, 1,000 करोड़
2005 - बिहार बाढ़ आपदा घोटाला, 17 करोड़
2005 - सौरपियन पनडुब्बी घोटाला, 18,978 करोड़
2006 - ताज कॉरिडोर घोटाला, 175 करोड़
2006 - पंजाब सिटी सेंटर घोटाला, 1,500 करोड़
2008 - काला धन, 2,10,000 करोड
2008 - सत्यम घोटाला, 8,000 करोड
2008 - सैन्य राशन घोटाला, 5,000 करोड़
2008 - स्टेट बैंक ऑफ सौराष्ट्र, 95 करोड़
2008 - हसन् अली हवाला घोटाला, 39,120 करोड़
2009 - उड़ीसा खदान घोटाला, 7,000 करोड़
2009 - चावल निर्यात घोटाला, 2,500 करोड़
2009 - झारखण्ड खदान घोटाला, 4,000 करोड़
2009 - झारखण्ड मेडिकल उपकरण घोटाला, 130 करोड़
2010 - आदर्श घर घोटाला, 900 करोड़
2010 - खाद्यान घोटाला, 35,000 करोड़
2010 - बैंड स्पेक्ट्रम घोटाला, 2,00,000 करोड़
2011 - 2-जी स्पेक्ट्रम घोटाला, 1,76,000 करोड़
2011 - कॉमन वेल्थ घोटाला, 70,000 करोड़
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किस बैंक में कितना भ्रष्टाचार
बैंक
जनवरी-दिसंबर 2015
जनवरी-दिसंबर 2016
जनवरी-मार्च, 2017
कुल
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया
888
547
103
1538
इंडियन ओवरसीज बैंक
245
160
44
449
सेंट्रल बैंक
248
130
28
406
यूनियन बैंक
125
72
17
214
पीएनबी
115
58
11
184
22 अन्य बैंक
1127
1027
255
2409
कुल
2748
1994
458
5200
कर्मचारियों की वजह से इतना बड़ा नुकसान
2013-14
2014-15
2015-16
2016-17
कुल
कितने फ्रॉड हुए
4305
4639
4690
3870
17504
कितने करोड़ का फ्रॉड
10170
19455
18461
17750
66066
कर्मचारी लिप्त पाए गए
501
551
582
450
2084

लेखकः-राजकुमार 
दैनिक मूलनिवासी नायक के सहायक संपादक हैं

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